बुधवार, 12 मार्च 2008

म्युनिक की LiMux परियोजना

म्युनिक शहर की सरकार अपने प्रबंधन में उपयोग हो रहे करीब 14000 कंप्यूटरों को विंडोज़ की बजाए ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर पर स्थानांत्रित कर रही है। 2008 के अंत तक 80% कंप्यूटरों पर windows NT 4 की बजाए Linux संस्थापित होगा। उन पर ऑफ़िस अनुप्रयोगों के लिए MS Office 97/2000 की बजाए Open Office का प्रयोग होगा। इसके अतिरिक्त वेब ब्राउज़र के लिए Firefox, ईमेल के लिए Thunderbird और Image editing के लिए Gimp का प्रयोग होगा। शहर की सरकार ने Microsoft और अन्य सॉफ़्टवेयर निर्माताओं से पीछा छुड़ाने का मन बना लिया है। इसके आगे भी वह भविष्य में केवल वेब आधारित अनुप्रयोगों पर ही काम करना चाहती है। इस तरह म्युनिक जर्मनी का पहला ऐसा बड़ा शहर है जहाँ सारा प्रबंधन ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर पर होगा। इस परियोजना की कुल कीमत 3.5 करोड़ यूरो है जिसमें कंप्यूटर, सॉफ़्टवेयर, प्रशिक्षण, पुराने डाटा को नए सिस्टम में लाने का काम आदि है। LiMux में बड़ी M और Linux के लोगो में सन्यासी (Monk) का चित्र म्युनिक शहर का प्रतीक है।
http://www.muenchen.de/limux

मंगलवार, 11 मार्च 2008

कचहरी में सुनवाई के दौरान अपराधी भाग गया

शुक्रवार 7 मार्च को मुकदमे के लिए नज़रबन्द किया गया Fehmi Weiß नामक अपराधी Erding की एक कचहरी में सुनवाई के दौरान कचहरी भवन से भाग गया। पीछा और खोज करने से अभी सफ़लता नहीं मिली है। उसका जन्म का नाम Salja है और जन्म तिथि 11.09.1979 है। वह सुनवाई के दौरान बिल्कुल आराम से खड़ा था और उसे फ़ैसले के बाद अपने वकील से बातचीत भी करनी थी। पुलिसकर्मी उससे करीब दो मीटर के फ़ासले पर खड़े थे, जब अचानक वह पीछे घूमा, कुछ मीटर दौड़ा और एक खिड़की खोलकर वहाँ से भाग गया। पुलिसकर्मियों ने तत्काल उसका पीछा किया। वह कुछ घरों के बीच में से होता हुआ झाड़ियों में घुस गया, उसके बाद वह नज़र नहीं आया। हेलिकाप्टर के साथ भी उसका पीछा किया गया लेकिन उसे ढूँढा नहीं जा सका। उस 28 वर्षीय अपराधी को कई तरह के आघाती हमलों की वजह से जेल की सज़ा सुनाई गई थी। उसे हिंसक और खतरनाक घोषित किया गया था।

अपराधी का वर्णनः
आयु 28 वर्ष, उँचाई करीब 185 सेंटीमीटर, पतला और खेलकूद वाला शरीर, काले और छोटे बाल, बाईं आँख के नीचे और माथे की बाईं ओर कुछ टेढे निशान हैं। उस समय उसने 'चंगेज़ खान' टाइप की दाढ़ी बनाई हुई थी।

Karlsfeld S-Bahnhof में लड़की के साथ ज़्यादती

शनिवार 8 मार्च को शाम सवा सात बजे एक अट्ठारह वर्षीय युवती Karlsfeld Bahnhof पर ट्रेन की प्रतीक्षा कर रही थी कि अचानक पीछे से एक अजनबी पास आया और उसने युवती को कन्धे से पकड़ कर पास की झाड़ियों में धकेल दिया। उसने हिंसक तरीके से युवती को ज़मीन पर गिरा दिया और उसके कपड़ों के बीच छाती में हाथ डाल दिया। फिर वह अपनी पेंट खोलने लगा। तभी एक पास से गुज़र रहे व्यक्ति को गड़बड़ का आभास हुआ और उसने चिल्ला कर युवती को छोड़ देने के लिए कहा। इससे उस व्यक्ति ने युवती को छोड़ दिया और वहाँ से भाग गया। पुलिस अपराधी को नहीं पकड़ सकी। पुलिस उस साक्ष्य को भी ढूँढ रही है जिसने चिल्ला कर युवती की मदद की थी क्योंकि वह अपराधी को पकड़ने में मदद कर सकता है।

साक्ष्य का वर्णनः आयु करीब 30 वर्ष, शुद्ध उच्चारण के साथ जर्मन बोल रहा था, वो टैक्सी स्टैंड की ओर से निकल कर आया था।

अपराधी का वर्णनः आयु नरीब 40 वर्ष, करीब 180 सेंटीमीटर बड़ा, थोड़ा बढ़ा हुआ पेट, जीन्स, गहरे रंग की टोपी और स्लेटी रंग की मैली टी शर्ट पहने हुए, जैकेट नहीं पहनी थी, मूँह से शराब और निकोटीन की बू आ रही थी।

रोमानिया के चोर को सज़ा

7 मार्च को दोपहर बारह बजे एक 33 वर्षीय रोमानिया के व्यक्ति ने म्युनिक के शॉपिंग मॉल में चोरी का प्रयत्न किया। वह वहाँ आभूषणों के विभाग में गया और एक हुक की मदद से शीशे की अलमारी से एक सोने की चेन निकालने की कोशिश करने लगा। उसकी एक साथिन आने जाने वालों पर नज़र रख रही थी। उस चेन की कीमत 1700 यूरो थी। जब दोनों को आभास हुआ कि विक्रेता की नज़र उन पर पड़ गई है तो वे अपना काम बीच में छोड़ कर बाहर बाज़ार में भाग गए। चेन अलमारी के नीचे एक सुराख में गिर गई। तत्काल बुलाई गई पुलिस ने उस व्यक्ति को तो बाज़ार में पकड़ लिया लेकिन औरत का अभी तक नहीं पता चला। पुलिस के जज ने उसे सज़ा सुनाई है।

19 किलो चरस पकड़ी गई

शनिवार 8 मार्च को Aschaffenburg के पास Weibersbrunn में एक 34 वर्षीय इतालवी हशीश एजेंट 19 किलो चरस के साथ पकड़ा गया। वह पुलिस से भागकर चुराई हुई नंबर प्लेट के साथ A3 हाईवे पर जा रहा था।

दोपहर ढ़ाई बजे Aschaffenburg ट्रैफ़िक पुलिस Hösbach के पास A3 पर जा रही एक Lancia गाड़ी को चेक करना चाह रही थी। ड्राईवर ने पुलिस के इशारे की ओर ध्यान नहीं दिया और वो Würzburg की ओर गाड़ी भगा ले गया। आपाधापी में उसने हाईवे पर जा रही कई अन्य गाड़ियों को भी खतरे में डाल दिया। पीछा कर रही पुलिस से बचने की उम्मीद में उसने एक पार्किंग में गाड़ी खड़ी की और फ़िल्मी इश्टाईल में साथ वाले जंगल में भाग निकला। लेकिन पुलिस अधिक दमदार निकली और ये भागदौड़ जल्द ही समाप्त हो गई। गाड़ी के तलाशी में 19 किलो चरस पाई गई जो हॉलैंड से इटली जा रही थी। एजेंट ने पुलिस को झूठे पासपोर्ट के साथ धोखा देने की कोशिश की लेकिन उसे जल्द ही पहचान लिया गया। पिछले साल भी उसे चरस की तस्करी की सज़ा में समय से पहले छोड़ दिया गया था। उसे अब कई वर्ष की सज़ा होगी।

शनिवार, 8 मार्च 2008

फ़ैशन शो

म्युनिक 7 और 8 फरवरी को Olympia Einkaufszentrum में फ़ैशन शो हुआ जिसमें आने वाले वसन्त और गर्मियों के मौसम के लिए विशेष परिधान प्रस्तुत किए गए। म्युनिक के प्रसिद्ध शॉपिंग केन्द्र Olympia Einkaufszentrum (OEZ) ने शॉपिंग माल को रंग बिरंगे फूलों से सजा कर वसन्त ऋतु का ऐलान कर दिया है। परिधानों की विभिन्न बड़ी कंपनिओं ने आने वाले वसन्त ऋतु के लिए अपने खास उत्पादन पेश करने के लिए म्युनिक के जाने माने मॉडल्स को लेकर मिलकर एक फ़ैशन शो का आयोजन किया।
http://www.olympia-einkaufszentrum.de/

शुक्रवार, 7 मार्च 2008

जुनियर पुस्तक मेला

म्युनिक। 1 से 9 मार्च तक Rathausgalerie में 4 से 12 वर्ष के बच्चों के लिए पुस्तक मेला चल रहा है जिसमें बायरन प्राँत की प्रकाशन कंपनियों ने 2007 में जारी की गई पुस्तकों और सीडी की प्रदर्शनी लगाई है। प्रदर्शनी के इलावा इसमें और भी कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जैसे कुछ लेखक खुद अपनी पुस्तकें पढ़ रहे हैं, बच्चों के लिए कई तरह की कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं जिसमें वे रंग करना, छपाई की विभिन्न तकनीकें, जिल्द बाँधना आदि सीख रहे हैं।
http://www.muenchner-buecherschau-junior.de/

यहाँ बच्चे पुस्तकों के रैक के बीच में बिछे गद्दों पर लेट कर आराम से पुस्तकें पढ़ सकते हैं।

सुनने वाली पुस्तकें, यानि कहानियों को सीडी पर सुनने का प्रावधान भी बच्चों को बहुत पसंद है। हालाँकि अधिकतर बच्चे कहानियां अपनी मम्मी के मुँह सुनना पसंद करते हैं लेकिन जब कोई कहानी सुनाने वाला न हो तो ये विकल्प भी बुरा नहीं है। खासकर गाड़ी में लंबा सफ़र करते समय ये बहुत काम आती हैं।

बच्चों के लिए बहुत नए नए तरीकों से, नए नए आइडिया लगा कर और बहुत ही रंग बिरंगी रोचक पुस्तकें बनाई जाती हैं। जैसे यहाँ पर धागों के साथ खेलने वाले खेलों की पुस्तक है, विभिन्न तरह की गाँठें बाँधने की कला पर पुस्तक, ताश, गीटियों के खेलों पर पुस्तकें हैं। इसके इलावा विज्ञान, राजनीति, इतिहास, भूगोल आदि पर इतनी रोचक पुस्तकें हैं कि सभी पुस्तकें खरीद लेने को मन करता है। हालाँकि म्युनिक के पुस्तकालयों में भी बहुत सी पुस्तकें, सीडी, डीवीडी और खेल उपलब्ध होते हैं लेकिन फिर भी बच्चों की पुस्तकों का बाज़ार बहुत बड़ा है। मातापिता छोटे बच्चों के लिए पुस्तकें तो कम खरीदतें हैं क्योंकि वे कुछ ही समय काम आती हैं लेकिन बड़े बच्चों की पुस्तकें और सदाबहार पुस्तकें वे खरीद लेते हैं।

म्युनिक के बच्चों का खास पोर्टल Pomki (http://www.pomki.de/) ने भी अपना सटैंड लगाया हुआ था। वहाँ उन्होंने चार कम्प्यूटर लगाए हुए थे जिनमें बच्चे म्युनिक शहर के बारे में पहेलियां बुझ कर इनाम के रूप में पुस्तकें जीत सकते थे। इसके इलावा बच्चे इंटरनेट पर अपने विचार लिख सकते थे कि मध्ययुग में वहाँ जीवन कैसा था। गौरतलब है इस वर्ष म्युनिक शहर अपना 850वां जन्मदिन मनाने जा रहा है। इस उपलक्षय में Pomki ने खास साईट तैयार किया और उसमें एक ब्लॉग बनाया जिसमें बच्चों ने अपनी कल्पना शक्ति से 850 वर्ष पहले के जीवन का चित्रण किया। उनकी लिखी हुई बातों को आप यहाँ पढ़ सकते हैं- http://www.pomki-850.de/wordpress_01/index.php. आप पढ़कर हैरान होंगे कि दस वर्ष और उससे भी कम उम्र के बच्चों ने राजा महाराजाओं वाले उस समय का कितना अच्छा वर्णन किया है जब आम लोगों का जीवन बहुत कठिन हुआ करता था।

इस कार्यशाला में बच्चे जिल्द बाँधना सीख रहे हैं।
पेटिंग कार्यशाला
पुराने समय की छपाई की विभिन्न तकनीकों पर कार्यशाला भी बच्चों को बहुत पसंद आई जिसमें वे खुद चित्र बनाकर अथवा कुछ लिखकर छोटी सी प्रंटिंग मशीन पर छाप सकते थे।

हरि ओम मंदिर में महाशिवरात्रि

गुरुवार 6 फरवरी को म्युनिक के हरि ओम मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। इस उपलक्ष्य में शिव पूजा, आरती, शिव पुराण पाठ, भारतनाट्यम एवं शिव जागरण का आयोजन हुआ।

शाम छह बजे का समय। मंदिर खूब सजा हुआ था और पचासों बच्चे, बड़े, बूढ़े लोग पारंपारिक वेश-भूषाओं में सजधज कर आए हुए थे। धूपबत्ती की भीनी भीनी खुश्बू और मंत्रों की आवाज़ में डूबे हुए मंदिर में पवित्र माहौल बना हुआ था। पंडाल की एक ओर जिन श्रद्धालुओं ने शिवरात्रि का व्रत और उपवास रखा हुआ था, वे पूजा अर्चना कर रहे थे। करीब डेढ़ घंटे की इस पूजा में गणेश, पार्वती, नंदीश्वर और शिव की पूजा की गई। दूसरी ओर शिव पुराण का पाठ चल रहा था। पीछे भक्तगण आपस में मेल मिलाप कर रहे थे, चाय नाश्ता कर रहे थे और बच्चे आपस में खेल रहे थे। करीब साढ़े आठ बजे आरती हुई। फिर श्रीमति चंद्रा देवी ने भारतनाट्यम पेश किया (http://www.chandra-devi.de/)। इसी दौरान भांग परोसी गई और शिव प्रसाद बाँटा गया। फिर उसके बाद रात भर शिव जागरण किया गया और पूजा को तीन बार और दोहराया गया। जिन श्रद्धालुओं ने उपवास रखा हुआ था, उन्होंने छत्तीस घंटे तक कुछ भी नहीं खाया पीया और पूर्ण मौन धारण किया हुआ था। जिन्होंने व्रत रखा था उन्होंने पूजा के बाद दूध वाली चाय पी। पूजा के दौरान शिवलिंग को कई बार पानी, घी, दूध आदि से स्नान करवाया गया, बेलपत्र चढ़ाए गए।

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान् शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया। (स्रोतः विकिपीडिया)

गौरतलब है कि डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में ही हरि ओम मंदिर म्युनिक में रह रहे हिन्दू समुदाय में काफ़ी लोकप्रिय हो गया है। हर रविवार यहाँ ढेर सारे श्रद्धालू एकत्रित होते हैं और पूजा पाठ, कीर्तन आदि करते हैं, लंगर का आनंद लेते हैं। सारे हिन्दू पर्व यहाँ विधिवत मनाए जाते हैं। इसका मुख्य श्रेय यहाँ रहने वाले अफ़्गानी हिन्दूओं को जाता है जो ज़मीनी स्तर पर सारा काम करते हैं। मंदिर के ट्रस्टी राकेश मेहरा बताते हैं कि पर्दे के पीछे इतना काम होता है जो बाहर से नज़र नहीं आता। अपने व्यवसाय और परिवार से समय निकाल की मंदिर की सफ़ाई, खाना बनाना, खरीदारी आदि का ध्यान रखना पड़ता है।