मंगलवार, 28 सितंबर 2021
Löwenmarsch
Munich स्थित भारतीय कोंसलावास के अधिकारियों ने ली राजभाषा शपथ
समाचार
- जून 2021 में भारत जर्मनी के 70 साल राजनयिक संबंधों पर €1.70 की डाक टिकट निकाली गई।
- गाड़ी किराए पर देने वाली कंपनियां जर्मनी में हर साल करीब साढ़े तीन से चार लाख गाड़ियां खरीदती थीं। पर अब semi conductor की कमी के कारण उन्हें 20-25% कम गाड़ियां मिल रही हैं. इसलिए किराए बढ़ रहे हैं।
- जुलाई में बाढ़ के कारण कीचड़, सीवरेज और तेल से गंदे हुए करीब साढ़े छह करोड़ यूरो के नोट संघीय बैंक में जमा करवाए जा चुके हैं, जिन्हें धो कर, सुखा कर जांचा जाएगा और नए नोटों से बदला जाएगा।
- एक 58 वर्षीय व्यक्ति ने 29 जून 2020 को Schwandorf में चाकू के साथ क्रूर तरीके से अपनी पूर्व साथिन और उसके नए साथी की हत्या कर दी। कृत्य के बाद वह साइकिल पर चेक गणराज्य भाग गया, जहां उसे आखिरकार 1 जुलाई 2020 को पकड़ लिया गया। अगस्त 2021 के मध्य में Amberg जिला अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अब वह Weiden की सुधार सुविधा में अपनी सजा काट रहा है।
- एक वकील का दावा है कि 13 जून 2014 को एक कानून लागू होेने के कारण वे लोग जिन्होंने leasing या किश्तों पर गाड़ी खरीदी है, उन्हें वह सारा पैसा वापस दिला सकता है, भले उन्होंने कितनी भी गाड़ी चलाई हो, भले वह किसी भी कंपनी की हो, भले वह diesel scandal के तहत आती हो या नहीं।
- Regensburg की कंपनी Osram Opto Semiconductors में एक व्यक्ति ने लाखों यूरो का सोना चुराना, कम से कम सौ किलो। वह धीरे धीरे कर के 2012 से 2016 तक लगभग 360 बार सोना चुराता रहा। फिर वह रूस भाग गया। पिछले साल से उसकी तलाश चल रही थी। कुछ दिन पहले उसे रूस में गिरफ़्तार कर के जर्मनी भेजा गया।
- चिप बनाने वाली कंपनी Infineon ने ऑस्ट्रिया में 1.6 अरब यूरो लगा कर fast track में तीन साल के अंदर एक नया प्लांट लगा लिया है, जिसमें उत्पादन शुरू हो गया है। लेकिन पूरी क्षमता तक पहुंचने के लिए कुछ वर्ष लगेंगे। इस प्लांट से उसे सालाना दो अरब यूरो राजस्व की उम्मीद है।
- जुलाई 2023 से electro car वाले debit या credit card से चार्ज सकेंगे.
- बिजली को सहेजा नहीं जा सकता. इसका एक तरीका है, जब बिजली की ज़रूरत कम हो,तो पानी ऊपर चढ़ाया जाए। और जब बिजली ज़रूरत अधिक हो तो पानी को दोबारा नीचे गिरा कर बिजली पैदा की जाए. ऐसा एक 180m ऊंचा सीमेंट का तालाब Hochspeicher Rabenleite है जिसका स्तर रोज़ औसतन 15m ऊपर नीचे होता रहता है। प्रकृति और तकनीक के मेल का उम्दा उदाहरण.
- गणेश चतुर्थी पर्व के लिए चितले बंधु के मोदक (महाराष्ट्रियन मिठाई) म्युनिक के Taj Indian Foods GmbH में उपलब्ध
- 1929 में Schwandorf में बिजलीघर की जल आपूर्ति के लिए सवा मीटर ऊंचा बांध बनाया गया था जिसकी अब ज़रूरत नहीं. इसे हटा कर 12-12 cm की बारह सीढ़ियां बनाने की योजना चल रही है ताकि जल जीव और नावें आसानी से बह सकें।
- 1971 में Hamburg के पास कोई हवाई दुर्घटना हुई थी जिसमें केवल आगे बैठने वाले 20-22 लोग मरे थे। हवाई यान के उड़ान भरने के कुछ देर बाद ही इंजन में कुछ धमाका हुआ ऐर यान नीचे आ गया। बाद में पता चला कि engine cooling इस्तेमाल होने पांच पानी कनस्तरों में दो गल्ती से किरोसिन केे थे. एक पायलट, जो बहुत मेहनत से पायलट बना था, 3000 घंटों की उड़ान भर चुका था, उसका करियर तबाह हो गया. दूसरी पायलट लड़की एक अन्य हवाई दुर्घटना में मारी गई. उस समय नियम कुछ ऐसे थे कि लोग बिना एक पैसा लगाए जहाज़ खरीद लेते थे और airline बना लेते थे. सुरक्षा से उन्हें कोई मतलब नहीं होता था
- Schwandorf में पहले कोई aluminium की फैक्ट्री थी जो करीब पांच साल तक अपने ज़हरीला कचरा वहां फेंकती रही जो आज Knappensee नामक झील है. यहां नहाना मना था. लेकिन अब इसका पानी neutralise हो चुका है और मनुष्यों के नहाने लायक हो चुका है (ph value 6-8) पर फिर भी, अभी यह झील लोगों के लिए खोली नहीं गई है।
- Wackersdorf में एक museum है जो केवल रविवार को केवल दोपहर के बाद खुलता है। वहां पुराने ज़माने में कोयले से बनने वाली ईंटें, पत्रिकाएं, कपड़े, हथियार, नक्शे, तस्वीरें और मॉडल आदि रखे हैं। वहां काम करने वाले Walter Buttler ने बहुत सी दुर्लभ तस्वीरों के साथ कई PowerPoint presentations भी तैयार कर रखी हैं, जिन्हें वह बड़े शौक से लोगों को दिखाते हैं। उनकी जन्म 1943 में हुआ था। और उन्होंने हर बात अपनी आंखों से देखी है. भारत से भी दो इंजीनियर उस समय थे, जिन्हें बिल्कुल सटीकता से पता था कि क्या करना है, कैसे करना है।
- Wahl-o-mat app में 39 प्रश्नों का आपने उत्तर देना है कि आप इस विषय के पक्ष में हैं या नहीं, या आप तटस्थ हैं. आपके उत्तरों के आधार आपको बताया जाएगा कि संघीय चुनाव में हिस्सा लेने वाली 39 में से कौन सी पार्टियां आपके लिए अच्छी हैं. इस app में ना कोई पंजीकरण है, ना आपके बारे में एक भी प्रश्न पूछा जाएगा। यह केवल सूचना के लिए है
- जर्मनी में कुछ मोटरसाइकिल कल्ब हैं जिनके सदस्य आपराधिक विचारधारा के होते हैं. इसका चलन अमरीका से शुरू हुआ था। एक कल्ब में दो लोगों पर जानलेवा हमला हुआ.
- हिन्दी दिवस तो जनवरी में मनाया जाएगा। फिलहाल भारतीय कोंसलावास हिन्दी पखवाड़ा मना रहा है. इसके तहत बच्चों से छोटे छोटे निबंध लिखने और हस्तलेखन प्रतियोगिता में भाग लेने का अनुरोध किया जा रहा है। prize distribution 24 सितंबर को होगी.
- कहते हैं कि विश्व में दो प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो किसी चेहरे को एक बार देखने के बाद कभी नहीं भूलते हैं। ऐसे लोगों को super recognizer कहा जाता है और पुलिस में इनकी बहुत मांग होती है। ये लोग हिलती हुई धुंधली cctv footage देखकर भी हज़ारों की भीड़ में से उस व्यक्ति को पहचान सकते हैं.
- वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि लिंग न्यायसंगत भाषा लैंगिक समानता में योगदान कर सकती है।
शनिवार, 25 सितंबर 2021
भारतीय कोंसलावास म्युनिक में हिन्दी कार्यक्रम आयोजित
बुधवार, 15 सितंबर 2021
Hindi Translation of Mittelbayerische Zeitung article from 13 September 2021
रजनीश मंगला Schwandorf में जर्मनी की इकलौती हिन्दी पत्रिका 'बसेरा' को दोबारा प्रकाशित करने की सोच रहे हैं. Ideas उनके पास बहुत हैं.
Renate Ahrens
Schwandorf. रजनीश मंगला Schwandorf में खुशी खुशी रह रहे हैं. यहां के खान-पान का भी वो आदि हो गए हैं. Schnitzel, Bratwurst और Sauerkraut उन्हें बहुत पसन्द हैं. पर अभी भी वह अपनी मातृभूमि भारत के लिए तरसते हैं. अन्य प्रवासी भारतीयों की तरह वह भी कुछ कुछ वह दो दुनियाओं के बीच झूल रहे हैं. दोनों संस्कृतियों का अन्तर ही इतना बड़ा है. 2001 में जर्मनी आने के कुछ ही वर्षों बाद ही उनके मन में एक हिन्दी पत्रिका के रूप दोनों संस्कृतियों के मध्य एक सेतु बनाने का विचार आने लगा जिसमें जर्मनी में क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर की रोचक सामग्री हो. उन्हें उम्मीद थी कि इससे वे भारतीय, जिन्होंने जर्मनी को अपना घर माना है, जर्मनी में के बारे में काफ़ी चीज़ें जान पाएंगे. इसी से पत्रिका का नामकरण भी हो गया, बसेरा, यानि चुना हुआ घर.
उनके दिल में अपनी भाषा के लिए बहुत प्यार है
लेकिन इस परियोजना में भाषा एक बहुत बड़ी बाधा है. हालांकि हिंदी भारत में आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषा है, लेकिन यह केवल 20 प्रतिशत आबादी द्वारा बोली जाती है. वहां अंग्रेजी का विस्तार बहुत व्यापक है और अंग्रेजी को दूसरी आधिकारिक भाषा माना जाता है. तो मंगला अपनी पत्रिका और ब्लॉग, जो वह 2008 से चला रहे हैं, अंग्रेजी में क्यों नहीं लिखते? मंगला, जो विगत एक महीने से जर्मन नागरिक भी हैं, बताते हैं "हमारी भाषा विलुप्त नहीं होनी चाहिए". उन्होंने जर्मनी से कुछ ऐसा महत्वपूर्ण सीखा जो उन्हें आकर्षित करता है: सारा विश्व साहित्य जर्मन में उपलब्ध है. जर्मन भाषा हर एक चीज़ के लिए खुली है. "जब मैं पहली बार किसी किताबों की दुकान पर गया, तो मैं यह देख कर बहुत प्रभावित हुआ. दवाइयों, उपकरणों के उपयोग निर्देश, सब जर्मन भाषा में था."
भारतीयों, विशेषकर निम्न वर्गों में, के पास यह विकल्प नहीं है. भारत में अधिकांश लोग अंग्रेज़ी भाषा, जो एक तरह से रोज़ी रोटी की भाषा है, में निपुण नहीं हैं., हर चौथा व्यक्ति नहीं पढ़ सकता है. "यहां तक कि पढ़े लिखे लोग भी हर चीज़ अंग्रेज़ी में नहीं समझ सकते हैं", मंगला कहते हैं. "मुझे यह देख कर हैरानी होती है कि जर्मन लोग अपनी भाषा कितनी धाराप्रवाह जर्मन और कितनी अघिक मात्रा में लिख सकते हैं." हालांकि भारत सरकार ने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है, लेकिन उच्च वर्गों को छोड़कर भारत में सामान्य सामाजिक जीवन में इसकी उच्च उपस्थिति नहीं है. इसलिए बहुत सारे भारतीय साहित्य की दुनिया से वंचित हैं. बसेरा के साथ रजनीश मंगला इसे बदलने के लिए एक छोटा सा कदम उठाना चाहते हैं. "हिन्दी को बढ़ावा देना ज़रूरी है. इसी से हम भारत के साथ एक उच्च स्तर का रिश्ता कायम कर सकते हैं."
"पत्रिका का मुद्रित होना बहुत महत्वपूर्ण है, केवल onilne नहीं. मुद्रित पत्रिका को दस साल के बाद भी एक सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है", 50 वर्षीय मकैनिकल इञ्जिनियर कहते हैं. 2008 और 2011 के बीच बसेरा के 28 पृष्ठों वाली बसेरा पत्रिका के 15 अंक प्रकाशित हुए. अब वह पत्रिका को पुनर्जीवित करना चाहते हैं और इस पर कड़ी मेहनत कर रहे हैं. "पहले तो मैं बहुत कुछ लिखना चाहता हूं और काम अच्छी तरह से करना चाहता हूं."
पत्रिका के लिए विषय चुनने के लिए वे बहुत तरह के शोध करते हैं। फिलहाल अधिकांश विषय वे Mittelbayerische Zeitung नामक समचार पत्र से लेते हैं जो वे शहर के पुस्तकालय में हर रोज़ पढ़ते हैं। मंगला, जो धाराप्रवाह और लगभग निर्दोष रूप से जर्मन बोलते हैं, कहते हैं कि समाचार पत्र में बहुत सारे सूत्र और मुहावरे उनके लिए समझने आसान नहीं होते हैं। "समाचार पत्रों में जो जर्मन लिखी जाती है, वह उससे बिल्कुल अलग होती है जो हम कोर्स में सीखते हैं।" उन्हें बहुत ही बातें रोमांचक लगती हैं। वे हाल ही के Weiden के एक केस के बारे में लिखना चाहते हैं जिसमें अपने एक दोस्त को मृत्यु से ना बचाने के जुर्म में उसके तीन मित्रों को सज़ा हुई। Wackersdorf में नियोजित परमाणु कचरे के पुनर्नवीनीकरण के इतिहास और उसके लिग्नाइट खनन के साथ संबंध ने भी उन्हें प्रेरणा दी है। उन्होंने Wackersdorf के संग्रहालय का दौरा किया, वे परमाणु कचरे की परियोजना के मूल स्थलों पर गए और साथ ही पर्यटन विभाग के साथ साथ और कई लोगों से बात की। "बिना बातचीत किए, केवल पढ़ कर किसी चीज़ को शब्दों में ढालना मुश्किल होता है।"
आत्मा के लिए अच्छा
विषयों के लिए कुछ सुझाव उनके हिंदी ब्लॉग के पाठकों से भी आते हैं, लेकिन यहाँ भी भाषा एक बाधा है। Google से हर सामग्री का मूलभूत अनुवाद तो हो जाता है, पर वह संवाद के लिए पर्याप्त नहीं होता। लेकिन हार मानने का कोई सवाल नहीं है: आखिर मंगला हिंदी के साथ बड़े हए हैं। और यहाँ, ऐसे पूरी तरह से अलग देश में, उनकी मातृभाषा बस "उनकी आत्मा को सुकून देती है" वे कहते हैं।
भाषा भारत में एक बाधा हैजीवन: 2001 में एक भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी, जिसमें ये मैकेनिकल इंजीनियर कार्यरत थे, ने उन्हें म्युनिक भेजा। छह महीने के बाद उनका काम खत्म हो गया था। लेकिन रजनीश मंगला जर्मनी में ही रहना चाहते थे। 2012 में ही वह दो साल के लिए भारत लौटे। आज वे Wackersdorf में एक प्रयोगशाला में काम करते हैं। उनकी दो बेटियां म्युनिक में रहती हैं। भाषा: भारतीय संविधान 22 आधिकारिक भाषाओं को मान्यता देता है। हिंदी उनमें से एक है। प्रत्येक संघीय राज्य और क्षेत्र की अपनी भाषा है, और तकरीबन प्रत्येक भाषा की अपनी लेखन प्रणाली है। विभिन्न भाषा परिवारों में कुल मिलाकर 100 से अधिक भाषाएँ हैं। बसेरा: मंगला की इच्छा है कि वह पूरे जर्मनी में पत्रिका का वितरण कर सकें। उन्होंने अभी तक पुन: संस्करण के लिए एक प्रकाशन तिथि पर विचार नहीं किया है - सबसे पहले, वे सामग्री बढ़ाना चाहते हैं। ब्लॉग: रजनीश मंगला अपने हिंदी ब्लॉग पर भी अभी बहुत काम करना चाहते हैं ताकि वहां हर दिन कुछ नया लिखा जा सके। वे हर तरह की मदद के लिए आभारी हैं। |
शुक्रवार, 10 सितंबर 2021
हिन्दी और जर्मन भाषा में समानताएं और अंतर
हालांकि कुछ शब्द जर्मन और हिन्दी में एक ही हैं, जैसे pineapple को हिन्दी और जर्मन, दोनों में अनानास कहते हैं। लेकिन हिन्दी और जर्मन, दोनों भाषाओं में बहुत बड़ी समानता verbs के inifinitve form को लेकर है। दोनों भाषाओं में verbs के inifinitve form न के साथ समाप्त होते है। जैसे हिन्दी में खाना, पीना, आना, जाना है, वैसे जर्मन में essen, trinken, kommen, gehen आदि है। इसलिए verb के अन्य form दोनों भाषाओं में इस्तेमाल करके खेल खैला जा सकता है। जैसे
पीना, trinken, ट्रिंकन
पीजिए, ट्रिंकिए
पीओ, ट्रिंको
पी लिया, ट्रिंक लिया
मैंने बहुत पानी पीया। मैंने बहुत पानी ट्रिंका।
मैं पानी पीऊंगा। मैं पानी ट्रिंकूंगा
हिन्दी भाषा की कुछ अच्छी बातें जो जर्मन और अंग्रेज़ी में नहीं हैं।
जर्मन और अंग्रेज़ी में oblique form में possessive के लिए अलग से खास शब्द नहीं है। जबकि हिन्दी में 'अपना / अपनी / अपने' शब्द हैं। अंग्रेज़ी में his शब्द, direct और oblique, दोनों के लिए इस्तेमाल होता है।
उदाहरण के लिए
his car is big
उसकी कार बड़ी है।
he will bring his car
वह अपनी कार लाएगा।
हम यह नहीं कहते 'वह उसकी कार लाएगा'
इससे expressive power बढ़ जाती है।
हिन्दी के शब्द 'जो' के लिए अंग्रेज़ी और जर्मन, दोनों भाषाओं में कोई शब्द नहीं
नीचे उदाहरण में वह और जो, दोनों शब्दों के लिए जर्मन में एक ही शब्द है, der
वह डाक्टर, जो मेरे घर के पास रहता है, बहुत अच्छा है।
Der Doktor, der in die nähe von mir wohnt, ist sehr gut
अंग्रेज़ी में
who is that guy who lives close to you?
वह व्यक्ति कौन है जो तुम्हारे घर के पास रहता है?
यहां 'कौन' और 'जो' के लिए अंग्रेज़ी में एक ही शब्द है 'who'
हिन्दी का एक अन्य बहुत बड़ा फ़यदा यह है कि इसमें transitive और intransitive verbs मिलते जुलते होते है। आप चाहें ख़ुद नहाएं या अपने बच्चे को नहलाएं, अंग्रेज़ीं में bathe शब्द और जर्मन में duschen ही इस्तेमाल होगा। बस जर्मन में intransitive में sich लगा देते हैं।
कुछ अन् उदाहरणेंः
उखड़ना, उखाड़ना
उगना, उगाना
उछलना, उछालना
उठना, उठाना
उतरना, उतारना
उबलना, उबालना
और भी बहुत सारी
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