चरवाहा Norbert Werner मीडिया वालों को उत्तर देते हुये।
आमतौर पर किसी जानवर के टकराने से रेल को फ़र्क नहीं पड़ता लेकिन कयास लगाये जा रहे हैं कि इस बार बहुत अधिक भेड़ें एक-साथ रास्ते में आ गयी थी, और शायद कोई बड़ी हड्डी पहिये और पटरी के बीच फ़ंसी रह गयी होगी जिससे अंत में पहिया नीचे उतर गया। इस बात का शुक्र मनाया गया कि पटरी से उतरने के बाद रेल दूसरी पटरी पर नहीं चढ़ी, वर्ना दूसरी ओर से आती हुयी रेल के साथ इससे भी भयानक हादसा हो सकता था।
इस हादसे ने बहुत तेज़ चलने वाली रेलगाड़ियों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिये हैं। 3 जून 1998 को भी Eschede के स्टेशन के पास एक ICE 884 दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी जिसमें 101 लोगों की मृत्यु हो गयी थी और 88 लोगों को गंभीर चोटें आयी थीं। ICE रेलों की गति 300 किलोमीटर प्रति घंटा तक भी पहुँच जाती है। कहा जाता है कि 140 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक गति से चलने वाली रेलगाड़ियाँ अचानक ब्रेक लगने की स्थिति में मानव के लिये घातक हो सकती हैं।