शनिवार, 14 नवंबर 2009

Ulm में Indian Cultural Night

Indian Cultural Night organised by indian community in Ulm, another south German city.दीपावली पर्व के विकल्प के रूप में अनेक समुदायों को एकत्रित करने और विदेश में भारतीय संस्कृति की झलक प्रस्तुत करने के उद्देश्य से 14 नवम्बर 2009 को बवेरिया के उल्म शहर में भारतीयों ने 'Indian Cultural Nite 2009' का आयोजन किया। फेन्सी ड्रेस, मेडली डांस, फैशन शो, गाने बजाने और नृत्य, डिस्को, तम्बोला आदि आईटमों के साथ साथ मेहन्दी, भेलपूरी की स्टालों से भरपूर इस कार्यक्रम की सबसे खास बात थी कि रंगमंच कार्यक्रम, भोजन और अन्य स्टालें आदि आयोजकों द्वारा खुद ही तैयार किए गए थे।

 

Bürgeragentur ZEBRA के हॉल की दीवारें भारत के छोटे छोटे राष्ट्रीय ध्वजों और अतुल्य भारत के पोस्टरों से सजी हुई थीं। प्रवेश द्वार पर दीयों के साथ रंगोली सजाई गई थी। टिकट लेकर अन्दर आ रहे लोगों का स्वागत टिक्के और मिठाई के साथ हो रहा था। बैठने के लिए पीछे से रंगमंच की ओर जाती हुई चार पंक्तियों में कुर्सियां और मेज़ें लगी हुईं थीं। मेज़ों को पीले और सन्तरी रंग के कपड़ों के साथ सजाया गया था। उन पर प्यास बुझाने के लिए मुफ़्त शीत पेय, सुविधा के लिए कार्यक्रम का विवरण और रात्रि भोज (dinner) की भोजनसूची (Menu) रखी हुई थी। बर्लिन में भारतीय दूतावास द्वारा विशेष तौर पर मुहैया करवाए गए छोटे छोटे राष्ट्रीय ध्वज और भारत उपमहाद्वीप पर आधारित जर्मन भाषा में पुस्तकें भी मेज़ों की शोभा बढ़ा रही थीं।

शाम तक लगभग डेढ सौ आंगतुकों के साथ हॉल भर चुका था जिनमें लगभग तीन चौथाई लोग स्थानीय थे। कुछ महिलाओं ने पूजा के साथ कार्यक्रम का उदघाटन किया। फिर भारतीय दूतावास द्वारा प्रदान की गई एक वीडियो सीडी द्वारा भारत देश पर एक लघु व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। फिर सिद्धार्थ और Cary नामक दो बच्चों ने गिटार के साथ एक अंग्रेज़ी गाना पेश किया। उसके बाद बच्चों की फेन्सी ड्रेस हुई जिसमें बच्चों को दो श्रेणियों में बाण्टा गया। एक श्रेणी में दो वर्ष से लेकर छह वर्ष तक की आयु के बच्चे थे और दूसरी श्रेणी में छह से दस वर्ष की आयु के बच्चे। दो जजों द्वारा हर श्रेणी में से एक विजेता घोषित किया गया। छोटे बच्चों की श्रेणी में 'लेडी बग' बनी 'Sienna Larsen' को और बड़े बच्चों की श्रेणी में समुद्री डाकू (Pirate) बने 'आकाश देसवाण्डेकर' को विजेता घोषित किया गया। फिर तीन बच्चों, सान्या, सीरथ और आकाश ने एक हिन्दी फिल्म गीत पर डांस किया। इसके बाद आदित्य नामक एक जर्मनी निवासी भारतीय युवा कलाकार ने बांसुरी वादन पेश किया। फिर आदित्य ने दो जर्मन कलाकारों, पिआनो पर Daniel और ड्रम्स पर Leon के साथ जुगलबन्दी पेश की। फिर रश्मी ने अर्ध शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद दो दम्पत्तियों, विनीत और बरखा अहूजा, और गगन और करुणा ने हिन्दी गीतों की मेडली पर डांस पेश किया। इसके बाद नीति कासलीवाल ने हिन्दी फिल्म 'उमराव जान' के गीत 'सलाम' पर नृत्य प्रस्तुत किया। फिर न्यूर्नबर्ग से शास्त्रीय नर्तकी Auxilia Albert ने भरतनाट्यम प्रस्तुत किया। उल्म निवासी रश्मी ने भी बहुत खूबसूरत नृत्य प्रदर्शन किया। सभी अतिथिगण तालियां बजा कर आनन्द का प्रदर्शन कर रहे थे।

फिर स्नैक्स और मेहन्दी के लिए ब्रेक हुआ। विनीत अहूजा के द्वारा बनाई गई भेलपूरी हाथों हाथ बिक गई। अर्चना देसवाण्डेकर और श्रीमती राम्या की मेंहदी स्टाल पर बहुत सारी बच्चियां और युवतियां अपने हाथों पर मेंहदी लगवाने को उत्सुक थीं। भारतीय पारम्परिक परिधान, जैसे कुर्ता पजामा आदि के लिए भी एक स्टाल लगाई गई थी।

 

नाश्ते के बाद Auxilia Albert कथक को लेकर एक बार फिर दर्शकों के सामने आईं। इसके बाद मुनमुन और राज ने बॉलिवुड गीतों पर एकल डांस प्रस्तुत किए। फिर कुछ भारतीय दम्पत्तियों ने पारम्परिक पोषाकों में एक फ़ैशन शो प्रस्तुत किया। लोग भी तालियां बजाते हुए आयोजन का खूब आनन्द ले रहे थे।

लगभग सवा आठ बजे रात्रि भोज के लिए विराम हुआ। खाने में जीरा चावल और नान के साथ शाकाहारी भोजन में दाल मखनी, मटर पनीर, रायता, मांसाहारी भोजन में कश्मीरी लैम्ब, और चिकन करी और मधुर पकवान यानि sweet dish के रूप में स्वादिष्ट खीर का इन्तज़ाम किया गया था।

 

रात्रि भोज के बाद सभी अतिथियों के लिए बरखा अहूजा ने 'Tambola/Bingo' खेल और 'निति कासलीवाल' ने 'Jigsaw Puzzle' आयोजित किया। तम्बोला में अतिथियों को ढेर सारे ईनाम दिए गए। खेलों के बाद सभी का धन्यवाद किया गया और डिस्को के लिए हॉल की जगह खाली कर दी गई। लगभग आधी रात तक महफिल जमी रही।

श्रीमती सुखबंस वीर बोपाराय की छह वर्षीय बड़ी बेटी 'सीरत' ने 'जय हो' और 'Pappu Can't Dance' गानों पर डांस किया। वे कहती हैं 'हम कुछ देर अमरीका में रहे। वहां हमने स्टेज पर कुछ बच्चों को डांस करते देखा। तबसे हमारी बेटी भी भारतीय ड्रेस पहन कर स्टेज पर हिन्दी गाने पर डांस करना चाहती थी। उसे आज यह करने का मौका मिला। हम लोगों के लिए तो यह मेल मिलाप का एक अच्छा मौका था ही, बच्चों को भी कुछ करने और नए दोस्त बनाने का मौका मिला। बड़ों की तरह उन्हें भी सामाजिक गतिविधियों की आवश्यक्ता होती है। वर्ना बच्चे क्रिस्मस, फाशिंग आदि पश्चिमी त्यौहार ही देखते हैं। भारतीय पर्वों को तो वे केवल घर से ही जानते हैं। पर ऐसे सार्वजनिक आयोजनों से उन्हें हमारी संस्कृति के बारे में भी जानने को मिलता है।' उनके पति प्रभजिन्दर सिंह का मानना है 'हमारे समुदाय को भी कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम करने का मंच मिला है। जर्मन लोगों को हमारे समुदाय के बारे में जानने को मिला। बच्चों को भी कुछ करने का मौका मिला। हालांकि सभी आइटमें किन्हीं अनुभवी और व्यवसायिक कलाकारों की बजाय यहीं पर आम लोगों ने मिलकर पेश कीं थीं, पर फिर भी वे बहुत अच्छी थीं।'

फ़्रैंकफ़र्ट से 'भास्कर कोहले' कहते हैं 'यह कार्यक्रम मेरी आशा से कहीं अधिक अच्छा था। दूतावासवास द्वारा भेजे गए भारतीय झण्डों से वाकई एक भारतीय कार्यक्रम के होने का आभास हुआ। दो जर्मन कलाकारों के साथ बांसुरी वादन और फैशन शो में पारम्परिक परिधानों के राउण्ड ने तो सभी को बहुत उत्साहित कर दिया। किसी बड़े विज्ञापन अभियान के बिना भी यह कार्यक्रम अत्यन्त सफ़ल रहा। मेरी पत्नी 'मुनमुन' ने 'आजा नच ले' गाने पर डांस किया। हमने फ़्रैंकफ़र्ट में हुए दीपावली जश्न में भी भाग लिया था, पर वह कार्यक्रम इसकी तुल्ना में बहुत कम प्रभावशाली था।'

 

निति कासलीवाल (चित्र में बाईं ओर) कहती हैं 'हमें खुशी है कि दर्शक कार्यक्रम में पूरी तरह डूबकर आनन्द ले रहे थे, तालियां बजा रहे थे। जर्मन युवतियों और बच्चियों मेहन्दी लगवाकर बहुत खुश हो रहीं थीं।'

 

निति कासलीवाल की पड़ोसन 'Susanne Kluge' कहती हैं 'मैं पिछले सात साल से लगातार इस कार्यक्रम में आ रही हूं। भारतीय लोग सचमुच बहुत ही दोस्ताना स्वभाव के होते हैं और उनमें मेरे जैसे बाहर वाले लोग भी बहुत अपनापन महसूस करते हैं। इस बार का कार्यक्रम भी हमेशा की तरह बहुत मज़ेदार था। हम अन्त तक डांस करते रहे। खाना बहुत स्वादिष्ट था। भारतीय महिलाएं साड़ियों में बहुत खूबसूरत लग रहीं थीं। भारतीय मर्द लोग भी पारम्परिक परिधानों में बहुत शिष्ट लग रहे थे। मैं अगली बार की प्रतीक्षा कर रही हूं।'

विनीत अहूजा कहते हैं 'बहुत सारे छात्रों और कामकाजी लोगों ने मिलकर इस कार्यक्रम को सफ़ल बनाया। इससे हममें एकता की भावना मुखर हुई है। उल्म में रहने वाले लगभग सभी भारतीय इस कार्यक्रम में शामिल थे।'
आयोजक टीम के सदस्य