मंगलवार, 4 दिसंबर 2007

मालगाड़ी के लिये रेलमार्ग

सन 2002 में फ़्रैंकफ़र्ट और कोलोन शहर के बीच राजपथ 3 (Autobahn 3) के साथ साथ एक नये रेलमार्ग का निर्माण पूरा हुआ। उससे दोनों शहरों के बीच का रास्ता बहुत कम समय में तय होने लगा। लेकिन ये रेलमार्ग खासकर जर्मनी की तेज़ रेल ICE के लिये बनाया गया था जो केवल यात्रियों के लिये उपयोग होती है और बहुत तेज़ गति से चलती है (300 किलोमीटर प्रति घंटा)। मालगाड़ियां, जो बहुत शोर करती हैं और धीमी चलती हैं, को अभी भी बहुत घूम कर जाना पड़ता है, जिससे रेलपथ के आसपास रहने वाले लोगों को भी तकलीफ़ होती है। इस ICE रेलमार्ग को बनाने में दस साल लगे और 5 अरब यूरो से अधिक का खर्च आया। लेकिन मालगाड़ियों के लिये अलग रेल मार्ग बनाने की बहुत सख्त ज़रूरत है क्योंकि राईन दरिया (Rhein) के दोनों तरफ़ के रेलमार्गों पर प्रतिदिन 270 मालगाड़ियां आती जाती हैं। और अगले दस साल में यह यातायात 20 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। लेकिन रेल कंपनी 'दी बान' (Die Bahn) इस रेलमार्ग को बनाने का खर्च उठाना नहीं चाहती। मालगाड़ियां ICE रेलमार्ग पर भी नहीं चल सकतीं क्योंकि मालगाड़ियां ICE की तुलना में बहुत भारी होती हैं और बहुत धीरे चलती हैं (80 किलोमीटर प्रति घंटा)। नया रेलमार्ग शायद राजपथ 45 या 61 के साथ साथ बनाया जायेगा।