मंगलवार, 6 जुलाई 2021

आज्ञाकारिता का सिद्धांत

आज्ञाकारिता के सिद्धांत के बारे में 1961 में अमरीका निवासी Stanley Milgram नामक एक Psychologist ने एक प्रयोग किया था, यह देखने के लिए अगर मनुष्य को छूट दे दी जाए तो दूसरों को कितना नुकसान पहुंचा सकता है। इस प्रयोग को Milgram Shock Study या Milgram Experiment कहा गया। इसमें चौंकाने वाली यह बात सामने आई कि हालांकि अधिकतर लोग समझते हैं कि कोई खतरा ना होने की दशा में भी वे किसी अनजान व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे लेकिन करीब 63% व्यक्ति दूसरे को 450V बिजली के झटके द्वारा मार देने की स्थिति में पहुंच गए थे। हालांकि यह सब नाटक था। वहां इस्तेमाल किए गए संयंत्र में बिजली का प्रवाह नहीं था। लेकिन यह बात प्रतिभागियों को नहीं पता थी। उन्हें लग रहा था कि वे दूसरे को सचमुच यातना दे रहे हैं। इस काम के लिए अच्छे अभिनेताओं को चुना गया था। इस प्रयोग से यह बात सिद्ध हुई कि नाज़ियों द्वारा लाखों यहूदियों का मारा जाना किन्हीं खास जर्मन genes की वजह से नहीं था बल्कि यह आम मानवीय प्रवृत्ति है। इस प्रयोग के बारे में हिन्दी में भी कई जगह पर लिखा जा चुका है। इन प्रयोगों का वीडियो नहीं बनाया गया था। इसलिए बाद में कई लोगों ने इन प्रयोगों पर फ़िल्में बनाईं। उनमें से मुझे यह वीडियो सबसे अच्छा लगा क्योंकि इसमें काफ़ी विस्तार से और कई दृष्टिकोणों के इस मुद्दे की बात की गई है। यह originally French में बना है और यह उसकी German dubbing है। पर मेरे खयाल से आज्ञाकारिता के सिद्धांत की और भी कई उदाहरणें हैं। हमारी आम दिनचर्या में देखा जाए तो हममें से अधिकतर लोगों को नौकरी करना, किसी व्यवसाय करने से अधिक आसान लगता है। क्योंकि हमें अपने अपने आप अनुशासन में रह कर कुछ करने से अधिक आसान दूसरों की आज्ञाओं और नियमों का पालन करना लगता है। युद्ध में एक सैनिक उन लोगों को जान से मारता है जिन्हें वह जानता भी नहीं है, क्योंकि वह केवल आज्ञा का पालन कर रहा होता है। जापान में काले धंधों और वेश्यावृत्ति में संलिप्त एक संगठन Yakuza के बारे में मशहूर है कि जब कोई कर्मचारी कोई भारी गल्ती कर देता है तो उसे अपनी एक उंगली काटनी पड़ती है। वह यह इसलिए कर पाता है क्योंकि उसे आज्ञा का पालन करना होता है। अपनी ख़ुद की इच्छा-शक्ति से वह यह नहीं कर पाएगा। आप इसके बारे में क्या सोचते हैं, कृपया comment कर के बताएं।