सोमवार, 6 जुलाई 2009

यहां भी हैं रंग होली के

सख्त नियमों और ठण्डे मौसम के कारण विदेश में, खासकर जर्मनी में बहुत से भारतीय पर्व उसी हर्षोल्लास और धूम धड़ाके के साथ मनाना मुश्किल होता है, जैसे दीपावली पर खूब पटाखे छोड़ना, होली पर खूब रंग फेंकना। इसीलिए पर्वों के नाम पर प्रवासी भारतीय कुछ औपचारिक कार्यक्रम आयोजित कर गुज़ारा कर लेते हैं जिसमें खाना पीना और थोड़ा गाना बजाना होता है। पर इस बार म्युनिक निवासी भारतीयों ने खूब रंगों के साथ होली खेल कर इस क्रम को थोड़ा बदला है। ठण्ड के कारण बाहर खुले में होली न मनाने के कारण उन्होंने एक चर्च हॉल में होली मनाई और सूखे रंगों का खास इन्तज़ाम रखा। इस तरह बच्चों और बड़ों, सभी ने एक दूसरे को हरा, पीला और लाल गुलाब लगाकर होली मनाई। स्टेज पर थोड़े गाने बजाने नाचने का कार्यक्रम भी रखा गया था पर लोगों को रंगों के खेलने में ही इतना मज़ा आया कि उनका ध्यान इसी पर केन्द्रित रहा। बाद में तो सब लोग मंच पर चढ़कर ही नाचने लगे। बहुत कम दिनों की प्लानिंग के बावजूद आम लोगों के लिये यह एक याद बनकर रह गया। बच्चे तो जैसे वापस घर जाना ही न चाहते हों। सब लोग गर्व से कह रहे थे कि हमने सचमुच रंगों के साथ होली खेली। खाने का इन्तज़ाम भी लोगों ने खुद ही किया। कुछ लोग घर से खाना बनाकर लेकर आए और सस्ते में बेचा। इस तरह यह अनौपचारिक कार्यक्रम अमरजीत सिंह शौकीन और शालिनी सिन्हा के प्रयत्नों से सम्भव और सफ़ल हो सका। बायरिश टीवी वाले अपने कार्यक्रम 'पज़्ज़ल' के लिये कवरेज के लिये भी आये जिसमें पांच मिनट के लिये अलग संस्कृति के कार्यक्रमों की झलक दिखायी जाती है। टीवी की ओर से रिपोर्टर थे 'पीटर अरुण फाफ' जो संयोग से स्वर्गीय नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के दोहते हैं। कार्यक्रम में शॉर्ट नोटिस के बावजूद पचास साठ लोग शामिल हुए।

Mallorca की सैर

क्या आप शहरों की इमारतों को देखकर बेज़ार हो गए हैं? क्या आपको यूरोप के सारे शहर एक जैसे लगते हैं? हम तो इन शहरों को देखकर थोड़ा ऊब गए हैं। इसलिए इस बार हमने किसी ऐसी जगह का भ्रमण करने की सोची जहां जर्मन लोग अधिक जाते हों, महंगी भी न हो और जहां सितम्बर के महीने में भी अच्छा मौसम हो। ऐसी शर्तों को पूरा करने वाला गन्तव्य हमें स्पेन का टापू Mallorca लगा। इस बार हमने यात्रा का प्रबंध खुद करने की बजाय पैकेज टूर लिया जिसमें विमान और अपार्टमेंट का किराया भी शामिल था। Mallorca हवाई अड्डे पहुंचने पर विश्वास ही नहीं हुआ कि इतने छोटे से टापू में भी इतने विमान और लोग प्रतिदिन आते हैं। फिर पता चला कि यहां का हवाई अड्डा यूरोप के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक है। फिर हम Santa Ponça नामक जगह पर अपने अपार्टमेंट में पहुंचे। यह शहर सच में यूरोप के दूसरे शहरों से अलग और साफ सुथरा था। यहां की इमारतें अलग तरह की थीं, मौसम बहुत बढ़िया था, पेड़ पौधे अलग किस्म के थे। प्रकृतिक नज़ारा तो इतना सुन्दर था कि देखते रहने को मन करता था।  Mallorca में हर साल लाखों की संख्या में लोग आते हैं। यहां के लोगों की आय का मुख्य स्रोत भी पर्यटन ही है। इस टापू का क्षेत्र-फल 3600 वर्ग किलोमीटर है और यह Balearic Islands का सबसे बड़ा टापू है। यहां लगभग 300 से ज़्यादा beaches हैं। इन beaches के पास ही घर, रेस्त्रां, होटल, बार और बाज़ार बने होते हैं। बहुत सारे लोग तो एक ही जगह अपना पूरा trip बिता देते हैं।पहले दिन तो हम काफी थके हुए थे। इसलिए हमने apartment के सामने की beach, बाज़ार और शहर देखा। यह जगह भी काफी सुन्दर और चहल पहल वाली थी। फिर हमने खाना बनाने के लिए supermarket से थोड़ा सामान ख़रीदा। यहां Eroski और Casa Pepa नामक दो supermarkets अच्छी और सस्ती हैं। फल और सब्ज़ियां तो supermarkets की बजाय छोटी दुकानों से ही अच्छी मिलती हैं। इनमें फल सब्ज़ियां ताज़ा, स्वादिष्ट और सस्ती मिलती हैं। यहां Mallorca में उगने वाले फल और सब्ज़ियां भी खरीदें जैसे तरबूज, खरबूजा, अनार, नींबू, अंजीर आदि। फिर रात्रिभोज के बाद हम यहां की प्रसिद्ध nightlife देखने के लिए फिर बाहर निकल पड़े। रात में भी इतनी चहल पहल थी कि पूछो मत। दुकानें भी देर रात तक खुली थीं। सड़क के दोनों ओर बने रेस्त्रां, बार और डिस्को आदि लोगों से भरे हुए थे। लोग रात के दो तीन बजे तक संगीत के साथ झूमते और आनन्द लेते हुए दिखाई दे रहे थे। और फिर अगली सुबह दस बजे तक शहर में बिल्कुल शान्ति थी।

यहां सार्वजनिक परिवहन महंगा है। बसों की frequency भी कम है और वे समय पर भी नहीं आती हैं। न ही यहां कोई day pass या tourist pass होता है। हर बार यात्रा करने पर किराया देना पड़ता है। क्योंकि बसचालक खुद ही टिकट बेचता है इसलिए ज़्यादा भीड़ होने पर बस भी देर से आती है। अगर आपको कार चलानी आती है कार भाड़े पर लेकर घूमें। इससे आपका खूब सारा समय भी बचेगा और आप अधिक जगहें देख सकते हैं। या फिर आप package tour लें। ये सस्ते भी पड़ते हैं, इनसे समय भी बचता है और थकान भी कम होती है।

हमने भी दूसरे दिन एक travel agency से गुफाओं की यात्रा की। सुबह साढे आठ बजे ही हमारी बस हमें लेने होटल के पास आ गई। सभी यात्रियों को उनके hotel से लेते हुए बस सबसे पहले artificial pearl factory और shop पहुंची। यहां हमने कृत्रिम मोती बनने का तरीका दिखाया गया। उसके बाद हम गुफाएं देखने गए। Mallorca में लगभग 200 से ज़्यादा गुफाएं हैं जिनमें केवल पांच ही सार्वजनिक तौर पर खुली हैं। हम Coves del Drac नामक एक विश्व प्रसिद्ध गुफा देखने गए। गुफा के अन्दर कैमरे या वीडियो कैमरे का उपयोग करना मना है। पर लोग गार्डों से छुप कर फोटो लेते रहते हैं। इस गुफा में घुसी तो लगा जैसे मैं सपनों की दुनिया में पहुंच गई हूं। भूगोल की किताबों में जो पढ़ा था, टीवी में जो देखा था, वह आंखों के सामने था। यह गुफा चालीस करोड़ साल पहले बनी थी। यहां पत्थर की प्राकृतिक रूप से बनी हुई अद्भुत और सुन्दर आकृतियां हैं। लगभग 280 सीढ़ियों के द्वारा नीचे उतरने के बाद आप एक ऐसी जगह पहुंच जाएंगे जहां समुद्र का पानी गुफा में दिखने लगेगा। वहीं पर एक amphitheater में लोगों के बैठने के लिए मेज़ें लगी हैं। वहां एक 12 मिनट का live musical शो दिखाया जाता है जिसमें घुप्प अंधेरे से तीन नावें निकलती हैं। इन नावों पर कुछ लोग live music बजा रहे होते हैं। इन नावों के चारों ओर लगी बत्तियां अंधेरे में बहुत सुन्दर दिखती हैं। इसके बाद हम अपनी बस में बैठकर Mallorca की राजधानी Palma पहुंचे। यह बहुत घनी आबादी वाला शहर है। यहां बहुत बड़ी बन्दरगाह भी है। Mallorca की लगभग 90% जनसंख्या इस शहर में या टापू के समुद्र तट के पास रहती है। वहां हमने चर्च, shopping street, beach और बन्दरगाह देखी। फिर हम बहुत सारी सीढ़ियां चढ़ने के बाद काफी ऊंची पहाड़ी पर बने एक किले पर पहुंचे जहां से सारे शहर का नज़ारा बहुत सुन्दर दिखता है।

तीसरे दिन फिर हमने अपने शहर के पास की beaches और बन्दरगाहें देखीं। सबसे पहले हम Port d’Andratx गए जहां बन्दरगाह की ओर छोटे पहाड़ हैं जिनमें अमीर लोगों के बंगले  बने हुए हैं। उसके बाद हम Camp del Mar नामक beach पर गए। यहां पर एक अत्यन्त छोटा सा टापू है जिस पर लगभग उसी आकार का एक बड़ा सा रेस्त्रां बना हुआ है। हमने पढ़ा कि यह विश्व के सबसे छोटा टापू में बना रेस्त्रां है। फिर हम Paguera नामक जगह पर गए। यह जगह जर्मन पर्यटकों में लोकप्रिय है। वैसे भी Mallorca में आप जहां भी जाएं, जर्मन पर्यटक ही अधिक दिखाई देते हैं। मुझे तो कभी कभी लगता था कि मैं स्पेन में न होकर जर्मनी में हूं।

फिर शाम को हम सज कर एक रेस्त्रां में गए। मेरे पति ने स्पेन का Sangría नामक प्रसिद्ध पेय पीया जो वाईन, lemonade और फल डालकर बनाया जाता है। खाने में यहां Paella प्रसिद्ध है। चौथे दिन हमने Marineland जाने की सोची। इसकी टिकट online बुक करने या किसी travel agent से लेने पर दो ढाई यूरो सस्ती पड़ती है। travel agent से टिकट लेने पर जाने के लिए बस की टिकट भी मुफ्त मिल जाती है। Marineland में तीन शो होते हैं- Dolphin Show, Sea lion show, और parrot show. यह दिन में केवल तीन बार होते हैं। आप बीस यूरो देकर dolphin को छू भी सकते हैं और इनके साथ फोटो खिंचवा सकते हैं। मुझे बहुत मज़ा आया। Dolphin और sea lion के करतब देखकर तो ताली बजा बजा कर हाथ लाल हो गए। बच्चों के लिए भी यह जगह बड़ी रोचक है। इसके अलावा यहां कई तरह के समुद्री जीव जन्तु भी थे, जैसे penguin, सील मछली, stingray fish, कछुए, पानी वाला अजगर, बहुत बड़े गिरगिट, Flamingos आदि। इसके बाद हमने Palma Nova और Magaluf beach देखी। फिरोज़ी रंग और उजले रंग के बाली वाली Magaluf beach बहुत सुन्दर थी। उसके बीच में एक छोटा सा टापू भी था।

अगले दिन हमने Palma से Sóller नामक जगह तक चलने वाली सौ साल पुरानी ऐतिहासिक रेल की यात्रा की। इसके डिब्बे लकड़ी के बने हुए हैं। यह सुन्दर गांवों, पहाड़ों, और सुरंगों में से गुज़रती हुई एक घंटे में Sóller पहुंचती है। दस मिनट के लिए यह रेल एक Photo Point पर रुकती है जहां यात्रीगण उतर कर photo shooting कर सकते हैं। यह रास्ता इतना खूबसूरत था कि हम तो सारे रास्ते बैठे ही नहीं, खड़े होकर बाहर का प्राकृतिक नज़ारा देखते रहे। फिर Sóller में उतर कर हम लकड़ी की एक ऐतिहासिक ट्रैम में बैठे जो Sóller शहर से सन्तरों और नींबू के बगीचों में से गुज़रती हुई 20-25 मिनट में Port de Sóller नामक बन्दरगाह तक जाती है। एक ऊंची जगह से यह बन्दरगाह देखने में बहुत रोचक लगती है। इसके बाद हम ट्रैम लेकर Sóller शहर वापस आ गए और वहां थोड़ी सैर की। यहां के घर पत्थर के बने हुए हैं और देखने में बहुत ऐतिहासिक लगते हैं। फिर हम बस द्वारा पहाड़ों के बीच बसे हुए Deia नामक एक छोटे से गांव में गए। फिर हम बस से वापस Palma आ गए। Deia में से होता हुआ Sóller से Palma का रास्ता बहुत ही रमणीक है। मेरे ख्याल से Palma से Sóller रेल द्वारा जाना चाहिए और वापस बस से आना चाहिए।

अगले दिन हम कोई दो घंटे की दूरी पर Mallorca के दक्षिण में स्थित Estrenc नामक एक बहुत ही सुन्दर और मन-मोहक प्राकृतिक beach देखने गए। तीन किलोमीटर लंबी यह beach एक प्रकृति संरक्षित क्षेत्र है। इसलिए यहां अन्य beaches की तरह किनारे पर इमारतें नहीं बनी हुईं। इसके पानी का रंग भी फिरोज़ी था और बालू बिल्कुल सफेद। इसकी तुलना Maldives की beaches के साथ की जाती है। हमने खूब मौज़ मस्ती की, पानी में खूब नहाए और बालू के घर बनाए।

अन्तिम दिन हमने आसपास के beaches देखे। Illes Margret नामक बहुत सुन्दर viewing point और Illetas beach भी देखे। यहां तीन छोटी छोटी beaches हैं। उनका पानी और बालू बहुत सुन्दर हैं। हमने पानी में मौज मस्ती किया और शाम को थोड़ी shopping कर के होटल वापस आ गए, क्योंकि सुबह airport के लिए भी निकलना था। Mallorca की हर beach बहुत सुन्दर है। यहां देखने लायक और भी बहुत सी जगहें हैं जो हमने अगली बार घूमने के लिए बचा ली हैं, जैसे Formentor, Alcudia, La Calobra आदि। यह एक ऐसी जगह है जहां सभी आयु के लोगों के लिए कुछ न कुछ है। बच्चों से लेकर बूढों के लिए, दंपत्ति हों या परिवार। हमें तो यहां बहुत मज़ा आया और आने के बाद मैंने अपने सारे मित्रों को यहां जाने का परामर्श दिया।

शालिनी सिन्हा, म्युनिक

खतरनाक शारीरिक हमले के कारण सार्वजनिक खोज

संघीय पुलिस ने मांगी हैम्बर्ग मीडिया की मदद। अपराध स्थलः S-Bahnstation Hamburg Harburg Rathaus

संघीय पुलिस हैम्बर्ग ने दिसंबर 2008 में हुए एक अतरनाक अपराध के कारण एक संदिग्ध अपराधी फ़ोटो द्वारा ढूँढना आरंभ किया है। ये दो फ़ोटो उस समय निगरानी कैमरे द्वारा ली गई थीं। एक अन्य फ़ोटो के साथ पुलिस दो चश्मदीद गवाह लड़कियों की खोज भी कर रही है जिन्होंने अपराध होते हुए अपनी आंखों से देखा था।

जांच की वर्तमान स्थिति के अनुसार 31.12.2008 को एक अज्ञात व्यक्ति ने एक 27 वर्षीय युवती के ऊपरी शारीरिक हिस्से को शराब की कांच की बोतल के साथ बुरी तरह घायल कर दिया था। इससे लड़की के रिब की हड्डी टूट गई और फ़ेफ़ड़ों को भी चोट पहुँची। उसे लंबे समय तक अस्पताल में गहन चिकित्सिक देखभाल के अंतर्गत रहना पड़ा। स्टेशन में लड़की के दोस्त और अपराधी जो कुछ अन्य लड़कियों के साथ घूम रहा था, में कुछ नोकझोंक हो गई। उसके बाद लड़का और लड़की Harburg की ओर जाने वाली S-Bahn में खड़े थी कि अचानक प्लैटफ़ार्म पर खड़े अपराधी ने ट्रेन के खुले हुए दरवाज़े में से लड़की पर बोतल के साथ हमला कर दिया। अभी तक अपराधी का पता नहीं चल पाया है।
http://www.presseportal.de/polizeipresse/pm/70254/1396359/

शुक्रवार, 3 जुलाई 2009

हिजड़ों पर व्याख्यान

भारत की प्राचीन सभ्यता का एक जीता जागता उदाहरण है हिजड़ा समुदाय, जिसने समाज द्वारा तमाम उपेक्षाओं के बावजूद समाज और कानून के अन्दर ही रहते हुए ही अपना एक स्वायत्त समुदाय कायम किया। कोई नौकरी न मिलने पर उन्होंने निर्वाह के लिए धन कमाने के अपने तरीके खोजे, रहने सहने, पहनने, बोलने और व्यवहार की विशिष्ट शैलियां अपनाई। पश्चिम भी उन्हें transsexual, transvestite, homosexual या intersexual आदि किसी भी श्रेणी में परिभाषित नहीं कर सका। अंग्रेज़ों ने तरह तरह के कानून बनाकर उनकी मान्यता और तीन हज़ार पुरानी संस्कृति को समाप्त करने की कोशिश की। यही नहीं, स्वतन्त्रता के पश्चात भारत और पाकिस्तान ने भी ब्रिटिश संविधान ज्यों का त्यों अपना लिया जिसमें केवल दो लिंगों का ही प्रावधान है, पुरुष या स्त्री। हालांकि संस्कृत भाषा में तमाम क्रियाओं में एक तीसरा लिंग भी होता है। पर हिन्दी और उर्दू में इस तीसरे लिंग का प्रावधान नहीं है। पर हिजड़े गुपचुप, किसी न किसी तरह अपनी मान्यता और अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहे जिसकी परिणती 2 जुलाई 2009 को भारतीय उच्च न्यायालय द्वारा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 377 के तहत सुनाए गए एक निर्णय के रूप में हुई। भारतीय पासपोर्ट आवेदन पत्र इसका प्रमाण है जिसमें पुरुष और स्त्री लिंग के साथ साथ अन्य भी लिखा हुआ है।

हिजड़े अधिकतर ऐसे लोग होते हैं चार पांच साल की उम्र से अपनी प्रवृत्ति को अपने लिंग से अलग महसूस करने लगते हैं। इनमें से अधिकतर या तो खुद मां बाप का घर छोड़ देते हैं या घर वाले खुद उन्हें त्याग देते हैं। हर एक हज़ार में दो तीन ऐसे जन्म हो सकते हैं। हालांकि ऐसा लड़कों और लड़कियों दोनो के साथ होता है, पर हमारे समाज में लड़कियों को अक्सर अलग होने की छूट नहीं मिलती। लड़कों में उदाहरण के लिए लिंग का आकार बहुत छोटा सा, बादाम जैसा हो सकता है। इस स्थिति में माता पिता को उसके भविष्य की चिन्ता होने लगती है, उनकी शादी न हो पाने का डर रहता है। हालांकि ज़रूरी नहीं कि वे नपुंसक हों। ऐसे बच्चे हिजड़ों के समूह में शामिल हो जाते हैं। अक्सर हिजड़ा हाउस के नाम से मशहूर इन घरों में एक गुरू के साथ सात आठ हिजड़े रहते हैं। गुरू उन्हें पैसे कमाने के तौर तरीके और खास तरह से व्यवहार करना सिखाता है। जैसे औरतों की तरह बोलना, हिलना, उंगलियां तान कर खास तरह से ज़ोर ज़ोर से ताली मारना जो हिजड़ों को खास पहचान देती है। हिजड़ों की श्रेणी में वे सब लोग आते हैं जो biologically न तो मर्द हैं और न ही औरत। हालांकि अधिकतर हिजड़ों का शरीर मर्द का होता है और पहरावा, व्यवहार आदि औरत के होते हैं, नाम भी औरतों वाले होते हैं जैसे शबनम, नर्गिस आदि, पर वे फिर भी औरत कहलाना पसन्द नहीं करते। उन्हें 'बदन मर्द और रूह औरत' की सञ्ज्ञा दी गई है।

क्योंकि भारत एक welfare state नहीं है, और काम या पढ़ाई के लिए भी उन्हें prefer नहीं किया जाता, इसलिए पैसा कमाने के वे अपने तरीके ढूंढते हैं। जैसे सात आठ सदस्यों की टोली बनाकर अपना जननांग क्षेत्र दिखाने के डर से धमकाकर व्यापारियों, ग्राहकों या अन्य लोगों से बीस तीस रुपए वसूलना। शादियों या लड़कों के जन्म पर आशीर्वाद देने पहुंचना और बदले में पैसे लेना। पैसा न मिलने पर वे अभिशाप भी दे सकते हैं, जिससे लोग बहुत ही ज़्यादा डरते हैं। हिजड़ा हाउस में अगर कोई सुन्दर दिखने वाला हिजड़ा हो तो चार पांच साल के लिए उससे वेश्यावृत्ति भी करवाई जाती है। भारत में बहुत से पारिवारिक मर्द मौखिक और गुदा मैथुन के लिए इन लोगों के पास जाते हैं क्योंकि पारम्परिक तौर पर भारतीय पत्नियां यह सब नहीं करतीं। फिर जब उनके पास धन कमाने का साधन नहीं रहता तो वे वरिष्ठ श्रेणी में आ जाते हैं और हिजड़ा हाउस के युवा सदस्य उनके लिए धन कमाते हैं। इस तरह भारत के एक welfare state न होने के बावजूद हिजड़ों ने पेंशन की एक स्वायत्त प्रणाली विकसित कर ली है।

अनुमानित भारत में बारह से बीस लाख, और पाकिस्तान में तीन चार लाख हिजड़े हैं। कोई अस्सी प्रतिशत हिजड़े हिन्दू हैं और बाकी मुसलमान। हिन्दू हिजड़े इसे माता का प्रकोप मानते हैं और गुजरात की बहुचरा माता को पूजते हैं। मुस्लिम हिजड़े इसे अल्लाह का प्रकोप मानते हैं।

केवल दस पन्द्रह प्रतिशत हिजड़े castrated होते हैं। एक दाई उनकी शल्य क्रिया करती है। शल्य क्रिया के दौरान व्यक्ति को चालीस दिन तक एक गुप्त कमरे में रखा जाता है और उसे किसी से मिलने की अनुमति नहीं होती। अब तो सर्जनों ने बाक़ायदा हिजड़ों के लिए operation के offer देने शुरू कर दिए हैं। पर सर्जनों को कई बार prefer नहीं किया जाता क्योंकि अक्सर बिना बेहोश किए, गाञ्जा या अफ़ीम खिलाकर और सम्भवत ज़्यादा से ज़्यादा खून बहाकर उनके अंग काटे जाते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो कि उन्होंने मर्द लिंग से सचमुच निजात पा ली है। यह एक नए जन्म और एक धार्मिक कार्य की तरह माना जाता है और इस तरह हिजड़े बहुत पवित्र और बली माने जाते हैं। आशीर्वाद देने का हक इन्हीं को होता है। शल्य क्रिया के बाद पेशाब के निकास के लिए दाई penis की जगह एक नाली लगा देती है।

हिजड़ों की छवि से उलट वे बहुत हंसमुख और सहिष्णु होते हैं। उनकी अपनी विशिष्ट कामुकता होती है। वे भी एक वांछित शरीर के प्रति सजग होते हैं, सज कर और साफ सुथरे रहते हैं। वे समलैंगिक नहीं होते क्योंकि वे आपस में सम्भोग नहीं करते। हां औरतों की बजाय उनका पाला मर्दों के साथ अधिक पड़ता है। उन्हें बहुचरा माता की तरह प्रबल प्रवृत्ति का माना जाता है जिसने एक डाकू के आने पर अपना स्त्रीत्व मिटाने के लिए अपने स्तन काट दिए थे।

म्युनिक से Dr. Renate Syed द्वारा दिए गए एक व्याख्यान पर आधारित


notes:
http://passport.gov.in/cpv/ppapp1h.pdf
http://en.wikipedia.org/wiki/Bahuchara_Mata
http://diaryofanindian.blogspot.com/2008/04/blog-post_16.html
berlins dritte geschlecht
All India Hijda Sammelan