रविवार, 5 मई 2024

यूनानी गायक गाता है हिन्दी गाने

Stuttgart में रहने वाले यूनानी मूल के 30 वर्षीय Sakis Tsapakidis एक गायक और संगीतकार हैं जो अपनी मातृ-भाषा सहित हिन्दी, Spanish, अरबी और German भाषा में गाते हैं और drum, keyboard, यूनानी violin, ताल, अरबी drum और भारतीय ढोल भी बजाते हैं. वे अपने हिन्दी गायन के सफ़र के बारे में बताते हैं.
2001 से मैं अपने शहर Stuttgart में हर साल एक circus में भाग लेने लगा और उनकी मदद करने लगा. circus के कलाकारों और ringmaster से मेरी दोस्ती हो गई जो आज भी बरकरार है. 2005 में जब मैं वहां गया तो मैं ने एक गाना सुना 'सूरज हुआ मद्धम'. यह गाना इतना मोहक था कि मैं इस गाने के लिए पागल हो गया. मैं ने निर्देशक से पूछा कि क्या मुझे यह CD मिल सकती है, तो उसने मुझे वह CD उपहार में दे दी. इस तरह मुझे Bollywood की लत लगनी शुरू हो गई. मैं ने शाहरुख खान की films से लगभग सभी audio CD ख़रीदीं और लगातार अपने Walkman CD player पर घंटों सुनने लगा. जब मैं ने स्कूल में अपने सब से अच्छे दोस्त आज़ाद को 'सूरज हुआ मद्धम' गाना सुनाया, तो वह और उस की बहन कहने लगे कि वे पहले से ही सभी Bollywood films और गानों को जानते हैं और पसन्द करते हैं. फिर हम ने स्कूल में एक छोटा सा Bollywood show तैयार करने की सोची और शाहरुख खान की films के dance scene की नकल करनी शुरू कर दी. इस के लिए हम बहुत बार class में भी अनुपस्थित रहते थे और शिक्षक नाराज़ हो जाते थे.

2007 में मुझे Stuttgart में Sommerfestival der Kulturen नामक एक उत्सव के बारे में पता चला. वहां मेरा एक पसन्दीदा अरबी गायक भी आया था. 2008 के बाद से मुझे हमेशा उस उत्सव में मंच पर और परदे के पीछे मदद करने की अनुमति मिल गई. 2010 में, जब मैं वहां था, तो मुझे 'Bharat Verein Majlis' के एक food stall पर एक socket देने के लिए भेजा गया. मैं ने booth पर जा कर पूछा कि क्या वे भारतीय हैं. उन्होंने हंस कर कहा कि, बिल्कुल, वे सिर से पैर तक भारतीय हैं. मैं ने मज़ाक में कहा कि मैं Bollywood गाने गा सकता हूं. तो वे सभी हंस पड़े. एक ने गम्भीरता से कहा कि ठीक है एक गाना गा कर सुनाओ. मैं ने सोचा, अरे, मैं ने यह क्या कह दिया. हर कोई इंतज़ार कर रहा था तो मैं ने 'कुछ कुछ होता है' गाने की कुछ पंक्तियां गा कर सुना दीं. उन लोगों के मुंह खुले के खुले रह गए और वे जयजयकार करने लगे. वे मुझे तम्बू के पीछे ले गए और मुझे भारतीय भोजन और चावल की एक बड़ी थाली खाने को दी. साथ में कहा कि बेटा तुम October में दुर्गा पूजा में आ रहे हो और गा रहे हो. मैं ने कहा ठीक है मैं आऊंगा. October आने तक उन्होंने मुझे कम से कम 10 बार phone किया. मैं ने उस दिन के बाद ख़ुशी-ख़ुशी rehearsal करना और शाहरुख खान की नई films के गाने सुनना शुरू कर दिया. मैं बहुत उत्साहित और ख़ुश था.

अन्तत शनिवार, 16 October 2010 का वह दिन आया. सभा-भवन में मेरा खुले दिल से स्वागत हुआ. मैं ने वहां अपनी rehearsal शुरू की. अचानक वहां 20 से अधिक लोग प्रकट हो गए जो कि रसोई या hall को तैयार करने वाले थे. मैं rehearsal के दौरान थोड़ा गुस्से में था क्योंकि sound system गायन के लिए उपयुक्त नहीं था. पर मैं ने अपनी भावनाओं को प्रकट नहीं होने दिया. दो घंटे बाद लगभग 200 मेहमान उपस्थित हो गए और show शुरू हुआ. मेरी तीसरी बारी थी. मैं ने intro के तौर पर परदे के पीछे से गाना शुरू किया. जब पर्दा धीरे से खुला, तो सब लोग जयजयकार करते और ताली बजाते हुए खड़े हो गए. जब कि उस समय मुझे कोई नहीं जानता था. मैं ने 2 गाने गाए और चला गया. मेरे बाद थोड़ा break था. मैं थोड़ा पीछे हट गया और show जारी रहा. मुझे अन्त में फिर से 3 और गीत गाने थे. सभी लोग साथ में गाने लगे. लेकिन जब moderator ने अन्त में कहा कि मैं भारतीय नहीं, बल्कि Greek हूं, तो कमरे में सन्नाटा छा गया. वे सब खड़े हो गए और इतनी जोर से तालियां बजाईं कि उनकी आवाज़ें समझ में आनी बन्द हो गईं. वे सब ख़ुश थे और मेरे साथ तस्वीरें लेने लगे. 50 से ज़्यादा लोगों ने मेरे साथ तस्वीरें लीं और autograph लेना चाहा. यह कुछ खास था. मैं बहुत ख़ुश था कि मैं आखिरकार एक भारतीय party में गाने में कामयाब हो गया हूं. मुझे लगने लगा कि मैं एक छोटा star बन गया हूं.

शाम हो चुकी थी. मेरे घर जाने से पहले दिब्येंदु नामक एक आयोजक ने मुझे नवंबर में दीवाली के लिए आमन्त्रित किया. उनके इतना कहने के बाद मैं ने मन ही मन में सोचा कि अब मामला गम्भीर हो रहा है. अगले सोमवार को मैं Media Markt गया और कुछ नई CDs की तलाश करने लगा जो मेरे पास नहीं थी. मुझे कुछ audio CDs के अलावा एक दिलचस्प DVD मिली, जिस का शीर्षक था 'The Inner and Outer World of Shah Rukh Khan'. इस में मैं ने देखा कि शाहरुख खान ने अपने violin के साथ 'सूरज हुआ मद्धम' गाने की शुरुआत की और फिर दर्शकों के सामने गए. मैं ने सोचा कि मैं भी इसी तरह से कुछ करूं. मैं ने  मंच स्थापित करने की योजना बनानी शुरू कर दी. मेरे पास मेरे दादा और पिता से मिले light and sound system के कुछ उपकरण थे क्योंकि वे भी संगीतकार हैं. पर मैं ने इसके अलावा भी बहुत सामान ख़रीदा. मैं ने PC पर कम से कम 3 घंटे बैठ कर मंच का नक्शा और योजना बनाई. पहले भाग में क्या पहनूं, दूसरे भाग में क्या पहनूं, spotlights में कौन से रंग होने चाहिए आदि हर चीज़ की योजना बनाई. नवंबर उम्मीद से जल्दी आ गया.

कार्यक्रम से एक दिन पहले मैं headlights, loudspeaker और अन्य सारा सामान एक trailor में डाल कर कार्यक्रम स्थल पर चला गया और रात एक बजे तक मंच पर सारा सामान स्थापित करता रहा. मैं चाहता था कि मंच पर हर चीज़ उत्तम हो, कोई cable नज़र नहीं आनी चाहिए. आयोजकों ने जब मंच देखा तो वे मुग्ध हो गए. उन्होंने कहा कि इससे पहले उन्होंने ऐसा तैयार किया हुआ मंच नहीं देखा था. वे बहुत ख़ुश और उत्साहित थे कि मैं वहां था. बाहर कड़ाके की ठण्ड थी और बर्फ़बारी हो रही थी. इस बार hall में 300 लोग थे, क्योंकि दीवाली भारत में एक बहुत बड़ा त्योहार है. show शुरू हुआ. कुछ dance और comedy items के बाद मेरे मैं ने कुछ गाने प्रस्तुत किए. दर्शकों में कई अन्य आयोजक भी थे जो show के बाद मुझे book करना चाहते थे. उस के बाद मुझे Frankfurt, Cologne, Austria और यहां तक कि London में भी प्रदर्शन करने का मौका मिला. साथ ही Stuttgart में भारतीय film समारोह में भी प्रदर्शन करने का मौका मिला. इस लिए 2010 के बाद हर सप्ताहांत पर मेरा एक संगीत कार्यक्रम या प्रदर्शन होता था.

दुर्भाग्य से अच्छे लोगों के साथ कुछ ईर्ष्यालु और झूठे लोग भी होते हैं. कुछ club ऐसे भी हैं जो सिर्फ़ अपने फ़ायदे के बारे में सोचते हैं. उदाहरण के लिए एक आयोजक ने एक बार कहा कि कृपया रंगीन रौशनी का उपयोग ना करें, वे दर्शकों को परेशान करती हैं. एक बार तो मुझ पर लगभग मुकदमा कर दिया गया था क्योंकि मैं ने stage कोहरे का इस्तेमाल किया था. किसी ने show के बाद शिकायत की थी कि उसे कोहरे के कारण उस की आंखों में संक्रमण हो गया. हालांकि यह कोहरा दर्शकों तक नहीं पहुंचा था. एक बार मुझे phone पर धमकी दी गई थी कि मुझे अब Bollywood गाने नहीं गाने चाहिए. अगर मैं ने फिर से Bollywood गीत गाए तो मुझे गोली मार दी जाएगी. तब से, मेरे चाचा सुरक्षा-कर्मी की तरह हर संगीत समारोह में मेरे साथ जाने लगे और मेरी रक्षा करने लगे. एक बार Stuttgart में मेरा एक संगीत कार्यक्रम था तो एक पागल आदमी मंच पर आया. वह मुझसे microphone छीन कर दर्शकों को कहने लगा कि देखो, यह वास्तव में गा नहीं रहा है बल्कि यह उदित नारायण की आवाज है. मैं थोड़ा हंसा क्योंकि संगीत जारी था (Karaoke) पर गाने की आवाज नहीं आ रही थी. मैं ने गाना जारी रखा तो वह पागल आदमी फिर से मंच की पीछे से एक कैञ्ची के साथ प्रकट हुआ. मेरे चाचा ने उसे देख लिया और कूद कर उसे फर्श पर दबोच लिया. वह व्यक्ति चिल्लाने लगा कि मैं तुम्हारी cable काट दूंगा. पता चला कि वह एक लड़की का पिता था जो कार्यक्रम में नाच रही थी पर किसी का ध्यान उस की ओर नहीं जा रहा था. उसने यहां तक ​​कहा कि तुम ठग हो, जब तुम्हें जब गाना होता है तो तुम्हारे चाचा बटन दबाते हैं. ऐसी और भी बहुत सी घटनाएं हैं.

अब मैं अपने सब से पसन्दीदा गायक उदित नारायण सहित अभिजीत भट्टाचार्य, कुमार शानू और शान के 50 से अधिक गाने गाता हूं. मैं ने 40 गाने record कर के YouTube पर upload किए हैं. आप मुझसे 2 CD भी प्राप्त कर सकते हैं. भगवान जाने कि मैं हिन्दी गीत क्यों गाता हूं. मैं अन्य भाषाओं में भी गाता हूं लेकिन हिन्दी में कुछ खास है. मैं एक हिन्दी गायक के रूप में अपना भविष्य बनाना चाहता हूं, संगीत कार्यक्रम करना चाहता हूं. शायद पृष्ठ-भूमि में एक छोटे से band के साथ और दाएं और बाएं कुछ नृत्य numbers के साथ.

दुर्भाग्य से कुछ ऐसे लोग भी हैं जो वादे करते हैं कि मैं तुम्हें बहुत बड़ा बना दूंगा, तुम्हें भारत ले जाऊंगा या तुम्हें TV पर दिखाऊंगा. लेकिन दुर्भाग्य से ये हमेशा खोखले वादे होते हैं. मैं कई बार TV पर और अखबारों में आ चुका हूं. पर अब Corona महामारी के दो साल बाद बहुत कुछ बदल गया है. अब मेरे पास कोई Bollywood कार्यक्रम नहीं है. फिर भी, मैं हमेशा नए गाने सीखने और हर दिन घर पर rehearsal करने की कोशिश करता हूं. भारतीय दिलदार और उदार लोग हैं. इतने लम्बे समय के बाद मैं खुद को लगभग एक भारतीय जैसा महसूस कर रहा हूं.