शुक्रवार, 13 नवंबर 2009

Namaste Ladies Club in Erlangen

कोई अधिक पुरानी बात नहीं जब कामकाजी भारतीयों की पत्नियों के लिए दिन भर बैठे रहने के अलावा कोई चारा नहीं होता था। एरलांगन शहर में सीमेन्स कंपनी में कार्यरत बहुत से भारतीयों के साथ भी ऐसा ही था जब 1999 में घरेलू भारतीयों महिलाओं ने घर में बोर होने की बजाय 'नमस्ते लेडीज़' नामक क्लब का गठन करने का निर्णय लिया। उनका केंद्र बिंदु छोटे छोटे आयोजनों द्वारा थोड़ा बहुत धन एकत्रित कर, भारत में समाज सेवी संस्थाओं की मदद करने पर रहा। क्लब के गठनकर्ताओं में श्रीमती राखी मुखर्जी, श्रीमती कुसुम चौधरी और श्रीमती आशा रमेश प्रमुख थीं। पिछले वर्षों में क्लब ने होली, दीपावली आदि लोकप्रिय पर्व मना कर, खाना पकाने के प्रशिक्षण द्वारा और कई अन्य स्थानीय मेलों में भाग लेकर कुछ धन जमा किया और भारत में आदि वासियों और भीख मांग रहे बच्चों की मदद की। अब यह क्लब भारत में किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई का दायित्व उठाने की सोच रहा है। 'नमस्ते लेडीज़ क्लब' की हर महीने के अंतिम शुक्रवार को बैठक होती है और श्रीमती कुसुम चौधरी माह में एक बार खाना पकाने का प्रशिक्षण देती हैं। कुछ स्थाई आय के लिए श्रीमती आशा रमेश ने क्लब के लिए सदस्य जुटाने आरंभ किए। सदस्यों के लिए उन्होने दो तरह की श्रेणियां प्रस्तावित कीं, सक्रिय और निष्क्रिय सदस्य। सक्रिय सदस्यों के लिए वार्षिक शुल्क 15 यूरो तय किया गया जिन्हें आयोजनों में निशुल्क प्रवेश मिलता है। निष्क्रिय सदस्यों के लिए वार्षिक शुल्क 5 यूरो तय किया गया जिन्हें आयोजनों के प्रवेश शुल्क में छूट मिलती है। इस समय क्लब लगभग दस सदस्य हैं। 'नमस्ते लेडीज़ क्लब' ने 25 अक्तूबर को एरलांगन शहर की नगर पालिका द्वारा आयोजित मेले 'Miteinander leben' यानि 'एक दूसरे के साथ जीना' में ने चाय, भोजन और साड़ी बांधना सिखाने का स्टाल लगाया था जिसमें शहर में रहने वाले 40 देशों के नागरिकों ने विभिन्न तरह की गतिविधियों का प्रदर्शन किया। यही नहीं, साड़ी बांधना सीखने की शौकीन जर्मन महिलाओं की साड़ी में फोटो खींच कर ईमेल द्वारा भेजने का प्रबंध भी किया गया। स्थानीय एकता को बढ़ावा देने में उनके क्लब के योगदान को एरलांगन शहर के मेयर ने बहुत सराहा।