रविवार, 17 अगस्त 2008

तीज की उमंग म्युनिक में भी

3 अगस्त म्युनिक। श्रावण मास में जब नीरस ग्रीष्म ऋतु के बाद सावन की फुहारों से धरती की तपन दूर हो चुकी होती है और नए अंकुरण से धरती हरियाली की चादर ओढ़ लेती है, तब शुरू होती है त्यौहारों की एक कड़ी। इस कड़ी का पहला त्यौहार होता है श्रृंगार और झूलों की भावनाएं लिए तीज का त्यौहार, जो श्रावण मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को पड़ता है। इसलिए कहावत बनी है-
आई होली भर लेगी झोली, आई तीज बिखेरेगी बीज

लेकिन विदेश में भी जब तीज का त्यौहार वैसी ही उमंगों के साथ मनाया जाये जो बात ही कुछ और है। Garching में रह रहे तरुण गुप्ता, उनकी पत्नी अर्चना बजाज और कुछ समय के लिए मुंबई से घूमने आये माता पिता ने मिलकर तीज के त्यौहार का आयोजन किया जिसमें अनेक महिलाओं ने एकत्रित होकर मेहंदी लगाई, तीज के चुलबुले गीत गाये, कुछ खेल खेले। साथ ही स्वादिष्ट खाना भी परोसा गया। खासकर तरुण गुप्ता की माता श्रीमति हेमलता गुप्ता तयौहारों, गीतों और परंपराओं की खास जानकारी रखती हैं और भारत में सांस्कृतिक आयोजनों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती हैं।