शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010

विदेशियों का प्रतिनिधित्व कर रहा बोर्ड

The council of foreigners is an official entity recognised by muncipality of Munich to represent issues of foreigners in city goverment. But it is striving for its existence due to lack of interest by foreigners, especiall by those from developed non european countries.




ਵਿਦੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਸ਼ਹਿਰ ਦੇ ਫੈਸਲਿਆਂ ਵਿੱਚ ਆਪਣੀ ਆਵਾਜ਼ ਦੇਣ ਲਈ ਮਉੰਸ਼ਨ ਵਿੱਚ ਕਈ ਸਾਲਾਂ ਪਹਿਲਾਂ ਇਂਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸੰਸਥਾ ਬਣਾਈ ਗਈ. ਹਰ ਛੇ ਸਾਲਾਂ ਬਾਦ ਇਸਦੇ ਨਵੇਂ ਚੁਣਾਵ ਹੁੰਦੇ ਹਨ. ਚੁਣਾਵ ਦਾ ਖਰਚ ਵੀ ਮਉੰਸ਼ਨ ਸਰਕਾਰ ਚੁੱਕਦੀ ਹੈ. ਪੜੋ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਬਾਰੇ.




गैर यूरोपीय देशों के नागरिकों को म्युनिक शहर के नगर पालिका चुनाव में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं है। पर परोक्ष रूप से विदेशियों के हितों का नगर पालिका में प्रतिनिधित्व करने के लिये एक सरकारी संस्था है 'Ausländerbeirat', यानि 'विदेशी सलाहकार बोर्ड'। इस बोर्ड में चालीस सदस्य हैं जो हर छह साल के बाद चुनाव द्वारा नियुक्त किये जाते हैं। चुनाव में वह हर कोई हिस्सा ले सकता है जो म्युनिक निवासी है और किसी गैर यूरोपीय देश का नागरिक है। दोहरी नागरिकता वाले लोगों को चुनाव में हिस्सा लेने के लिये खास आवेदन करना पड़ता है। इस वर्ष नवंबर में अगले चुनाव होने जा रहे हैं। क्योंकि चुनाव का खर्च नगर पालिका को उठाना पड़ता है, इसलिये उसके लिये यह देखना ज़रूरी हो जाता है कि इसमें प्रयाप्त लोग हिस्सा ले रहे हैं कि नहीं। दुर्भाग्य से पिछले चुनावों में केवल छह प्रतिशत लोगों ने भाग लिया था जिनकी गिनती कोई तरह हज़ार थी। इनमें से सर्वाधिक संख्या तुर्कियों की थी। क्योंकि यह बोर्ड किसी राजनैतिक पार्टी के साथ बंधा हुआ नहीं है, इसलिये इसे प्रेस में भी बहुत कम पब्लिसिटी मिलती है जिसके कारण चुनाव में इतने कम लोग हिस्सा लेते हैं। और इसी कारण नगर पालिका हर बार सोचती है कि इस बोर्ड का कुछ फ़ायदा है भी या नहीं, इसे रखना चाहिये या समाप्त कर देना चाहिये। पर इस बार बोर्ड पब्लिसिटी के लिये खूब ज़ोर लगा रहा है। पिछले चुनावों में हिस्सा लेने वालों में केवल आठ प्रतिशत महिलायें थीं। इस दृश्य को बदलने के लिये इस बार बोर्ड ने चुनाव के आधे प्रत्याशी महिला होने की शर्त रखी है। यह बोर्ड विदेशियों के लिये कई तरह की मदद उपलब्ध करवाता है, उनके मुद्दों का शहर के निर्णयों में प्रतिनिधित्व करता है, उनके लिये तरह तरह के अन्तरसांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करवाता है। अकसर उसके कई सुझावों को लेकर नगरपालिका के साथ टकराव भी हो जाता है, पर बोर्ड की प्रेस वक्ता Claudia Guter कहती हैं कि कई बार उनके सुझाव को टाल दिया जाता है पर कुछ वर्ष बाद वे अपने आप उन्हें लागू कर देते हैं। जैसे इस बार स्कूलों में मातृभाषा का पाठ्यक्रम पढ़ाने के सुझाव को लागू करने की अनुमति मिल गई है। बोर्ड इसे एक बड़ी उपलब्धी मानता है। अब तक बायरन के स्कूलों में विदेशियों को मातृभाषा पढ़ाये जाने पर पाबन्दी थी। यह बोर्ड करीब तीस साल पुराना है। पहले इसके प्रतिनिधि नगर पालिका द्वारा ही नियुक्त किये जाते थे। पर कुछ सालों से वे चुनाव द्वारा नियुक्त किये जाने लगे हैं। दुर्भाग्य से इस बोर्ड चुनाव में विकसित देशों के नागरिक हिस्सा नहीं लेते हैं, जैसे इंगलैण्ड, अमरीका आदि, क्योंकि यह उनके लिये रोचन नहीं है। इसमें हिस्सा लेने वाले अधिकतर लोग तुर्की या पूर्वी यूरोपीय देशों के नागरिक होते हैं, और मुश्किल से अंग्रेज़ी बोलते हैं। इसलिये बोर्ड कि आधिकारिक भाषा जर्मन है।
http://www.auslaenderbeirat-muenchen.de/