शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

ब्लैक सिस्कियां

मैंने कुछ ही दिनों पहले ये दोनों फ़िल्में देखीं। बहुत अच्छी लगीं। 'ब्लैक' देखकर तो मैं हैरान हो गया। एक अंधे तथा बहरे इन्सान का इतना बढ़िया अभिनय मैंने पहले कभी नहीं देखा। और भी अच्छा होता अगर ये फ़िल्म पूरी हिन्दी में होती। इन्सानी जान की कीमत समझाने का इससे बढ़िया तरीका क्या होगा। मुझे तो लगता है कि ये बालीवुड का नया जन्म है, और साथ ही रानी मुखर्जी तथा अमिताभ बच्चन के अभिनय का। टाइम पत्रिका ने 2005 की दुनियाभर की सर्वेश्रेष्ठ 10 फ़िल्मों में शुमार किया है.

'सिस्कियां' में भी कई बातें मुझे अच्छी लगीं जिन्हें शब्दों में बता पाना मेरे लिए कठिन होगा। खाडेकर ने एक नपुंसक ऐडीटर तथा जांच पड़ताल के कमीशन के मुखी का किरदार बहुत ईमानदारी से निभाया है। एक ब्लातकार के पीछे आदमी के मनोविज्ञान पर प्रश्न भी बहुत सही ढंग से उठाया गया है। लेकिन ब्लातकार का उदाहरण उस हिसाब से उतना उचित नहीं लगा। 

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