शनिवार, 5 जुलाई 2008

म्युनिक में हुयी अर्जुन फ़िल्म की शूटिंग

 2 जून को Marienplatz पर Rathaus के आगे कुछ ही महीनों में कर्नाटक मेम रिलीज़ होने वाली कन्नड़ फ़िल्म 'अर्जुन' के एक गाने की शूटिंग चल रही थी। सुबह साढ़े छह बजे ही 18 सदस्यीय टीम के लोगों ने आकर वहां कैमरे, रिफ़्लेक्टर आदि लगाना आरम्भ कर दिया था। टीम में निर्माता 'नरेन्द्र नाथ', निर्देशक 'शाहूराह शिंडे', हीरो 'दर्शन श्रीनिवास', हीरोइन 'मीरा चोपड़ा' और अन्य सदस्य उपस्थित थे।

निर्माता नरेन्द्र नाथ ने बसेरा से कहा कि यहां की भव्य इमारतें भारतीय दर्शकों के लिये नयी हैं, इसलिये उन्होंने यहां शूटिंग करने का निर्णय लिया। हो सकता है कि किसी हिन्दी फ़िल्म की यहां शूटिंग हुयी हो लेकिन किसी कन्नड़ फ़िल्म की शूटिंग अभी यहां नहीं हुयी। इससे पहले वे ऑस्ट्रिया में एक गाने की शूटिंग कर चुके हैं और अब तीन दिन से म्युनिक में शूटिंग कर रहे हैं। उनके ऑस्ट्रिया निवासी प्रबंधक 'Eckerl Kurt' ने बाकी का इंतज़ाम किया है जैसे शूटिंग करने की अनुमति लेना, पुलिस के साथ तालमेल, होटल, यातायात आदि। यहां परदेस में शूटिंग करने में लगभग 30 लाख रुपये खर्च हो गये हैं और फ़िल्म का कुल खर्च करीब पाँच करोड़ रुपये है। उनकी फ़िल्म का हीरो 'दर्शन श्रीनिवास' कर्नाटक में बहुत लोकप्रिय है, इसलिये वे ये दाँव खेल रहे हैं। उन्होंने 'मीरा चोपड़ा' को हीरोइन के तौर पर इस फ़िल्म में लिया क्योंकि वह तमिल और तेलगू भाषा में पहले कई फ़िल्में कर चुकी है। उन्हें भारत से इतने लोगों के लिये वीज़ा लेने में कोई दिक्कत नहीं आती क्योंकि 'फ़िल्म चेम्बर' के द्वारा सरकार उनका साथ देती है।

हीरो 'दर्शन' ने कहा कि भारत में शूटिंग करना अधिक महंगा पड़ता है क्योंकि वहां प्रसिद्ध इमारतों के आगे शूटिंग करने के लिये अनुमति लेने में बहुत झंझट रहता है और शूटिंग में सैंकड़ों लोग साथ में आते हैं, जबकि परदेस में हम केवल गिने चुने लोग ही आते हैं, जैसे निर्माता, निर्देशक, कैमरामैन, कोरियोग्राफ़्रर आदि। क्योंकि यहां हम सीमित समय के लिये आते हैं इस लिये जल्द ही सारा काम निबटाने का दबाव रहता है। इसी दबाव में दिन चौदह चौदह घंटे काम करते हैं, जबकि भारत में केवल आठ घंटे काम करते हैं। क्योंकि यहां हम गिने चुने लोग होते हैं, इसलिये काफ़ी काम खुद करना पड़ता है जबकि भारत में बीसियों लोग पीछे काम करने के लिये होते हैं।

नाटे कद की दिल्ली निवासी हीरोइन 'मीरा चोपड़ा' ने कहा कि ये उनकी पहली कन्नड़ फ़िल्म है और वे इस फ़िल्म से खुश नहीं हैं। जहां हिन्दी फ़िल्मों वाले काफ़ी आगे निकल चुके हैं वहां ये लोग अभी भी लटकों झटकों में अटके हुये हैं। उन्हें कन्नड़ नहीं आती लेकिन वे मिलती जुलती lip movement कर लेती हैं।

फ़िल्म के निर्देशक 'शाहूराह शिंडे' ने कहा कि ये एक कॉप स्टोरी है (cop story).

उनके प्रबंधक 'Eckerl Kurt' ने कहा कि म्युनिक में शूटिंग का प्रबंध उन्होंने पहली बार किया है। उन्हें खुशी है कि सब कुछ बिना विलम्ब और अटकन के हो गया। उन्हें फ़िल्म टीम के साथ साथ घूमना अच्छा लगता है क्योंकि भारतीय फ़िल्म वालों का कोई पक्का स्क्रिप्ट तो होता नहीं। जहां कोई अच्छा दृश्य मिला, वहीं शूटिंग करने लगते हैं। एक दिन पहले भी उन्हें पता नहीं होता कि वे अगले दिन क्या करेंगे। इस लिये प्रबंधन करते हुये उन्हें उनकी आँखों में झाँक कर बहुत पहले से अंदाज़ा लगाना पड़ता है कि वो क्या चाहते हैं ताकि सारा इंतज़ाम समय पर हो सके। ये फ़िल्म युनिट वाले सामान भी बहुत अधिक नहीं लाये, केवल दो कैमरे और तीन रिफ़्लेक्टर। इसलिये उन्हें कोई खास समस्या नहीं हुयी।