मंगलवार, 16 नवंबर 2010

रेल के डिब्बों में घर

आरामदायक रेलों में यात्रा तो आपने की ही होगी। पर क्या आप हमेशा के लिए इन रेल के डिब्बों में रहना चाहेंगे? ऐसा कुछ मध्य जर्मनी में रह रहे फोटोग्राफर Marco Stepniak ने देखा था जब वे सत्रह वर्ष के थे। उनके कुछ दोस्त इकट्ठे एक रेल के डिब्बे में रह रहे थे। उन्हें तब बहुत मज़ा आया। उन्होंने इस तरह के जीवन को एक सपने के रूप में पाल लिया और अब उनका यह सपना पूरा हो गया। अपनी गर्लफ्रेण्ड Vanessa Stallbaum के साथ मिलकर उन्होंने बीस बीस हज़ार यूरो के दो पुरानी डाक वाले रेल के डिब्बे ख़रीद कर उनमें अपना घर सजाना शुरू कर दिया है। यही नहीं, डिब्बों को रखने के लिए 1660 वर्गमीटर ज़मीन खरीदने के लिए भी उन्हें 74 हज़ार यूरो देने पड़े। फिर डिब्बों को वहां तक लाने में ही चौबीस हज़ार यूरो खर्च हो गए। पहले पटरियां और रेल इंजन खास तौर पर किराए पर लेने पड़े। उसके बाद भारी ट्रकों और क्रेन द्वारा डिब्बों को वहां तक लाकर पहले से तैयार की गई पटरियों पर रखा गया। इसके बाद भी खर्चे कम नहीं हुए बल्कि बढ़ते चले गए। एक रेल के डिब्बे में पानी, बिजली का इन्तज़ाम, सर्दी से बचने के लिए, ठण्डी हवा को रोकने और डिब्बों को गर्म रखने का इन्तज़ाम कोई भी दस्तकार नहीं कर सकता था। सभी समस्याओं का हल उन्हें खुद निकालना पड़ा। दिसम्बर 2010 से उन्होंने अपने नए घर में रहना शुरू कर दिया है।
http://www.tagesspiegel.de/zeitung/endstation/3680004.html