गुरुवार, 15 दिसंबर 2022

समाचार

'Tod im Wald' शीर्षक की इस German भाषी पुस्तक में एक पूर्व police commissioner Johann Dachs (1928–2007) ने 18वीं सदी से ले कर बीसवीं सदी तक पूरब बवेरिया के घने जंगलों में जंगली जानवरों का शिकार करने वाले कई ऐसे व्यक्तियों की कहानियां लिखी हैं जो शिकार करते करते इतने बड़े अपराधी बन गए कि आस पास के गांवों में रहने वाले लोग डर के मारे वन विभाग वालों को और police को भी कुछ नहीं बताते थे. चार साल चलने वाले प्रथम युद्ध के बाद अधिकतर सैनिक बन्दूकें भी अपने साथ घर ले आए थे. अब वे इंसानों पर भी गोलियां चलाने से नहीं झझकते थे. अन्धा-धुन्ध शिकार करते करते बहुत सारी आपसी दुश्मनियां पैदा हो जाती थीं. दूसरे विश्व युद्ध के बाद Germany पर कब्जा करने वाले देशों के सैनिकों ने भी इन जंगलों में खुल कर शिकार किया. वन विभाग के officers और police वालों के पास मूक-दर्शक बन कर देखने के सिवा कोई चारा नहीं होता था क्योंकि विरोध करने पर सैनिक उन पर भी बन्दूकें तान देते थे. पुस्तक की भाषा बहुत कठिन है और Bavarian बोली (dialect) का भी इस में खूब इस्तेमाल हुआ है. यह PDF file केवल एक नमूना है (Leseprobe)