गुरुवार, 14 अक्तूबर 2021

बवेरियन संसद के विरुद्ध जनमत संग्रह की कोशिश

भारत की तरह जर्मनी में भी ऐसे लोग हैं जो लोकतांत्रिक प्रणाली द्वारा चुनी हुई सरकार और नेताओं को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं और उन्हें हटा देना चाहते हैं। खास कर बवेरिया प्रांत में कुछ लोग बायरन के मुख्य मंत्री Markus Söder की कोरोना संबंधित कठोर नीतियों से परेशान हैं और उन्हें हटाने के लिए जनमत संग्रह करवाने की कोशिश कर रहे हैं। पर जनमत संग्रह के आवेदन की अनुमति प्राप्त करने के लिए उन्हें पहले पच्चीस हज़ार ऐसे नागरिकों के हस्ताक्षर चाहिए जिन्हें वोट देने का हक हो. एक अनुमान के अनुसार बवेरिया प्रांत की करीब सवा करोड़ आबादी में करीब पंद्रह प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिन्हें Querdenker (पार्श्व विचारक) कहते हैं, जिन्हें हर नीति में चाल नज़र आती है और जिन्हें लगता है कि यह लोकतंत्र नहीं तानाशाही है. वे इस तथ्य को भी नज़रअंदाज़ कर देते हैं कि लोकतंत्र के कारण ही वे हस्ताक्षर एकत्रित कर पा रहे हैं, क्योंकि संविधान इसकी अनुमति देता है। तानाशाही में वे इसकी उम्मीद नहीं कर सकते थे.