शनिवार, 15 मई 2021

पाक सामग्री

Semolina,  grieß  सूजी
सूजी हलवा grießspeise
millet, sorghum, couscous
Bulgar, दलिया
मैदा
dinkel

जौ gerste barley hopfen hops malz malt

Cashew milk
Milk powder 
Poppy seeds खस खस Mohn, पोस्त 
अमचूर
हींग
हरा धनिया 
कलौॆजी, अनारदाना
चाट मसाला 
आलू
केसर
गुलाब 
सेंधा नमक 
काला नमक 
Yeast, खमीर, yeast extract 
बेसन, चना दाल का आटा, gram-flour 
Corn flour, मकई का आटा
काले चने
बूरा / तगार / तागर
दालचीनी 
तेज पत्ता 
कड़ी पत्ता
राई, सरसों
बड़ी इलायची 
सरसों का तेल, Rapsöl 
कश्मीरी लाल मिर्च powder 
रंग
गुलाब जल
मैदा
केवड़ा
Cream of tartar
Vinegar, सिरका 
Vanilla essence 
Baking paper 
छोले मसाला 
हल्दी 
लौंग
काबुली चने 
गुड़ 
नौसादर, फिटकरी, Alum, Ammonium chloride 
महुआ 
Mole extract
पोहा, चिवड़ा
सब्जा बीज, तुलसी का बीज
बूंदी का झारा
Nutmeg, जायफल 
जावित्री, Mace 
अदरक, सौंठ

बुधवार, 5 मई 2021

भारत का संविधान

उद्देशिका

हम, भारत के लोग, भारत को एक ¹[सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतन्त्रात्मक गणराज्य] बनाने के लिए, तथा उस के समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और ²[राष्ट्र की एकता और अखण्डता] सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प हो कर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई. को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं.

1. संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 2 द्वारा (3.1.1977 से) ''प्रभुत्व-सम्पन्न लोकतन्त्रात्मक गणराज्य'' के स्थान पर प्रतिस्थापित.

2. संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 2 द्वारा (3.1.1977 से) ''राष्ट्र की एकता'' के स्थान पर प्रतिस्थापित.

NCERT, प्रकाशन प्रभाग के कार्यालय

NCERT campus, श्री अरविंद मार्ग, नई दिल्ली 110 016

Phone : 011-26562708


108-100 feet road, हेली extension, होस्डेकेरे, बनाशंकरी III stage, बेंगलुरु 560 085

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नवजीवन trust भवन, डाकघर नवजीवन, अहमदाबाद 380 014

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CWC  complex, मालीगांव, गुवाहाटी 781021

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NCERT - आमुख

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (2005) सुझाती है कि बच्चों के schooly जीवन को बाहर के जीवन से जोड़ा जाना चाहिए. यह सिद्धांत किताबी ज्ञान की उस विरास्त के विपरीत है जिस के प्रभाववश हमारी व्यवस्था आज तक विद्यालय और घर के बीच अन्तराल बनाए हुए है. नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या पर आधारित पाठ्यक्रम और पाठ्य-पुस्तकें इस बुनियादी विचार पर अमल करने का प्रयास हैं. इस प्रयास में हर विषय को एक मज़बूत दीवार से घेर देने और जानकारी को रटा देने की प्रवृत्ति का विरोध शामिल है. आशा है कि ये कदम हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986) में विर्णत बाल-केन्द्रित व्यवस्था की दिशा में काफ़ी दूर तक ले जाएंगे.

इस प्रयत्न की सफ़लता अब इस बात पर निर्भर है कि विद्यालयों के प्राचार्य और अध्यापक बच्चों को कल्पनाशील गतिविधियों और सवालों की मदद से सीखने और सीखने के दौरान अपने अनुभवों पर विचार करने का अवसर देते हैं. हमें यह मानना होगा कि यदि जगह, समय और आज़ादी दी जाए तो बच्चे बड़ों द्वारा सौंपी गई सूचना-सामग्री से जुड़ कर और जूझ कर नए ज्ञान का सृजन करते हैं. शिक्षा के विविध साधनों एवं स्रोतों की अनदेखी किए जाने का प्रमुख कारण पाठ्य-पुस्तक को परीक्षा का एकमात्र आधार बनाने की प्रवृत्ति है. सृजना और पहल को विकसित करने के लिए ज़रूरी है कि हम बच्चों को सीखने की प्रिक्रया में पूरा भागीदार मानें और बनाएं, उन्हें ज्ञान की निर्धारित ख़ुराक का ग्राहक मानना छोड़ दें.

ये उद्देश्य school की दैनिक ज़िन्दगी और कार्यशैली में काफ़ी फेरबदल की मांग करते हैं. दैनिक समय-सारणी में लचीलापन उतना ही ज़रूरी है जितनी वार्षिक calender के अमल में चुस्ती, जिस से शिक्षण के लिए नियत दिनों की संख्या हकीकत बन सके. शिक्षण और मूल्यांकन की विधियां भी इस बात को तय करेंगी कि यह पाठ्य-पुस्तक विद्यालय में बच्चों के जीवन को मानसिक दबाव तथा बोरियत की जगह ख़ुशी का अनुभव बनाने में कितनी प्रभावी सिद्ध होती है. बोझ की समस्या से निपटने के लिए पाठ्यक्रम निर्माताओं ने विभिन्न चरणों में ज्ञान का पुनर्निर्धारण करते समय बच्चों के मनोविज्ञान एवं अध्यापन के लिए उपलब्ध समय का ध्यान रखने की पहले से अधिक सचेत कोशिश की है. इस कोशिश को और गहराने के यत्न में यह पाठ्य-पुस्तक सोच-विचार और विस्मय, छोटे समूहों में विचार-विमर्श और ऐसी गतिविधियों को प्राथमिकता देती है जिन्हें करने के लिए व्यावहारिक अनुभवों की आवश्यकता होती है.

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद इस पुस्तक की रचना के लिए बनाई गई पाठ्य-पुस्तक निर्माण समिति के परिश्रम के लिए कृतज्ञता व्यक्त करती है. परिषद सामाजिक विज्ञान पाठ्य-पुस्तक सलाहकार समिति के अध्यक्ष professor हरि वासुदेवन और इस पाठ्य-पुस्तक समिति की मुख्य सलाहकार विभा पार्थसारथी की विशेष आभारी है. इस पाठ्य-पुस्तक के विकास में कयी शिक्षकों ने योगदान किया, इस योगदान को संभव बनाने के लिए हम उनके प्राचार्यों के आभारी हैं. हम उन सभी संस्थाओं और संगठनों के प्रति कृतज्ञ हैं जिन्होंने अपने संसाधनों, सामग्री और सहयोगियों की मदद लेने में हमें उदारतापूर्वक सहयोग दिया. हम माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मन्त्रालय द्वारा professor मृणाल मीरी एवं professor जी.पी. देशपांडे की अध्यक्षता में गठित निगरानी समिति (monitoring committee) के सदस्यों को अपना मूल्यवान समय और सहयोग देने के लिए धन्यवाद देते हैं.

व्यवस्थागत सुधारों और अपने प्रकाशनों में निरंतर निखार लाने के प्रति समर्पित राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद टिप्पणियों एवं सुझावों का स्वागत करेगी जिन से भावी संशोधनों में मदद ली जा सके.

निदेशक

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद

नई दिल्ली

30 नवंबर 2007