सोमवार, 1 नवंबर 2010

चिली के खनिकों का सफलतापूर्वक उद्धार


अक्तूबर 2010 में चिली की एक खदान में ज़मीन के पौना किलोमीटर नीचे करीब ढाई महीने से फंसे 33 खनिकों को सफलतापूर्वक निकाल पाना एक बड़ा चमत्कार माना जा रहा है। इसमें खनिकों के अगुआ और मनोचिकित्सकों की भूमिका बहुत अहम रही है। खदान में फंसने से खनिकों को नहीं पता था कि वे बच भी पाएंगे कि नहीं। यहां तक कि 17 दिन बाद पहली बार केवल छोटा का सुराख करने पर सम्पर्क तो सम्भव हो गया था पर उनके बचने की उम्मीद फिर भी कम थी। इस दौरान उन्होंने कैसे अपनी मानसिक हालत ठीक रखी, भोजन की समस्या कैसे हल की, इन सभी बातों का श्रेय उनके अगुआ को जाता है। उसने किसी को निराश पड़े रहने या लड़ने झगड़ने नहीं दिया। शुरू से आखिर तक सख्त अनुशासन के तहत सभी को काम में लगाए रखा। बचे हुए भोजन का केवल एक छोटा सा हिस्सा सभी को प्रतिदिन खाने के लिए दिया जाता था। एक बार ज़्यादा खाने की अपेक्षा थोड़ा थोड़ा भोजन प्रति दिन खाने से ज़्यादा दिन तक जीवित रहा जा सकता है। सम्पर्क बनने के बाद मनोचिकित्सकों ने खनिकों का मनोबल बनाए रखा।