रविवार, 1 दिसंबर 2024

Notation Book



Number of songs: 41
SongDetailsPageYouTube
disco प्रेमीSuperuna (1982), Song ID: 230326youtube
अच्छा तो हम चलते हैंआन मिलो सजना (1970), Song ID: 13683youtube
अजीब दास्तां है येदिल अपना और प्रीत पराई (1959), Song ID: 138830youtube
आ जरा मेरे हमनशींपूनम (1981), Song ID: 499715youtube
आवाज़ दी है आज इक नज़र नेऐतबार (1985), Song ID: 21724youtube
ए ओ आ, ज़रा मुड़ केDisco Dancer (1982), Song ID: 220315youtube
एक दो तीन, चार पांच छह सात आठ नौतेज़ाब (1988), Song ID: 165918youtube
एक मैं और एक तूखेल खेल में (1975), Song ID: 16665youtube
ऐ सागर की लहरो, हम भी आते हैं ठहरोसमुन्दर (1986), Song ID: 248623youtube
खुदा जाने कि मैं फिदा हूंबचना ऐ हसीनो (2008), Song ID: 141125youtube
घुंघरू की तरह बजता ही रहा हूं मैंचोर मचाए शोर (1974), Song ID: 169122youtube
चांद मेरा दिल चांदनी हो तुमहम किसी से कम नहीं (1977), Song ID: 43408youtube
छोटी सी दुनिया मुहब्बत की है मेरे पासएक लड़का एक लड़की (1992), Song ID: 16414youtube
छोड़ो सनम काहे का ग़मकुदरत (1981), Song ID: 433711youtube
जब कोई बात बिगड़ जाएजुर्म (1990), Song ID: 450230youtube
जाइए आप कहां जाएंगेमेरे सनम (1965), Song ID: 18543youtube
जैसे सूरज की गरमी सेपरिणय (1974), Song ID: 23847youtube
तुम्हारी ज़ुल्फ़ के साए में शाम कर लूंगानौनिहाल (1967), Song ID: 252319youtube
तुम्हीं हो माता, पिता तुम्हीं होमैं चुप रहूंगी (1962), Song ID: 25610youtube
तेरे बिना जिया जाए नाघर (1978), Song ID: 8613youtube
दम मारो दमहरे रामा हरे कृष्णा (1971), Song ID: 463628youtube
दिल-विल प्यार-व्यारशागिर्द (1967), Song ID: 230822youtube
दिलबर जानी चली हवा मस्तानीहाथी मेरे साथी (1971), Song ID: 79524youtube
दीवारें उठाना तोसपने (1996), Song ID: 498522youtube
देखो देखो जानम हम दिल अपना तेरे लिए लाएइश्क (1997), Song ID: 155821youtube
ना तुम हमें जानोबात एक रात की (1962), Song ID: 47085youtube
बाहों में चले आ ओअनामिका (1973), Song ID: 142921youtube
भंवरा बड़ा नादानसाहिब बीबी और ग़ुलाम (1962), Song ID: 146319youtube
मैंने पूछा चांद सेअब्दुल्ला (1980), Song ID: 206818youtube
ये जीवन है इस जीवन कापिया का घर (1972), Song ID: 15810youtube
ये शाम मस्तानी मदहोश किए जाएकटी पतंग (1971), Song ID: 488714youtube
ये ज़िन्दगी उसी की हैअनारकली (1953), Song ID: 260718youtube
रेशम जैसी हैं राहेंएक था दिल एक थी धड़कन (1998), Song ID: 387211youtube
वक्त ने किया क्या हसीं सितमकागज़ के फूल (1959), Song ID: 431220youtube
वादा करो नहीं छोड़ोगी तुम मेरा साथआ गले लग जा (1973), Song ID: 190227youtube
सुन रहा है ना तूआशिकी 2 (2013), Song ID: 38328youtube
सुनो ना संग-ए-मरमर की ये मीनारेंYoungistaan (2014), Song ID: 46514youtube
सो गया ये जहांतेज़ाब (1988), Song ID: 237829youtube
हम होंगे कामयाब**** (1901), Song ID: 50095youtube
हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िन्दगीकल हो ना हो (2003), Song ID: 1996youtube
हुई शाम उन का ख्याल आ गयामेरे हमदम मेरे दोस्त (1968), Song ID: 212116youtube




disco प्रेमी
Singerरुना लैला
गीतकारअनजान
संगीतकारबप्पी लहरी
अच्छा तो हम चलते हैं
Singerकिशोर कुमार
गीतकारआनन्द बक्षी
संगीतकारलक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
अजीब दास्तां है ये
गीतकारशैलेन्द्र (lyricist)
संगीतकारशंकर जयकिशन
आ जरा मेरे हमनशीं
Singerमुहम्मद रफ़ी
गीतकारहसरत जयपुरी
संगीतकारअनु मलिक
आवाज़ दी है आज इक नज़र ने
Singerआशा भोंसले
Singerभूपेन्द्र सिंह
गीतकारहसन कमाल
संगीतकारबप्पी लहरी
ए ओ आ, ज़रा मुड़ के
Singerकिशोर कुमार
गीतकारअनजान
संगीतकारबप्पी लहरी
एक दो तीन, चार पांच छह सात आठ नौ
Singerअलका याज्ञनिक
गीतकारजावेद अख्तर
संगीतकारलक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
एक मैं और एक तू
Singerआशा भोंसले
Singerकिशोर कुमार
गीतकारगुलशन बावरा
संगीतकारराहुल देव बर्मन
ऐ सागर की लहरो, हम भी आते हैं ठहरो
Singerकिशोर कुमार
Singerलता मंगेश्कर
गीतकारआनन्द बक्षी
संगीतकारराहुल देव बर्मन
खुदा जाने कि मैं फिदा हूं
Singerकृष्णकुमार कुन्नथ (KK)
Singerशिल्पा राव
गीतकारअन्विता दत्त
संगीतकारविशाल-शेखर
घुंघरू की तरह बजता ही रहा हूं मैं
Singerकिशोर कुमार
गीतकाररवींद्र जैन
संगीतकाररवींद्र जैन
चांद मेरा दिल चांदनी हो तुम
Singerमुहम्मद रफ़ी
गीतकारमजरूह सुलतानपुरी
संगीतकारराहुल देव बर्मन
छोटी सी दुनिया मुहब्बत की है मेरे पास
Singerउदित नारायण
Singerसाधना सरगम
गीतकारमजरूह सुलतानपुरी
संगीतकारआनन्द मिलिन्द
छोड़ो सनम काहे का ग़म
SingerAnette Pinto
Singerकिशोर कुमार
गीतकारमजरूह सुलतानपुरी
संगीतकारराहुल देव बर्मन
जब कोई बात बिगड़ जाए
गीतकारइंदीवर
संगीतकारराजेश रौशन
जाइए आप कहां जाएंगे
गीतकारमजरूह सुलतानपुरी
संगीतकारओम प्रकाश नय्यर (OP Nayyar)
जैसे सूरज की गरमी से
Singerशर्मा बन्धु
गीतकाररामानन्द शर्मा
संगीतकारजयदेव
तुम्हारी ज़ुल्फ़ के साए में शाम कर लूंगा
Singerमुहम्मद रफ़ी
गीतकारकैफ़ी आज़मी
संगीतकारमदन मोहन कोहली
तुम्हीं हो माता, पिता तुम्हीं हो
गीतकारराजेन्द्र कृष्ण
संगीतकारचित्र-गुप्त श्रीवास्तव
तेरे बिना जिया जाए ना
Singerलता मंगेश्कर
गीतकारगुलज़ार (सम्पूर्ण सिंह कालरा)
संगीतकारराहुल देव बर्मन
दम मारो दम
गीतकारआनन्द बक्षी
संगीतकारराहुल देव बर्मन
दिल-विल प्यार-व्यार
Singerलता मंगेश्कर
गीतकारमजरूह सुलतानपुरी
संगीतकारलक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
दिलबर जानी चली हवा मस्तानी
Singerकिशोर कुमार
दीवारें उठाना तो
गीतकारनिदा फ़ाज़ली
संगीतकारअनुज कप्पू (Annujj Kappoo)
देखो देखो जानम हम दिल अपना तेरे लिए लाए
Singerअलका याज्ञनिक
Singerउदित नारायण
गीतकारराहत इन्दौरी
संगीतकारअनु मलिक
ना तुम हमें जानो
गीतकारमजरूह सुलतानपुरी
संगीतकारहेमन्त कुमार
बाहों में चले आ ओ
Singerलता मंगेश्कर
गीतकारमजरूह सुलतानपुरी
संगीतकारराहुल देव बर्मन
भंवरा बड़ा नादान
Singerआशा भोंसले
गीतकारशकील बदायूंनी
संगीतकारहेमन्त कुमार
मैंने पूछा चांद से
Singerमुहम्मद रफ़ी
गीतकारआनन्द बक्षी
संगीतकारराहुल देव बर्मन
ये जीवन है इस जीवन का
Singerकिशोर कुमार
गीतकारआनन्द बक्षी
संगीतकारलक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
ये शाम मस्तानी मदहोश किए जाए
Singerकिशोर कुमार
गीतकारआनन्द बक्षी
संगीतकारराहुल देव बर्मन
ये ज़िन्दगी उसी की है
Singerलता मंगेश्कर
गीतकारराजेन्द्र कृष्ण
संगीतकारराम-चन्द्र नरहर चितळकर
रेशम जैसी हैं राहें
Singerअभिजीत भट्टाचार्य
गीतकारजावेद अख्तर
संगीतकारआनन्द राज आनन्द
संगीतकारसुरेन्द्र सोढी
वक्त ने किया क्या हसीं सितम
Singerगीता दत्त
गीतकारकैफ़ी आज़मी
संगीतकारसचिन देव बर्मन
वादा करो नहीं छोड़ोगी तुम मेरा साथ
Singerकिशोर कुमार
Singerलता मंगेश्कर
गीतकारसाहिर लुधियानवी
संगीतकारराहुल देव बर्मन
सुन रहा है ना तू
गीतकारसन्दीप नाथ
संगीतकारअंकित तिवारी
सुनो ना संग-ए-मरमर की ये मीनारें
Singerअरिजीत सिंह
गीतकारकौसर मुनीर
संगीतकारजीत गांगुली
सो गया ये जहां
गीतकारजावेद अख्तर
संगीतकारलक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
हम होंगे कामयाब
गीतकारगिरिजा कुमार माथुर
संगीतकारCharles Albert Tindley
हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िन्दगी
गीतकारजावेद अख्तर
संगीतकारशंकर-एहसान-Loy
हुई शाम उन का ख्याल आ गया
Singerमुहम्मद रफ़ी
गीतकारमजरूह सुलतानपुरी
संगीतकारलक्ष्मीकांत-प्यारेलाल

सोमवार, 18 नवंबर 2024

Articles from 2022

Germany की एक-मात्र हिन्दी पत्रिका का पहला अंक आपको प्रस्तुत करते हुए हमें बहुत प्रसन्नता हो रही है. तकनीकी उन्नति के कारण आज भारतीय भाषाओं को विकसित भाषाओं के साथ कदम मिला कर चलने के अवसर मिल गए हैं. हमारी कोशिश है कि इस पत्रिका के द्वारा हम Germany में रह रहे अनेक प्रतिभाशाली और सम्पन्न भारतीयों की कहानियां और यहां होने वाले भारतीय कार्यक्रमों का वर्णन आपके सामने ला पाएं. अगर आप भी Germany में रह रहे एक भारतीय हैं और आपके जीवन में कुछ अच्छा घटा है, तो हमें बताएं. किसी भी तरह के राजनीतिक या धार्मिक प्रचार-प्रचार अथवा भड़काऊ सामग्री की इस पत्रिका में कोई जगह नहीं है. आशा है कि आपको यह छोटा सा अंक पसन्द आएगा जिस से हम यह पत्रिका नियमित रूप से प्रकाशित कर पाएं और इस के पृष्ठ बढ़ा पाएं.












Munich में रह रहे संगीतकार निषाद फाटक, जो पेशे से engineer और designer हैं, Germany में रह रहे भारतीयों के बच्चों में पूरब और पश्चिम के बीच सांस्कृतिक अन्तर को पाटने की दृष्टि के साथ संगीत के माध्यम से पिछले 3 वर्षों से नियमित रूप से काम कर रहे हैं. Germany में पल रहे भारतीयों के बच्चे प्राय भारतीय संगीत से कटे होते हैं हालांकि Germany के schools में संगीत के भी पाठ्यमक्रम होते हैं जहां बच्चे notation के साथ विभिन्न सगीत वाद्य बजाना सीखते हैं. निषाद नियमित band सत्रों की मदद से बच्चों को उनके स्कूल में अर्जित किए गए संगीत कौशल को भारतीय सन्दर्भ में ढालने और भारतीय गीतों को समझने में मार्ग-दर्शन करते हैं और बच्चों को notation पर निर्भर रहने की बजाए केवल सुन कर बजाने का प्रशिक्षण देते हैं. निषाद ने अनेक बच्चों के साथ Munich में विभिन्न स्थानों / अवसरों पर अनेक बार सफ़लतापूर्वक प्रदर्शन किया है, जिस में भारतीय वाणिज्य दूतावास (CGI Munich) और कई अन्य भारतीय त्योहार भी समारोह शामिल हैं.












27 मई को Walldorf में एक तुर्की संस्था द्वारा आयोजित किए गए अन्तर-राष्ट्रीय Kinderfest में DIFK के बच्चों ने Bollywood dance प्रदर्शित किया. DIFK भाषा की कक्षाएं, भरतनाट्यम, कर्नाटक संगीत, Bollywood, योग, cricket आदि कई गतिविधियां आयोजित करती है.








निकेत शाह Tübingen university में चिकित्सा उपकरण (Medizintechnik) क्षेत्र में स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने 2020 में Abitur किया जो बारहवीं कक्षा की सब से मुश्किल पढ़ाई है. दसवीं कक्षा में उन्होंने pacemaker पर GFS दिया था जिस के बाद चिकित्सा उपकरण के क्षेत्र में उनकी रुचि बढ़ गई. इस क्षेत्र में दाखिला पाने के लिए 1.6NC चाहिए था जो आम-तौर पर मुश्किल होता है. Germany का चिकित्सा उपकरण क्षेत्र Europe में सब से बड़ा और दुनिया में तीसरा सब से बड़ा है. इसका एक कारण यह भी है कि Germany में लगभग सारे निवासियों के पास स्वास्थ्य बीमा है और Germany के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 11.3% स्वास्थ्य देख-भाल पर खर्च होता है. इस लिए जब कोई निर्माता Germany में एक उपकरण विकसित करता है और उसे German नागरिकों के लिए बाज़ार में लाता है, तो उसे रोगियों तक पहुंचने और उनके जीवन में बदलाव लाने में सक्षम बनाने के लिए रास्ते मौजूद होते हैं.








Munich के बारह वर्षीय 'नमन कुण्डी' (मुख्य पृष्ठ) ने Friedrichshafen में 27 से 29 मई तक हुई 55वीं Badminton युवा प्रतियोगिता में U13 श्रेणी में doubles में स्वर्ण पदक और singles में कांस्य पदक जीता है. इस युवा प्रतियोगिता में दस देशों के बच्चों ने भाग लिया था. नमन के पिता गुरदीप सिंह कुण्डी खुद भी Badminton खिलाड़ी और coach रह चुके हैं. नमन छठी कक्षा के छात्र हैं.






Nürnberg से प्रिया मेनन एक भरतनाट्यम और मोहिनीअट्टम नृत्यांगना हैं. वे UNESCO की International Dance Council की सदस्य हैं. चार साल पहले उन्होंने Nürnberg में एक dance school खोला. आज उनके पास छोटे बड़ों और भारतीयों और Germans को मिला कर करीब चालीस शिष्य हैं. वे 19 जून को Fürth में अपने दम पर 'रंग-मंच' के शीर्षक से नृत्य का एक बहुत बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने जा रही हैं जिस में करीब साठ लोगों द्वारा आठ तरह के नृत्य पेश किए जाएंगे, भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम, कथक, भांगड़ा, गरबा, मणिपुरी, लावणी और गोंधर.




28 मई को Erlangen की संस्था Durgaville ने कोबी गुरु रवींद्र-नाथ टैगोर की 161वीं जयन्ती को बड़े जोश और समर्पण से मनाया. म्unique के महावाणिज्य दूतावास से श्री हरविन्दर सिंह जी ने कार्यक्रम का आह्वान किया. अनेक प्रतिभागियों ने रवींद्र-नाथ टैगोर जी अनेक रचनाओं, जैसे नाटक, कविता, संगीत पर कला मंच पर प्रस्तुति दी. कार्यक्रम में लगभग 120 समर्थक और शुभ-चिन्तक शामिल हुए. स्थानीय भारतीय restaurant 'संगम' ने स्वादिष्ट रात्रि-भोज उपलब्ध करवाया.




Munich के गौरव क्वात्रा Allianz में purchase में काम करते हैं और शौक़िया तौर पर sound system किराए पर देते हैं. लोग छोटी मोटी parties से ले कर बड़े events के लिए उनसे सामान किराए पर लेते हैं. उनके पास हर श्रेणी के लिए है जिस में साधारण Bluetooth speaker से ले कर high end sound system with lights, bubble machines और smoke machines हैं. सामान्यत लोग उनके घर से सामान ले जाते हैं और अगले दिन वापस कर जाते हैं. उनकी offers Reachaus app पर भी उपलब्ध हैं.




समय समय पर Germany में या Europe में रह रहे भारतीयों के नस्लीय भेद-भाद के समाचार आते रहते हैं. Köln और Düsseldorf भारतीयों का night club में ना घुसने देना, Italy में night club में ना घुसने देने के बाद उनकी गाड़ियों पर पत्थरों के साथ पथराव करना, Germany में एक भारतीय अभिनेता के casting के दौरान बुरा बर्ताव करना, ऐसी घटनाओं का दर्द वही समझ सकता है जिस पर बीती है. पर अलग दिखना अपने आप एक समस्या है. हल्की त्वचा वालों को भी भारत में लगातार घूरे जाने से समस्या होती है. लेकिन हल्की त्वचा वालों को हमेशा अधिक स्वीकृति: मिलती है. अब पता नहीं कि यह एक कुसरत का कानून है बचपन से हममें डाले गए संस्कार हैं. पर फिर भी यह कहना गलत नहीं होगा कि Germany एक बड़ा देश है जहां अनेक तरह के लोग रहते हैं. आम-तौर पर German लोग भारत और भारतीयों के प्रति सकारात्मक दृष्टि-कोण रखते हैं. वे भारत को आकर्षक और दिलचस्प पाते हैं. और जिन्हें भारत दिलचस्प नहीं लगता, उनका रवैया तटस्थ रहता है. ऐसे बहुत कम German लोग होंगे जो स्पष्ट रूप से भारतीयों के खिलाफ़ व्यक्तिगत या राजनीतिक कारणों से कुछ भी करेंगे. लेकिन अगर आप ढूंढने पर तुले ही हैं तो साढे आठ करोड़ Germans में कुछ तो भारत विरोधी मिल ही जाएंगे. सामान्यत bouncers (Türsteher) को मालिक की हिदायत होती है कि किसे club के अन्दर आने दिया जाए, किस को नहीं. कई बार वे Türsteher को कहते हैं कि काले बालों वालों को या गहरी त्वचा वालों को (सामान्यत तुर्कियों और अरबियों को) नहीं आने दिया जाए. कई बार ऐसा भी होता है कि Türsteher खुद तुर्की होता है पर वह किसी तुर्की को अन्दर आने नहीं दे सकता. कई बार ऐसा भी होता है कि गहरी त्वचा वालों के बच्चे यहीं Germany में पैदा हुए और बड़े हुए होते हैं, यानि वे अकल से पक्के German होते हैं, उन्हें भी अन्दर जाने नहीं दिया जाता. कई club वालों का यह भी अनुभव होता है कि विदेशी लोग club के अन्दर alcohol का सेवन नहीं करते, या बहुत कम करते हैं. alcohol बेचने से ही उन्हें अधिक कमाई होती है. तो उन लोगों में उन्हें कुछ खास फ़ायदा नहीं दिखता. कई restaurant वालों का अनुभव होता है कि भारतीय लोग मुफ़्त का नल का पानी मांगते हैं, खाना बांट कर खाते हैं, इस लिए वे भारतीय मेहमानों को नज़र-अन्दाज़ करते हैं. कई swinger clubs वालों को लगता है कि विदेशी लोग बहुत ऊंची आवाज़ में बात करते हैं जिस से वहां का शांत वातावरण भंग होता है और European लोगों का आना कम हो जाता है. पर किसी भी स्थिति का सामान्यीकरण नहीं किया जा सकता. जहां तक night clubs की बात करें तो अधिकतर clubs में ऐसा नहीं होता है और वैसे भी आज की स्थिति बीस साल पहले की स्थिति से बेहतर है. अधिकतर ऐसी स्थितियां डर के कारण पैदा होती हैं. और डर उन्हें ही लगता है जिन का खुद का जीवन अस्त-व्यस्त होता है. ऐसे लोग गिने चुने होते हैं. उन्हें लगता है कि ये विदेशी लोग उनकी नौकरियां और औरतें ले जाएंगे. कई बार तो बसों trains में गोरे लोग गहरी त्वचा वालों को बुरा भला कह देते हैं. पर ऐसे लोग अधिकतर खुद के जीवन से परेशान होते हैं.








कई German लोगों को यह बात पसन्द नहीं कि Germany में शिक्षण को प्रशासनिक सेवा का दर्जा दिया जाता है. प्रशासनिक अधिकारियों को नौकरी से निकाला नहीं जा सकता, इस लिए उन पर शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने का दबाव नहीं होता. इस के उलट England में शिक्षण को प्रशासनिक सेवा का दर्जा नहीं दिया जाता. इस लिए England में शिक्षक नौकरी बचाए रखने के लिए अधिक मेहनत करते हैं. प्रशासनिक अधिकारियों से देश के प्रति निष्ठा की उम्मीद की जाती है और हड़ताल करने की अनुमति नहीं होती. police और प्रशासन में इसका बहुत महत्व है. पर शिक्षकों से ऐसी निष्ठा की उम्मीद रखना कोई ज़रूरी नहीं. प्रशासनिक अधिकारियों को pension बीमा और स्वास्थ्य बीमा भी नहीं देना पड़ता.

जैन समाज ने मनाया जीनार्धना महोत्सव

दिनांक 2 जुलाई को जर्मनी के Walldorf शहर में अजीत बेनाडी जी के सानिध्य में और श्रेयांश बाबागोंड के नेतृत्व में एवं बाकी कार्यकर्ताओं के सहयोग से जर्मनी में रहने वाले जैन समाज ने जैन मिलन समारोह का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में जर्मनी के विभिन्न शहरों से तकरीबन 90 लोग सम्मिलित हुए। इस कार्यक्रम में जैन तीर्थकरों की पूजा, अहिंसा का संदेश, बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवम् सामूहिक भोजन था। जर्मनी में रहने वाले भारतीय मूल के जैनों के अलावा जैन दर्शन को मानने वाले जर्मन भी सम्मिलित हुए। अजीत बेनाडी, जिन्होंने Jain Association International (Germany) e.V. की स्थापना सन् 1989 में की थी, वो विभिन्न जैन लिपियों को जर्मन भाषा में अनुवाद कर चुके हैं। अर्पित जैन

German सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा: परिचय

जब हमारे जीवन में घर, स्वास्थ्य और सेवा-निवृत्ति जैसी महत्वपूर्ण चीज़ों को अधिक सुरक्षित करने की बात आती है, तो बीमा एक भ्रमित करने वाला विषय हो सकता है. German Association of Insurance Companies के अनुसार, केवल Germany में अभी लगभग 45 करोड़ सार्वजनिक बीमा policies सक्रिय हैं! India Initiative की ओर से हम आपको सार्वजनिक बीमा सम्बन्धी छह सब से बड़ी भ्रांतियों के बारे में बता रहे हैं जिन के बारे में आपको अपनी बीमा policy में ठीक से परखना चाहिए.


1. हम अत्यधिक बीमाकृत हैं

किसी भी अन्य देश की तरह, Germany में जायज़ और अत्यधिक बीमाकृत, दोनों तरह के लोग हैं. कई बीमा policies में, कुछ अनुबन्ध बीमाकृत व्यक्तियों के प्रति अपने दायित्वों को हमेशा पूरा नहीं करते हैं. विकलांगता और किसी के प्रति दायित्व जैसे कई आवश्यक बिन्दुओं को छोड़ दिया जाता है.


2. विदेश यात्रा coverage की ज़रूरत नहीं

Germany में अपने घर से दूर यात्रा करते समय, यात्रा स्वास्थ्य बीमा ख़रीदना एक उत्कृष्ट विचार है. नियोक्ता (employer) या सार्वजनिक बीमा विदेश यात्रा को cover नहीं करता है. इस लिए किसी को अनुबन्ध पर हस्ताक्षर करने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि सब कुछ cover किया गया है.


3. disability insurance बेमतलब है

यदि आप उन भाग्यशाली लोगों में से एक हैं जिन के पास काम पर घायल होने या बीमार होने की 1% से भी कम सम्भावना है, तो विकलांगता बीमा (disability insurance) शायद पैसे की बरबादी है. 99% लोग, जो जीवन में कभी ना कभी, किसी ना किसी बीमारी के कारण और 25% लोग, जो किसी ना किसी दुर्घटना के कारण स्थायी या अस्थायी रूप से अक्षम होते हैं, उन्हें आर्थिक रूप से बचने के लिए disability insurance प्राप्त करनी चाहिए.  disability insurance लगभग रोज़गार अनुबन्ध जितनी ही विश्वसनीय है.

 

4. जीवन बीमा over-hyped है

गलत. मानक जीवन बीमा policies के अतिरिक्त, unit-linked policies भी उपलब्ध हैं. इन के साथ लोग अपनी सेवा-निवृत्ति को अधिक आरामदायक बनाने के लिए जीवन बीमा की बचत का share बाज़ार में निवेश कर के, उस के उतार-चढ़ाव से लाभान्वित हो सकते हैं.

 

5. Supplementary Hospital Add-on की आवश्यकता नहीं है:

लाभों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करने के अलावा, supplementary inpatient insurance आपको वह clinic और विशेषज्ञ चुनने की अनुमति देता है जो आपके बिलकुल अनुकूल हो. additional inpatient insurance के साथ आप अस्पताल में आरामदायक double या single rooms भी प्राप्त कर सकते हैं.

 

6. सार्वजनिक जीवन बीमा योजनाएं पर्याप्त हैं

सार्वजनिक जीवन बीमा की लाभप्रदता में गिरावट आई है. इस स्थिति के कारण, बीमाकृत व्यक्तियों को ऐसे पेशेवरों की तलाश करनी चाहिए जो उन्हें पैसे बचाने में मदद कर सकें, उन्हें सेवा-निवृत्ति के बाद उनके प्रियजनों को वित्तीय रूप से स्थिर रखने के लिए वित्तीय सलाह प्रदान कर सकें.

 

निष्कर्ष:

हम आशा करते हैं कि इन छह सब से बड़ी सार्वजनिक बीमा सम्बन्धी भ्रांतियों और उनकी सच्चाइयों को जानने के बाद, आप समझ चुके होंगे कि German सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा कैसे काम करता है और आपको कौन से कदम उठाने की आवश्यकता है.

indiainitiative.de

HSS Munich ने मनाया रक्षाबन्धन उत्सव

20 August को हिन्दू स्वयंसेवक संघ (HSS) Munich ने लगभग 60 प्रतिभागियों सहित FC Phönix Turnhalle में रक्षाबन्धन उत्सव मनाया. उत्सव में मातृ मन्दिर, गुजराती समाज और महाराष्ट्र मण्डल के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे. कार्यक्रम में गुरु भगव-ध्वज को राखी बांधी गई, तरुण कार्यकर्ताओं द्वारा सुभाषित प्रस्तुत की गई:

येनबद्धो बलीराजा दानवेन्द्रो महासुर:।

तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

America की 'आनन्द मार्ग' संस्था से विशेष रूप से उपस्थित मानद अतिथि 'आचार्य श्री विमलानन्द अवधूथ' ने सनातन धर्म की 'वसुधैव कुटुम्बकम' की अवधारणा और इसकी वर्तमान में प्रासंगिकता के बारे में व्याख्यान दिया.

रश्मी नागराज, राकेश मेहरा

NRWEventss ने करवाया पीयूष मिश्रा का show

Frankfurt निवासी सौरभ शर्मा और सुश्री निथ्या बाबू ने 21 August को Willy-Brandt-Halle में एक बहुत बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जिस में लोकप्रिय भारतीय कलाकार पीयूष मिश्रा और उनके band बल्लीमारान का show, अनेक भारतीय स्वतंत्र कलाकारों द्वारा मनमोहक नृत्य और गायन प्रस्तुतियां, प्रवेश-कक्ष में अतिथियों का मनोरञ्जन करता ढोली और मुंह में पानी भरने वाले भारतीय व्यंजनों से भरपूर भोज-मेला शामिल था. असीमित प्रतिभा वाले पीयूष मिश्रा, जो गायक होने के साथ साथ लेखक, कवि, संगीतकार और अभिनेता भी हैं, ने अपने लोकप्रिय गीत 'हुस्ना', 'आरम्भ है प्रचण्ड' और उर्दू शायर मिर्जा गालिब को संगीतमय श्रद्धांजलि देते हुए कई गीत गाए. अतिथियों को उनका अनोखा, एक संवाद के रूप में संगीत प्रस्तुत करने का अन्दाज़ बहुत पसन्द आया. सौरभ शर्मा एक उद्यमी और व्यवसायी हैं जो पिछले 11 वर्षों से Germany में रह रहे हैं. वे पिछले कुछ समय में अपनी events company NRW Eventss की ओर से अभिषेक उपमन्यु, गौरव कपूर, राहुल सुब्रमण्यम और आकाश गुप्ता जैसे कई भारतीय लोकप्रिय stand-up comedians के show आयोजित कर चुके हैं. वे 9 सितंबर को Frankfurt में और 16 सितंबर को Köln में comedy के बादशाह अनुभव सिंह बस्सी की मेज़ुबानी भी कर रहे हैं. Germany में बड़े स्तर के भारतीय show आयोजित करना उनका सपना है. stand-up comedy के बाद संगीत में यह उनकी पहली कोशिश थी जो बहुत सफ़ल रही. उन्हें हमेशा इस बात पर ताज्जुब होता था कि सर्व-श्रेष्ठ भारतीय stand-up comedians, अभिनेता, अभिनेत्रियां, गायक और गायिकाएं केवल New York, London, Amsterdam आदि में ही क्यों प्रदर्शन करते हैं. क्या Germany में पर्याप्त भारतीय नहीं हैं या वे सर्व-श्रेष्ठ भारतीय कलाकारों को Germany में देखना नहीं चाहते? इस प्रश्न का उत्तर उन्हें अब मिल गया है और इस क्षेत्र में अब वे और भी जी जान से कोशिश करेंगे. Germany में उनके आने वाले कार्यक्रमों के बारे जानने के लिए आप NRWEventss Instagram या Facebook page का अनुसरण कर सकते हैं या उनकी website www.nrweventss.com पर जा सकते हैं.

हरि ओम मन्दिर Frankfurt में जन्माष्टमी

18 August को Frankfurt के हरि ओम मन्दिर में धूम-धाम के साथ कृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई. ढेर सारे श्रद्धालुओं के साथ छप्पन भोग, कीर्तन, जन्म पालकी, आरती और भण्डारे का आयोजन हुआ. इस के अलावा 21 August को कृष्ण जन्म उत्सव मनाया गया जिस में बच्चों और महिलाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया. बच्चों की मटकी-फोड (दही हाण्डी), कीर्तन, आरती और भण्डारे के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ. मन्दिर committee (Hindu Cultural Central e.V.) के प्रधान रमेश कुमार शर्मा ने सभी श्रद्धालुओं का स्वागत किया और committee के अन्य सदस्यों रवि भटनागर, राज कुमार, नवीन रायज़ादा और अश्विनी तिवारी का उनके विशेष योगदान के लिए धन्यवाद किया।

German लोकोक्तियां

nichts wird so heiß gegessen, wie es gekocht wird. इस का शाब्दिक अर्थ है, चीज़ें उतनी गरम खाई नहीं जातीं जितनी गरम पकाई जाती हैं. यानि कुछ गलत होने पर इतना परेशान होने की ज़रूरत नहीं होती, क्योंकि अक्सर नुकसान उतना ज़्यादा नहीं होता जितना अचानक दिखने लगता है.

Da beißt sich die Katze in den Schwanz. यानि बिल्ली अपनी ही पूंछ को काट रही है. यानि जब हम किसी के साथ विवाद में पड़ कर किसी मुद्दे को आगे ले जाने में असक्षम होते हैं, तो उस सन्दर्भ में इस मुहावरे का इस्तेमाल किया जाता है.

एक भारतीय सिखाता है robot बनाना

Mannheim निवासी computer engineer आतिश पतंगे और उनकी पत्नी प्रियंका कल्याणकर मिल कर बच्चों के लिए robotics और 3D printing courses आयोजित करते हैं। इसमें वे बच्चों को रोचक robot बनाना सिखाते हैं और अन्तरराष्ट्रीय robotic प्रतियोगिताओं में भाग लेने को भी प्रेरित करते हैं. 2010 में robotics में masters करने के लिए Germany आए आतिश पतंगे ने masters के दौरान और बाद में Fraunhofer Institute में कई शोध कार्यों पर काम किया. फिर एक मित्र के साथ अपनी company खोल कर खाद्य उत्पाद बनाने वाली companies के लिए गुणवत्ता नियन्त्रण के लिए यन्त्र बनाने लगे. 2020 में अपनी पत्नी के साथ मिल कर उन्होंने Honeydew Robotics नामक company खोली. इस में उन्होंने 8 से 15 उम्र तक के बच्चों के लिए bionics, robotics, 3D printing और neural censor पर प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए. ये सभी सत्र चार चार महीने के होते थे. सप्ताह में दो बार मिल कर बच्चों को Arduino और Microbit आधारित छोटे छोटे program बना कर stepper motors और servo motors चलाना सिखाते थे. इन सत्रों में उन्होंने हाथी की सूण्ड की तरह हिलने वाला robot, मछली की तरह तैरने वाला robot और भी कई अनोखे यन्त्र बनाए. तरह तरह के sensors का इस्तेमाल कर के दूरी, रंग, तापमान आदि का अन्दाज़ा लगाना सिखाया. 3D printing, जिसे Additive Manufacturing भी कहा जाता है, में उन्होंने बच्चों छोटी छोटी चीज़ें, जैसे उंगली की छांप, Spiderman का logo बनाना सिखाया. वर्ष 2021 में उन्होंने अपने विद्यार्थियों की छह teams बना कर आधिकारिक तौर पर विश्व robot Olympiad में भाग लिया. इस में से दो teams semi final में पहुंच चुकी हैं जो 17 से 19 सितंबर 2022 तक Chemnitz में आयोजित होंगे.

https://honeydew-robotics.de/

अर्पित जैन

भारतीयों का Athens में नृत्य प्रदर्शन

Nürnberg में Thakajum Indian Dance and Music Academy के 9 छात्रों (4 बच्चों और 5 वयस्कों) ने इस July में Athens के Dora Stratou Theatre में 58वीं विश्व नृत्य कांग्रेस के दौरान "पृथ्वी को बचाओ" विषय पर एक नृत्य नाटक का प्रदर्शन किया. वे थे अमेया रंगनाथन, उनकी मां डॉ॰ विजय-लक्ष्मी विलादथु, आसीन बाजवा, उनकी मां दीप्ति मल्होत्रा, प्रवस्थि अंसनपल्ली, उनकी मां पावनी अंसनपल्ली, मानवी भट, उनकी मां मञ्जूषा भट और सामंथा. इस के अलावा 6 Thakajum छात्रों (2 वयस्कों और 4 बच्चों) ने प्रमाणन समारोह के दौरान UNESCO के अध्यक्ष प्रो डॉ॰ Alkis Raftis से अपने स्तर-2 प्रमाण-पत्र प्राप्त किया. प्रमाणन केवल उन छात्रों को प्रदान किया जाता है जो UNESCO से अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और न्यूनतम 200 घंटे का नृत्य प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं. 6-10 July तक आयोजित इस कांग्रेस के दौरान 35 देशों के 300 से अधिक नर्तकियों ने विभिन्न नृत्य रूपों का प्रतिनिधित्व किया. Thakajum की स्थापना डॉ॰ विजय-लक्ष्मी विलादथु ने 2018 में Nürnberg में की थी. अकादमी सभी आयु समूहों को भारतीय नृत्य, संगीत और योग सिखाने के लिए समर्पित है. वे भरतनाट्यम, कथक, Bollywood freestyle, Zumba, भांगड़़ा आदि नृत्य और कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत सिखाते हैं. Thakajum 2019 से IDC (international dance council, UNESCO का एक हिस्सा) का सदस्य है.

New York में online हिन्दी पत्रिका का लोकार्पण

17 जून 2022 को भारतीय कोंसलावास New York में हिन्दी की मासिक online पत्रिका ‘अनन्य’ का लोकार्पण हुआ. पत्रिका का लोकार्पण भारत के प्रधान कोंसल श्री रणधीर जयसवाल जी ने किया. कोंसलावास की ओर से उप प्रधान कोंसल श्री वरुण जेफ, कोंसल श्रीमति सुमन सिंह (chancery प्रमुख), कोंसल विपुल देव (संस्कृति) शामिल हुए. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात विद्वान और भाषाविद् श्री सुरेन्द्र गम्भीर थे. कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता थे रणधीर जयसवाल, सुरेन्द्र गम्भीर, अनूप भार्गव और हरीश नवल. चित्रा मुद्गल, कमल किशोर गोयनका, टोमियों मिजोकामी, अशोक चक्रधर, ममता कालिया, सूर्य-बाला, अनिल जोशी, राहुल देव, मीरा कौशिक, अलका सिन्हा, जवाहर कर्णावत ने शुभकामना सन्देश भेजे जो कार्यक्रम में दिखाए गए. कार्यक्रम के अन्त में ‘स्वर संगम’ विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने ‘वन्दे मातरम’ एवं कुछ अन्य उप शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति दी. ‘अनन्य’ सम्भवत: किसी भी दूतावास या कोंसलावास की आधिकारिक website पर पूर्णत: स्वयंसेवी समूह द्वारा निकाली जाने वाली पहली हिन्दी पत्रिका है. अनन्य पत्रिका को पढ़ने के लिए भारतीय कोंसलावास New York की website पर जाएं.

https://www.indiainnewyork.gov.in/

पूरे Germany में मनाया गया स्वतंत्रता दिवस

Germany के अलग अलग शहरों में भारतीय समुदाय ने 75वां भारतीय स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया. Berlin स्थित भारतीय राजदूतावास और Hamburg, Frankfurt और Munich स्थित तीनों कोंसलावासों से सम्बन्धित राजदूत और महावाणिज्यदूतों द्वारा ध्वज फहराने, राष्ट्रीय गीत गाने, भारतीय राष्ट्रपति के सन्देश देने, भारत माता की जय के नारों, नाश्ते के बाद विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ कार्यक्रम समाप्त हुए.


Berlin स्थित भारतीय राजदूतावास के प्रांगण में स्वतंत्रता दिवस बहुत ही सादगी लेकिन उत्साह के साथ मनाया गया. इस अवसर पर Berlin में रहने वाले अनेक भारतीय प्रवासी तथा शिक्षा ग्रहण कर रहे अनेक भारतीय छात्र भी उपस्थित थे. कार्यक्रम के आरम्भ में सुबह भारतीय राजदूतावास के राजनयिक श्री हरीश परवाथनेनी ने ध्वज फहराया. फिर सभी ने सस्वर राष्ट्र-गान गाया और भारत माता की जय के नारों से वातावरण गूंज उठा. फिर श्री परवाथनेनी ने अपने सन्देश में कहा कि हमें एक श्रेष्ठ भारत की भावना को बल देना चाहिए और भारतीय पारम्परिक परिधान और हथकरघे को बढ़ाना देना चाहिए. उन्होंने कहा कि योग एवं आयुर्वेद विश्व को भारत का अमूल्य उपहार हैं, जिन की लोकप्रियता समस्त विश्व में निरंतर बढ़ती जा रही है. अपने सम्बोधन में उन्होंने भारतीय सेना के किए सम्मान व्यक्त किया. इस के बाद भारतीय राजदूतावास के कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से वन्दे मातरम, 'सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा', 'मेरे देश की धरती सोना उगले' तथा कई अन्य देश-भक्ति के गीत प्रस्तुत किए. सभागार में उपस्थित समस्त भारतीय समुदाय के लोगों ने गीतों का आनन्द लिया. कार्यक्रम के अन्त में राजदूतावास की ओर से मिष्ठान आदि भी वितरित किए गए. इस के बाद श्री परवाथनेनी जी ने बहुत ही सहजता और प्रेम से आंगतुकों के साथ फोटो खिंचवाई. इस बार एक विशेष बात यह रही कि कार्यक्रम की समस्त तैयारी, संचालन, संयोजन भारतीय राजदूतावास Berlin के तत्वावधान से ही सम्पन्न किया गया. स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम भारतीय राजदूतावास के अन्दर बने Auditorium में ही आयोजित किया गया जिसे राजदूतावास के कर्मचारियों द्वारा भारत के विभिन्न प्रदेशों में बनाई गई पारम्परिक साड़ियों से अत्यन्त ही मनोहर ढंग से सुसज्जित किया गया था. भारतीय समुदाय के कुछ सदस्यों द्वारा फूलों की बहुत सुन्दर रंगोली भी बनाई गई थी.


Munich स्थित भारतीय कोंसलावास में स्वतंत्रता दिवस पर हमेशा बहुत से प्रवासी भारतीय उपस्थित होते हैं क्योंकि Germany के प्रदेश Bavaria के कुछ हिस्सों में और एक अन्य प्रदेश Saarland में 15 August को एक Catholic उत्सव (Mariä Himmelfahrt) के रूप में छुट्टी मनाई जाती है. अधिकतर Munich कोंसलावास में जगह कम पड़ने के कारण बड़ी संख्या आए लोगों को सीढ़ियों में, गलियारों में, यहां तक कि कोंसलावास की इमारत के बाहर रह कर सन्तोष करना पड़ता था. इस लिए इस बार लगातार दूसरी बार कोंसलावास की इमारत के बाहर यातायात को कुछ समय के लिए रोक कर ध्वज फहराया गया. कम से कम सात सौ प्रवासी भारतीय इस उपलक्ष्य पर उपस्थित थे. महा-वाणिज्यदूत श्री मोहित यादव द्वारा ध्वज फहराए जाने के बाद सब ने मिल कर राष्ट्रीय गीत गाया. फिर श्री मोहित यादव ने भारतीय राष्ट्रपति का सन्देश और दृष्टि-कोण लोगों तक पहुंचाया. फिर पिछले साल शुरू किए 'आज़ादी के महोत्सव Quiz' प्रतियोगिता के लिए प्रवासी भारतीयों की श्रेणी में आदर्श शेट्टी को रजत पदक और सृजन मनीष को कांस्य पदक दिया गया. फिर हल्के नाश्ते के साथ कोंसलावास में कार्यक्रम का समापन हुआ. पूरे कार्यक्रम में भारतीयों के अलावा भारत को चाहने वाले अनेक ग़ैर भारतीय लोग भी थे. (चित्र में जानी मानी भारतविद (Indologin) Eva Glasbrenner का बेटा Leopold Adinatha Wawrinsky German और भारतीय तिरंगे के साथ).


इस के बाद पिछले बीस साल से चली आ रही परम्परा के अनुसार Englisher Garten में दो teams के मध्य cricket match और एक बहुत बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ. कार्यक्रम की शुरुआत CG मोहित यादव के स्वागत भाषण से हुई. उन्होंने आयोजन समिति के तीन लम्बे समय से निवर्तमान सदस्यों, Mr Armin Meyer, श्री राजेन्द्र नाथ और डॉ संजीव चौधरी को उनके समर्पण के लिए सम्मानित किया. Sportverein Lohhof (SVL) ने IDCup के नाम से SVL और Bavarian All Stars (BAL) team के मध्य 20-20 overs के cricket match करवाया. BAL एक आमन्त्रित team थी जिस में Bavarian cricket league के सर्व-श्रेष्ठ खिलाड़ी शामिल थे. Philipp Bächstadt ने दोनों कप्तानों के साथ toss किया. BAL ने toss जीत कर बल्लेबाजी करने का फ़ैसला किया. इसी के समानन्तर मैदान की एक ओर बहुत भव्य तरीके से एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जिस का प्रबन्धन D4Dance group ने किया. सांस्कृतिक कार्यक्रम में Munich की बहुत सी भारतीय संस्थाओं ने मिल कर भारत के विभिन्न लोक नृत्य, शास्त्रीय और अर्ध शास्त्रीय नृत्य, Bollywood dance आदि प्रस्तुत किए. सांस्कृतिक प्रदर्शन के पहले भाग के समापन पर cricket match की पहली पारी की शुरुआत BAL की बल्लेबाजी से हुई. बहुत मजबूत बल्लेबाजी के साथ BAL ने 185 runs का लक्ष्य रखा. पहली पारी के break पर, दर्शकों ने आगे के संस्कृति शो में Revathi Dance Academy के अर्ध-शास्त्रीय fusion, D4dance के नृत्य, 'भारत के बच्चे' समूह के गायन और Soul Sargam band के live music का आनन्द लिया. दूसरी पारी में SVL ने विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए बहुत अच्छी शुरुआत की और run-rate बरकरार रखा. पर शीर्ष बल्लेबाजों के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद SVL को BAL की बेहतर गेंदबाज़ी से मात खानी पड़ी. match का अन्त BAL ने 20 runs से जीत कर किया. match के समापन के बाद विधिवत पुरस्कार वितरण किया गया. SVL के कप्तान वरुण देशपाण्डे के साथ एक संक्षिप्त साक्षात्कार के बाद SVL team को पदक प्रदान किए गए. 'man of the match' का पुरस्कार मनीष मरोटकर को उनके शानदार all-round प्रदर्शन के लिए दिया गया. विजेता team BAL को उनके कप्तान अनिकेत काशीकर के साक्षात्कार के बाद पदक प्रदान किए गए. अन्त में अनिकेत को IDCup सौंपा गया. कार्यक्रम का समापन मंच पर 'माटी Music Group' द्वारा एक संक्षिप्त live प्रदर्शन और एक flash-mob से हुआ. flash-mob में सभी दर्शकों को शामिल होने के लिए कहा गया.


Mannheim से अर्पित जैन ने बताया कि वहां रहने वाले भारतीय समुदाय ने केवल 2 दिन पहले WhatsApp groups पर चर्चा शुरू की और देखते ही देखते बच्चों सहित 140 से अधिक भारतीय आज़ादी का जश्न मानने के लिए साथ आ गए.


Dusseldorf में भी HSS ने बहुत ही धूम धाम से आज़ादी महोत्सव एवम् रक्षा बन्धन पर्व मनाया.


Wolfsburg में HSS के प्रयत्नों से करीब चालीस लोग एकत्रित हुए.


IT@Stuttgart से नीतू दशोरा और Art of Living से अर्चना ठाकुर सोनी ने केवल एक दिन पहले स्वतंत्रता दिवस मनाने का फ़ैसला किया. तुरंत ही उन्होंने Stuttgart में अलग अलग भारतीयों के संगठनों के प्रतिनिधियों से WhatsApp द्वारा उनके सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस पर एकत्रित करने के लिए अनुरोध किया. तो सब राजी हो गए. लगभग दो सौ लोगों के एकत्रित होने की सम्भावना नज़र आने लगी. तो उन्होंने ICF के धीरज शाह को नगर प्रशासन से अनुमति लेने का अनुरोध किया. नगर प्रशासन ने पर्याप्त police और ambulance के इंतज़ाम के साथ Max-Eyth See पर एकत्रित होने की अनुमति दे दी. मनीष कुमार गुप्ता के संचालन में छोटे बच्चों और वृद्ध नागरिकों सहित सब ने ध्वज फहराया और राष्ट्रीय गीत गाया. उस के बाद हलवा और chocolates बांटी गईं.


Frankfurt के भारतीय कोंसलावास में AKAM (आज़ादी का महोत्सव) के तहत 12 August को बच्चों की चित्रकारी प्रतियोगिता और महिलाओं की रंगोली प्रतियोगिता हुई. 15 August की सुबह कोंसलवास इमारत के बाहर करीब तीन सौ भारतीयों ने जोश के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया. कोंसलावास के कर्मचारियों ने सभी भारतीय भाषाओं में भारतीयों को 'हर घर तिरंगा' के एक 'selfie booth' पर फोटो खिंचवाने के लिए आमन्त्रित किया (चित्र में पञ्जाबी TV channel PTC UK की Frankfurt निवासी reporter वर्खा दुग्गल और उनके पति तिरंगे के साथ). शाम को 'India House' में देश-भक्ति के गीतों और कथक नृत्य के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ जिस में German राजनैतिक हलकों के प्रमुख जन प्रतिनिधियों, 'Friends of India' के सदस्यों, विभिन्न भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों को आमन्त्रित किया गया था.


Note: गणतंत्र दिवस यानि 26 January को ध्वज आरोहण होता है जिस में ध्वज को नीचे से ऊपर की ओर ले जाया जाता है. इसे अंग्रेज़ी में flag hoisting कहते हैं. पर स्वतंत्रता दिवस, यानि 15 August को ध्वज फहराया जाता है. इस में ध्वज में फूल लपेटे हुए होते हैं और ध्वज पहले से ही ऊपर टंगा होता है. इसे रस्सी खींच कर खोला जाता है जिस से फूल नीचे गिरते हैं. इसे अंग्रेज़ी में flag unfurling कहते हैं.


Contributors: श्रद्धा मिश्रा शुकला, Ramesh Korya, हरविन्दर सिंह, पवन प्रसाद, अर्पित जैन, चन्द्रिमा देसाई दास, नीतू दशोरा, धीरज शाह

Munich में हुआ भारतीयों का Badminton Tournament

16th July को 'Carbon Shuttles Munich' club और 'Munich Kannadigaru ಮ್ಯೂನಿಕ್ ಕನ್ನಡಿಗರು' ने Munich के Sportzentrum Martinsried में Badminton Tournament आयोजित किया जिस में 72 युगल teams ने हिस्सा लिया. विजेता इस प्रकार हैं:

पुरुष युगल (नकद इनाम):

विजेता (नकद इनाम और trophy): Team Avengers (श्रीहर्ष हेगडे, मयूर महाजन)

उपविजेता (नकद इनाम और trophy): Team PTSV (राम और गणेष)

तीसरा स्थान (नकद इनाम): Team Munich Fighters (उदय और राहुल)

मिश्रित युगल (नकद इनाम):

विजेता (नकद इनाम और trophy): Team Terminator (मयूर और आरती)

उपविजेता (नकद इनाम और trophy): Team Shuttle slayers (संजय और आर्मिना)


Sportzentrum के चारों Badminton courts को पूरे दिन यानि सुबह नौ बजे से ले कर शाम पांच बजे तक book कर लिया गया था। बल्कि semi-finals और finals के लिए अवधि दो घंटे अधिक बढ़ानी पड़ी थी. एक team को छोड़ कर बाकी सारी teams भारतीयों की थीं. उन में से 48 पुरुष युगल teams और 24 मिश्रित युगल teams थीं. 17 लोगों की स्वयंसेवी team ने असाधारण कौशल से इस आयोजन को आगे बढ़ाने में मदद की. Tournament में 210 shuttles इस्तेमाल हुईं. 144 खिलाड़ियों के अलावा करीब 50 अन्य लोग Tournament को देखने आए. Munich Kannadigaru ಮ್ಯೂನಿಕ್ ಕನ್ನಡಿಗರು के प्रतिनिधि और मुख्य अतिथि सोमनगौडा पाटिल ने खिलाड़ियों को प्रेरित किया और विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए. पुरस्कार प्रदान करने में अमर RM, प्रिया नागोल, यतीश कुमार और सुप्रिया ने मदद की. मनीषा चौधरी ने स्वादिष्ट mango लस्सी की stall लगा कर गर्मी और भूख कि समस्या को थोड़ा हल्का किया। मुख्य स्वयं सेवक रहे: यतीश कुमार, स्कन्द राममूर्ति, किरण सुरेश, पवन जोशी, राघव नायडू, निखिल हलिंगे, पूर्ण चन्द्र, मयंक कुमार, इन्द्रजीत, प्रणव, शंभू Kg. photographer राम रूप ने Tournament के अविस्मरणीय पलों को 192 video clip बना कर और 700+ तस्वीरें ले कर camera में कैद किया. इस आयोजन की सफ़लता ने Carbon Shuttles Munich को और भी बड़ी ज़िम्मेदारियां लेने के लिए प्रेरित किया है. Carbon Shuttles Munich 2022 के अन्तिम तिमाही में quarter में 'Winter Badminton Tournament' आयोजित करने की सोच रही है और सभी खिलाड़ियों को अभ्यास जारी रखने के लिए प्रेरित कर रही है.

Bollywood गानों के साथ Guitar सीखें

UK मूल के Ryan Inglis एक स्वतंत्र गायक, गीतकार और पेशेवर guitar वादक हैं, जिन्होंने नए और रोमांचक अनुभवों की तलाश में दुनिया की यात्रा करने के बाद 2016 में Munich में अपना नया घर बनाया. संगीत, विशेष रूप से guitar बजाना और गाना लगभग 20 वर्षों से उनका जुनून और आजीविका रहा है और वह अभी भी Schwabing में अपने घर में guitar सिखाते और नए संगीत की recording करते हैं. उन्होंने 2018 में प्रज्ञा असीम events द्वारा आयोजित एक दिवाली कार्यक्रम में गायिका स्वरंगी आंबेकर चौधरी के साथ प्रस्तुति दी. अगर आप वहां होते तो शायद उन्हें थोड़ी सी हिन्दी गाते हुए सुन कर हैरान हो जाते. Ryan कहते हैं "यह इतना अच्छा अनुभव था. सभी दर्शक इतने दयालु और खुले दिल के थे. मुझे स्वरंगी के साथ medley तैयार करना अच्छा लगा और हर कोई वास्तव में हमारे प्रदर्शन का आनन्द ले रहा था. मैं वास्तव में महीने में एक बार Munich में एक open stage event आयोजित करना चाहता हूं जहां गायक और guitar वादक एक साथ मिल कर हिन्दी गाने गा सकें और प्रदर्शन कर सकें. मैं वर्तमान में एक ऐसे स्थान की तलाश कर रहा हूं जो इस तरह के आयोजन के लिए उपयुक्त हो." जब से उन्होंने Munich शहर में विभिन्न समूहों को guitar सिखाना शुरू किया है, वे सैकड़ों लोगों से जुड़े हैं, जिन में कभी guitar बजाने इच्छा रही हो. चाहे वे शहर में काम करने वाले पेशेवर वयस्क हों, जो बचपन में हमेशा guitar बजाना सीखना चाहते थे. या ऐसे माता-पिता जो वाद्य वादन सीखने के द्वारा अपने बच्चों के साथ और गहराई से जुड़ना चाहते थे. यहां तक ​​​​कि पूर्णकालिक मांएं, जो अपने युवा परिवार के साथ कुछ गाने बजाना और गाना चाहती थीं. भारत के कई अन्तर राष्ट्रीय छात्र और पेशेवर लोग भी उनके छात्र रहे हैं. इस लिए उन्हें हिन्दी और Bollywood गीतों के लिए कई अनुरोध मिलने लगे. पिछले दो तीन वर्षों में उन्होंने नए छात्रों के लिए Bollywood guitar पाठ्यक्रम सहित कई guitar और ukulele पाठ्यक्रम बनाए और परिष्कृत किए हैं, जिन में आरम्भ करने के लिए सभी आवश्यक बुनियादी बातों को शामिल किया गया है. केवल दो महीने में आप अपना पहला guitar ख़रीदने से ले कर 'साथिया', 'चुरा लिया' और 'इलाही' जैसे गाने सीख सकते हैं. भले आपने पहले कभी guitar नहीं उठाया तक ना हो. या आप अपने मौजूदा कौशल में सुधार करना चाह रहे हैं, सब कुछ सम्भव है. एकमात्र रहस्य यह है कि आपको अभ्यास के लिए समय निकालने की आवश्यकता है. यदि आप Munich में guitar के पाठों के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आप उनसे सीधे guitarlessons@ryaninglis.com पर सम्पर्क कर सकते हैं या उनकी website ryaninglis.podia.com पर जा सकते हैं.

संस्कृतियों का रंगारंग त्योहार

दो साल के विराम के बाद 30 July को Erlangen शहर के foreigners and integration advisory board ने E-Werk परिसर में संस्कृति महोत्सव का आयोजन किया. जहां मुख्य इमारत के भीतर कई info-stalls, Ukrainian बच्चों का theatre, नृत्य और गायन, अरबी और चीनी सुलेख कार्य-शाला आयोजित की गई, वहीं एक बगीचे में भारत, Vietnam, Brazil और अरब के स्वादिष्ट व्यंजन पेश किए गए. stage पर live music, D4Dance के तेज द्वारा भांगड़ा workshop, Priya Nartaki Dance Spaces के छात्रों द्वारा भारतीय शास्त्रीय नृत्य और भारत और फिलिस्तीन के fashion show आयोजित किया गया। बहुत सी भारतीय संस्थाओं ने अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के food stall लगाए, जैसे कि Kannada Koota Franken, Namaste Ladies Club, Franken Telugu Samithi, Tamil Sangam, Kolkata Street Food आदि. Puma, Adidas, Schäffler, Siemens आदि companies में काम करने वाले सैकड़ों भारतीय वहां जमा हुए. स्वैच्छिक एकीकरण कार्य के लिए कुछ लोगों को पांच सौ Euro की राशि के साथ Diogo Pereira-Preis प्रदान किया गया. मुख्य अतिथियों म्युनिक के भारतीय कोंसलावास से श्री कैलाश भट्ट भी उपस्थित थे।

Karlsruhe ने मनाए India Summer Days

Karlsruhe में 22 से 24 July तक Das Fest के एक हिस्से के रूप में India Summer Days उत्सव मनाया गया. इस में Baden-Württemberg प्रांत और Munich में भारतीय कोंसलावास की सांझेदारी के द्वारा भारतीय संगीत, नृत्य, रंगमंच, स्वादिष्ट भारतीय पकवानों, मसालों मेहन्दी और योग जैसी अद्भुत भारतीय कलाओं के साथ भारतीय सांस्कृतिक विविधता प्रस्तुत की गई. Bhairi Bhavani Performing Arts, Dindi Dance Group, D4Dance Performing Arts, Kirtaniyas और Revathi Dance Akademie द्वारा रंगारंग प्रस्तुति की गई. लगभग 5,000 आगंतुक इस उत्सव का हिस्सा बने और उन्होंने Germany में रहते हुए भी भारतीय सांस्कृतिक विविधता का आनन्द उठाया. Baden-Württemberg प्रांत के मुख्य मन्त्री Winfried Kretschmann, भारतीय महावाणिज्यदूत मोहित यादव व भारत गणराज्य के मानद कोंसल Andreas Lapp ने ‘India Summer Days’ को Germany और भारत के बीच एक मजबूत व आकर्षक रिश्ता बताया.

अनुवादः प्रियंका आढ़ा

ಜರ್ಮನಿಯಲ್ಲಿ ಕನ್ನಡ ರಾಜ್ಯೋತ್ಸವ

ನಮ್ಮ ನಾಡು ನುಡಿಯ ಬಗ್ಗೆ ತಾಯ್ನಾಡಿನಲ್ಲಿ ಇರುವವರಿಗೆ ಎಷ್ಟು ಅಭಿಮಾನವಿರುತ್ತದೆಯೋ, ಅಷ್ಟೇ ಅಥವಾ ಅದಕ್ಕಿಂತ ಹೆಚ್ಚು ತಾಯ್ನಾಡಿನಿಂದ ಸಾವಿರಾರು ಮೈಲಿಗಳು ದೂರವಿರುವವರಿಗೆ ಇರುತ್ತದೆ ಎಂದರೆ ಖಂಡಿತ ಉತ್ಪ್ರೇಕ್ಷೆಯಾಗಲಾರದು..

 

ಉದ್ಯೋಗವನ್ನರಸಿಯೋ, ವಿದ್ಯಾಭ್ಯಾಸಕ್ಕಾಗಿಯೋ ಅಥವಾ ತಮ್ಮದೇ ಕಾರಣಗಳನ್ನಿಟ್ಟುಕೊಂಡು ದೇಶವನ್ನು ಬಿಟ್ಟು ವಿದೇಶದಲ್ಲಿ ನೆಲೆಸಿರುವವರು ತಮ್ಮ ದೇಶ,ತಮ್ಮ ಭಾಷೆ,ರಾಜ್ಯ,ಉಡುಗೆ ತೊಡುಗೆ,ಊಟ,ಆಚರಣೆ ಎಲ್ಲವನ್ನೂ ಎಷ್ಟು ಮಿಸ್ ಮಾಡಿಕೊಳ್ತಾರೆ...ಎಲ್ಲಾ ಇದ್ದೂ ಏನೋ ಕೊರತೆ ಕಾಡುತ್ತಿರುತ್ತದೆ..

ಅದೇ "ನಮ್ಮವರು ಅನ್ನೋರು ಇಲ್ಲ" ಅನ್ನೋ ಭಾವ.. ಇಂತಹ ಸಹ ಮನಸ್ಥಿತಿಯವರೆಲ್ಲರೂ ಸೇರಿ ಕಟ್ಟಿದಂತಹ ಗುಂಪು "ಮ್ಯೂನಿಕ್ ಕನ್ನಡಿಗರು".

 

ಈ ಗುಂಪಿನ ವತಿಯಿಂದ ಕಳೆದವಾರ ನವಂಬರ್ 19ನೇ ತಾರೀಖು ಕನ್ನಡ ರಾಜ್ಯೋತ್ಸವವನ್ನು ಅದ್ಧೂರಿಯಿಂದ ಆಚರಿಸಲಾಯಿತು...

 

ಕನ್ನಡದ ಮೇರು ನಟ ದಿ.ಪುನೀತ್ ರಾಜ್'ಕುಮಾರ್ ಅವರಿಗೆ ಅರ್ಪಿಸಿದ ಈ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮವನ್ನು ವೀಕ್ಷಿಸಲು ಸುಮಾರು 680ಕ್ಕೂ ಹೆಚ್ಚು ಜನರು ಸೇರಿದ್ದರು...

ಮಕ್ಕಳು,ದೊಡ್ಡವರು ಎಂಬ ಭೇದವಿಲ್ಲದೆ ಎಲ್ಲರೂ ಶ್ರದ್ದೆಯಿಂದ ಭಾಗವಹಿಸಿದ್ದು

ನೂರಾರು ಕಾರ್ಯಕರ್ತರ ನೂರೈವತ್ತಕ್ಕೊ ಹೆಚ್ಚು ಪ್ರದರ್ಶಕರ ಶ್ರಮಕ್ಕೆ ಸಿಕ್ಕ ಪ್ರತಿಫಲ....

 

ಪ್ರಾರ್ಥನೆ ಗೀತೆಯಿಂದ ಆರಂಭವಾದ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮ,ರಾಷ್ಟಗೀತೆ,ನಾಡಗೀತೆ, ಯುಗಳ ಗೀತೆ,ಭರತನಾಟ್ಯ, ಗೊಂಬೆಯಾಟ, ಅಷ್ಟೇ ಅಲ್ಲ ವೀಣಾ ವಾದನ,ಪಿಯಾನೋ,ಗಿಟಾರ್ ಮುಂತಾದವುಗಳನ್ನೊಳಗೊಂಡಿತ್ತು..

 

ಇವೆಲ್ಲಕ್ಕೂ ಕಳಶವಿಟ್ಟಂತೆ ಪವನ್ ಪ್ರಸಾದ್ ರವರ  "ಡಿ ಫಾರ್ ಡ್ಯಾನ್ಸ್" ನೇತೃತ್ವದಲ್ಲಿ  ಜರ್ಮನ್ ಕಲಾವಿದರನ್ನೂ ಒಳಗೊಂಡ   "ನಾನು ಕಂಡ ಕರುನಾಡು" ಎಂಬ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮ...


ಟಿಮ್ ಮತ್ತು ಮೋನಾ ಎಂಬ ಜರ್ಮನ್ ದಂಪತಿಗಳು ಭಾರತಕ್ಕೆ ಬಂದು,ಕರ್ನಾಟಕದಿಂದ ಹೊರಡುವ ದಿನ ಫ್ಲೈಟ್ ಮಿಸ್ ಆಗಿ, ಇಲ್ಲಿ ಏನು ಮಾಡುವುದು?ಹೇಗೆ ಕಾಲ ಕಳೆಯುವುದು ಎಂದು ತಲೆ ಮೇಲೆ ಕೈ ಹೊತ್ತುಕೊಂಡು ಕೂತಾಗ ಅಲ್ಲಿ ಅವರಿಗೆ ಸಿಕ್ಕ "ರಾಜ್"ಎನ್ನುವ ಪುನೀತ್ ಅಭಿಮಾನಿ, ಇಡೀ ಕರ್ನಾಟಕದ ದರ್ಶನವನ್ನು "ಹಾಡು,ನೃತ್ಯ,ಸಣ್ಣ ಸಣ್ಣ ನಾಟಕ"ದ ಮೂಲಕ ಅವರಿಗೆ ಮಾಡಿಸುತ್ತಾನೆ...

 

ಈ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮ ಸರಿ ಸುಮಾರು ನೂರು ಕಲಾವಿದರನ್ನೊಳಗೊಂಡು  ೨ಗಂಟೆಗಳ ಕಾಲ ಅದ್ಭುತವಾಗಿ ಮೂಡಿ ಬಂದಿತ್ತು..

ಇಲ್ಲಿ ಹೇಗಪ್ಪಾ ಕಾಲ ಕಳೆಯುವುದು ಎಂದು ದಿಕ್ಕೆಟ್ಟಿದ್ದ ದಂಪತಿಗಳು ಕರ್ನಾಟಕ ಹೆಮ್ಮೆಯ ಡೊಳ್ಳು ಕುಣಿತ,ಬೆಂಗಳೂರಿನ ಕರಗ,ಮೈಸೂರು ದಸರಾ,ಉಡುಪಿಯ ಹುಲಿವೇಷ, ಕೊಡಚಾದ್ರಿಯ ಕಾಡು,ಕೊಡವರ ಸಂಸ್ಕೃತಿ,ಉತ್ತರ ಕರ್ನಾಟಕದ ಸತ್ಕಾರ,ಹವ್ಯಕರ ಊಟ,ಬೀಸು ಕಂಸಾಳೆ ಎಲ್ಲವನ್ನೂ ಕಂಡು ಬೆರಗಾಗುತ್ತಾರೆ..

 

ಕೊನೆಗೆ ಕರ್ನಾಟಕದ ಸಂಸ್ಕೃತಿಗೆ ಮನಸೋತು ಮೋನಾ,ಕನ್ನಡಿಗರ ಸಾಂಪ್ರದಾಯಿಕ ಉಡುಗೆ ತೊಟ್ಟು ಘಲ್ಲು ಘಲ್ಲೆನುತಾವ್ ಗೆಜ್ಜಿ "ಹಾಡನ್ನು ಸ್ವತಃ ಹಾಡಿಕೊಂಡು ನೃತ ಮಾಡುತ್ತಾಳೆ"..

 

ದಿವ್ಯಮೌನದಿಂದ  ಈ ಅಮೋಘ ದೃಶ್ಯಾವಳಿಯನ್ನು ವೀಕ್ಷಿಸುತ್ತಿದ್ದ ಜನರಿಗೆ  ತಾವು ಇಷ್ಟು ಹೊತ್ತೂ ಕರ್ನಾಟಕದಲ್ಲೇ ಇದ್ದೇವೇನೋ ಎನ್ನುವಂಥ ಭಾಸ.....

 

ಹಲವು ತಿಂಗಳುಗಳು ಹಗಲು ರಾತ್ರಿ ಎನ್ನದೇ ಅಭ್ಯಾಸ ಮಾಡಿ,ಕಾರ್ಯಕ್ರಮವನ್ನು ಯಶಸ್ವಿ ಯಾಗುವಂತೆ ದುಡಿದ ಎಲ್ಲರಿಗೂ ಅದೊಂದು ಸಾರ್ಥಕ ಕ್ಷಣ...

 

ತಮ್ಮ ಮಕ್ಕಳ ಭೇಟಿಗಾಗಿ ಭಾರತದಿಂದ ಬಂದಿದ್ದ ಹಲವು ಪಾಲಕರು ಹೃತ್ಪೂರ್ವಕ ಅಭಿನಂದನೆಗಳು ಸಲ್ಲಿಸಿದರು..

ಅದ್ದೂರಿಯಾಗಿ ಆರಂಭಗೊಂಡು ಸುಮಾರು ಹತ್ತು ಗಂಟೆಗಳ ಕಾಲ ನಡೆದ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮ ಊಟದೊಂದಿಗೆ ಮುಕ್ತಾಯಗೊಂಡಿತು..

ನೆರೆದಿದ್ದವರ ಮನಸೂರೆಗೊಂಡ ಇಂತಹ ಹಲವಾರು ಕಾರ್ಯಕ್ರಮಗಳು ಮ್ಯೂನಿಕ್ ಕನ್ನಡಿಗರ ವತಿಯಿಂದ ನಡೆಯಲಿ ಎಂದು ಆಶಯಿಸೋಣ

 

ಪೃಥ್ವಿ ಉದಯ್

ಮ್ಯೂನಿಕ್,ಜರ್ಮನಿ

ಸುಲಭಸಾಧ್ಯವಲ್ಲ

ಕನಸು ಕಾಣುವುದು ಮಾನವನ ಸಹಜ ಗುಣ. ಒಳ್ಳೆಯ ವಿದ್ಯಾಭ್ಯಾಸ ಹೊಂದುವುದು, ಉತ್ತಮ ನೌಕರಿ ಬಯಸುವದು, ಸರ್ವಗುಣ ಸಂಪನ್ನ ಸಂಗತಿಯನ್ನು ಹೊಂದುವುದು, ಬುದ್ಧಿವಂತ ಗುಣವಂತ ಮಕ್ಕಳನ್ನು ಆಶಿಸುವುದು, ಹೀಗೆ ಮಾನವನ ಕನಸುಗಳ ಪಟ್ಟಿ ಬೆಳೆಯುತ್ತಲೇ ಹೋಗುತ್ತದೆ. ಒಂದು ಸ್ಥಿರವಾದ ಉದ್ಯೋಗ ದೊರೆತ ನಂತರ ಈ ಪಟ್ಟಿಗೆ ಇನ್ನೊಂದು ಕಾಣದು ಸೇರ್ಪಡೆಯಾಗುತ್ತದೆ. ಅದುವೇ ಒಂದು ಸಕಲಸೌಕರ್ಯಗಳಿಂದ ಕೂಡಿದ ಒಂದು ಸ್ವಂತ ಮನೆ ಹೊಂದುವುದು. ಈ ಕನಸಿನ ಈಡೇರಿಕೆ ಅಷ್ಟು ಸುಲಭಸಾಧ್ಯವಲ್ಲ. ಅದಕ್ಕೆ ನಮ್ಮ ಪೂರ್ವಜರು 'ಮನೆ ಕಟ್ಟಿನೊಡು ಮಾಡುವೆ ಮಾಡಿ ನೋಡು' ಎಂದು ತುಂಬಾ ಅರ್ಥಗರ್ಭಿತವಾಗಿ ಹೇಳಿದ್ದಾರೆ.  


ಇಂತಹ ಕನಸನ್ನು ವಿದೇಶದಲ್ಲಿ ನನಸಾಗಿಸಿಕೊಳ್ಳುವದು ತುಂಬಾ ಮೆಚ್ಚುಗೆಯ ವಿಷಯವೇ ಸರಿ. ಇಂತಹ ಸಾಧನೆ ಜರ್ಮನಿಯಲ್ಲಿ  ಮಾಡಿದ ನಮ್ಮ ಮಿತ್ರವೃಂಗದಲ್ಲಿ ಶ್ರೀಮತಿ ರಶ್ಮಿ ಮತ್ತು ಶ್ರೀ ಕೀರ್ತಿರಾಜ ಪಾಟೀಲ ದಂಪತಿಗಳು ಕೂಡ ಒಬ್ಬರು. ಅವರ ಮನೆಯ ಗೃಹಪ್ರವೇಶದ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮವನ್ನು ಎಲ್ಲರಂತೆ ಹತ್ತರಲ್ಲಿ ಹನ್ನೊಂದು ಎನ್ನುವಂತೆ ಮಾಡದೇ ವಿಶಿಷ್ಟ ರೀತಿಯಲ್ಲಿ ಮಾಡಿದ್ದೆ ಈ ಲೇಖನಕ್ಕೆ ಕಾರಣ ಎಂದರೆ ತಪ್ಪಿಲ್ಲ.


ಈ ತರಹದ ದೇವತಾಕಾರ್ಯಗಳನ್ನ ಜರ್ಮನಿಯಲ್ಲಿ ನೆರವೇರಿಸಬಹದು ಎಂಬ ಊಹೆಯು ಯಾರಿಗೂ ಇರಲಿಕ್ಕಿಲ್ಲ , ಕಾರಣ ಇಲ್ಲಿ ಹಿಂತಹ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮಗಳಿಗೆ ಬೇಕಾಗುವ ಮೂಲ ಸಂಪನ್ಮೂಲಗಳ ಕೊರತೆ. ಆದರೆ ಪಾಟೀಲ ದಂಪತಿಗಳ ಕೂಲಂಕುಷವಾದ ಯೋಜನೆಗಳಿಂದ ಇಂತಹ ವಂದು ಬಹಳ ಅಪರೂಪದ ಗೃಹಪ್ರವೇಶಕ್ಕೆ ನಾವು ಸಾಕ್ಷಿಯಾದೆವು.


ಗೃಹಪ್ರವೇಶಕ್ಕೆ ಶ್ರೀಯುತ ವೀರಭದ್ರಯ್ಯ ಹಿರೇಮಠ ಎಂಬ ಸ್ವಾಮಿಗಳನ್ನು ನಮ್ಮ ಭಾರತದಿಂದ ಕರೆಯಿಸಿ ತುಂಬಾ ಸಂಪ್ರದಾಯಕವಾಗಿ ನವಗ್ರಹ ಪೂಜೆ, ಹೋಮ, ಶ್ರೀ ಸತ್ಯನಾರಾಯಣ ಪೂಜೆ,  ಶ್ರೀ ವರದಾಶಂಕರ  ಹಾಗೂ ಮಹಾಲಕ್ಷ್ಮಿ ಪೂಜೆಗಳನ್ನು ಮೂರು ದಿವಸಗಳ ಕಾಲ ವಿಜೃಂಭಣೆಯಿಂದ ತಮ್ಮ ಆಪ್ತಮಿತ್ರವರ್ಗದವರೊಂದಿಗೆ  ಆಚರಿಸಿದರು.  ದೇವರ ಅಲಂಕಾರ, ಮನೆಯ ಅಲಂಕಾರಗಳನ್ನು ನೋಡಲು ಎರಡು   ಕಣ್ಣುಗಳು ಸಾಲದಾಗಿದ್ದವು . ಮನೆಯಲ್ಲ ಕೆಂಪು ಹಳದಿ ಹೂವುಗಳು ಹಾಗು ದೀಪಗಳಿಂದ ಅಲಂಕೃತವಾಗಿತ್ತು. ಬಾಗಿಲಲ್ಲಿ ಮನಸೆಳೆಯುವ  ರಂಗೋಲಿಯ ಚಿತ್ತಾರ ಮನೆಸೂರೆಗೊಂಡಿತ್ತು.  ಅಷ್ಟೇ ಅಲ್ಲದೆ ನೆರೆಹೊರೆಯ ಜರ್ಮನ್ ಕುಟುಂಬದವರು ಪೂಜಾ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮಗಳನ್ನು ಮುಗಿಯುವವರೆಗೂ ಕುಳಿತುಕೊಂಡು ವೀಕ್ಷಣೆ ಮಾಡಿದ್ದೂ ನಿಜಕ್ಕೂ ಅಚ್ಚರಿಯಾಗಿತ್ತು.


ಇದಕ್ಕೆಲ್ಲ ಕಳಸವಿಟ್ಟಂತೆ ಭಾರತೀಯ ಶೈಲಿಯ ಪುಷ್ಕಳವಾದಂತಹ ಭೋಜನ ಇನ್ನೂ ನೆನಪಿನಲ್ಲಿ ಉಳಿಯಯುವಂತಾಗಿದೆ. ನಾವಷ್ಟೇ ಅಲ್ಲದೆ ಜರ್ಮನಿಯ ನಾಗರಿಕರೂ ಕೂಡ ರುಚಿಯಾದ ಭೋಜನವನ್ನು ಸಂತೃಪ್ತಿಯಿಂದ ಸವಿದರು. ಗೃಹಪ್ರವೇಶದ ಸಮಾರಂಭಕ್ಕೆಂದೇ ಭಾರತದಿಂದ ಬಂದಿಳಿದ ಶ್ರೀಮತಿ ರಶ್ಮಿಯವರ ಮಾತಾಪಿತೃರ ಮಾರ್ಗದರ್ಶನದಲ್ಲಿ ನಡೆದ ಪೂಜಾ ವಿಧಿವಿಧಾನಗಳಲ್ಲಿ ಎಳ್ಳಷ್ಟೂ ನ್ಯೂನ್ಯತೆಗಳಾಗಲಿಲ್ಲ. ಅವರ ತಾಯಿಯವರು ತಯಾರಿಸಿದ ಚಕ್ಕುಲಿ, ಕರ್ಚಿಕಾಯಿ, ಅವಲಕ್ಕಿ ಇತ್ಯದಿ ತಿಂಡಿತಿನುಸುಗಳ ರುಚಿಯಂತೂ ಬಾಯಿ ಚಪ್ಪರಿಸುವಂತಿತ್ತು. ನಮಗೆಲ್ಲ ಭಾರತದಲ್ಲಿದ್ದು ಮನೆಯಲ್ಲಿಯೇ ಹಬ್ಬ ಆಚರಿಸಿದ ಅನುಭವ ಇನ್ನು ಮನದಾಳದಲ್ಲಿ ಹಸಿರಾಗಿದೆ.


'ಪರಸ್ಥಳ ಪ್ರಾಣಸಂಕಟ' ಎಂಬ ಗಾದೆಯಿರುವಾಗ ಪ್ರದೇಶವಾದ ಜರ್ಮನಿಯಲ್ಲಿ ಕೂಡ ನಮ್ಮ ಸಂಸ್ಕೃತಿಗನುಗುಣವಾಗಿ ಸಕಲ ವಿಧಿವಿಧಾನಗಳೊಂದಿಗೆ 'ಗೃಹಪ್ರವೇಶ' ಮಾಡಬಹದು ಎಂಬುದನ್ನು ತೋರಿಸಿಕೊಟ್ಟ ಪಾಟೀಲ ದಂಪತಿಗಳಿಗೆ ನಾವು ಅಭಿನಂದನೆ ಸಲ್ಲಿಸುತ್ತೇವೆ.  ಇಂತಹ ಶುಭಕಾರ್ಯಗಳು  ಮತ್ತೆ ಜರ್ಮನಿಯಲ್ಲಿ ನಡೆಯಲಿ, ನಮಗೆ ಪಾಲ್ಗೊಳ್ಳುವ ಅವಕಾಶ ಸಿಗಲಿ ಎಂಬ ಹಾರೈಕೆಗಳೊಂದಿಗೆ .. 


- ಪಾಟೀಲ ದಂಪತಿಗಳ ಮಿತೃಬಾಂಧವರು.

Germany में भांग वैध

संघीय स्वास्थ्य मन्त्री ने Germany में भांग (Cannabis) की काला बाज़ारी समाप्त करने के लिए इसे कानूनी रूप से नशीले पदार्थों की श्रेणी में वर्गीकृत नहीं करने और इसे वैध बनाने के संघीय मन्त्रि-मण्डल के निर्णय को प्रस्तुत किया है. इस निर्णय में कहा गया है कि 18 साल से अधिक आयु के लोगों को तीस ग्राम तक Cannabis, जिस में इस के सक्रिय संघटक THC (Tetrahydrocannabinol) की मात्रा एक प्रतिशत से कम हो, रख सकेंगे. license प्राप्त विशेषज्ञ दुकानों और pharmacies में इसकी बिक्री की अनुमति दी जाएगी. लोगों को Cannabis के अधिकतम तीन पौधे उगाने की अनुमति होगी. लेकिन doctors ने Cannabis के सेवन के कारण युवा लोगों में "मस्तिष्क की अपूर्णीय क्षति" की चेतावनी दी है. उनके अनुसार मानव मस्तिष्क 25 वर्ष की आयु तक पूरी तरह से परिपक्व नहीं होता है. और इसकी कोई guarantee नहीं कि 18 वर्ष से कम उम्र के युवाओं को भांग कानूनी रूप से प्राप्त ना हो. federal centre for health education के अनुसार बारह से 17 वर्ष की आयु के ग्यारह प्रतिशत लड़कों और आठ प्रतिशत लड़कियों ने धूम्रपान किया है. association of German criminal investigators (BDK) ने चेतावनी दी है कि यदि वयस्क कानूनी रूप से ख़रीद सकेंगे तो अवैध dealer ग्राहकों के रूप में युवा लोगों पर अधिक ध्यान केन्द्रित करेंगे. लेकिन क्या यह निर्णय कानूनी तौर पर पारित होगा, यह अभी नहीं कहा जा सकता. भांग से निपटने के लिए अन्तर राष्ट्रीय और European कानूनी नियम Germany में इस के रास्ते में आ सकते हैं.

Berlin में भारतीय वरिष्ठ नागरिकों का प्रथम सम्मेलन

जब ना तो भारत विभाजित था और ना ही Germany. तभी से भारतीय मूल के लोग Germany में उच्च शिक्षा के लिए आते रहे हैं. Germany की शिक्षा प्रणाली, विशेष कर तकनीक के क्षेत्र में उच्च कोटि की मानी जाती थी, जब कि information technology में आज भारतीय मूल के लोगों की मांग सारी दुनिया में है. किन्तु यहां बात हम भारतीय मूल के वरिष्ठ नागरिकों की कर रहे हैं. इन्हीं नागरिकों में मेरी भी गिनती है.


मेरा Berlin आना Germany के विभाजन के बाद ही हुआ. Berlin के लगभग बीचों-बीच एक दीवार थी. इसे पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में बांट दिया गया था. पश्चिमी हिस्से में बसने वाले भारतीयों की संख्या सन 1978 में मात्र तीन हज़ार सात सौ थी, और पूरी पश्चिमी Germany में पचास हज़ार. Berlin के पश्चिमी हिस्से में एक संस्था है जिस का नाम "भारत मजलिस" है. इस संस्था की स्थापना सन 1933 में उस समय विदेशों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने Berlin में की थी. यह Europe की पहली भारतीय संस्था है. नाजी राज्य में इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था. 1957 में इसकी पुनर्स्थापना हुई. इतिहास की गहराई में ना जाते हुए इतना बताना आवश्यक है कि राजधानी Germany की अब Berlin नहीं Bonn शहर में हो गई थी. इस लिए सभी दूतावास वहां स्थानांतरित कर दिए गए थे. Berlin में भारतीय संस्कृति के प्रचार और प्रसार का पूरा ज़िम्मा भारत मजलिस के कन्धों पर था. सन 1975 में Berlin में भारतीय कला का संग्रहालय खोला गया और इसी संग्रहालय में हर वर्ष भारतीय सांस्कृतिक सप्ताह का आयोजन भारत मजलिस की तरफ़ से होने लगा. भारत से जाने माने कलाकारों को बुलाया जाता जैसे कि पण्डित रवि शंकर, बिस्मिल्लाह खान, बिरजू महाराज, श्रीमान चौरसिया इत्यादि. इस समारोह में जो पत्रिका छपती उसमें भारत के प्रधान मन्त्री और Berlin के नगर-निगम के सन्देश भी छपा करते थे .Berlin का सारा भारतीय समाज बढ़ चढ़ कर इस में सहभागी होता तथा अन्य शहरों से भी सम्मानित अतिथि गण आया करते थे.


मजलिस नाम भारत से आने वाले हिन्दू और Muslim विद्यार्थियों ने रखा था. इसी संस्था का president सन 1983 में मुझे चुना गया. सदस्य संख्या थी 150. Brandenburg Straße में तीन कमरों का किराए का मकान था. इसी के एक कमरे में गुरुद्वारा बनाया गया था. भारतीय समाज का यह एकमात्र अड्डा था. हर शुक्रवार को यहां जमावड़ा होता. खाने-पीने के अलावा भारतीय त्योहार भी मनाए जाते और छोटे मोटे सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते. भारतीय मूल के बड़े बड़े कलाकार यहां आते, जैसे कि इरशाद पञ्जतन (Irshad Panjatan), pantomime के हुनर में दुनिया में इनका सानी नहीं. Germany की कई फिल्मों में इन्होने अदाकारी की है. "मानिटू का जूता" (Der Schuh des Manitu) नाम की फिल्म में इन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई. इसे उस वर्ष की सर्व-श्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी मिला. आपकी उम्र इस समय 90 वर्ष की है, Germany में इन्हें 50 वर्ष से भी अधिक हो गए हैं, पत्नी German है. किन्तु इन्होने Germany की नागरिकता कभी भी स्वीकार नहीं की. अभी भी भारत का passport बड़े गर्व के साथ दिखाते हैं. राज्य श्री रमेश, इन्होने नृत्य भंगिमाओं पर doctorate की है. धीरज Roy ने Berlin की संगीत अकादमी से गायन में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. अन्य भी कई उल्लेखनीय नाम जैसे की Dr. ब्रून, Dr. त्रिपाठी जैसे indologists. 


Berlin की दीवार गिरने के बाद मजलिस के कमरों का किराया बढ़ जाने के कारण उन्हें छोड़ना पड़ा. इस के बाद कुछ और ठिकानों पर सदस्यों को जमा करने का प्रयत्न किया गया. पर वो बात नहीं बन पाई जो 1983 में थी. सब लोग तितर बितर हो गए. दूतावास अब Berlin आ गया था. उनका सांस्कृतिक विभाग भी. नए विद्यार्थियों और IT के लोगों के बीच उन लोगों को भुला दिया गया जिन्होंने Germany में भारत की पहचान बनाई थी. Berlin के भारतीय दूतावास से कई बार निवेदन करने के पश्चात भी जब वयस्क नागरिकों की उपेक्षा होती रही. तब इसी शहर के एक वयस्क नागरिकों की गतिविधियों से सम्बन्धित संस्था में उन लोगों के सम्मान में एक आयोजन किया गया जिन्होंने स्वदेश और विदेश में भी अपनी सेवाएं प्रदान की हैं और नाम कमाया है. इन्हीं में एक नाम सुप्रसिद्ध लेखक आरिफ नक्वी का भी है. आप हिन्दी और उर्दू भाषा में कई पुस्तकें लिख चुके हैं. Berlin शहर में हिन्दी भाषा का अध्यापन भी आप कर रहे है. इस आयोजन का मकसद यही था कि अभी हम ज़िन्दा हैं और दमदार भी हैं, इतनी आसानी से हमें नहीं भुलाया जा सकता. कार्यक्रम में भारतीय मूल के ये सभी वयस्क नागरिक उपस्थित थे, जिन की उम्र साठ से नब्बे वर्ष तक की थी. कुछ लोग बीस तो कुछ तीस साल के बाद मिले. इस संस्था में विकलांग लोगों के आने-जाने की पूरी सुविधा है. पहले भी अन्य देशों के वयस्क नागरिक यहां मिलते रहे हैं. भारतीय मूल के लोगों और उनकी German तथा भारतीय सहभगिनों के लिए इस प्रकार का यह पहला आयोजन था.

सुशीला शर्मा-हक

Articles-2023

शनिवार 28 January 2023 को Berlin की सांस्कृतिक संस्था INDCC ने Berlin स्थित भारतीय राज-दूतावास के सहयोग से और भारतीय राजनयिक श्री हरीश परवाथनेनी की शिरकत के साथ भारतीय गणतन्त्र दिवस मनाया. इस में सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ साथ कई भारतीय पेशेवर और उत्साही कलाकारों द्वारा बनाई गइ कला-कृतियां भी पेश की गईं. उन में से Munich निवासी नितन रमेश द्वारा बनाई गई एक यथार्थवादी कला-कृति ने विशेष तौर पर वाहवाही लूटी जिस में भारतीय प्रधान-मन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय विदेश मन्त्री श्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर को चित्रित किया गया है. यह कला-कृति उन्होंने जून 2022 में मोदी जी की G7 के 48वें शिखर सम्मेलन में शिरकत के दौरान की गई Munich यात्रा के कारण अधुरी छोड़ दी थी.


म्युनिक के Carbon Shuttles नामक badminton club ने 25 फरवरी 2023 को दूसरी बार शौकिया प्रतियोगिताएं आयोजित कीं जिनमें 60 teams यानि 120 खिलाड़ियों ने भाग लिया। Men’s intermediate doubles में विनय और रुमन विजेता घोषित हुए, Men’s Advanced में मयूर और Tang San, Mixed Doubles में उदय और Ekatrina. ये प्रतियोगिताएं म्युनिक शहर के थोड़ा बाहर Neufahrn के Alpha Club में आयोजित की गईं। आयोजन में राघव, अभिषेक, स्कंद, यतीश और किरण ने भरपूर मदद की। Carbon Shuttles badminton club 21 जून 2022 को बैंक क्षेत्र में कार्यरत मयंक कुमार द्वारा म्युनिक के शौकिया badminton खिलाड़ियों को समुदाय, रंग, देश आदि के बीच अंतर किए बिना सामुदायिक जुड़ाव और एक सांझा मंच प्रदान करने के लिए बनाया गया था। Carbon Shuttles' के Facebook group में आज लगभग 600 सदस्य हैं।

भारत के लोकप्रिय और विवादित हास्य कलाकार (comedian) कुणाल कामरा का Europe tour अभी हाल ही में समाप्त हुआ. Europe में उनके आठ शहरों (London, Slough, Munich, Cologne (Köln), Berlin, Paris, Dublin और Amsterdam) में शो आयोजित हुए, जिन में जम कर भीड़ एकत्रित हुई. लोगों ने कामरा के सधे हुए हास्य भाव और हल्के फ़ुल्के गाली गलोच के साथ राजनीति, धर्म, corporate culture और सामान्य जीवन पर कसे हुए चुटकुलों का खूब मजा लिया. ये शो Europe की कुछ companies ने मिल कर किए जैसे Netherlands की 'Serious Time Pass Films', Munich की 'Munich Timepass', Köln की 'NRW Events' इत्यादि. ये companies पिछले कुछ सालों से नियमित, लगभग हर महीने एक विभिन्न कलाकारों को Europe में आमन्त्रित कर रही हैं. पिछले महीनों में अनेक कलाकार Europe आ चुके हैं, जैसे कानन गिल्ल, अनुभव सिंह बस्सी, जसप्रीत सिंह, पीयूश मिश्रा (गायक और अभिनेता). इस वर्ष भी अनेक कलाकारों के Europe आने की योजना है, जैसे march में हर्ष गुजराल, उस के बाद विपुल गोयल, राहुल सुब्रामनियम, आकाश गुप्ता, अरविन्द SA, Kenny Sebastian, अतुल खत्री आदि.


Munich Kannadiguru club ने 26 February को Schwabing Jugendhaus में लगभग 80 प्रतिभागियों के साथ अनेक board and indoor games की प्रतियोगिताएं आयोजित कीं. सुबह नौ बजे ले कर लगभग दो बजे तक शतरञ्ज, सांप-सीढ़ी, चौका बारा, Uno, Memory, quiz, table football और table tennis की श्रेणियों में कुल लगभग सौ प्रतियोगिताएं हुईं. हर प्रतिभागी अधिकतम तीन श्रेणियों में भाग ले सकता था. हर श्रेणी में विजेता और उपविजेता को पुरस्कार दिए गए. पुरस्कार वितरण के बाद वहां उपस्थित लगभग 120 लोगों ने एक साथ घर से लाया हुआ भोजन किया (potluck). MK club हर तिमाही में ऐसी प्रतियोगिताएं आयोजित करना चाहता है.

बुधवार, 13 नवंबर 2024

Articles

पुराने diaper, नए रंग


Germany में हर साल 100,000 टन से अधिक disposable diaper कूड़े में फेंक दिए जाते हैं. उनके साथ बहुत सारा मूल्यवान कच्चा माल भी व्यर्थ हो जाता है. यह एक पर्यावरणीय समस्या है, क्योंकि अब तक केवल मजबूत acids का उपयोग कर के pads में मौजूद सुपर-अवशोषक का पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता था. पर अब इन्हें इन्हें आसानी से और आम तापमान पर recycle करने की सम्भावनाएं नज़र आ रही हैं. Karlsruhe Institute of Technology के शोध-कर्ता UV किरणों का उपयोग कर के polymer श्रृंखलाओं को तोड़ने में सफ़ल हो गए हैं, बिना किसी रसायन के, कमरे के तापमान पर और पहले की तुलना में 200 गुना तेज़ी से. फिर उन्हें आगे चिपकने वाले पदार्थों और रंगों में संसाधित किया जा सकता है.




क्या Colorado नदी मर रही है?


Colorado नदी एक समय एक शक्तिशाली नदी थी जो Rocky Mountain National Park में अपने स्रोत से ले कर USA के दक्षिण-पश्चिम में Mexico तक 2,000 km से अधिक दूरी तक बहती थी. इस के पानी से Grand Canyon जैसे कई शानदार परिदृश्य बने. अन्त में यह एक विशाल delta के द्वारा California की खाड़ी में बह जाती है. इस delta से प्रवासी पक्षी आकर्षित होते थे और वहां रुकते थे. Las Vegas जैसे शहरों से ले कर इस के तटों पर रहने वाली मछली पकड़ने और खेती करने वाली स्वदेशी जन-जातियों सहित लगभग साढे चार करोड़ लोग इस नदी के पानी पर निर्भर हैं. इसकी नहरों द्वारा Los Angeles, San Diego और phoenix जैसे शहरों को पानी मिलता है. लेकिन आज Colorado नदी केवल एक दयनीय धारा बन कर रह गई है और यह समुद्र तक भी नहीं पहुंच पाती है. इसका delta सूख चुका है और नमकीन हो चुका है. पक्षी भी अब वहां नहीं रुकते हैं और आगे बढ़ जाते हैं. नदी के सूखने का कारण पर्यावरण परिवर्तन के साथ साथ कपास के बागान जैसी औद्योगिक कृषि भी है जिस के लिए बहुत बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है. विशाल बांधों की झीलों की स्तह से इतना पानी वाष्पित हो जाता है कि इन में से अब आधी से कम बची हैं. बचाव कार्यों का कोई प्रभाव नज़र नहीं आ रहा. इस के तटों पर Europe से आयातित किए गए Tamarix नामक एक पौधे की झाड़ियां उगती हैं जिन्हें बहुत पानी चाहिए होता है. अमेरिकी कृषि विभाग ने इस पौधे को खाने वाला एक कीट छोड़ा पर फिर भी Colorado नदी पर कोई खास असर नहीं हुआ. इस के विपरीत उस की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन यह पूरी तरह सूख जाएगी.




दुनिया का सब से बड़ा खेल मैदान


दुनिया के सब से बड़े खेल स्थल में baseball या football नहीं बल्कि cricket खेला जाता है. 132,000 दर्शकों के लिए विशाल मैदान 'नरेन्द्र मोदी stadium' भारतीय शहर अहमदाबाद के मोटेरा ज़िले में स्थित है और इसे February 2020 में पिछले stadium की site पर फिर से खोला गया. इस में रहने के लिए apartments, indoor व्यायाम क्षेत्र और एक swimming pool भी है. इस stadium का कुल क्षेत्र-फल लगभग 250,000m² है. भारत में cricket को सब से महत्वपूर्ण खेल माना जाता है. 18वीं शताब्दी में British नाविक इस खेल को भारत लाए. उत्तर Korea के एक stadium में मूल रूप से 150,000 दर्शक बैठ सकते थे, लेकिन पूर्ण नवीनीकरण के बाद, अनुमान के अनुसार अब यह संख्या 114,000 है.




Hitler Beetle


1945 तक Germany में Adolf Hitler के नाम पर अनेक सड़कें, पुल और चौक थे. आज के समय में केवल कीड़े, एक भृंग (beetle) का नाम Hitler पर है, 'Anophthalmus hitleri'. यह भूरे रंग का लगभग 5mm लम्बा बिना आंखों वाला भृंग है जो Slovenia की गुफ़ाओं में रहता है. Oscar Scheibel (1881-1953) नामक एक Austrian भृंग संग्रहक ने 1937 में इस प्रजाति को उस समय के Chancellor के सम्मान में यह नाम दिया. ज़ाहिर तौर पर उस समय यह नाम उचित था. प्राणी-शास्त्रीय नामकरण के अन्तर-राष्ट्रीय स्तर पर लागू नियमों (International Code of Zoological Nomenclature, ICZN) के अनुसार, नाम को बाद में नहीं बदला जा सकता है. ICZN जानवरों के वैज्ञानिक नामकरण को नियन्त्रित करता है. प्रत्येक प्रजाति का एक अलग नाम होना चाहिए ताकि दुनिया भर के शोध में यह हमेशा स्पष्ट रहे कि कौन से जानवर की बात हो रही है. इसी लिए ICZN ने Hitler Beetle का नाम बदलने से इनकार कर दिया. आयोग को डर है कि अगर Hitler beetle को नया नाम दिया गया तो उस के नियम कमज़ोर हो जाएंगे और भ्रम पैदा होगा. संगठन अनुपयुक्त नामों की बाद में जांच और समायोजन की अनुमति नहीं देना चाहता. सभी पशु प्रजातियों में से लगभग 20 प्रतिशत का नाम लोगों के नाम पर रखा गया है. एक बार नाम बदलना शुरू होने पर, सैकड़ों-हज़ारों नामों को चुनौती दी जा सकती है क्योंकि किसी को वे अनुपयुक्त लगते हैं. हालांकि प्राणी-शास्त्र में कई लोग कम से कम सब से ख़राब तानाशाहों और औपनिवेशिक अपराधियों को प्रायोजन के सम्मान से वंचित करने का आह्वान कर रहे हैं. (Katapult Nr. 32, Wikipedia)




Munich की जिला अदालत ने 73 वर्षीय star chef Alfons Schuhbeck, जो कई TV shows और कई रेस्त्रां आदि की वजह से लोक-प्रिय हैं, को 2009 और 2015 के बीच बाइस लाख Euro की कर चोरी के मामले में तीन साल दो महीने की बिना parole के jail की सजा सुनाई है और बारह लाख Euro की जब्ती का आदेश दिया है. लेकिन हो सकता है कि Schuhbeck इस के विरुद्ध appeal करें.




tennis जगत की चार सब से बड़ी सालाना स्पर्धाओं (Grand-Slam) में छह बार विजय प्राप्त कर चुके 55 वर्षीय German tennis खिलाड़ी Boris Becker को 15 December 2022 को UK की Huntercombe jail से रिहा कर दिया गया और वे Germany वापस आ गए. April अन्त में UK में दिवालिया कार्यवाही में सम्पत्ति छुपाने के जुर्म में उन्हें ढाई साल jail की सजा हुई थी जो सामान्यत: अक्तूबर 2024 तक चलनी थी. लेकिन अभी उन्हें विदेशी कैदियों के लिए एक खास नियम के अधीन इस शर्त पर रिहा कर दिया गया कि वे तत्काल UK छोड़ दें.




Film महोत्सव के हिस्से के रूप में 23 जून को Deutsch-Indische Gesellschaft e.V., Stuttgart द्वारा लोक-प्रिय सितार वादक प्रदीप गुप्ता और उनके सह-कलाकारों का उत्कृष्ट राग संगीत प्रस्तुत किया गया और नृत्य प्रदर्शन के रूप में भगवान गणेष और कृष्ण की कथाएं प्रस्तुत की गईं. इस के अलावा आयोजकों ने पटना (बिहार) में नेत्रहीन बच्चों के लिए "रौशनी" नामक एक स्कूल की प्रस्तुति दी.  यह परियोजना DIG Stuttgart के प्रबन्ध निदेशक श्री बिमल अग्रवाल के मार्ग-दर्शन में सम्पन्न हुई. इस ख़ूबसूरत शाम में उत्कृष्ट भारतीय भोजन और jutevital company की ताज़ा पटसन की चाय भी उपलब्ध थी. Tiziana Zamponi, अनुवाद: प्रियंका आढा




Berlin निवासी डॉ॰ योजना साह जैन Healthprax नामक healthcare company की संस्थापक होने के साथ साथ एक हिन्दी लेखिका भी हैं. दो हिन्दी पुस्तकों (कविता संग्रह 'कागज़ पे फुदकती गिलहरियां', भारतीय ज्ञान-पीठ, 2019 और कहानी संग्रह 'इमली का चटकारा', प्रभात प्रकाशन) के अलावा उनके अनेक लेख, कविताएं और कहानियां भारत की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई हैं. कई देशों में आयोजित अनेक कवि सम्मेलनों, लेखन कार्य-शालाओं और सम्मेलनों में वे भाग लेती रही हैं. हिन्दी में सम्मानित कार्यों के लिए वे 'श्रेष्ठ साहित्य सृजन सम्मान', 'साहित्य रत्न', 'साहित्य शिरोमणि', 'मैथिलीशरण गुप्त सम्मान', 'साहित्य प्रज्ञा सम्मान', 'हिन्दी सेवी सम्मान', 'Golden Pinnacle Award', 'Indian Legacy Award' सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हैं. वे YouTube पर 'Yojna's Candid Talk Show' नामक धारावाहिक भी चला रही हैं. healthcare expert के रूप में वे TEDx NIT Rourkela पर एक व्याख्यान भी दे चुकी हैं.




02.08.2022 ਨੂੰ ਡਾ. ਅੰਬੇਡਕਰ mission Society Europe 'Germany' ਵੱਲੋਂ consulate ਡਾ. ਅਮਿਤ ਤੇਲੰਗ ਜੀ Frankfurt ਵਿਖੇ ਬੋਧੀ ਲੀਡਰ, ਕਈ ਕਿਤਾਬਾਂ ਦੇ ਲੇਖਕ ਅਤੇ ਭੀਮ ਪਤਰਿਕਾ ਕੱਢਣ ਵਾਲੇ ਸ਼੍ਰੀ ਲਹੋਰੀ ਰਾਮਬਾਲੀ (L.R.Balley) ਜੀ ਦੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿੱਚ ਲਿਖੀ ਕਿਤਾਬ 'ਅੰਬੇਡਕਰ life ਅਤੇ mission' ਭੇਂਟ ਕੀਤੀ ਗਈ. consulate ਡਾ. ਤੇਲੰਗ ਜੀ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ German ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਕਰਨ ਦਾ ਵਾਇਦਾ ਵੀ ਕੀਤਾ. ਇਸ ਦੌਰਾਨ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ passport ਅਤੇ OCI card ਦੇ ਸੰਬੰਧ ਵਿੱਚ ਮੁਸ਼ਕਲਾਂ ਦਾ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਨਿਪਟਾਰਾ ਵੀ ਕੀਤਾ. ਡਾ. ਸਾਹਿਬ ਮਿਲਣਸਾਰ ਅਤੇ ਚੰਗੇ ਸੁਭਾਅ ਦੇ ਇਨਸਾਨ ਹਨ. ਸਾਰੀ ਗੱਲ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਸੁਣਦੇ ਹਨ. ਕਿਤਾਬ ਭੇਂਟ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸੋਹਨਲਾਲ ਸਾਪਲਾ (ਪ੍ਰਧਾਨ), ਮਨਦੀਪ ਥਿੰਦ, ਬੱਬਾ ਸਿੰਘ ਗਿੱਲ ਅਤੇ ਸਹਾਇਕ consulate ਅਜੇਨਾਥ ਔਜਾਹ, ਅਮਰਨਾਥ ਮੀਨਾ ਜੀ ਸਨ. ਬਾਦ ਵਿੱਚ ਸਾਪਲਾ ਜੀ ਨੇ ਸਭ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕੀਤਾ.




মিউনিখত অসমীয়া আড্ডা


ভাৰতৰ বিভিন্ন অঞ্চলৰ ভাল সংখ্যক লোক মিউনিখত বাস কৰে. আমি জনাত মিউনিখত প্ৰায় ১০০ জন অসমীয়াও থাকে. যোৱা মাহত এটা শনিবাৰে সন্ধিয়া আমাৰ প্ৰায় ২৫ জনে ইংলিচাৰ গাৰ্টেনত লগ কৰিছিলোঁ. যদিও বেছিভাগ মানুহ মিউনিখৰ পৰা আহিছিল, কিছুমানে আউগছবাৰ্গৰ পৰা যাত্ৰা কৰিছিল আৰু এজন আনকি উলমৰ পৰাও আহিছিল. আমি সকলোৱে একেলগে খেল খেলি, খাদ্য উপভোগ কৰি আৰু গীত গাই এটা সুন্দৰ সন্ধিয়া কটালোঁ. আমি এতিয়াৰ পৰা অধিক নিয়মীয়াকৈ লগ কৰাৰ পৰিকল্পনা কৰিছো. প্ৰগতি প্ৰাণ বড়া




ਕਬੱਡੀ Tournament Frankfurt


17 ਜੁਲਾਈ 2022 ਨੂੰ ਬਾਬਾ ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਲੁਭਾਣਾ ਸਿੱਖ Welfare Association (Regi.) Frankfurt ਵੱਲੋਂ ਸੰਤ ਬਾਬਾ ਪ੍ਰੇਮ ਸਿੰਘ ਮੁਰਾਲੇ ਵਾਲਿਆਂ ਜੀ ਦੀ ਮਿੱਠੀ ਅਤੇ ਨਿੱਘੀ ਯਾਦ ਵਿੱਚ 23ਵਾਂ ਕਬੱਡੀ Tournament ਅਤੇ ਸੱਭਿਆਚਾਰਕ ਮੇਲਾ ਕਰਵਾਇਆ ਗਿਆ. ਪੰਜ ਕਬੱਡੀ ਟੀਮਾਂ ਦੇ ਆਪਸ ਵਿੱਚ 6 ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਕਬੱਡੀ Club Köln ਜੇਤੂ ਹੋਈ ਜਿਸਨੂੰ 3100 ਯੂਰੋ ਦੇ ਇਨਾਮ ਨਾਲ ਸਨਮਾਨਿਤ ਕਿੱਤਾ ਗਿਆ. Punjab Sports Club Amsterdam runner up ਘੋਸ਼ਿਤ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਉਸ ਟੀਮ ਨੂੰ 2500 ਯੂਰੋ ਦੇ ਇਨਾਮ ਨਾਲ ਸਨਮਾਨਿਤ ਕਿੱਤਾ ਗਿਆ. ਗੁਰੂ ਕਾ ਲੰਗਰ ਹੈਪੀ ਸੱਲਾਂ ਪਰਿਵਾਰ ਵੱਲੋਂ ਲਗਾਇਆ ਗਿਆ. ਡਾ. ਅੰਬੇਡਕਰ mission Society Europe 'Germany' ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸੋਹਨਲਾਲ ਸਾਪਲਾ ਵੱਲੋਂ ਸੰਸਥਾ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਹਰਭਜਨ ਸਿੰਘ ਕੈਰੋਂ, ਚੇਅਰਮੈਨ ਕਰਨੈਲ ਸਿੰਘ, ਮੀਤ ਪ੍ਰਧਾਨ ਗੁਰਮੇਲ ਸਿੰਘ ਪਿਹੋਵਾ, ਗੁਰੁਦ੍ਵਾਰਾ ਸਿੰਘ ਸੈਂਟਰ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਬਲਕਾਰ ਸਿੰਘ, ਬੱਬਾ ਸਿੰਘ ਗਿੱਲ, ਨਿਰਮਲ ਸਿੰਘ ਨਿੰਮਾ, ਸਾਬਕਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਕੁਲਵੰਤ ਸਿੰਘ, ਪਾਲਾ ਸਿੰਘ, ਸੁਰਾਇਣ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਬਾਕੀ ਕਮੇਟੀ members ਨੂੰ ਕਬੱਡੀ ਖੇਡ ਨੂੰ ਪ੍ਰਫੁੱਲਤ ਕਰਨ ਲਈ ਭਾਰਤੀ ਸੰਵਿਧਾਨ ਦਾ ਪੰਜਾਬੀ ਸੰਸਕਰਣ ਭੇਂਟ ਕੀਤਾ ਗਿਆ.








ನಾವು ಜೀವನದಲ್ಲಿ ಹಲವಾರು ಕನಸುಗಳನ್ನು ಕಾಣುತ್ತೇವೆ, ಆದರೆ ಕಂಡ ಪ್ರತಿ ಕನಸು ನನಸಾಗುವುದಿಲ್ಲ. ನನಸಾಗುವ ಕೆಲವು ಆಸೆಗಳು ಮಾಯೆಯಂತೆ ಅನಿಸುತ್ತದೆ.ನಾನು ಸಹ ಇಂಥ ಒಂದು ಕನಸನ್ನು ಕಂಡಿದ್ದೆ, ಅದೇನೆಂದರೆ ವಿದೇಶಕ್ಕೆ ಹೋಗಿ ಓದಬೇಕು ಎಂದು. ಎಲ್ಲೆ ಇಲ್ಲದ ಬಾನಿನಲ್ಲಿ ಹಾರಿ ದೇಶ ವಿದೇಶಗಳನ್ನು ಸುತ್ತಿ ಕೋಶ ಓಡಬೇಕೆಂದು. ಅಂದು ನಾನು ಬೆಂಗಳೂರಿನ ಅಂತರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ವಿಮಾನ ನಿಲ್ದಾಣದಲ್ಲಿ ನನ್ನವರಿಗೆಲ್ಲ ವಿದಾಯ ಹೇಳಿ ಒಳಗೆ ತೆರಳಿದ್ದೆ. ಚೆಕ್ ಇನ್ ಮುಗಿದು ವಿಮಾನದತ್ತ ಹೊರಡುವ ಮುನ್ನ, ಒಂದು ಬಾರಿ ಗಾಜಿನ ಕಿಟಕಿಯ ಮೂಲಕ ನನ್ನ ಪ್ರೀತಿ ಪಾತ್ರರನ್ನು ನೋಡಿದೆ, ಆ ಕ್ಷಣದಲ್ಲಿ ಮನಸ್ಸಿನಲ್ಲಿ ಹಲವಾರು ಭಾವನೆಗಳು ಮೂಡಿತ್ತು ಅದರಲ್ಲಿ ಅತಿಯಾಗಿ ದುಕ್ಕವೇ ಆಗಿದ್ದು. ನಾನು ನನ್ನ ಕನಸಿಗೆ ಸಮೀಪಿಸಿದ್ದರು ನನ್ನ ಮನಸ್ಸಿನಿಂದ ದೂರವೇ ಆಗುತ್ತಿದೆ ಎಂಬ ತಳಮಳ ಹೆಚ್ಚಾಗಿತ್ತು. ಇದು ತಂತ್ರಜ್ಞಾನದ ಯುಗ. ಅಂಗೈ ನಲ್ಲಿ ಮೊಬೈಲ್ ಹಿಡಿದು ಜಗತ್ತನ್ನೇ ಆಳ ಬಹುದಾದ ಯುಗ. ಇಂತಹ ಪೀಳಿಗೆಯಲ್ಲಿದರೂ ನನ್ನ ಜೀವನದ ಮುಖ್ಯವಾದವರಿಂದ ದೂರವಿರುವ ತಳಮಳ ನನಗೆ ತಿಳಿದಿರಲಿಲ್ಲ. ಓದಲು ನಿರ್ಧರಿಸಿದಾಗ ನಾನು ಪ್ರತಿ ಅಡಚಣೆಯನ್ನು ಎದುರಿಸಲು ಸಿದ್ದವಾಗಿದ್ದೆ, ಆದರೆ ಭಾವನಾತ್ಮಕ ಅಂಶವನ್ನು ಹೊರತು ಪಡಿಸಿ. ಮನಸ್ಸಿಲ್ಲದ ಮನಸ್ಸಿನಿಂದ ಅಂತೂ ಇಂತೂ ಹೊರಟೆ. ಹೊರಟು ವಿಮಾನದಲ್ಲಿ ಕುಳಿತು ಆಗಸದಲ್ಲಿ ತೀಲಾಡುತ್ತ ಕಣ್ಣುಗಳು ಕಂಬನಿಯ ಮಳೆಯನ್ನೇ ಸುರಿಸಿತ್ತು. ಸ್ವದೇಶದಿಂದ ಹೊರಟು ಬಂದಿದ್ದು ಜರ್ಮನಿಗೆ. ಇಲ್ಲಿನ ಜನರು ಅಪ್ಪಟ ಭಾಷಾಭಿಮಾನಿಗಳು, ಹಾಗೂ ನೇರ ಮಾತಿನವರು. ಗೋತಿಲ್ಲದ ದೇಶ ಬರದ ಭಾಷೆಯ ಮಧ್ಯ ಬಿಸಿ ತುಪ್ಪದಂತೆ ನನ್ನ ಪರಿಸ್ಥಿತಿ ಯಾಗಿತ್ತು. ಇಂತಹ ಸಂದರ್ಭದಲ್ಲಿ ನನಗೆ ಪರಿಚಯವಾಗಿದ್ದು ನನ್ನ ಜರ್ಮನಿ ಕುಟುಂಬ. ನಾವೆಲ್ಲರೂ ಜೊತೆಗೆ ಬಾರದಿದ್ದರೂ ಕೂಡ ಇದೊಂದು ಅಧ್ಯಾಯವನ್ನು ಒಟ್ಟಿಗೆ ಪ್ರಾರಂಭಿಸಿದ್ದೇವು. ನಾನು ಇಲ್ಲಿ ಕಂಡುಕೊಂಡ ಪರಿವಾರ ನನ್ನನ್ನು ಮಾನಸಿಕವಾಗಿ ಸ್ಥಿರವಾಗಿ ಇರಿಸಿತ್ತು. ಇಲ್ಲಿ ಬಂದ ಹೊಸತರಲ್ಲಿ ನನಗೆ ಉಳಿದುಕೊಳ್ಳಲು ಯಾವುದೇ ಹಾಸ್ಟೇಲ್ ಸಿಕ್ಕಿರಲಿಲ್ಲ , ಹೀಗೆ ಇರುವಾಗ ಅಪರಿಚಿತರಿಬ್ಬರು ನನಗೆ ಉಳಿದುಕೊಳ್ಳಲು ಸಹಾಯ ಮಾಡಿದರು. ಒಳ್ಳೆಯ ವಿಷಯವೇನೆಂದರೆ ಆಕೆ ಇಂದಿಗೂ ನನ್ನ ಒಳ್ಳೆ ಸ್ನೇಹಿತೆ! ನಾವು ಕೆಲವರನ್ನು ನಮ್ಮ ಜೀವನದ ಹಾದಿಯಲ್ಲಿ ಸಾಕಷ್ಟು ಸಲ ನೋಡಿದ್ದರೂ ಸಹ ವಿಧಿ ನಮ್ಮನ್ನು ಭೇಟಿಯಾಗುವ ವರೆಗೂ ಅವರೊಂದಿಗೆ ಸಂವಹಿಸಿರುವುದಿಲ್ಲ. ಹೀಗೆ ನಾನು ಬೆಂಗಳೂರಿನಲ್ಲಿದ್ದಾಗ ಅಕ್ಕಪಕ್ಕ ಇದ್ದರೂ ಗೊಟ್ಟಿರದವರು ಇಂದು ಜರ್ಮನಿಗೆ ಬಂದಮೇಲೆ ನನ್ನ ಪರಿವಾರದವರ ಹಾಗೆ ಜೊತೆಯಾಗಿದ್ದಾರೆ. ನಾವು ಎಷ್ಟೇ ದೇಶಗಳನ್ನು ಸುತ್ತಿದರೂ ಕೂಡ ಅಮ್ಮನ ಕೈರುಚಿಯನ್ನು ಬೇರೆಲ್ಲೂ ಸವಿಯಲು ಸಾಧ್ಯವಾಗುವುದಿಲ್ಲ. ನಾನು ಮೊದಲೇ ತಿಂಡಿಪೋತಿ, ಇಲ್ಲಿ ಎಷ್ಟೇ ಥರಾವರಿ ಬ್ರೀಡ್ ಸಿಕ್ಕಿದರೂ ಕೂಡ ನಮ್ಮ ಇಡ್ಲಿ ವಾಡೆ ದೋಸೆ ಪೂರಿ ಮುಂದೆ ಏನೂ ಇಲ್ಲ ಅನ್ಸತ್ತೆ. ಎಷ್ಟೇ ವಿಧವಾದ ಕಾಫಿ ಸಿಕ್ಕಿದರೂ ಕೂಡ ನಮ್ಮ ಫಿಲ್ಟರ್ ಕಾಫಿ ಥರ ಇರೋದಿಲ್ಲ. ಮನೆಯಲ್ಲಿ ಮಾಡ್ತಿದ್ದ ಹಬ್ಬ, ಹಬ್ಬದ ಅಡುಗೆ, ಆ ಸಂಬ್ರಮ ಎಲ್ಲಾ ತುಂಬಾ ನೆನಪಾಗುತ್ತೆ. ದೂರವಿದ್ದಷ್ಟೂ ಪ್ರೀತಿ ಹೆಚ್ಚು ಎಂಬ ಮಾತು ನೂರರಷ್ಟು ಸತ್ಯ, ನಾನು ಇಲ್ಲಿಗೆ ಬಂದ ನಂತರ ನನ್ನ ಕುಟುಂಬದೊಂದಿಗೆ ಅನೇಕ ಸಂಭ್ರಮಾಚರಣೆಗಳಲ್ಲಿ ನೇರವಾಗಿ ಭಾಗವಹಿಸಲು ಸಾಧ್ಯವಾಗಿಲ್ಲ ಆದರೆ ವಾಟ್ಸಾಪ್ ಫೇಸ್ಬುಕ್ ಗಳ ಸಹಾಯದಿಂದ ವರ್ಚುವಲ್ ಆಗೆ ಜೊತೆಯಾಗಲು ಸಾಧ್ಯವಾಗಿದೆ. ಒಂದೇ ನಾಣ್ಯದ ಎರಡು ಮುಖಗಳು, ಒಂದೆಡೆ ಬೇಸರ ವಾದರೆ ಇನ್ನೊಂದೆಡೆ ನಾನು ವೈಯಕ್ತಿಕವಾಗಿ ಬಹಳ ಬೆಳೆದಿದ್ದೇನೆ. ನಾನು ಈಗ ಹೆಚ್ಚು ಸ್ವಾವಲಂಬಿಯಾಗಿರುವೆ, ಹೆಚ್ಚು ಸ್ವತಂತ್ರಳುಎಂದೆನಿಸುತ್ತದೆ. ಜರ್ಮನಿಯೊಂದು ಮಾಯಾನಗರಿ, ಇಲ್ಲಿನ ಸಾರಿಗೆ ವ್ಯವಸ್ಥೆಯಾಗಲಿ, ಉತ್ತಮ ಶಿಕ್ಷಣ ವ್ಯವಸ್ಥೆಯಾಗಲಿ, ಎಷ್ಟೇ ದೇಶಗಳನ್ನು ಸುತ್ತಿದಿದರೂಕೂಡ ನಮ್ಮ ಬೀರಿಗೆ ಹಿಂಡಿರುಗಲೇಬೇಕು ಎಂಬುದು ಮನಸ್ಸಿನಲ್ಲಿ ಸ್ಥಿರವಾಗಿ ಉಳಿದಿದೆ.


ಸಿಂಧು ಸುಬ್ರಮಣ್ಯ




महाराष्ट्र की लोनावला के पास स्थित आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के विशाल केन्द्र ‘आत्मसन्तुलन village’ में 25 August को केन्द्र के संस्थापक पद्मश्री डॉ॰ बाlawsी ताम्बे के अर्द्व पुतला एवं समारक का उद्घाटन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के हाथों किया गया. श्री बाlawsी ताम्बे जी ने आयुर्वेद एवं योग का प्रचार सारी दुनिया में किया. खास कर Germany के Munich शहर में उनके बेटे सञ्जय ताम्बे ने 'सन्तुलन' के नाम से एक आयुर्वेद चिकित्सा केन्द्र खोलने में उनकी मदद की. श्री बाlawsी ताम्बे जी 10 August 2021 को 81 वर्ष की आयु में स्वर्ग सिधार गए थे. अपने सक्रिय वर्षों में विभिन्न व्याख्यान एवं कार्य-शालाएं आयोजित करने के लिए वे नियमित Germany आते रहे हैं.


www.balajitambe.com




Germany के बारे में कुछ तथ्य


Rügen Germany का सब से बड़ा द्वीप है. 2962m ऊंचाई के साथ Zugspitze Germany का सब से ऊंचा पहाड़ है. 865km के साथ Rhein Germany की सब से लम्बी नदी है. Germany में बच्चों को कम से कम नौ साल के लिए स्कूल भेजना अनिवार्य है. 13000km के साथ Germany का highway network दुनिया का चौथा सब से लम्बा network है.








बदलते दौर में व्यावसायिक ज़रूरतें भी बदलती जा रही हैं. आज के इस high technology के दौर में हर तरह के व्यवसायों के लिए अनेक सम्भावनाएं उपलब्ध हैं. फिर चाहे वह व्यवसाय का प्रचार करना (business promotion) ही क्यों ना हो. इस प्रतिस्पर्धा के दौर में व्यवसायी अपने ग्राहकों की पसन्द- नापसन्द व सुविधाओं को ध्यान रख कर अपनी services को उम्दा बनाने का हर सम्भव प्रयास करते हैं, अपने client satisfaction के लक्ष्य को पूरा कर के अपने व्यवसाय को सफ़लता के नए आयाम तक ले जाना चाहते हैं. व्यावसायिक ग्राहकीकरण (Business Customization) का बाज़ार बहुत विस्तृत है और यदि यह कहा जाए कि अन्तहीन है तो गलत नहीं होगा. restaurants, coffee shop, pizza / burger shop (या फिर कोई भी ऐसा Food and entertainment से जुड़ा व्यावसायिक केन्द्र जहां ग्राहक अपना समय बिताने के लिए कम या ज़्यादा संख्या में आते हों) में ग्राहकों को खाने पीने के साथ ही संगीत का एक अच्छा अनुभव देने के लिए एक ऐसा समाधान बनाया गया है Instore Radio नामक विशेष software के द्वारा संचालितएक एक संगीत सेवा (music service). इसे अलग अलग restaurants की ज़रूरत, दिन के अलग अलग समय व आने वाले ग्राहकों की पसन्द को ध्यान में रख कर customise किया जा सकता है. इस में restaurant manager को बार बार गाने लगाने का झंझट भी नहीं होता क्योंकि यह प्रशिक्षित Music Experts के द्वारा संचालित होता है. इस सेवा की Music Library में श्रेणी के आधार पर सैकड़ों गीत / संगीत उपलब्ध रहते हैं जो programming के आधार पर बजते रहते हैं. इस में ज़रूरत पड़ने पर कभी भी बदलाव किया जा सकता है. Instore Radio हर तरह की दुकान या व्यवसाय की ज़रूरत को पूरा करता है. यहां तक कि ग्राहकों को जानकारी देने के लिए दुकान / रेस्त्रां आदि में उपलब्ध सामान और नए जोड़े गए सामान की जानकारी देने के लिए promotional advertisement बनाने व चलाने की सुविधा भी होती है, जैसा कि हम किसी भी radio station पर सुनते हैं. Instore Radio में संगीत / गीतों के साथ ही साथ store का Brand Name भी Play किया जा सकता है जो कि ग्राहकों पर एक अलग प्रभाव छोड़ता है. वैसे तो यह हर देश की भाषा व संगीत में बनाया जा रहा है परन्तु Germany में कई भारतीय restaurants अपना Bollywood radio बजा कर अपने ग्राहकों को खाने के साथ-साथ ही साथ Indian Bollywood Radio की कमी को भी पूरा करना चाहते है वहीं कई Indo-German संगीत का Mixed Version बनवाना चाहते है. इस क्षेत्र में Customization की जितनी सम्भावनाएं है मांग भी उतनी ही अधिक है. श्रद्धा मिश्रा (Senior Media Professional, Germany)








पेशे और जुनून को बहुत कम लोग सन्तुलित कर पाते हैं. उन में से एक हैं Munich निवासी software engineer पवन प्रसाद सेतिबलीजा जिन की dance team D4Dance अब तक Germany सहित Europe के बारह देशों में एक हज़ार से अधिक stage shows और पांच सौ से अधिक कार्य-शालाएं कर चुकी है. भारत के कर्नाटक के सन्दूर में जन्मे पवन, जो साल चार वर्ष की से ही नृत्य सीखने लगे थे, ने बेलगाम में तकनीकी विश्व-विद्यालय से computer विज्ञान स्नातक की degree की. भारत में रहते हुए उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की कई नृत्य प्रतियोगिताएं जीतीं, कई dance reality shows में हिस्सा लिया, 3-Idiots सहित कुछ हिन्दी और तेलगू films में dancer के तौर पर काम किया. 2013 में Germany में नौकरी पाने के बाद वे नृत्य के अपने जुनून को German लोगों तक पहुंचाने के लिए Europe के विभिन्न शहरों में Bollywood dance, भारतीय लोक और शास्त्रीय नृत्य, freestyle dance और कई पश्चिमी नृत्य शैलियों का मिश्रण कर के flash mobs, dance shows और कार्य-शालाएं आयोजित करने लगे, जिस से स्थानीय लोगों को भारतीय नृत्य की ऊर्जा और जीवन शक्ति देखने को मिली. Berlin Bollywood Film समारोह में और पर्यटन मेले ITB में उनकी team का प्रदर्शन उल्लेखनीय है. इस के अलावा 2016 Munich में 'उड़ान-an inspiring journey to India' और 'Ana in Wonderland-Bharat of Bavaria' के शीर्षक से दो बड़े shows, जिन में दो सौ से अधिक स्थानीय कलाकारों ने भाग लिया, ने उन्हें ना केवल लोक-प्रियता की शिखर पर पहुंचाया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि बड़े shows आयोजित करने के लिए भारत से या कहीं और से कलाकारों को आमन्त्रित करना आवश्यक नहीं है. इस के अलावा Germany में रहते हुए वे शाहरुख खान, ऋतिक रौशन, सरोज खान और नरगिस फाखरी के साथ काम कर चुके हैं. 


https://d4dance-germany.de/










ठण्ड के कारण मुझे और मेरे पति सुहास को सप्ताहांत पर भी घर पर ही पड़े रहने की आदत हो गई थी. पर April 2022 के दूसरे सप्ताहांत पर अचानक थोड़ी धूप निकली और मौसम गर्म हुआ. तो हम ने अन्तत व्यस्त जीवन से विराम लेने के लिए Neuschwanstein महल देखने का मन बनाया. बर्फ़ीले Alps में बने हुए इस महल को देखने के लिए हम ने Munich Hauptbahnhof से Füssen जाने वाली train पकड़ी. यह ढाई घण्टे का सफ़र था जो निचले Bavarian क्षेत्र के सुन्दर दृश्यों का आनन्द लेते हुए बीत गया. पर जैसे ही हम Alps के भीतर पहुंचे, बर्फ़बारी शुरू हो गई. हमारे पास सर्दियों के कपड़े नहीं थे, इस लिए हम काफ़ी चिन्तित थे. महल का ticket लेने के बाद अपने शरीर को गर्म रखने के लिए हम ऊंचाई पर बने Neuschwanstein महल की ओर पैदल चलने लगे. यह लगभग बीस minute की पैदल यात्रा थी जो आस-पास के बेहद सुन्दर पहाड़ी नज़ारों को देखते हुए बीत गई. Neuschwanstein महल का tour लगभग 40 minute का था जिस में एक अनुभवी guide ने हमें महल के इतिहास और रहस्यमयी राजा Ludwig II के बारे में बताया. इस अनोखे Bavarian आकर्षण के अन्दरूनी हिस्सों को देखना बहुत दिलचस्प था. महल देखने के बाद हम आस-पास के क्षेत्र में घूमते रहे अनगिनत तस्वीरें लीं. सञ्जना सुन्द्रेष, Munich

मंगलवार, 6 अगस्त 2024

Youtube and Online Score Links for Notation Book Volume 1

IDSongTime SignatureChordyoutubenotationAlbumYear
158ये जीवन है इस जीवन का4/4Fyoutubenotationपिया का घर1972
199हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िन्दगी4/4Gyoutubenotationकल हो ना हो2003
915इक अजनबी हसीना से यूं मुलाक़ात हो गई4/4Fyoutubenotationअजनबी1974
1388अजीब दास्तां है ये6/8Fyoutubenotationदिल अपना और प्रीत पराई1959
1641छोटी सी दुनिया मुहब्बत की है मेरे पास3/4Amyoutubenotationएक लड़का एक लड़की1992
1666एक मैं और एक तू6/8Fyoutubenotationखेल खेल में1975
1691घुंघरू की तरह बजता ही रहा हूं मैं3/4Dyoutubenotationचोर मचाये शोर1974
1854जाइए आप कहां जाएंगे4/4Amyoutubenotationमेरे सनम1965
1990क्या जानूं सजन होती है क्या ग़म की शाम4/4Amyoutubenotationबहारों के सपने1967
2263पुकारता चला हूं मैं6/8Dmyoutubenotationमेरे सनम1965
2303disco प्रेमी4/4DmyoutubenotationSuperuna1982
2384जैसे सूरज की गरमी से3/4Cmyoutubenotationपरिणय1974
3872रेशम जैसी हैं राहें4/4Eyoutube एक था दिल एक थी धड़कन1998
4340चांद मेरा दिल चांदनी हो तुम4/4Fmyoutubenotationहम किसी से कम नहीं1977
4377ओ मेरे दिल के चैन4/4Fmyoutubenotationमेरे जीवन साथी1972
4404कहीं करती होगी वो मेरा इन्तज़ार4/4Fyoutubenotationफिर कब मिलोगी1974
4408जाने कैसे कब कहां इक़रार हो गया4/4Fmyoutubenotationशक्ति1982
4708ना तुम हमें जानो4/4Fyoutubenotationबात एक रात की1962
4924लकड़ी की काठी4/4Dyoutubenotationमासूम1983
5009हम होंगे कामयाब4/4Dyoutubenotation****

रविवार, 16 जून 2024

मोदी कैसे भारत को विश्व शक्ति बनाना चाहते हैं



Germany के media में लगातार भारत विरोधी, हिन्दू विरोधी और मोदी विरोधी लेख छपते रहते हैं और TV पर दस्तावेज़ी फिल्में दिखाई जाती हैं. ऐसे ही एक वृत्तचित्र का link संलग्न है. हम आपको इस वृत्तचित्र में कही गई मुख्य बातों को थोड़े सरलीकरण के साथ हिन्दी में बता रहे हैं. वे लोग हमेशा भारत की उन्नति से शुरू करते हैं, जिसे अनदेखा भी नहीं किया जा सकता, और फिर घुमा फिरा कर बात हिन्दू उग्रवाद और 2002 के दंगों तक ले आते हैं.

शीर्षक: मोदी कैसे भारत को विश्व शक्ति बनाना चाहते हैं और मुसलमानों को बाहर करना चाहते हैं

Johannes Hano द्वारा

मोदी खुद को एक नए, आत्म-विश्वासी भारत के नेता के रूप में देखते हैं और खुद को नेहरू और गान्धी जैसे प्रतीकों के बराबर रखते हैं. नरेन्द्र मोदी दोबारा प्रधान-मन्त्री बनना चाहते हैं.

नरेन्द्र मोदी भारतीय प्रधान मन्त्री के रूप में तीसरे कार्यकाल की ओर अग्रसर हैं. उनकी लोकप्रियता उनके सभी विरोधियों पर भारी पड रही है. उनके नेतृत्व में भारत विश्व शक्ति बनने के लक्ष्य की ओर अग्रसर है. उनकी राजनीतिक रणनीति का आधार उग्र हिन्दू राष्ट्र-वाद है, जिस के सहारे वे देश को भविष्य की ओर ले जाना चाहते हैं. समाज के बड़े हिस्से को बाहर रखा गया है. मोदी के भारत में 20 करोड़ से अधिक मुसलमानों के लिए जगह लगातार कम होती जा रही है.

25 February 2024 को भारत के प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी ने scuba gear पहन कर और प्रसाद के रूप में मोर पंख ले कर अरब सागर में गोता लगाया और भगवान कृष्ण से सम्बन्धित सदियों पहले अरब सागर में डूब चुके प्राचीन समृद्ध द्वारका में पानी के अन्दर भगवान कृष्ण की पूजा की. उन्होंने बाद में कहा कि यह एक दिव्य अनुभव था. आज़ादी के बाद किसी भी प्रधान मन्त्री ने देश पर उनके जितना प्रभाव नहीं डाला.

हम दो सप्ताह के लिए भारत के बिल्कुल पश्चिम में अरब सागर पर गुजरात प्रांत में यात्रा कर रहे हैं जो हज़ारों वर्षों से एक व्यापारिक क्षेत्र रहा है. नरेन्द्र मोदी ने इस सूबे पर 13 साल तक शासन किया. यह सूबा पूरे देश के विकास के लिए एक प्रकार की प्रयोग-शाला बन गई है. यहीं पर उनकी राष्ट्र-वादी हिन्दू राज्य की दृष्टि उभरी जो कम से कम राजनीतिक और आर्थिक रूप से महा-शक्तियों संयुक्त राज्य America और चीन के बराबर होगी. हम यह पता लगाना चाहते हैं कि जागृत महा-शक्ति किधर जा रही है. हम एक इन्द्रियों को भ्रमित करने वाली, लुभावनी और वीरान सड़क पर यात्रा कर रहे हैं जो अभी पूरी होने ही वाली है. धोलावीरा के पास नमक झील के ऊपर यह सड़क पाकिस्तान से केवल 40 kilometre दूर है. यह सड़क भारतीय प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टि-कोण का हिस्सा है. ऐसी कई अन्य परियोजनाओं की तरह इसका उद्देश्य देश के सुदूर कोने तक समृद्धि लाना है. इसे "स्वर्ग का मार्ग" (Road To Heaven) कहा जाता है. इस जगह की विशिष्टता का अनुभव करने के लिए हर साल लगभग 800,000 पर्यटक पाकिस्तान की सीमा के इस सुदूर कोने में आते हैं. यहां का सूर्यास्त, प्राकृतिक सुन्दरता और अद्वितीय आतिथ्य सत्कार पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण है.

एक पर्यटक कहता है: »मैं आपको एक बात बताऊं. वह समय आने वाला है जब भारत एक महा-शक्ति होगा. क्योंकि हमारे पास एक महान नेता हैं, मोदी. वे भारत के लिए सब कुछ करते हैं.«

रेगिस्तान के बीचों-बीच एक विशाल तम्बू शिविर सी संरचना है जो पहली नज़र में हैरान करने वाली है (The Tent City, Rann Utsav). season लगभग खत्म हो चुका है. 

hotel के manager, श्री अग्निहोत्री: सब से पहले तो मैं आपको खुल कर बताना चाहूंगा कि मैं किसी group आदि से जुड़ा नहीं हूं. लेकिन हमारे प्रिय प्रधान मन्त्री श्री मोदी को यह विचार तब आया जब वे यहां प्रधान मन्त्री थे. सब कुछ उनका विचार था और उन्होंने इसे लागू किया.

मिलनसार श्री अग्निहोत्री 400 tents वाले नमक रेगिस्तान के सब से बड़े परिसर के hotel प्रबन्धक हैं. एक तम्बू में रुकने का खर्च प्रति रात और व्यक्ति के हिसाब से 100 से 1000 Euro के बीच हो सकता है. भारत के 1.4 अरब से अधिक लोगों में से अधिकांश के लिए यह अप्राप्य है, जिन की सालाना प्रति व्यक्ति औसत आय लगभग 2000 Euro है. और फिर भी इसे एक प्रकार की सामाजिक परियोजना है, जैसा कि hotel प्रबन्धक ने हमें समझाया.

अग्निहोत्री: बेशक हम हम लाभोन्मुख हैं, मैं इस से इनकार नहीं करता. लेकिन इस से भी अधिक महत्वपूर्ण है यहां के स्थानीय लोगों की मदद करना. एक विनियमन कहता है कि हमें 75 प्रतिशत रोज़गार स्थानीय लोगों को देना होगा. श्री मोदी का आदर्श वाक्य है, समाज को वापस देना. यही सब से महत्वपूर्ण है.

यहां के ग़रीब किसान दिल्ली, मुम्बई या कलकत्ता जैसे महा-नगरों के अमीर पर्यटकों के लिए स्मारिका विक्रेता या hotel कर्मचारी बन गए हैं. वे यहां season के दौरान प्रति माह लगभग 100 से 200 Euro कमा सकते हैं. किसान के रूप में वे जो कमा सकते थे उससे कई गुणा. ठीक बगल में एक छोटा, सस्ता resort पूरी तरह से स्थानीय निवासियों द्वारा चलाया जाता है और भारत सरकार द्वारा वित्पोषित है.

सुभेब भादोमिया मुटो, resort manager: पहले से बड़ा अन्तर यह है कि बहुत से लोग अब ख़ुश हैं. वे अच्छा कमा रहे हैं. उनका जीवन बेहतर है. उनके सिर पर पक्की छत है और वे अपने बच्चों को स्कूल भेज सकते हैं. अब हर गांव में एक स्कूल है.

वे हमें नरेन्द्र मोदी की एक तस्वीर दिखाते हैं, जो 2010 में उद्घाटन के लिए आए थे.

सुभेब भादोमिया मुटो: मुझे बहुत गर्व है कि हमारे वर्तमान प्रधान मन्त्री यहां थे. वे अब भी सोचते हैं कि इस जगह पर आम लोगों का जीवन कैसे विकसित हो. हमें अधिक पर्यटक कैसे मिलें. यह हम सभी को बहुत गौरवांवित महसूस कराता है.

और उन्हें भी भारत के भविष्य को ले कर कोई सन्देह नहीं है.

सुभेब भादोमिया मुटो: भारत का भविष्य बहुत उज्ज्वल होगा. यह आज से भी बेहतर होगा. भारत जल्द ही महा-शक्ति बनेगा.

हम एक छोटे बन्दरगाह शहर कांडला के रास्ते पर हैं. जहां तक ​​नज़र जाती है, तट के किनारे समुद्री नमक निष्कर्षण basin हैं. भारत के लिए नमक का आर्थिक और राजनीतिक रूप से सदैव अत्यधिक महत्व रहा है. इसे सदियों से समुद्री जल से निकाला जाता रहा है. लेकिन British औपनिवेशिक शासकों ने नमक पर कर लगा दिया. बहुत कम लोग इसे वहन कर सकते थे. गुजरात का नमक भारत की आज़ादी की कुञ्जी बना. प्रांत से अरब सागर तक महात्मा गान्धी की नमक यात्रा British औपनिवेशिक साम्राज्य के अन्त की शुरुआत थी. अधिक से अधिक भारतीयों ने सविनय अवज्ञा के उनके आह्वान का पालन किया. भारत के प्रधान मन्त्री मोदी भी एक नए युग का आह्वान करने के लिए नमक march की स्मृति का उपयोग करते हैं.

नरेन्द्र मोदी: नमक march ने स्वतन्त्र भारत के लिए पवित्र भूमि तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यह हमारी आज़ादी और अमृत काल में प्रवेश की शुरुआत थी.

मोदी भारत को एक पवित्र भूमि के रूप में देखते हैं. उनकी तरह RSS के सदस्यों के लिए भी भारत एक पवित्र भूमि है. सुबह के छह बजे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन RSS के सदस्यों की कवायद शरू हो जाती है. उनका trademark बांस से बने लम्बे डण्डे हैं. यह lock-step में एक प्रकार का सैन्य अभ्यास है, जो स्वैच्छिक रूप से काम शुरू करने से पहले किया जाता है. एक commander आदेश देता है और सभी उस का पालन करते हैं. सभी लोग आस-पास से हैं. हर सुबह doctor, शिक्षक और कारीगर यहां इकट्ठा होते हैं.

ॠषि केश, commander RSS स्वयं-सेवक कोर: हम एक आदेश देते हैं और सभी को तुरन्त उस का पालन करना होता है. हर किसी का अपना स्थान है और हर किसी को प्रक्रियाओं को आत्मसात करना होता है. इस से एकाग्रता बढ़ती है. यह समाज को एक-जुट करने और राष्ट्र के लिए काम करने के बारे में है. राष्ट्र प्रथम.

1920 के दशक में RSS एक हिन्दू राष्ट्र-वादी आन्दोलन के रूप में उभरा. आज तक वर्दी इसकी याद दिलाती है. उन्हें "brown pants" कहा जाता है. लेकिन समाज पर प्रभाव कम था, जो आज बदल गया है. RSS के अब देश भर में लगभग छह million सदस्य हैं. और हर दिन और भी सदस्य जुड़ रहे हैं.

भरत ढोकाई, निदेशक, RSS campus: हम भारत को एक नए स्तर पर ले जाना चाहते हैं. हम हर चीज़ में विकास करना चाहते हैं: शारीरिक, मानसिक और समाज की एकता की दृष्टि से भी. हमें समाज को ऊंचे स्तर पर ले जाना है. 'सैन्य अभ्यास' 'राष्ट्रीय सशक्तिकरण' का एक छोटा, यद्यपि महत्वपूर्ण हिस्सा है. हमें भारत को मजबूत बनाना होगा. हर नागरिक सशक्त होगा तो वह राष्ट्र से जुड़ेगा. और यहां हम उन्हें राष्ट्र से जोड़ते हैं. हम बीज तैयार करते हैं. क्योंकि अगर बीज अच्छे होंगे तो पेड़ भी अच्छा होगा.

और यहां बीज का अर्थ समझाने के लिए श्री धोकाई हमें एक कमरे में ले जाते हैं जहां युवा जोड़ों को छोटे, मजबूत हिन्दू पैदा करने के लिए तैयार किया जा रहा है.

भरत ढोकाई: यहीं से हम पूरे भारत को मजबूत बनाना शुरू करते हैं. धर्म-ग्रन्थों में अभिमन्यु की कहानी है, जिस ने गर्भ में रहते हुए ही युद्ध कौशल विकसित कर लिया था. इसी लिए निषेचन से 90 दिन पहले गर्भाशय को प्रशिक्षित किया जाता है, हर चीज़ को नर्म बनाया जाता है. इस के बाद महिलाएं और पुरुष पूरी तरह से स्वयं सफ़ाई करते हैं. ऐसा होने पर ही निषेचन होगा. हम उन्हें ऐसा करने के लिए थोड़ा समय देंगे.

यह एक प्रकार से जन्म-स्थान है. युवतियों का एक समूह, जो पहले ही निषेचन-पूर्व प्रक्रिया पूरी कर चुकी हैं, अगले कमरे में एकत्रित हो गई हैं. अगला कदम भ्रूण को सही ढंग से समायोजित करना है.

हिना घात्री, भावी मां: हम एक ऐसे बच्चे का निर्माण करते हैं जो गर्भ में सभी मूल्यों और परम्पराओं को प्राप्त करता है. जब वह दुनिया में आएगा, तो उसे पहले से ही हर चीज़ के बारे में पता चल चुका होगा और वह हमारे देश से गहरा जुड़ाव महसूस करेगा.

वे फिर अपने भ्रूणों के लिए एक साथ मन्त्र गाते हैं ताकि कुछ हफ़्तों या में राष्ट्र और हिन्दू धर्म के प्रति सही दृष्टि-कोण रखने वाले बच्चे पैदा हों: शहीदों की श्रद्धाञ्जलि में गूंजती है इंकलाब की आवाज़! खून से भरे हुए अखण्ड भारत की प्राप्ति ही हिन्दू राष्ट्र का सपना है. समर्थ हिन्दू, समर्थ भारत.

एक आदमी हमारे साथ जुड़ गया. 

मदन लाल, नमक व्यापारी और संरक्षक हमें समझाते हैं कि इस गीत के माध्यम से भ्रूणों के लिए गाए जा रहे सन्देश को कैसे समझा जाए: »यह भारत को फिर से महान बनाने के बारे में है. यह भारत के सभी हिस्सों के एकीकरण के बारे में है. यह अखण्ड भारत, मूल भारत के बारे में है. इस से मेरा मतलब है कि आज का पाकिस्तान, बांग्लादेश, Myanmar, सब कुछ फिर से भारत का हिस्सा होगा. ये इन लोगों के सपने हैं, जो वे अपने बच्चों में गर्भ में ही रोपित कर रहे हैं. हमारा मुख्य उद्देश्य भारत में शिक्षा को वापस लाना है. वर्तमान में हमारी शिक्षा प्रणाली British औपनिवेशिक काल से चली आ रही है. और हम ने उसे आज़ादी के बाद भी जारी रखा. लेकिन वह हमारी जड़ों से जुड़ी नहीं है.«

मदन लाल एक नमक व्यापारी, RSS सदस्य और संस्था के financer हैं, जिस में एक प्राथमिक विद्यालय और एक high school भी शामिल है. भारत में अब लगभग 30,000 ऐसे शैक्षणिक संस्थान हैं. यहां ​​छोटे बच्चों के लिए शक्ति प्रशिक्षण और शारीरिक व्यायाम के साथ साथ प्रकृति प्रेम भी सिखाया जाता है.

इस में संस्कारों की बड़ी भूमिका है. हर दिन कक्षा शुरू होने से पहले, बुज़ुर्ग अग्नि अनुष्ठान के माध्यम से पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए एक साथ बैठते हैं. श्री ढोकाई हमें बताते हैं कि यहां पढ़ना और लिखना सिखाने की बजाए व्यावहारिक और आध्यात्मिक कौशल को प्राथमिकता दी जाती है. उदाहरण के लिए, क्षेत्र की जड़ी-बूटियों और पौधों के साथ पारम्परिक रूप से स्थानीय भोजन कैसे तैयार किया जाए. यह खास कर लड़कियों के लिए है. छोटे बच्चे खेल खेल में देवताओं और उनकी कहानियों के बारे में जानने लगते हैं. और हिन्दू धर्म में बहुत सारे देवी-देवता हैं. बचच्े हर सुबह कक्षा शुरू होने से पहले कसम खाते हैं: 
हम देश की गरिमा और सम्मान के लिए मिल कर काम करेंगे. हम अपने देश के सम्मान की रक्षा करेंगे. भारत माता की जय.

यह सब एक गूढ़ राष्ट्रीय सांप्रदाय के विस्तार की तरह नज़र आता है. वफ़ादारी की शपथ, भ्रूण के लिए गायन, प्रजनन और शुद्धिकरण अनुष्ठान, पुरुषों के अर्ध-सैनिक खेल.

आप क्या प्राप्त करना चााहते हैं?

भरत ढोकाई: मुक्ति अर्थात मोक्ष. अनन्त पुनर्जन्म के कष्ट से मुक्ति. यही मानव जीवन का चरम लक्ष्य मोक्ष है. हमारी आध्यात्मिक शिक्षा और पालन-पोषण हमें मोक्ष के इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करता है. मनुष्य ईश्वर और राष्ट्र के साथ एक हो जाता है. हम हमारे पास आने वाले लोगों के बचपन से वयस्कता तक विकास का अवलोकन करते हैं और उनकी रुचियों के आधार पर उनका उपयोग करते हें. श्री मोदी की रुचि राजनीति में थी. इस लिए उन्हें हमारे मूल्यों, देश-भक्ति और हिन्दुत्व के साथ राजनीति में भेजा गया. अब वह दुनिया को बदलने के लिए काम कर रहे हैं.

RSS भारतीय प्रधान-मन्त्री का वैचारिक आधार है. वह RSS में पले-बढ़े. जब नरेन्द्र मोदी ने January में बड़े धूम-धाम से अयोध्या में नव-निर्मित राम मन्दिर का उद्घाटन किया, तो उन्होंने देश में कट्टर-पन्थी हिन्दुओं से किया गया एक पुराना वादा पूरा किया. RSS के नेता मोहन बागवत हमेशा उनके साथ थे. नया मन्दिर सदियों पुरानी मस्जिद के खण्डहरों पर बनाया गया था जिसे पहले हिन्दू भीड़ ने तोड़ दिया था. इसे हिन्दू संस्कृति की श्रेष्ठता का प्रतीक बनना चाहिए. सिर्फ़ RSS की पसन्द के अनुसार.

कांडला में अपने सुबह के व्यायाम के बाद, पुरुष निष्ठा की शपथ लेते हैं. मातृ-भूमि के प्रति एक प्रकार की धार्मिक-राष्ट्र-वादी शपथ. अन्य बातों के अलावा वे कहते हैं: हे प्यारी मातृ-भूमि, मैं तुम्हें सलाम करता हूं. आप (हिन्दुओं की भूमि) के माध्यम से मेरी ख़ुशी बढ़ती है. हे भगवान, हिन्दू जाति के शक्तिशाली रक्षक, हम श्रद्धा-पूर्वक आपको नमस्कार करते हैं. लोगों के अंगारे हमारे दिलों में लगातार जलते रहें. हमारी एकता हमारे कार्यों के लिए विजयी शक्ति हो.

वे आडम्बरपूर्ण धार्मिक राष्ट्र-वाद के साथ अफ़गानिस्तान से ले कर Myanmar तक फैला हुआ एक नया, मजबूत हिन्दुस्तान बनाना चाहते हैं. ऐसे देश में जहां करोड़ों लोगों के पास अभी भी पानी नहीं है. ना शौचालय, ना बिजली. एक ऐसा देश जहां पवित्र गाएं भी सब से दयनीय स्थिति में रहती हैं. यह आर्थिक सुधार के बिना नहीं हो सकता.

लेकिन वे इस पर भी काम कर रहे हैं. भारत अपने व्यापार घाटे को कम करने के लिए और आयात से निर्यात राष्ट्र की ओर जाने के लिए बड़े कदम उठा रहा है और अपने उद्योगों को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है. हम ने मुञ्जाल पटेल से मिलने की व्यवस्था की. वह गुजरात में एक मध्यम आकार की दवा company, Lincoln pharma के प्रमुख हैं. उनका कारोबार खूब फल-फूल रहा है. Lincoln pharma सहित पूरा भारत एक स्वर्णिम युग का सामना कर रहा है. Lincoln pharma में 1,700 कर्मचारी हैं. वे टीके, दर्द निवारक और मलेरिया की गोलियां बनाते हैं. उनके पास 500 से अधिक उत्पाद उपलब्ध हैं. घरेलू बाज़ार के अलावा वे पूरी दुनिया को आपूर्ति करते हैं. लेकिन निर्यात मुख्य रूप से Asia, Africa और दक्षिण America को होता है.

मुञ्जाल पटेल: मुञ्जाल पटेल, CEO, Lincoln pharma: हम अगले 15 से 20 वर्षों में आसानी से तीन से चार गुना बढ़ सकते हैं. सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि 15, 20 वर्षों से हमारे यहां गुजरात में एक स्थिर सरकार और प्रधान-मन्त्री की विचार-धारा रही है. जब श्री मोदी प्रधान-मन्त्री बने तो उन्होंने सपने बोए थे. आज वे पूरे देश के प्रधान-मन्त्री हैं. लेकिन अपने समय के दौरान उन्होंने जो विचार, निवेश बोए थे, वे अब गुजरात के सभी उद्योगों में फल दे रहे हैं. और वे देश के लिए और खास कर अर्थ-व्यवस्था के लिए बहुत काम कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, राज-मार्गों का निर्माण. उनके द्वारा बनाए गए गलियारे बुनियादी ढांचे का हिस्सा हैं और बाक़ी हर चीज़ के लिए बुनियादी आवश्यकता है. हम ने नहीं सोचा था कि यह 2050 तक होगा और यह अभी 2024 चल रहा है. हम पहले अपना माल सड़कों के माध्यम से नहीं पहुंचा सकते थे. अब हमारे पास सड़कें हैं और सब कुछ बहुत सुरक्षित और आसान है. हमारी company विशेष रूप से नौकरशाही में कमी के कारण पूरी गति से चल रही है. जटिल 'कर प्रणाली' को मौलिक रूप से सरल बनाया गया है. यह सब उस अवधारणा का हिस्सा है जिसे प्रधान-मन्त्री शक्ति के साथ आगे बढ़ा रहे हैं. make in India, वह उन का सपना था. और तब आप वास्तव में इसे केवल एक सपने के रूप में ही देख सकते थे. लेकिन उन्होंने ऐसा कर दिखाया. वे make in India पर काम कर रहे हैं और हम इस में उनका समर्थन करते हैं. क्योंकि यह हमारे लिए भी अच्छा है, क्योंकि यहीं से हम अपनी आय उत्पन्न करते हैं.

और जब श्री पटेल नरेन्द्र मोदी के बारे में बात करते हैं तो सच-मुच ख़ुशी से झूम उठते हैं. फिर हम उनसे पूछते हैं कि उनकी राय में, मोदी हर काम बाक़ी सभी से बेहतर क्यों करते हैं.

मुञ्जाल पटेल: उन्होंने जो समझा, और यह मेरी विचार-धारा भी है, वह यह है कि आप केवल उसी उद्देश्य के लिए काम कर सकते हैं जो आपके लिए महत्वपूर्ण है. और भारत उनका बच्चा है. Lincoln pharma मेरा बच्चा है, मेरी company है, मेरा जुनून है. हर किसी में किसी ना किसी चीज़ का जुनून सवार होता है. उनका जुनून भारत है.

एक प्रधान मन्त्री जिस देश पर शासन करता है उस के प्रति जुनूनी है, pharmaceutical उद्यमी इसे इसी तरह देखता है. हम प्रांत के दक्षिण में सूरत की ओर जा रहे हैं. एक ऐसा स्थान जिस का उद्योग पहले से ही विश्व बाज़ार में अग्रणी है. एक ऐसे उत्पाद के साथ जो अद्वितीय सुन्दरता का प्रतीक है. हमारे सामने मेज़ पर लगभग 250,000 Euro मूल्य के मुट्ठी भर कच्चे हीरे हैं.

मेहुल सवाणी, सावनी diamonds: हीरे का दाम उस के आकार और सफ़ाई से तय होता है. वह जितना बड़ा होगा, उतना ही महंगा होगा. यह इस पर भी निर्भर करता है कि वह कितना साफ़ है. उसमें काले कण नहीं होने चाहिए. वह दूधिया नहीं होना चाहिए.

मेहुल सवानी company की संस्थापक मथुरबाई सवानी के बेटे हैं, जिन्होंने हीरों से अपनी किस्मत बनाई. और जिस ने उन्हें यहां सूरत में विश्व बाज़ार पर हावी होने में योगदान दिया है. आप देख सकते हैं कि युवा सावनी कितनी गौरवांवित हैं.

मेहुल सवानी: हम 100 में से 90 हीरों की processing करते हैं. 90 प्रतिशत से अधिक तराशे हुए हीरे सूरत से आते हैं.

पूरी दुनिया में?

हां, पूरी दुनिया में.

जो पत्थर हमारे सामने पड़े हैं, वे जल्द ही Berlin, New York, London या Tokyo की धनी महिलाओं की उंगलियों या ज़ञ्जीरों में समा जाएंगे. या किसी अमीर rapper के के दांतों में.

हम श्री सवानी से पूछते हैं कि वे यहां सूरत में विश्व बाज़ार में अग्रणी क्यों हैं.

मेहुल सवानी: सब से पहले, भारत में श्रम बहुत सस्ता है. दूसरे, हमारी industry हर साल सरकार से बात करती है. वह हमें प्रोत्साहन, subsidy जैसे कुछ लाभ देती है. .

इस से पहले कि हम company के संस्थापक, उनके पिता से मिलें, हमें company के चारों ओर नज़र डालना चाहते हैं. और वे हमें एक बड़ा, बिना polish किया हुआ कच्चा हीरा दिखाते हैं जिस की स्थिति अभी scan की जा रही है. फिर एक computer program हीरे की सम्भावित कटौती का विश्लेषण और अनुकूलन करता है. ताकि जितना सम्भव हो उतना कम अपशिष्ट पैदा हो.

मेहुल सवानी: हम ने अलग-अलग कट और आकार आज़माए और इन दो आकृतियों पर निर्णय लिया.

एक बार जब यह स्पष्ट हो जाता है कि अधिकतम सम्भव उपज और अधिकतम मूल्य प्राप्त करने के लिए पत्थर को कैसे काटा जाना है, तो पत्थरों को काटा जाता है. वहां उन्हें सटीक उच्च-प्रदर्शन वाले lasers द्वारा computer द्वारा निर्धारित भागों में तोड़ दिया जाता है. काटने के बाद हीरे को तराशा जाता है.  सावनी diamonds में 1,000 से अधिक कर्मचारी हैं, जो पूरे शहर में कई स्थानों पर फैले हुए हैं.

हम ने उनसे पूछा कि वह भारत की ताकत क्या मानते हैं.

भारत एक धार्मिक देश है. हम भगवान में विश्वास करते हैं और हम भगवान पर भरोसा करते हैं. हम जब भी अपना काम शुरू करते हैं तो सब से पहले भगवान से प्रार्थना करते हैं. हमें अपनी ऊर्जा ईश्वर से मिलती है.

कौन सा भगवान?

बहुत सारे देवता हैं. मैं स्वामीनारायण में विश्वास करता हूं. हम सभी देवताओं में विश्वास करते हैं लेकिन हमारे मार्ग-दर्शक स्वामीनारायण हैं. अन्य लोग भगवान शिव में विश्वास करते हैं.

यही सब हिन्दू धर्म है, है ना?

हां, वह हिन्दू धर्म है.

नीचे प्रवेश क्षेत्र में, श्री सवानी हमें अपने पिता, company के संस्थापक की परियोजनाओं और धर्मार्थ कार्यों की प्रशंसा करते हुए एक board दिखाते हैं. एक प्रमुख मित्र के साथ भी तस्वीर है.

यहां वे प्रधान-मन्त्री के साथ हैं?

हां, वह प्रधान मन्त्री हैं.

क्या वे उसे व्यक्तिगत रूप से जानते हैं?

हां, मैं आपको उन दोनों का एक video भी दिखा सकता हूं.

और वह इमारत बहुत बड़ा दिख रही है. वह क्या है?

हां, यह इमारत Pentagon से भी बड़ी है.

Pentagon से भी बड़ी?

हां. यह दुनिया की सब से बड़ी कार्यालय इमारत है.

विश्व की सब से बड़ी इमारत सूरत diamond exchange है. उम्मीद है कि जल्द ही 4,000 से अधिक व्यापारी यहां आएंगे और हीरों के विश्व व्यापार को सम्भालेंगे. 660,000 वर्ग meter में फैला यह व्यापारिक केन्द्र अमेरिकी रक्षा विभाग से लगभग 40,000 वर्ग meter बड़ा है. Pentagon, जिस के पास 1943 से record था.

हीरे के आदान-प्रदान का उद्देश्य भारत की अग्रणी आर्थिक शक्ति बनने की महत्वाकांक्षा को रेखांकित करना है. और फिर हम सावनी senior से मिलते हैं, सावनी senior.

सवाणी diamonds के संस्थापक मार्थुबाई सवाणी: सूरत अब तक हीरा प्रसंस्करण का केन्द्र रहा है, लेकिन हीरा व्यापार का केन्द्र नहीं है. नया exchange सूरत को वैश्विक हीरा व्यापार का केन्द्र बना देगा. और हम आभूषणों के उत्पादन और हीरों की बिक्री का केन्द्र भी बनेंगे.

यह इमारत भारतीय महानता के विचार का प्रतीक है, बिल्कुल उद्घाटन में आए अपने दोस्त नरेन्द्र मोदी की पसन्द के मुताबिक. और सवानी senior भी अपने मित्र, प्रधान मन्त्री के बारे में बात करते समय प्रसन्न हो जाते हैं. जिस ने 13 वर्षों तक प्रांत पर शासन किया.

मार्थुबाई सवाणी: उन्होंने सब से पहला काम गुजरात में जल प्रबन्धन की शुरुआत करना किया. हम ने इस में उनका समर्थन किया. साथ ही उन्होंने हर गांव में बिजली पहुंचाने का काम किया है. बाद में जब भाई नरेन्द्र प्रधान-मन्त्री बने तो गुजरात पूरे देश के लिए एक model बन गया.

प्रधान मन्त्री के साथ अपनी निकटता दिखाने के लिए श्री सवानी के पास बहुत सारे पुरस्कार हैं. और सरदार पटेल की एक सोने की मूर्ति भी. हम उससे पूछते हैं कि यह क्या है.

मार्थुबाई सवाणी: इस दुनिया में आठ अरब लोग हैं. इन में से 1.4 अरब भारतीय हैं. सरदार पटेल ने आज़ादी के लिए सभी भारतीयों को एक साथ लाने का महान काम किया. यह प्रतिमा एक महान विचार है, पूरी दुनिया को इसे देखना चाहिए. यह दुनिया का केन्द्र होना चाहिए. यह हमारे प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी का दृष्टि-कोण है.

संयमित घमण्ड के साथ वह फिर कहते हैं: मैं उन लोगों में से एक था जिन्होंने सरदार पटेल की यह प्रतिमा के विचार की शुरुआत की थी.

यह विचार सिर्फ़ किसी प्रतिमा के लिए नहीं, बल्कि अब तक बनी सब से बड़ी प्रतिमा के लिए है. भारतीय स्वतन्त्रता के एक प्रतीक से. इसे दूर से देखने पर भी नज़र-अन्दाज़ नहीं किया जा सकता. इसका आधार 240 meter ऊंचा है. Cologne cathedral से 80 meter से अधिक ऊंचा. यह सूरत और प्रांतीय राजधानी अहमदाबाद के बीच ग्रामीण इलाके में 2018 में पूरा हुआ. तब से अब तक यहां हर साल लाखों पर्यटक आ चुके हैं.

एक प्रयटक: यह New York की statue of liberty से भी बड़ी है. यह दुनिया की सब से बड़ी मूर्ति है. चीन की बुद्ध प्रतिमा से भी बड़ी.

क्या आपको इस पर गर्व है?

प्रयटक: नि:सन्देह इस से हमें बहुत गर्व महसूस होता है. यह हमारे प्रधान मन्त्री का दृष्टि-कोण है. उस के पास एक सपना है और उन्होंने उसे हकीकत में बदल दिया है. हमें इस पर बहुत गर्व है.

महात्मा गान्धी और नेहरू के साथ, पटेल भारत की स्वतन्त्रता की राह पर चलने वाले मजबूत व्यक्तियों में से एक थे. लेकिन गान्धी और नेहरू के विपरीत, पटेल व्यावहारिक कारणों से एक हिन्दू राष्ट्र चाहते थे.

नरेन्द्र मोदी सहित हिन्दू राष्ट्र-वादियों द्वारा आज विशेष करुणा और धूम-धाम के साथ उनका महिमा-मण्डन किया जाता है. क्योंकि वे इतिहास में एक शुरुआती बिन्दु की तलाश में हैं. कई आलोचक इसे इतिहास पर कब्ज़ा करने का एक अनुचित प्रयास मानते हैं. गान्धी जी के घनिष्ठ मित्र पटेल कभी भी हिन्दू राष्ट्र-वादी नहीं थे. लेकिन यह विशाल प्रतिमा आगन्तुकों के लिए अपना उद्देश्य पूरा करती नज़र आती है.

प्रयटक: यह शानदार है और मैं बहुत रोमांचित हूं. मैं इसकी प्रशंसा करते नहीं थकता, हमें इतनी अद्भुत प्रतिमा देने के लिए मैं श्री मोदी का बहुत आभारी हूं. मोदी ने यहां यह सब सम्भव बनाने के लिए बहुत कुछ किया है. इस मूर्ति को पूरी दुनिया जानती है. ये सब से बड़ा है और ये बहुत अच्छा है.

एक ऐसा देश जो सरकार के मुखिया के नशे में है जो उसे नई महानता की ओर ले जाना चाहता है.

हम माण्डवी के रास्ते पर हैं. एक ऐसी जगह जहां अतीत और वर्तमान एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. बन्दरगाह में हमें अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा है. बन्दरगाह basin के तट पर, जो कम ज्वार के समय लगभग खाली हो जाता है, दर्जनों विशाल लकड़ी की नावें निर्माणाधीन हैं. जैसे ही हम दोपहर की गर्मी में पहुंचते हैं, पूरा दृश्य ऐसा लगता है जैसे यह किसी अन्य समय से आया हो. लकड़ी के तख्तों को मोड़ कर लम्बे, भारी कीलों से पतवार से जोड़ा जाता है. यहां हर चीज़ हाथ से बनी है.

मुहम्मद फारुख, जहाज़ मालिक: हमारे यहां के लोग ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं और पेशेवर engineer नहीं हैं. आप बस कागज़ के एक टुकड़े पर कुछ चित्र बना कर काम शुरू कर देते हैं. हम लकड़ी से काम करना जानते हैं, इस लिए उस का उपयोग करते हैं. हमारे पूर्वजों ने पीढ़ियों से इसी तरह काम किया है. अन्तर यह है कि जब मैं बच्चा था, तब 50 टन क्षमता वाली नावें हुआ करती थीं. आज ये 1,500 से 1,700 टन की क्षमता रखती हैं. वे अब सच-मुच बड़े हो गई हैं.

श्री फारुख एक जहाज़ मालिक हैं. उनके पास पहले से ही ऐसे छह माल-वाहक जहाज़ हैं. हम उससे पूछते हैं कि वे इन जहाज़ों से क्या और कहां ले जाते है.

फारुख: . हम दुबई, यमन, अमीरात आदि तक चावल और चीनी ले जाते हैं.

आगे भी?

हां, Africa.

पसीने से तर मेहनत की आवाज़ पतवार के नीचे से गूंजती है. तेल से सने कपास को तख्तों के बीच खाली जगह में घुसाने के लिए मज़दूर हथौडे और मूसलों का इस्तेमाल करते हैं. ठीक वैसे ही जैसे वे सैकड़ों वर्षों से करते आ रहे हैं.

आप नाव पर कितने समय से काम कर रहे हैं?

जहाज़ दो साल से निर्माणाधीन है. फिलहाल हम सब कुछ सील करने की प्रक्रिया में हैं ताकि बाद में नाव में पानी ना जाए.

अपने नंगे हाथों से ऐसा माल-वाहक जहाज़ बनाने में श्रमिकों को लगभग तीन साल लग जाते हैं. और फिर भी समुद्र में जाने वाले ये माल-वाहक जहाज़ कीमत में बेजोड़ हैं. engine, cabin, सब कुछ मला कर इस तरह के एक माल-वाहक की कीमत लगभग 300,000 Euro के बराबर होती है. एक कर्मचारी प्रतिदिन लगभग पांच Euro कमाता है.

हम श्री फारुख से पूछते हैं कि वे मोदी और उनकी राजनीति के बारे में क्या सोचते हैं.

और हमारी यात्रा में पहली बार, हमें महसूस हुआ कि श्री फारुख जैसे लोग मोदी के बारे में सरल सवालों से शर्मिन्दा हो रहे हैं.

मोदी अच्छे हैं.

वह अच्छे क्यों है?

उनकी party लम्बे समय से यहां सत्ता में है.

वे क्या अच्छा कर रहे हैं?

वे हर काम अच्छे से करते हैं. वे नई तकनीकें लाते हैं. सब कुछ काम करता है. वे नई factories लाते हैं.

क्या ऐसे लोग हैं जो उसे पसन्द नहीं करते?

ऐसे लोग हो सकते हैं जो उसे पसन्द ना करें, लेकिन हर कोई हर किसी को पसन्द नहीं करता. ऐसे लोग भी हो सकते हैं जो उसे पसन्द करते हों और वे भी जो उसे पसन्द ना करते हों.

क्या ऐसी कोई बात है जो आपको उस के बारे में पसन्द नहीं है?

नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है.

वे कुछ भी आलोचनात्मक नहीं कह रहे. लेकिन उस के बाद जो हुआ वह साक्षात्कार से कहीं अधिक कहता है. सुनने वाले एक कर्मचारी ने मांग की कि हम मोदी के बारे में बयान हटा दें. और पहली बार हमें मुसलमानों में मोदी के प्रति डर का एहसास हुआ.

अब हम अरब सागर पर सथित माण्डवी को को छोड़ते हैं. एक ऐसी जगह जो शायद ही इस से अधिक शांत प्रतीत हो सकती है. हम खुद से पूछते हैं कि सरकार के मुखिया का डर कहां से आता है. इस के बारे में हमें अप्रत्याशित रूप से गुजरात प्रांत की राजधानी अहमदाबाद में पता चला. हाल के भारतीय इतिहास में सब से क्रूर अपराधों में से एक यहीं 2002 में हुआ था. हम Muslim इलाके में रुकसाना रशीद कुरैशी की तलाश में हैं. वह उस समय 16 वर्ष की थी.

रुकसाना राशिद कुरैशी, प्रत्यक्ष-दर्शी: बच्चों को पीटा गया, काटा गया और जला दिया गया. लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया, उन्हें काटा गया और जला दिया गया. यह बहुत क्रूर था.

यह अब से 20 वर्ष से अधिक पहले की बात है. और वह अपने घर में हमें वह स्थान दिखाती है जहां उसने अपनी मां और अपनी बहन को खोया था.

हम सब यहीं थे. मेरी दो बहनें और मेरे तीन छोटे भाई. तभी हम ने दंगाइयों के आने की आवाज़ सुनी. मस्जिद में पहले से ही आग लगी हुई थी. बाहर जो लोग थे, सभी मारे गए. फिर दंगाई यहां आए और उन सभी को मार डाला जो भाग नहीं सके. मेरी मां और मेरी छोटी बहन की हत्या कर दी गई.

क्या police ने आपकी मदद नहीं की?

अगर police ने मदद की होती तो ऐसा कुछ नहीं होता. मेरी बहन और मां नहीं मरी होतीं, लेकिन police हत्याओं में शामिल थी. अगर police ने हस्तक्षेप किया होता तो इतने लोगों की जान नहीं जाती. बच्चे, गर्भवती महिलाएं. उन्होंने उनका पेट काट दिया और बच्चों को चाकू मार दिया. यह सब बहुत बुरा था.

February 2002 में एक उत्तेजित हिन्दू भीड़ ने Muslim इलाके में march किया. और ऐसे अपराध किए जो कल्पना से परे हैं. स्वतन्त्र जांच आयोगों ने तब जातीय सफ़ाए के प्रयास की बात की. हज़ारों मौतों के साथ. कोई सटीक संख्याएं उपलब्ध नहीं हैं. हम ने मौलाना अब्दुल सलाम से मिलने की व्यवस्था की. वह समुदाय के इमाम हैं और उस समय वह भी वहीं थे.

मौलाना अब्दुल सलाम, इमाम नूरानी मस्जिद: उन्होंने हमें चारों तरफ़ से घेर लिया. उनकी संख्या हम से 100 गुणा अधिक थी. उन्होंने सुबह करीब 11 बजे मस्जिद पर धावा बोल दिया. जो कोई भी उनके रास्ते में आया उसे चाकू मार कर मार डाला. करीब दो बजे उन्होंने मस्जिद पर हिन्दू झण्डा फहराया.

यह क्रूर उन्माद मुसलमानों के एक समूह के साथ विवाद के बाद रेल गाड़ी में 59 हिन्दुओं की जल कर हुई मौत से भड़का था.

मौलाना अब्दुल सलाम: सूबे के प्रधान-मन्त्री ने तुरन्त और बिना सबूत के पाकिस्तान द्वारा आतंकी हमले की बात कही.

यह हिंसक ज्यादतियों का शुरुआती संकेत था, जैसा कि कई लोग इसे देखते हैं. उस समय प्रधान-मन्त्री नरेन्द्र मोदी थे.

मौलाना अब्दुल सलाम: यह सब तब शुरू हुआ जब वे गुजरात आए. उसने सब कुछ देखते हुए भी कुछ नहीं किया.

यहां कई लोगों का मानना ​​है कि मोदी ने police को रोक लिया और दंगाइयों को उन्माद करने दिया. हम ने शहर में भारत के सब से प्रसिद्ध नागरिक अधिकार वकीलों में से एक से मिलने की व्यवस्था की. आनन्द-वर्धन याग्निक संवैधानिक न्यायालय के समक्ष नागरिकों का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने हिन्दू हिंसा के कई पीड़ितों का भी प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने interview से पहले हमें बताया था कि उन्हें अपने शब्दों को ध्यान से तौलना होगा. खास कर जब बात नरेन्द्र मोदी की हो.

आनन्द-वर्धन याग्निक, वकील: अब तक किसी भी अदालत ने मोदी को दंगों में शामिल होने का दोषी नहीं पाया है. गुजरात में कई लोगों का मानना ​​है कि नरेन्द्र मोदी विफ़ल रहे. वह अल्प-संख्यक की रक्षा करते हुए दंगा रोकने में विफ़ल रहे. यही एकमात्र कारण था कि अशांति सात - आठ महीनों तक चली, जिस में हज़ारों मौतें हुईं. और इसी लिए मैं मानता हूं कि दंगों के लिए नरेन्द्र मोदी ज़िम्मेदार हैं. क्योंकि वे इसे रोकने में असफ़ल रहे. और दंगे भड़कने के बाद, वे लोगों की रक्षा करने में विफ़ल रहे.

उस समय संयुक्त राज्य America और great Britain ने भी इसे इसी तरह देखा था. धार्मिक स्वतन्त्रता के गम्भीर उल्लंघन के कारण नरेन्द्र मोदी को दस वर्षों तक देश में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई. लेकिन यह सब लम्बे समय से भुला दिया गया है. नरेन्द्र मोदी फिर से चुनाव के लिए तैयार हैं. बदलती दुनिया में एक रणनीतिक सांझेदार के रूप में उनकी ज़रूरत है. हम ने श्री याग्निक से पूछा कि हम गुजरात में मोदी के समय से क्या सीख सकते हैं, और उनका जवाब आश्चर्य-जनक है.

आनन्द-वर्धन याग्निक: मैं एक German television station से कहना चाहूंगा कि हम नहीं चाहते कि प्रधान-मन्त्री Hitler की तरह बनें. Hitler के शासन-काल में यहूदी आबादी के साथ भेद-भाव किया गया था. हम नहीं चाहते कि हमारे प्रधान-मन्त्री अल्प-संख्यकों के साथ भेद-भाव करें. हम उनसे यही उम्मीद करते हैं.

हालांकि यहां Muslim quarter में स्थिति में सुधार होने की उम्मीद कम है.  जब तक मोदी और RSS cadre संगठन के उनके विचार देश के भाग्य का निर्धारण करते रहेंगे, तब तक हिन्दू बहुमत और उस के नेता का डर बना रहेगा.

रुखसाना: हम क्या कर सकते हैं? हमें यहीं रहना होगा और असुरक्षित महसूस करना होगा. जब भी कोई घटना घटती है तो हम डर जाते हैं. हमारे पास कोई पैसा नहीं है. हमें कहां जा सकते हैं? हमारे लिए कोई दूसरी जगह नहीं है.

भारत में 20 करोड़ से अधिक Muslim रहते हैं, जो नरेन्द्र मोदी के तहत एक हिन्दू राज्य में बदलने की प्रक्रिया में है. मोदी देश को ताकत के साथ भविष्य की ओर ले जाना चाहते हैं और नया भारत बनाना चाहते हैं. और साथ ही भारतीय इतिहास में एक महान नेता के रूप में जाने जाते हैं. लेकिन इस के लिए उन्हें समाज के समर्थन की ज़रूरत है, कम से कम बहुमत की. और वे जानता है कि इसे कैसे प्राप्त करना है. जैसा कि हमें यात्रा के दौरान एहसास हुआ, गुजरात एक प्रयोग-शाला था और है. मोदी के एक जागृत विशाल व्यक्ति के दृष्टि-कोण के लिए जो धार्मिक-आध्यात्मिक हिन्दू राष्ट्र-वाद से मुक्ति के मार्ग पर प्रगति के लिए अपनी ऊर्जा प्राप्त करेगा.