गुरुवार, 28 अगस्त 2008

पति से मिलने के लिए रिश्ता बदला

 म्युनिक निवासी कंवलजीत कौर ने पंजाब के अपने गाँव जमशेद गाँव में रहने वाली अपनी 26 वर्षीय सगी बहन गुरमीत कौर को उनके पाँच वर्षीय बेटे गुरबख्श सिंह के साथ म्युनिक घूमने के लिए आने का न्यौता भेजा। सामान्यतः इस न्यौते पर तीन महीने का वीज़ा मिलता है लेकिन गुरमीत कौर को केवल सात दिन का वीज़ा मिला, और उनके बेटे को वीज़ा नहीं मिला। यानि उन्हें अपना बच्चा भारत छोड़ कर ही जर्मनी घूमने आना पड़ा।

इसका कारण था उनके पति का उपलब्ध न होना। दरअसल बच्चे का वीज़ा लगने के लिए उसके पिता का उपस्थित होना आवश्यक था। लेकिन किसी कारणवश वे वहां नहीं आ सके और बच्चे को वीज़ा नहीं मिला।

लेकिन गुरमीत कौर म्युनिक पहुँचते ही इटली घूमने जाने की तैयारी करने लगीं। दरअसल वे जर्मनी अपनी बहन को मिलने नहीं बल्कि इटली में पिछले साढ़े चार वर्ष से अवैध रूप से रह रहे अपने पति को मिलने आईं थी। उनके पति जसपाल सिंह कई वर्ष पहले भारत से भाग कर इटली आ गये थे। हालांकि इटली में नागरिकता पाना जर्मनी जितना मुश्किल नहीं, न ही वहां जर्मनी की तरह स्थानीय औरत से शादी करना ही नागरिकता पाने का एकमात्र उपाय है, फिर भी उन्हें अभी तक वहां की नागरिकता प्राप्त नहीं हुई। पिछले साढ़े चार वर्षों बाद पहली बार गुरमीत कौर ने अपने पति को देखना था। वे बहुत उत्साहित थीं। वे ट्रेन द्वारा सफ़र करके इटली गईं और अपने पति से मिलीं। भारत को वापसी की उड़ान से केवल एक दिन पहले वे ट्रेन द्वारा वापस म्युनिक आईं। इन सात दिनों में उनका अधिकतर समय ट्रेनों में गुज़रा। लेकिन उनकी समस्या का कोई हल अभी नज़र नहीं आ रहा है। वे बताती हैं कि उनके गाँव में हर चौथे घर की यही कहानी है। अच्छे जीवन की तलाश में सब कुछ छोड़कर, कई खतरे मोल लेकर अवैध रूप से विदेश जाना पंजाब के नौजवानों में अभी भी प्रचलित है। (सब नाम बदले हुए हैं)