शुक्रवार, 7 मार्च 2008

जुनियर पुस्तक मेला

म्युनिक। 1 से 9 मार्च तक Rathausgalerie में 4 से 12 वर्ष के बच्चों के लिए पुस्तक मेला चल रहा है जिसमें बायरन प्राँत की प्रकाशन कंपनियों ने 2007 में जारी की गई पुस्तकों और सीडी की प्रदर्शनी लगाई है। प्रदर्शनी के इलावा इसमें और भी कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जैसे कुछ लेखक खुद अपनी पुस्तकें पढ़ रहे हैं, बच्चों के लिए कई तरह की कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं जिसमें वे रंग करना, छपाई की विभिन्न तकनीकें, जिल्द बाँधना आदि सीख रहे हैं।
http://www.muenchner-buecherschau-junior.de/

यहाँ बच्चे पुस्तकों के रैक के बीच में बिछे गद्दों पर लेट कर आराम से पुस्तकें पढ़ सकते हैं।

सुनने वाली पुस्तकें, यानि कहानियों को सीडी पर सुनने का प्रावधान भी बच्चों को बहुत पसंद है। हालाँकि अधिकतर बच्चे कहानियां अपनी मम्मी के मुँह सुनना पसंद करते हैं लेकिन जब कोई कहानी सुनाने वाला न हो तो ये विकल्प भी बुरा नहीं है। खासकर गाड़ी में लंबा सफ़र करते समय ये बहुत काम आती हैं।

बच्चों के लिए बहुत नए नए तरीकों से, नए नए आइडिया लगा कर और बहुत ही रंग बिरंगी रोचक पुस्तकें बनाई जाती हैं। जैसे यहाँ पर धागों के साथ खेलने वाले खेलों की पुस्तक है, विभिन्न तरह की गाँठें बाँधने की कला पर पुस्तक, ताश, गीटियों के खेलों पर पुस्तकें हैं। इसके इलावा विज्ञान, राजनीति, इतिहास, भूगोल आदि पर इतनी रोचक पुस्तकें हैं कि सभी पुस्तकें खरीद लेने को मन करता है। हालाँकि म्युनिक के पुस्तकालयों में भी बहुत सी पुस्तकें, सीडी, डीवीडी और खेल उपलब्ध होते हैं लेकिन फिर भी बच्चों की पुस्तकों का बाज़ार बहुत बड़ा है। मातापिता छोटे बच्चों के लिए पुस्तकें तो कम खरीदतें हैं क्योंकि वे कुछ ही समय काम आती हैं लेकिन बड़े बच्चों की पुस्तकें और सदाबहार पुस्तकें वे खरीद लेते हैं।

म्युनिक के बच्चों का खास पोर्टल Pomki (http://www.pomki.de/) ने भी अपना सटैंड लगाया हुआ था। वहाँ उन्होंने चार कम्प्यूटर लगाए हुए थे जिनमें बच्चे म्युनिक शहर के बारे में पहेलियां बुझ कर इनाम के रूप में पुस्तकें जीत सकते थे। इसके इलावा बच्चे इंटरनेट पर अपने विचार लिख सकते थे कि मध्ययुग में वहाँ जीवन कैसा था। गौरतलब है इस वर्ष म्युनिक शहर अपना 850वां जन्मदिन मनाने जा रहा है। इस उपलक्षय में Pomki ने खास साईट तैयार किया और उसमें एक ब्लॉग बनाया जिसमें बच्चों ने अपनी कल्पना शक्ति से 850 वर्ष पहले के जीवन का चित्रण किया। उनकी लिखी हुई बातों को आप यहाँ पढ़ सकते हैं- http://www.pomki-850.de/wordpress_01/index.php. आप पढ़कर हैरान होंगे कि दस वर्ष और उससे भी कम उम्र के बच्चों ने राजा महाराजाओं वाले उस समय का कितना अच्छा वर्णन किया है जब आम लोगों का जीवन बहुत कठिन हुआ करता था।

इस कार्यशाला में बच्चे जिल्द बाँधना सीख रहे हैं।
पेटिंग कार्यशाला
पुराने समय की छपाई की विभिन्न तकनीकों पर कार्यशाला भी बच्चों को बहुत पसंद आई जिसमें वे खुद चित्र बनाकर अथवा कुछ लिखकर छोटी सी प्रंटिंग मशीन पर छाप सकते थे।