शनिवार, 14 दिसंबर 2013

राजा का सपना

एक राजा ने स्वप्न देखा कि उसके इकलौते पुत्र को शेर खा जाएगा। वह इस स्वप्न से बहुत उदास रहने लगा। अपने इकलौते पुत्र की रक्षा के लिए बेचैन रहने लगा। हरदम उठते-बैठते, जागते-सोते उसे अपने पुत्र की ही फिक्र रहती। काफ़ी दिनों तक सोचने के बाद वह इस निश्चय पर पहुंचा कि राजकुमार को घर पर ही रखा जाए। घर से बाहर ना जाने दिया जाए। घर में ही राजकुमार के लिए सब प्रकार की वस्तुएँ मँगाई जाएँ। यह सब सोच राजा ने राजकुमार का घर से बाहर निकलना बन्द कर दिया। राजकुमार के रहने के लिए एक महल बनवाया जो बहुत सुन्दर था। इस महल में तरह-तरह के पशु-पक्षियों की तसवीरें भी थीं। ये तसवीरें पशु-पक्षियों के जीवित आकार-प्रकार से कुछ कम न थीं। इन तसवीरों में एक शेर भी था। एक दिन राजकुमार की महल में घूमते-घूमते शेर की तसवीर पर नज़र पड़ी। शेर को देख राजकुमार के हृदय में उदासी छा गई। वह उस शेर की तसवीर के पास जाकर बोला - ‘‘आह! भयानक जन्तु! तू ही मेरे पिता को स्वप्न में दिखलाई दिया था। तेरे ही कारण मैं आज इस महल में लड़की की तरह बन्द हूं। तू ठहर, मैं अभी तेरा अन्त किए देता हूं।’’ इतना कहकर वह अपने पास खडे़ पेड़ की ओर लपका। पेड़ से लकड़ी तोड़कर वह शेर को मारना जो चाहता था। राजकुमार ने जैसे ही पेड़ से लकड़ी तोड़ी वैसे ही उसके हाथों में पेड़ के काँटे गड़ गए। काँटे गड़ जाने से राजकुमार को बहुत पीड़ा हुई और तेज बुखार हो आया। यह बुखार काफी दिनों तक चलता रहा और राजकुमार के प्राण लेकर ही रहा।

शनिवार, 30 नवंबर 2013

रेमाधव प्रकाशन की हिंदी पुस्तकें

अकेली, मन्नू भंडारी
अधूरी इबारत, हरिपाल त्यागी
अंतयात्रा, कमल कुमार
अपनी छाया, oscar wilde
आइने के सामने, बुद्धदेव गुहा
आकाश चंपा, संजीव
आकाश से झांकता वह चेहरा, कामतानाथ
आगमन, ओमप्रकाश गंगोला
आज या कल या सौ वर्ष बाद, अमृता भारती
आज़ादी की बस्ती, मनोरमा दीवान
इस तरह की बातें, सिम्मी हर्षिता
इस बार, उषा महाजन
इसी देश के इसी शहर में, विभा रानी
ईदगाह, दो बैलों की कथा, प्रेमचंद
एकतारा, तिलोत्तमा मजुमदार
ओ रे मांझी (विमल राय पर विशेष), प्रहलाद अग्रवाल
ओक भर जल, सुनीता जैन
कंकल, तितली, जयशंकर प्रसाद
कंकाल, जयशंकर प्रसाद
कथा समग्र (1-14 भाग), सुनीता जैन
कथा समग्र, दूधनाथ सिंह
कथा समग्र, रामकुमार
कथा समग्र-1, विजयदान देथा
कन्हाई के जगाईबाबा, सत्यजीत रे
कपालकुंडला, देवीचौधरानी, बंकिमचंद्र चटर्जी
कलड़सुंघवा, शरतचंद्र
काला चोर गोरा चोर, सुनील गंगोपाध्याय
काले पन्नों पर लिखी इबारत, राजेंद्र सिंह गहलौत, 100, 65
कुल बारह, सत्यजीत रे, 275, 100
कृपाचार्य, नृसिंहप्रसाद भादुड़ी, 110, -
कृष्णद्वैपायन व्यास, नृसिंहप्रसाद भादुड़ी, 250, 130
कैलास में गोलमाल, सत्यजीत रे, 160, 80
कोयल के निकट, बुद्धदेव गुहा, 250, 175
क्षमा, सुनीता जैन, 100, 65
खव्यबरौ / नादीद, जोगिंदर पाल, 400, 200
खुकी का कारनामा, विणूति बंद्योपाध्याय, -, 55
खेल, अभिषेक कश्यप, 250, 150
गद्दार कौन, सुहैल वड़ाइच, 330, 165
गबन, प्रेमचंद, -, 125
गांधर्व पर्व, सुनीता जैन, 120, 75
गुप्तधन, काबुलीवाला, रवींद्रनाथ ठाकुर, -, 55
गुम होती गौरिया, कुसुम अंसल, 200, 135
गुहार, जयनंदन, 180, 120
गेटकीपर, रमेशचंद्र शाह, 250, 150
गोगोल चिक्कुसः नागाland में, समरेश बसु, 145, -
गोदान, गबन, प्रेमचंद, 650, 350
गोदान, प्रेमचंद, -, 175
घर बने घर टूटे / देर सवेर, राजकुमार, 350, 250
घर से घर तक, उषाकिरण खान, 245, 155
चित्रगुप्त की फाइल, सतीनाथ भादुड़ी, 125, -
चीनी यात्री सुंगयुन, जगमोहन वर्मा, 100, 50
चीनू का चिड़ियाघर, प्रकाश मनु, 65, 30
छत पर दस्तक, मृदुला गर्ग, 280, 170
छांह, मैत्रेयी पुष्पा, 320, 195
जंगल की कहानियां, प्रेमचंद, 95, -
ज़मीन आसमान, जितेंद्र, 200, 100
जय बाबा फेलूनाथ, सत्यजीत रे, 175, 75
जाने लड़की पगली, सुनीता जैन, -, 160
जिजीविषा, लिली रे, 120, 75
जुग बीते जुग आए, पुष्पपाल सिंह, 220, 150
टप्पर गाड़ी, द्रोणवीर कोहली, 245, -
ठग, श्रीपांथ, 250, 100
ताजमहल में एक कप चाय, सुनील गंगोपाध्याय, 225, 75
तितली, जयशंकर प्रसाद, -, 110
तीसरी नाक, भिड़ंत, संजीव, -, 25
दद्दू की कहानियां, रवींद्रनाथ ठाकुर, 80, 40
दूसरे किनारे पर, वल्लभ सिद्धार्थ, 250, 175
देवरानी-जेठानी की कहानी, पंडित गौरी दत्त, 175, 75
दो मुसाफ़िर, बनफूल, 100, 60
द्रोणाचार्य, नृसिंहप्रसाद भादुड़ी, 195, 125
धृतराष्ट्र, नृसिंहप्रसाद भादुड़ी, 155, -
ध्रुवसत्य, द्रोणवीर कोहली, 650, 400
नदी नहा रही थी, सतीश जायसवाल, 220, 150
नष्टनीड़, रवींद्रनाथ ठाकुर, 165, -
नारी का मुक्ति संघर्ष, डॉ॰ अमरनाथ, 300, 200
नीलकान, देवेंद्र कुमार, 130, 70
न्ही गोगो के कारनामे, प्रकाश मनु, 130, 80
पगला दासू, सुकुमार राय, -, 35
पच्चीस साल की लड़की, ममता कालिया, 275, 125
पत्थर अल पत्थर, गर्म राख, उपेंद्रनाथ अश्क, 515, -
परीणिता, पथ के दावेदार, शरतचंद्र चट्टोपाध्याय, 395, -
पाषाणगाथा, हिमांशु जोशी, 195, 125
पीतल का पतीला, मीनाक्षी स्वामी, -, 35
प्रेम कहानियां, महाश्वेता देवी, 350, 175
प्रेम में स्त्री, सुनीता जैन, 200, 75
प्रोफेसर शंकु के कारनामे, सत्यजीत रे, 160, 80
फट जा पंचधार, विद्यासागर नौटियाल, 320, 225
फटिकचंद, सत्यजीत रे, 80, 40
फरार, जफ़र पयामी, 250, 125
फिजीद्वीप में मेरे 21 वर्ष, तोताराम सनाढ्य, 155, -
बंग महिला रचना समग्र, सरदार डॉ॰ भवदेव पांडेय, 360, 180
बड़े भाई साहब, गुल्ली डंडा, प्रेमचंद, -, 45
बारह घंटे, ख्वाजा अहमद अब्बास, 220, -
बुधी की वापसी, विभुति बंद्योपाध्याय, -, 55
ब्राज़ील का काला बाघ, arthur conan doyal, अनुवादः सत्यजीत रे, -, 35
भरी दोपहर के अंधेरे, राकेश कुमार सिंह, 250, 175
भारत में विवाह का इतिहास, अतुल सूर, 150, 95
भारतः नियति और संघर्ष, तरुण विजय, 350, -
भुतही घड़ी, शीर्षेंद्र मुखोपाध्याय, 130, 80
भुलभुलैया, अमर गोस्वामी, 250, 100
मंकूः चांदपुर कि चटाई, सुनीता जैन, -, 55
मंगल पांडे का मुकद्दमा, श्रीपांथ, 180, 100
मटमैली समृति में प्रशांत समुद्र, अनुवादः उद्यन वाजपेयी, 160
मटियाबुर्ज का आखिरी नवाब, श्रीपांथ, 190, 100
महुआ मांदल और अंधेरा, राकेश कुमार सिंह, 250, 175
master अंशुमान, सत्यजीत रे, 80, 40
मिट्टी पर साथ-साथ, अमृता भारती, -, 100
मिथिला, लोकसंस्कृति एवं लोककथाएं, अखिलेश झा, 250, 125
मुक्ति, मुनि क्षमासागर, 500, 300
मुक्तिबोध, विजय, 360, -
मेडल नीलगंज के फालमन, विभुति बंद्योपाध्याय, -, 55
मेरा पहाड़ शेखर जोशी, 195, 110
मेरी प्रिय संपादित कहानियां, अवध नारायण मुद्गल, 350, 100
मेरी प्रिय संपादित कहानियां, कमलेश्वर, 360, 175
मेरी प्रिय संपादित कहानियां, ज्ञानरंजन, 300, 200
मेरी प्रिय संपादित कहानियां, रवींद्र कालिया, 380, 250
मेरी प्रिय संपादित कहानियां, राजेंद्र यादव, 450, 280
मैं तट पर हूं, अमृता भारती, ।, 150
या इसलिए, सुनीता जैन, 250, 150
यूरोप के स्केच, रामकुमार, 375, 225
रंकिणी देवी की तलवार, विभुति बंद्योपाध्याय, -, 45
रहोगी तुम वही, सुधा अरोड़ा, 320, 200
राजमहल का रहस्य, सुनील संगोपाध्याय, 135, -
राजा की बीमारी, सुकुमार राय, -, 30
रात में सागर, चंद्रकांता, 185, -
रानी की सराय, संजीव, -, 95
लंकेश रावण, दीपक चंद्र, 200, 135
लक्षमी का आगमन, बनफूल, 130, 85
लालू, शरतचंद्र, -, 35
वह भयानक रात, शरतचंद्र, 125, 75
वानाचरण का खज़ाना, विभुति बंद्योपाध्याय, -, 35
वारली चित्र संस्कृति, डॉ॰ गोविंद गारे, 150, -
विवर, प्रजापति, समरेश बसु, 315, -
विषय चलचित्र, सत्यजीत रे, 250, 175
शरणागत, समरेश मजुमदार, 200, -
शाम के बाद, बुद्धदेव गुहा, 250, 100
शुरूआत, हृदयेश, 295, -
संत-2, अमृता भारती, 280, -
संसार में निर्मल वर्मा, सरदार गगन गिल, 600, 300
समुद्र, सुबीर दत्त, 175, -
सिंदबाद के सात समुद्री सफर, पंकज चतुर्वेदी, 90, 50
सुंदरवन में सात वर्ष, विभुति बंद्योपाध्याय, 100, 40
सुजन हरबोला, गंगाराम, सत्यजीत रे, -, 55
सुबह से पहले, बुद्धदेव गुहा, 275, 100
सृष्टि एवं प्राणतत्व, अमृता भारती, 400, -
स्कूप, कुलदीप नैयर, 300, 150
स्त्रीling निर्माण, मल्लिका सेनगुप्त, 275, 180
स्वत्व का सम्मोहन, अनुवादः मोहिनी हingोरानी, 600
हरम, श्रीपांथ, 250, 125
हिंदी कहानी का पहला दशक, स. भवदेय पांडेय, 250, 125
हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, डॉ॰ भवदेव पांडेय, 150, 100
हिट होने के फार्मुले, गिरीश पंकज, 200

भारतीयों के रहन सहन पर चर्चा

एक भारतीय इण्टरनेट फोरम पर जर्मनी में भारतीयों के रहन सहन पर एक चर्चा ने हंगामा खड़ा कर दिया है। जब फोरम में एक भारतीय ने अपना कमरा share करने के लिए एक या दो लोगों की मांग की तो एक जर्मन ने पूछा कि बड़ी कम्पनियों में काम करने और खूब सारा पैसा कमाने के बावजूद भारतीय लोग किराया बचाने के लिए कमरों में ठूंस ठूंस कर क्यों रहते हैं। कई बार इन्हीं कारणों से उन्हें समलैंगिक भी समझा जाता है। भारतीयों ने बचाव के लिए जर्मन संस्कृति पर लांछन लगाने शुरू कर दिए। एक भारतीय ने कहा कि हमारा culture विश्व में सबसे अच्छा है। तुम्हारे culture में लोग बिना शादी के सालों साल इकट्ठे रह लेते हैं। समलैंगिकता को तुमने वैध बना दिया है। इसपर जब जर्मन ने कहा कि अगर इसी तरह रहना है और हमारे culture से इतनी ही तकलीफ़ है तो भारत जाकर क्यों नहीं रहते, यहां क्या कर रहे हो? तो एक अन्य भारतीय ने कहा कि हम यहां तुम्हारी मां बहनों को बच्चे पैदा करने आए हैं। हालांकि भारतीयों के ये दोनों तर्क विरोधाभासी हैं। एक ओर वे बिना शादी के सह-जीवन को संस्कृति के विरुद्ध मानते हैं, दूसरी ओर कहते हैं कि हम यहां बच्चे पैदा करने आए हैं। भारतीयों द्वारा समलैंगिकता का तर्क भी गलत है, क्योंकि पुराने वेदों और शास्त्रों में भी समलैंगिकता का उल्लेख है। और हाल ही में भारतीय उच्च न्यायालय ने समलैंगिकता को decriminalise कर दिया है। कुछ भारतीयों का मानना है कि लोगों खुले फोरम में कुछ लिखते समय ध्यान रखना चाहिए, और फोरम के मॉडरेटर को भी ऐसी बेहूदा टिप्पणियां तुरन्त हटा देनी चाहिए।

म्युनिक से Christine Liedl, जिनके पति भी भारतीय हैं, कहती हैं कि जर्मन और भारतीय मानसिकता में एक बड़ा अन्तर है अपनी निजी जगह। अगर कुछ जर्मन एकल लोग एक apartment share कर रहे हों, तो भी हर कोई अलग कमरे में रहता है। परिवारों में बच्चों को भी बचपन से ही अलग कमरे में सुलाया जाता है। जबकि संयुक्त परिवारों के कारण भारतीय लोगों को शुरू से ही इकट्ठे और साथ रहने की आदत होती है। मैं जब भारत के हरियाणा में अपने पति के परिवार में गई तो मुझे उसके भाई की पत्नी के साथ बिस्तर में सोना पड़ा। उसका पति किसी अलग कमरे में चला गया। हालांकि वहां drawing room में भी बिस्तर लगाया जा सकता था। हालांकि पैसा बचाना, खासकर म्युनिक जैसे शहर में जहां किराए आसमान को छू रहे हैं, भी महत्वपूर्ण है, पर केवल धन बचाना ही एक कारण नहीं है। एक भारतीय लेखक 'सुधीर कक्कड़' ने भारतीय मानसिकता पर बहुत अच्छी पुस्तक लिखी है 'हम हिन्दुस्तानी'। मूल रूप से यह अंग्रेज़ी में प्रकाशित हुई थी। यह जर्मन भाषा में भी प्रकाशित हो चुकी है। इसे पढ़कर भारतीयों के बारे में काफी पूर्वाग्रह दूर हो जाएंगे।

गुरुवार, 21 नवंबर 2013

शाम के कॉकटेल घंटों के लिए अनन्य ग्लैमर

Mehra Enterprise GmbH खूबसूरत शाम और कॉकटेल फैशन के क्षेत्र में महिलाओं के लिए 34 से 60 के आकार तक स्वयं के brand के लिए और कई अन्य प्रसिद्ध Brands के लिए उच्च गुणवत्ता और जटिल कढ़ाई वाले कपड़े बनाती है।

 

2009 में म्यूनिक के फैशन हाउस मेहरा एंटरप्राइज ने अपनी 20वीं वर्षगांठ मनाई। अनन्य शाम और कॉकटेल फैशन की विशेषज्ञ कंपनी के संस्थापक राकेश मेहरा हैं। "मैं कपड़ा और फैशन उद्योग में बहुत देर से काम कर रहा हूँ" प्रबंध निदेशक राकेश मेहरा कहते हैं. "1943 के बाद भारत में मेरे दादा ने रेशमी कपड़ों को थोक में बेचने और रेशम की साड़ियां बनाने का व्यवसाय स्थापित किया। साड़ियां, जो कि महिलाओं के लिए एक पारंपरिक परिधान है, के लिए हम ने थोक और खुदरा विक्रेता के तौर पर काम किया।" 70 के दशक के मध्य में राकेश मेहरा के पिता ने पश्चिमी परिधानों में हाथ से बने हुए कॉकटेल और शाम को पहनने वाले उन्नत परिधानों के क्षेत्र में ध्यान केंद्रित किया। रेशम के बने आकर्षक मॉडलों की मांग बहुत बढ़ गई और वहीं से निर्यात के दरवाज़े भी खुल गए। निर्यात के प्रथम चरण में राकेश मेहरा ने अमेरिका में वस्त्र बेचने आरंभ किए। और फिर वे ब्रिटेन, इटली, स्पेन और जर्मनी में भी वस्त्र निर्यात करने लगे। "अंत में, हम ने खुद को पूरे यूरोप में स्थापित कर लिया। आज हम पूरी दुनिया में वस्त्र बेचते हैं।" बाजार की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए राकेश मेहरा कहते हैं। "हम पहले की तरह अभी भी एक परिवार हैं जिसमें लगभग 500 लोग कार्यरत हैं। हमारा उत्पादन पूरी तरह से भारत में आधारित है। कढाई वालों और अन्य आपूर्तिकर्ताओं को मिलाकर हमारी मूल कंपनी मेहरा बंधु और Mehra Entertrises में छह से सात हज़ार लोग काम करते हैं।" कई प्रसिद्ध brands के लिए एक अनुबंध के निर्माता के रूप में Mehra Enterprises शाम और कॉकटेल फैशन का उत्पादन और वितरण करता है। कंपनी की तीन चौथाई कमाई यहां से होती है। उनके ग्राहकों में Jean Paul, Escada, Basset Mode, Blacky Dress, Sandra Pabst, Massimo Dutti, Zara, Hermann Lange, Augustat, Clasen, Vera Mont, Swing, Olsen & Oui, Peter Hahn, Mona Lisa, Madeleine और Conley’s जैसी कंपनियां शामिल हैं। और बाकी का एक चौथाई भाग अपने खुद के लेबल से आता है जिसमें हर season में करीब 300 वस्त्र बेचे जाते हैं। हम मुख्य तौर पर रेशम और Tulle netting के वस्त्र बनाते हैं। केवल दस प्रतिशत वस्त्र ही अन्य कपड़ों के बनते हैं। यूरोप में वे लगभग दो सौ ग्राहक कंपनियों को वितरण करते हैं। रूस से भी अब मांग बढ़ रही है। इस बाज़ार के लिए राकेश मेहरा खुदरा विक्रताओं को ढूँढ रहे हैं। „हमारा लक्ष्य 25 साल से लेकर फैशन के प्रति सजग युवतियां हैं। मध्य कीमत के वस्त्रों में रंगों और कढ़ाई का अनोखा मिश्रण होता है। दो तीन सालों से कढ़ाई फिर से फैशन में आ गई है। „परिधान देखने के लिए म्युनिक में हमारा एक show room भी है। वहीं हमारा गोदाम भी है। इस तरह हम हर समय आपूर्ति सुनिश्चित कर सकते हैं। हमारे संग्रह की खास बात यह है कि हमारे पास 34 से लेकर 60 तक के size के वस्त्र हैं। ये वस्त्र दिल्ली के मेहरा बंधु और चार अन्य आपूर्तिकर्ताओं से आते हैं। हम बहुत रचनात्मक हैं। साथ ही हम गुणवत्ता और कीमत के प्रति बहुत सजग हैं।„

Exklusiver Glamour für die Abend- und Cocktailstunden

Hochwertige Stoffe und aufwändige Stickereien verwandelt die Mehra Enterprise GmbH in hinreißende Abend- und Cocktailmode für den großen Auftritt.Außer der in den Größen 34 bis 60 verfügbaren Kollektionen des eigenen Labels Mode Exclusiv Mehra fertigt Mehra Enterprise hochwertige Damenmode für namhafte Marken.

Im Jahr 2009 feiert das Münchener Modehaus Mehra Enterprise sein 20-jähriges Bestehen. Gründer des auf exklusive Abendund Cocktailmode spezialisierten Unternehmens ist Rakesh Mehra. „Ich bin in der Textil- und Modebranche allerdings schon wesentlich länger tätig“, fügt Geschäftsführer Rakesh Mehra hinzu. „In Indien hat mein Großvater in den Jahren nach  1943 zunächst einen Großhandel für Seidenstoffe aufgebaut, die Konfektionierung der hochwertigen Stoffe zu Saris mit eingeschlossen. Die Saris, bei denen es sich um eine traditionelle Bekleidung für Frauen handelt, haben wir an Groß- und Einzelhändler vertrieben.“ Mitte der 70er Jahre erweiterte Rakesh Mehras Vater das Angebot um westliche Kleidungsstücke, wobei der Schwerpunkt in dieser Sparte von Anfang an auf handbestickter Cocktail- und Abendmode lag. Die attraktiven Modelle, zumeist aus Seide gefertigt, erfreuten sich rasch einer regen Nachfrage, was wiederum den Einstieg in den Export begünstigte. Zunächst verkaufte Rakesh Mehra die Kleidungsstücke in den USA, bevor er in einem zweiten Schritt in Großbritannien, Italien, Spanien und Deutschland Fuß fasste. „Schließlich haben wir uns in ganz Europa etabliert. Heute liefern wir unsere Mode weltweit aus“, unterstreicht Rakesh Mehra die erreichte Marktpositionierung. „Nach wie vor sind wir ein Familienunternehmen. Die Produktion, in der rund 500 Mitarbeiter tätig sind, ist komplett in Indien angesiedelt. Die Zulieferer, wie etwa Stickereien, mit eingerechnet, sind insgesamt zwischen 6.000 und 7.000 Menschen für unsere Muttergesellschaft Mehra Bhandu und Mehra Enterprise im Einsatz.“ Die Herstellung und der Vertrieb der Abend- und Cocktailmode erfolgt unter dem Dach der Mehra Enterprise GmbH, die rund drei Viertel ihres Umsatzes als Auftragsproduzent für namhafte Marken erwirtschaftet. Zu den Kunden zählten so renommierte Anbieter wie Jean Paul, Escada, Basset Mode, Blacky Dress, Sandra Pabst, Massimo Dutti, Zara, Hermann Lange, Augustat, Clasen, Vera Mont, Swing, Olsen und Oui sowie die Versender Peter Hahn, Mona Lisa, Madeleine und Conley’s. Die eigene Kollektion mit jeweils ca. 300 Teilen pro Saison unter dem Label Mode Exclusiv Mehra trägt 25 Prozent zum Betriebsergebnis bei. „Bei Mode Exclusiv Mehra geben Seide und Tüll den Ton an. Rund zehn Prozent unserer Stoffe bestehen aus anderen Materialen, darunter verschiedene Mixqualitäten“, informiert Rakesh Mehra unsere Redaktion. In Europa beliefert Mehra Enterprise momentan ca. 200 aktive Kunden. Ein großes Wachstumspotenzial sieht das Unternehmen in Russland. Für diesen Zielmarkt sucht Mehra derzeit selbstständige Handelsverfertigttreter. „Wir sprechen mit unserer Mode die stilbewusste Dame ab 25 an. Unsere im mittleren Preissegment angesiedelte Mode zeichnet sich durch das Spiel mit Farben und hochwertige Stickereien aus. Seit zwei bis drei Jahren liegen Stickereien wieder im Trend“, fügt Rakesh Mehra hinzu. „Einen Überblick über unser Sortiment bietet unser Showroom in München, wo wir auch ein Lager unterhalten. So können wir jederzeit die Liefersicherheit sicherstellen.“ Ein wichtiges Alleinstellungsmerkmal der Kollektionen ist, dass die Modelle in den Größen 34 bis 60 verfügbar sind. Die Kleidungsstücke werden von Mehra Bhandu und vier weiteren Lieferanten in Neu-Delhi gefertigt. „Wir sind sehr kreativ sowie qualitäts- und preisbewusst“, hebt Rakesh Mehra hervor. „Schnitt, Fertigung und Design sind in Indien angesiedelt. Sofern wir als Zulieferer auftreten, produzieren wir natürlich nach den Designvorschlägen der Marken. Generell spielt der Teamwork-Gedanke eine wichtige Rolle in unserem unternehmerischen Selbstverständnis. Das betrifft die Herstellung genauso wie die partnerschaftliche Zusammenarbeit mit unseren internationalen Kunden.“

गुरुवार, 31 अक्तूबर 2013

barefoot gen के बारे में

barefoot Gen एक जापानी आत्मकथा है। पुस्तक के लेखक Keiji Nakazawa केवल सात साल के थे जब उनके शहर hiroshima पर atom bomb गिरा। Gen एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ होता है `जड़ें´ या स्रोत्र। लेखक ने इसे इन शब्दों में समझाया है: मैंने पुस्तक के मुख्य पात्र को Gen का नाम इसलिए दिया जिससे कि वो नयी पीढ़ी के लिए ताकत का स्रोत्र बन सके। एक ऐसी पीढ़ी जो hiroshima की झुलसी मिट्टी पर नंगे पांव चल कर उसकी ज़मीन को महसूस कर सके और जिसमें अणु अस्त्रों को तिरस्कार करने की शक्ति हो। ऐसे ही आदर्श व्यक्ति के लिए मैं निरन्तर काम करता रहूँगा। 1972-73 में barefoot Gen सबसे पहले शाकुन शोनिन जम्प पत्रिका में श्रृंखलाबद्ध होकर छपी। जापान में सर्वाधिक खपने वाली इस साप्ताहिक पत्रिका की 20 लाख प्रतियां छपती हैं। इसमें hiroshima में bomb गिरने से पहले और बाद का एक मार्मिक और ग्राफिक वर्णन है। इसे न केवल नौजवान पाठकों ने सराहा परन्तु पालकों, शिक्षकों आदि ने भी इसकी प्रशंसा की। barefoot Gen के ऊपर अभी तक तीन फ़िल्में बन चुकी हैं। उसके साथ अंग्रेज़ी में एक ऐनिमेशन फिल्म भी बनी है।

Gen की कहानी उन तमाम आम लोगों की कहानी है जो द्वितीय महायुद्ध से पहले और atom bomb के आक्रमण के बाद अमानवीय परिस्थितियों से जूझने को मजबूर हुए। हमें उम्मीद है कि barefoot Gen युद्ध की बरबादी - विशेषकर atom bomb द्वारा मचाई तबाही का एक संजीदा दस्तावेज साबित होगी। वैसे यह जापानी comic बुक अंग्रेज़ी में छपी comics से बहुत भिन्न लगेगी, परन्तु इसकी सच्ची भावनायें और मार्मिक अनुभव दुनिया भर के बच्चों और वयस्कों को जरूर अपील करेंगी।

barefoot Gen युद्ध सम्बन्धी comic
Art Spiegelman की प्रस्तावना

Gen की कहानी मुझे अभी भी प्रताड़ित करती है। मैंने उसे 1970 के दशक के अंत में पढ़ा था। तभी मैंने अपनी पुस्तक माउफस पर काम शुरू किया था। माउफस में बीसवीं शताब्दी की दूसरी केंद्रीय दुर्घटना का सविस्तार उल्लेख है।

Gen को पढ़ते समय मुझे फ्लू और तेज बुखार था। बुखार के सपने जैसे Gen ने मेरे मस्तिष्क को झकझोर कर रख दिया। पुस्तक के बिम्ब और घटनाएँ मुझे इतनी स्पष्टता और नज़दीकी से याद हैं जैसे वो मेरे जीवन में ही घटी हों, Nakazawa की ज़िन्दगी में नहीं। लोग जिस तरह से hiroshima के मलबे में चलते हुए अपनी पिघली त्वचा को घसीटे हैं, जलते हुए घबराए हुए घोड़े का सड़कों पर घूमना और एक नौजवान लड़की के चेहरे के जख़्मों पर से भुनगों का निकलना, यह अमिट बिम्ब मुझे अभी भी याद हैं। Gen में बिना लाग-लपेट के atom bomb की तबाही को दरशाया गया है। पुस्तक में कोई सुपरमैन नहीं हैं, केवल एक वास्तविक त्रासदी का वर्णन है। मैंने हाल में इन किताबों को दुबारा पढ़ा। मुझे लगा कि barefoot Gen की जीवन्तता पुस्तक में ही निहित थी और वो मेरे बुखार के कारण नहीं थी। comics एक गज़ब का माध्यम हैं जिनके द्वारा बिम्बों और अल्प शब्दों में बहुत सघन जानकारी पेश की जा सकती है। मुझे लगता है कि हमारा मस्तिष्क भी इसी तरह सोचता होगा और बातें याद रखता होगा। लोग cartoons में सोचते हैं! action कहानियों और चुटकुलों के लिए तो comics उपयुक्त हैं ही, परन्तु उनका हस्त लेखन से भी क़रीबी का रिश्ता है। इसलिए आत्मकथा लेखन के लिए भी cartoons बहुत उपयुक्त हैं। 1960 के भूमिगत cartoons के विकास से पहले बहुत कम ही आत्मकथायें cartoons के रूप में लिखी गयीं। खासकर व्यक्तिगत इतिहास को विश्व इतिहास से जोड़ने वाली cartoon किताबें लगभग नदारद थीं। इससे पहले कि आत्मकथायें cartoons के रूप में आयें यह जरूरी था कि comics वयस्कों के पढ़ने का एक वैध माध्यम बनें। Nakazawa के जीवन से परिचित होने से पहले मेरा यही सोच था। 1972 में, केवल 33 साल की उम्र में Nakazawa ने atom bomb की विभीषिका से बचने की आत्मकथा को चित्रों में उकेर कर एक जापानी बच्चों की comic पत्रिका में श्रृंखलाबद्ध करना शुरू किया। शीर्षक एकदम सीधा और स्पष्ट था जैसा मैंने देखा (and I saw it) एक साल बाद उन्होंने Gen की श्रृंखला शुरू की। उसका रूप एक काल्पनिक कथा जैसा था पर उसकी जड़ें गहरे अनुभव में थीं। कहानी एक साहसिक लड़के की थी जिसने युद्ध के तांडव को क़रीबी से अनुभव किया था। जापान में comics पढ़ना गलत नहीं समझा जाता। वहां थोक के भाव से comics पढ़े जाते हैं (कुछ साप्ताहिक comics 30 लाख से ज़्यादा बिकते हैं। इन्हें सभी आयु और वर्ग के लोग चाव से पढ़ते हैं। वहाँ अर्थ-व्यवस्था, महजौंग और समलैंगिक सेक्स से लेकर सामुराई, रोबो आदि पर भी comics प्रचलित हैं। वैसे जापानी comics के बारे में मैं ज़्यादा नहीं जानता हूं। उनकी अपार दुनिया का मेरे कामकाज से कोई सीध सम्बन्ध भी नहीं है। कई बार तो मुझे सभी जापानी चीजों के बारे में ऐसा लगता है। इस खाई को पाटने के लिए शायद Gen से शुरू करना ही सबसे अच्छा होगा। आधुनिक comic बुक पिश्चम की देन है। इसलिए पिश्चम द्वारा पूर्व पर atom bomb के क़हर को रिपोर्ट करने का शायद comic ही सबसे उपयुक्त माध्यम है। परन्तु जापानी comics का अपना विशिष्ट स्टाइल और अन्य विशेषताएं हैं जो पिश्चम से बिलकुल भिन्न हैं और Gen पढ़ते समय उन्हें स्वीकारना चाहिए। जापानी कहानियां अक्सर बहुत लम्बी होती हैं। Gen की सम्पूर्ण कहानी 2000 पन्नों की है। इसमें शब्द कम और चित्र अधिक हैं। इसलिए 200 पृष्ठों की पुस्तक को घर से office की बस सवारी में आसानी से पढ़ा जा सकता है। जापानी comics प्रतीक चिन्हों से भरे होते हैं। Nakazawa का प्रतीक सूर्य है जो बार-बार पन्नों में से झांकता है। सूर्य जीवनदायी है, समय गुजरने का प्रतीक है, जापान का झंडा है और वो Gen की कहानी को ताल गति देता है।

जापानी cartoon किताबों में हिंसा की मात्रा अमरीकी comic बुक्स की अपेक्षा कहीं ज़्यादा होती है। Gen के पिता मौका पाते ही अपने बच्चों की जम कर पिटाई करते हैं। अमरीका में पिता की ऐसी हरकत को आपराधिक `child abuse´ करार दिया जायेगा। एक स्थान पर Gen चेयरमैन के लड़के की उंगलियों को काटकर अलग करता है। उस वीभत्स वर्णन को झेल पाना वाकई मुश्किल है। परन्तु यह व्यक्तिगत निर्दयता अमरीका द्वारा जापान के आम लोगों पर atom bomb गिराने की तुलना में एकदम फीकी है। जापानी cartoons में चेहरों का भी एक खास अंदाज होता है, आंखें और मुंह बड़े-बड़े होते हैं। इसमें Nakazawa की कोई गलती नहीं, यह एक जापानी परम्परा है। उनके चित्र भी रूप हीन, घरेलू और बहुत सूक्ष्म नहीं हैं। परन्तु फिर भी काम स्पष्ट और कुशल है और वो कथा के चित्रों को जादुई ढंग से उजागर करता है। सभी पात्रा जीवन्त हैं। चित्रों की सबसे बड़ी विशिष्टता उनकी सरलता और सच्चाई है। कथा की सच्चाई हमें hiroshima में हुई अविश्वसनीय और असम्भव चीजों में यकीन करने पर मजबूर करती है। यह एक गवाह की निष्ठुर कलाकृति है। जापानी comic books से अपरिचित पश्चिमी लोगों को शायद पुस्तक की भाषा कुछ अटपटी लगे पर इसमें पुस्तक का प्रमुख मजा है। Nakazawa एक बेहद कुशल कहानीकार हैं जो गम्भीर अप्रिय घटनाएँ सुनाते हुए भी अपने पाठकों का ध्यान बांधे रखने का गुर जानते हैं। युद्ध कालीन जापान में आम जनता की ज़िन्दगी की परेशानियों और उसमें ज़िन्दा रहने की कोशिश को उन्होंने बखूबी बयान किया है। जिस प्रकार Nakazawa मृत्यु के साये में जीते हुए भी रोजमर्रा की छोटी-छोटी खुशियों का वर्णन करते हैं उसमें एक विरोधाभास नजर आता है। परन्तु इससे हम एक नई संस्कृति से भी परिचित होते हैं। और जिस प्रकार मुख्यपात्र से हमें हमदर्दी पैदा होती है उसमें एक विशेष आनंद है। Nakazawa ने atom bomb के पीछे पश्चिमी नस्लवाद और शीतयुद्ध की राजनीति की बजाए जापानी उपनिवेशवाद को दोषी ठहराया है। ऐसा करने से उन्होंने पुस्तक को अमरीकी और ब्रिटिश पाठकों के लिए ज़्यादा आनन्ददायी बना दिया है। अंतत Gen एक अत्यन्त आशावादी कृति है। Nakazawa का विश्वास है कि Gen इनसानियत को सजग करेगा और मानवजाति अपने सच्चे हितों के लिए कार्य करेगी। Gen एक छोटा सा मस्त हीरो है जो बहादुरी, निष्ठा और मेहनत का प्रतीक है। Nakazawa का मनुष्य का अच्छाई में अटूट विश्वास है। इसके कारण कुछ लोगों को यह पुस्तक महज़ एक उत्कृष्ठ बाल-साहित्य लग सकती है परन्तु सच्चाई यह है कि Nakazawa यहां खुद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। वो न केवल ज़िन्दा रहने की घटनाओं का वर्णन कर रहा था परन्तु उनके पीछे का दर्शन भी समझा रहा था। Gen एक मानवीय कृति है जो दयालुता और सहानुभूति के मूल्यों पर ज़ोर देती है। इस पर अमल करके ही इंसान नई शताब्दी में कदम रख पायेगा।

Gen - भारत के लिए आनन्द पटवर्धन 1998 में जब भारत और पाकिस्तान ने आणविक परीक्षण किए तो हमें दुःख हुआ। ऐसा लगा जैसे दुनिया अब खुद को नष्ट करने पर तुल पड़ी है। जब हमारे देश वासियों ने मानवता को नष्ट करने के हथियारों का स्वागत किया और सड़कों पर उतर कर जश्न मनाया तो दिल वाकई में दहल गया। जब शांति-कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाने वालों से बातचीत की तो समझ में आया कि आम लोग आणविक प्रलय के बारे में कुछ भी नहीं जानते। फिर हम लोगों ने काफी प्रयासों के बाद hiroshima और nagasaki पर bomb गिराने वाली चंद ब्लैक-और-व्हाइट डौक्यूमैंटरी इकट्ठी कीं। इन फिल्मों को हमने स्कूलों, कॉलेजों और मजदूर बस्तियों में दिखाया। फिल्मों को देखने के बाद लोगों में तुरन्त एक निश्चित बदलाव आया। atom bomb की तबाही ने लोगों को झकझोर दिया। atomic क्लब के सदस्य बनने की बजाए अब लोग दहशत के मारे उससे कतराने लगे। यह तो ठीक था पर फिर भी ऐसा लगा जैसे कुछ गायब हो। फिल्मों में मरे, जले, झुलसे लोगों की छवियां सब दूर-दराज के देशों की थीं। यह हश्र यहां भी हो सकता है - यह बात लोगों को विचार के स्तर पर तो समझ में आ रहा थी पर भावनात्मक स्तर पर नहीं। hiroshima और nagasaki के लोग महज़ `atom bomb के शिकार´ नहीं थे। वो हर मायने में बिलकुल हम जैसे ही लोग थे।

barefoot Gen का यह गुण हमें सबसे अधिक अच्छा लगता है। मुख्य रूप से बच्चों के लिखी यह पुस्तक वयस्कों को भी बहुत भाती है। कहानी शिक्षाप्रद है।

जापान में bomb गिरने से पहले छोटे शहरों में रह रहे आम लोगों को तमाम कठिनाइयों से गुजरना पड़ा था। यह सब द्वितीय महायुद्ध के कारण था। इस युद्ध में पहली बार पृथ्वी के किसी शहर पर atom bomb गिराया गया। barefoot Gen को पढ़ते समय हमें इस बात का बिलकुल भी अंदाज नहीं होता कि हम इतिहास के सबसे महत्त्वपूर्ण अध्याय के पन्ने पलट रहे हैं - एक ऐसा पाठ जिसे इनसानियत खुद को जोखिम में डाल कर ही भूल सकती है। यह पुस्तक एक comic-book है क्योंकि इसमें कहानी को चित्रों में दरशाया गया है। पुस्तक में Nakaoka परिवार युद्ध के समय कैसे ज़िन्दा रहता है उसकी कुछ मार्मिक झलकियां भी हैं। एक प्रकार से यह पुस्तक एक ग्रीक त्रासदी जैसी है जिसका अंत हरेक को पहले से ही पता होता है। कहानी किस तरह से विकसित होती है - उसके विस्तृत विवरणों में ही उसका मजा है। पुस्तक के अंत तक उसका केंद्रीय प्लाट स्पष्ट नहीं होता है। बिलकुल आख़िर के पन्नों में ही atom bomb गिरने और उसके द्वारा हुई तबाही का विवरण सामने आता है। atom bomb गिरने के बाद की कहानी पुस्तक के दूसरे खंड में है। barefoot Gen atom bomb गिरने से पहले एक सामान्य कृषक गृहस्थ - Nakaoka परिवार के संघर्ष की कहानी है। Gen एक छोटा लड़का है जो अपने भाई-बहनों के साथ एक छोटे खेत में गेहूँ उगाता है और अन्य छोटे-मोटे कामकाज करता है। भोजन की बेहद क़िल्लत है जिससे बच्चों को हमेशा भूखे रहना पड़ता है। जापानी सैनिक propaganda के बावजूद Nakaoka को जापान के युद्ध हारने का अंदाज हो जाता है और वो युद्ध की बेवकूफी पर प्रश्न उठाता है। युद्ध का विरोध करने के कारण Nakaoka को राजनैतिक दमन और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। Nakaoka के युद्ध-विरोधी विचार प्रबल होते जाते हैं और अंतत: उसे जेल की हवा खानी पड़ती है। इस बीच बच्चों को भी `देशद्रोही´ होने की प्रताड़ना सहनी पड़ती है। परिवार के सम्मान को पुनः प्रस्थापित करने के लिए Gen का बड़ा भाई सेना में भर्ती होता है। कठिनाइयां बढ़ती जाती हैं। उसका यूनिट खतरे से भरा `खुदकुशी´ वाला यूनिट है। पुस्तक के अंत में hiroshima पर atom bomb गिरता है और जिसमें केवल Gen और उसकी मां ही जीवित बचते हैं। मां एक बच्ची को जन्म देती है और ज़िन्दगी चलती रहती है। हमें hiroshima के विध्वंस और उसके बाद की कहानी Gen की ज़ुबान से सुनने को मिलती है।

पूरी कहानी में Gen और Nakaoka का रोल विश्वसनीय इसलिए लगता है क्योंकि उन्हें आदर्श पात्रों जैसे नहीं पेश किया गया है। कोरियाई लोगों के प्रति वो भी नस्ल वादी भेदभाव करते हैं। पर अंत में जब एक कोरियाई पड़ोसी उनकी सहायता करता है तो उनकी मान्यताएं बदलती हैं। पिता Nakaoka जिनकी युद्ध-विरोधी मान्यताओं का हम आदर करते हैं भी, कई मायनों में अपूर्ण हैं। वो मौका मिलते ही अपने बच्चों की जमकर पिटाई करते हैंं। यह जापानी समाज में मर्दानगी की मान्यताओं की आलोचना है। शायद लेखक ने उसे कहानी में इसलिए शामिल किया है क्योंकि वो इंसानों की क्षमताओं और कमज़ोरियों दोनों पक्षों को उजागर करना चाहता है। हमें उनकी कई बातें पसंद आती हैं और कुछ नापसंद - बिलकुल वैसे ही जैसे कि अन्य दोस्तों के साथ होता है। इसी वजह से कहानी के पात्रा सजीव बनते हैं और हम उनके साथ रिश्ता जोड़ पाते हैं। यह सच है कि पुस्तक में जापानी सैन्य सत्ता, मर्दानगी आदि की जमकर धज्जियां उड़ाई गयी हैं। पर फिर भी एक बड़ी कमी है। पुस्तक में अमरीका की छवि बिलकुल साफ-सुथरी और निर्दोष नजर आती है जबकि उसने ही जापान पर atom bomb गिराये। ऐसा लगता है जैसे इस पूरे हादसे के लिए जापानी सत्ता वर्ग ही जिम्मेदार था और अमरीका के पास युद्ध को जल्द खत्म करने के लिए atom bomb गिराने करने के अलावा और कोई विकल्प ही नहीं था। नये शोध से पता चलता है कि जापान तो पहले ही युद्ध हार चुका था और इसलिए hiroshima और nagasaki पर atom bomb गिराने का कोई औचित्य ही नहीं था। जापानी सैनिक सत्ता कुचली जा चुकी थी और जापानी सम्राट आत्मसमर्पण के लिए तैयार था। वो बस एक दिखावटी समझौता चाहता था जिससे कि युद्ध के बाद वो जापान में नाममात्र का शासक बना रह सके। अमरीका इस समझौते के लिए तैयार हुआ - पर कब? hiroshima और nagasaki पर atom bomb गिराने के बाद। फर अमरीका ने bomb क्यों गिराये? शायद अमरीका और रूस के बीच शीत-युद्ध की शुरुआत इसका सही कारण थी। अमरीका अपनी विध्वंसक आणविक शक्ति का प्रदर्शन कर अपने दुश्मन रूस को भयभीत करना चाहता था। अमरीका ने इससे यह भी सुनिश्चत किया कि रूस जापान पर आक्रमण नहीं करे और युद्ध खत्म होने के बाद भी जापान पूरी तरह से अमरीका पर निर्भर रहे। इसके वैज्ञानिक कारण भी थे। वैज्ञानिक दो अलग-अलग आणविक बम्बों की विध्वंसक क्षमता भी मापना चाहते थे। पहला bomb प्लूटोनियम और दूसरा यूरेनियम पर आधारित था। इसलिए पहले hiroshima पर और उसके तीन दिनों बाद nagasaki पर bomb गिराये गये। 1972 में जब barefoot Gen प्रकाशित हुई तब तक सामान्य लोगों को यह गुप्त जानकारियाँ उपलब्ध नहीं थीं। शायद इसी वजह से पुस्तक में उनका कोई उल्लेख भी नहीं है। पुस्तक में अगर अमरीकी रोल को अधिक आलोचनात्मक और संदेह की दृष्टि से देखा जाता तो बेहतर होता। और चाहे कुछ भी हो barefoot Gen का मानवतावादी संदेश, सामाजिक और ऐतिहासिक विस्तार उसे दुनिया के सभी बच्चों और वयस्कों को पढ़ने के लिए बाध्य करेगी। hiroshima की कहानी एक ऐसी कहानी है जिसे सारी दुनिया को पढ़ना चाहिए और पढ़ कर भूलना नहीं चाहिए। barefoot Gen ने बस यही किया है।

कानी हिरनी

प्रेमचन्द ‘महेश’
एक हिरनी थी। वह बड़ी सुन्दर और सुडौल थी। जब वह भागती तो बहुत सुन्दर चौकड़ी भरती थी। सारे जंगल के हिरन उस पर लट्टू थे। उसकी खूबसूरत खाल को पाने के लिए कई शिकारी भी ताक में लगे रहते थे। इतना सब होते हुए भी वह बाईं आँख से कानी थी। यही उसके लिए एक परेशानी थी। बाईं आँख से न दिखने के कारण बाईं ओर से लगे अनेक बार शिकारियों के निशाने से वह बाल-बाल बची थी।
अब कई दिन से एक शिकारी हाथ धोकर उसके पीछे पड़ गया था। वह उस शिकारी के भय के मारे अब अपनी झाड़ी में ही लुकी बैठी रहती थी। पर आखिर ऐसे कब तक बैठती? ऐसे लुककर बैठने से उसका काम थोड़े ही चलने वाला था। उसे अपने खाने का भी प्रबन्ध करना था। अपने साथियों से भी तो मिलना-जुलना था। तो यह सब घर बैठे थोड़ा ही हो सकता था! अतः घर बैठने में उसे अब बहुत कठिनाइयाँ मालूम पड़ने लगीं। इन कठिनाइयों से छुटकारा पाने के लिए अनेक बातें उसने सोचीं। आखिरकार एक बात उसके मन भाई। वह यह थी कि जंगल को छोड़ दिया जाए। नदी या समुद्र के किनारे ऐसे स्थान पर रहा जाए जो सुरक्षित हो और जहाँ उसकी बाईं आँख की ओर पानी रहे। वह बेचारी यही सोच सकी कि पानी के रास्ते कोई शिकारी उस पर हमला क्या करेगा? अन्त में यह सब बातें सोचकर उसने एक समुद्र के किनारे बसने का निश्चय कर लिया।
समुद्र के किनारे आकर वह कानी हिरनी बहुत प्रसन्न थी। यहाँ आकर अपनी बाईं आँख को समुद्र के किनारे की ओर और दाईं आँख को भूमि की ओर रखकर वह खूब चौकड़ी भरती फिरती। उसे अब यहाँ आने से जीवन का कोई खतरा तो रह ही नहीं गया था। समुद्र की ठंडी और प्यारी हवा अब उसे जंगल के वातावरण से कहीं अधिक पसन्द थी। इस प्रकार उसे समुद्र के किनारे रहते-रहते कई मास बीत गए। इस बीच उसे किसी भी शिकारी ने परेशान नहीं किया।
एक दिन कानी हिरनी समुद्र के किनारे घूम रही थी। समुद्र में बहुत दूर पर एक नाव में चार शिकारी बैठे जा रहे थे। उनमें से एक शिकारी ने इस सुन्दर हिरनी को देखा। हिरनी की सुन्दर खाल पाने के लिए शिकारी का मन ललचा उठा। उसने अपनी नाव से ही बेचारी कानी को निशाना बनाकर तीर छोड़ा। बाईं आँख कानी होने केे कारण हिरनी को भला यह सब कैसे मालूम पड़ता! वह तो मस्ती से समुद्र के किनारे घूम रही थी। इसी बीच शिकारी का छोड़ा तीर उसके पेट में आकर लगा। तीर लगते ही हिरनी मूर्च्छित हो धड़ाम से भूमि पर गिर पड़ी। कुछ देर बाद जब उसकी मूर्च्छा दूर हुई तो वह बोली - ‘‘आह! इस दुनिया में मैं भी कैसी अभागी रही! शिकारी से बचने के लिए मैं जंगल से भागी। इस समुद्र के किनारे आई। यहाँ आकर अपने को सुरक्षित समझने लगी। अब आज यही समुद्र का किनारा मेरे लिए मौत का कारण बना।’’ और यह सब कहते-कहते उसके प्राण-पखेरू उड़ गए। यह सच है कि मनुष्य कठिनाइयों से बचने की लाख कोशिश करे, पर वे आकर ही रहती हैं।

शनिवार, 19 अक्तूबर 2013

Profile - DJ Stephen Lobo

Professional chef and Food Artist for the last 17 years, cooked in Leela kempinski, Mumbai, Burj al arab – Dubai, First 7 star hotel in the world, working for Intercontinental Frankfurt since last 9 years, had the opportunity to cook personally for our respected Prime minister Mr Manmohan Singh and other important Ministers of our Country, everytime they passed through Frankfurt.

Started my Dj career with Cyclone at Hotel Leela Kempinski, as an Trainee and then going on to become the resident Dj out there, Was very much involved in Mumbai, with Clubs like J49, 1900´s and also in Goa, Pune, Bangalore before moving to Dubai, played with planet Hollywood and Pancho villa. Came to Frankfurt in 2000, Started Bollywood Club music trend, did Music for the most Coveted, Miss India Germany 2003 and also Worldwide.

In Frankfurt working with lot of event organisations and clubs. My musical destinations include, Paris, London, New York, Vienna, Nice, Vilnius, and almost the whole of Germany, worked with Famous companies like BBC asia, Zee Tv, Shiva sound system- London, Wizcraft-India.

During my whole DJ career I had the chance to work and produce music with famous Djs like DJ Nasha, dj Akhil, DJ Llyod, DJ Russel and many famous International and Bollywood Djs.

My technique of mixing food is as interestesting as my style of mixing Music, thus promoting Indian music all around the world.

My interview in Inder.net
http://www.indien-netzwerk.de/navigation/unterhaltung/artikel/dj_stephenlobo_04_12_03/stephenlobo.htm

विदेश में दो ही चीज़ें भारत का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व करती हैं, भारतीय भोजन और भारतीय संगीत। इन दोनों का मिश्रण हैं गोआ से Frankfurt में रहने वाले Stephen Lobo. Stephen Lobo पिछले नौ साल से न केवल Intercontinental जैसे बड़े होटल में बतौर बावर्ची काम कर रहे हैं और शहर से गुज़रने वाले बड़े बड़े भारतीय मन्त्रियों के लिए स्वादिष्ट भोजन तैयार करते हैं, बल्कि Frankfurt के नामी भारतीय clubs और आयोजकों के साथ वे बतौर DJ भी लगातार काम कर रहे हैं। Stephen Lobo ने भारत में मुम्बई के लीला Kampinski होटल में बतौर बावर्ची काम करने के साथ होटल के क्लब Cyclone में एक प्रशिक्षु के तौर पर अपना DJ career शुरू किया। बाद में वे club के पक्के DJ भी बने। उसके बाद वे J49, 1900´s जैसे मुम्बई के कई नामी clubs में और फिर पूना, गोआ और बंगलौर के clubs में सक्रिय रहे। उसके बाद वे दुबई में विश्व के पहले सात सितारा hotel बुर्ज-अल-अरब में बावर्ची के तौर पर काम करने चले गए और साथ ही Planet Hollywood and Pancho Villa आदि में बतौर DJ भी काम किया। 2000 में वे Frankfurt आ गए और यहां Bollywood संगीत का चलन शुरू किया। उन्होंने कई नामी clubs और संस्थाओं के साथ संगीत बजाया। प्रतिष्ठित TV कार्यक्रम जैसे Miss India Germany 2003 और Miss India Worldwide भी उनके हिस्से आए। इसके अलावा वे BBC Asia, Zee TV, Shiva Sound System (London), Wizcraft India आदि विश्व की कई companies के साथ भी काम करते रहे हैं और पूरी दुनिया का भ्रमण करते रहते हैं, जैसे Paris, New York, Vienna. अपने DJ career में उन्होंने DJ Nasha, DJ Aqeel, DJ Llyod, DJ Russel और कई अन्य प्रतिष्ठित अन्तरराष्ट्रीय और Bollywood DJ के साथ काम किया है। वर्तमान में वे Frankfurt की भारतीय संस्था 'भारत संघ' के साथ सक्रिय हैं।

मंगलवार, 15 अक्तूबर 2013

शेर की शादी

चिड़ियाघर का दरवाजा खुला देखकर एक शेर वहाँ से भाग निकला। भागकर वह जंगल में जा पहँुचा। जंगल में उस शेर को एक लकड़हारा मिला। लकड़हारा अपनी लड़की के साथ जंगल से लकड़ी काटकर शहर को जा रहा था। शेर ने लकड़हारे की लड़की को देखा। वह उस पर मोहित हो गया और लकड़हारे को रोककर बोला - ‘‘मैं जंगल का राजा हँू, यह तुमको मालूम ही है। यदि तुम अपनी लड़की को जंगल की रानी बनाना चाहते हो तो उसकी शादी मेरे साथ कर दो।’’
लकड़हारे ने शेर की बातें सुनीं। वह हक्का-बक्का रह गया। अब वह बड़ी कठिनाई मंे पड़ गया था। शेर को उत्तर भी दे तो क्या? वह सोचने लगा कि यदि मैं शेर को अपनी लड़की नहीं देता हँू तो वह मुझ पर क्रोध करेगा और जान से मार डालेगा। दूसरी ओर, उसके साथ लड़की की शादी यदि करता हँू तो उसका भी जीवित रहना कठिन है। लकड़हारा इन सब बातों को काप़$ी देर तक सोचता रहा। आखिर मंे उसने शेर से विनम्रता के साथ कहा - ‘‘महाराज, आप जंगल के राजा हैं। आपका बल सबको मालूम है। आपसे मैं अपनी लड़की का विवाह करने में अपना मान समझता हँू। महाराज, पर मेरी एक शर्त है, पहले आपको उसे पूरा करना होगा।’’
शेर लकड़हारे की बातों को सुनकर फूल उठा। उसकी प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। वह हँसकर बोला - ‘‘मैं आपकी लड़की को पाने के लिए धरती की हर एक वस्तु ला सकता हँू। आप अपनी शर्त कहिए? मैं उसे पूरा करूँगा।’’
शेर को प्रसन्न जानकर लकड़हारे ने कहा - ‘‘महाराज, आप सुन्दर हैं और पशुओं में श्रेष्ठ हैं। जंगल में आपका पालन-पोषण होने के कारण आपके पंजे के नाखून और दाँत बड़े भयानक लगते हैं। मेरी बेटी इनसे डरती है। मगर आपके इन नाखूनों के कटने और दाँतों के उखड़ जाने पर मैं अपनी बेटी आपको ब्याह सकता हँू।’’
शेर को तो लकड़हारे की लड़की मन भा गई थी। वह किसी भी प्रकार से उससे शादी करना चाहता था। लकड़हारे की शर्त सुन वह खुश होकर बोला - ‘‘मुझे आपकी शर्त स्वीकार है। आप अपनी कुल्हाड़ी से मेरे पंजे के नाखून काटिए और मैं पत्थर पर मँुह मारकर अपने भयानक दाँत तोड़ फेंकता हँू।’’
इतना कहने के एकदम बाद शेर ने अपने सारे दाँत तोड़ डाले। उसे दाँत तोड़ने में खूब कष्ट हुआ और सेरों खून बहा, पर शादी की खुशी में उसने सब सहा।
इधर लकड़हारे ने भी अपनी कुल्हाड़ी से शेर के पंजे के नाखून काट दिए। तब वह बोला - ‘‘अब मेरी शीघ्र शादी कीजिए।’’ शेर के दाँत और पंजे न रहने के कारण अब वह भयानक नहीं था। अतः उसे देखकर लकड़हारे का भय जाता रहा और वह बोला - ‘‘हाँ महाराज, शादी करने से पहले आप अपने गले में रस्सी डलवा लें। इस रस्सी को पकड़कर मेरी लड़की आपके साथ फेरे लेगी।’’
शेर रस्सी को गले में डालने से पहले झिझका। शादी का भूत उसके सिर पर सवार था। अतः उसने खुशी-खुशी गले में रस्सी डाल ली। रस्सी गले में पड़ते ही लकड़हारे ने शेर को पेड़ से बाँध दिया और खूब मार लगाने लगा। इस पर शेर गुर्राने लगा।
उसे गुर्राता देख लकड़हारा बोला - ‘‘महाराज, गुर्राएँ नहीं। रस्म के अनुसार वर की मैं शक्ति-परीक्षा ले रहा हँू।’’ और ऐसा कहकर वह खूब जोर-शोर के साथ शेर पर डंडे बरसाने लगा। उसकी पिटाई से शेर अधमरा हो गया। इतने में ही चिड़ियाघर के नौकर शेर को खोजते-खोजते वहाँ आ पहँुचे। उन्होंने भी आकर शेर पर खूब डंडे बरसाए।
शेर सबसे पिटने के बाद बोला - ‘‘मुझे अब शादी नहीं करनी है। अतः मुझे अब मत मारो। मैं अब चिड़ियाघर में ही रहना चाहता हँू।’’ शेर को शादी की बात करते सुन नौकरों ने शेर को फिर खूब मारा। अन्त में वे शेर को चिड़ियाघर में ले गए।

इस साल भारत में तीन दर्जन कारों की लॉंचिंग होगी

साल 2013 भारतीय कार प्रेमियों के लिए खुशियों का मौका लेकर आ रहा है. इस साल भारतीय बाजार में तीन दर्जन नयी कारें दस्तक देने जा रही हैं. पिछले साल की मंदी के बाद इसे उत्साहजनक कदम के तौर पर देखा जा रहा है. इनमें सभी कैटोगरी की गाड़ियां लांच हो रही हैं, भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इस साल नौ मॉडल लॉंच करने की योजना बना रही है, इसमें A-star का नया Version भी शामिल है. टाटा मोटर भी साल के मध्य में अपनी कम कीमत की कार टाटा नैनो का पावर डीजल Version ला रही है. यह भी खबर है कि कंपनी इस बीच इस कार का CNG Version ला सकती है. इसके साथ ही ह्युंडई मोटर्स, फोर्ड इंडिया, निसान मोटर्स, फियेट के अलावा मर्सडीज बेंज और बीएमडब्लू की नये माडल लॉंच करेगा.

यामाहा भारत का पहला महिला प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करेगे

यामाहा मोटर्स के द्वारा भारत में पहली बार महिलाओं के लिए ड्राइविंग प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है. कंपनी ने घोषणा की है कि वे इसकी शुरुआत चेन्नई से करने जा रहे हैं. यामाहा ने भारतीय स्कूटर बाजार में सितंबर, 2012 में प्रवेश किया जब उसने Ray स्कूटर लांच किया था. Ray स्कूटर को खास तौर पर भारतीय शहरी महिलाओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उन महिलाओं के लिए शुरू किया जा रहा है जो ड्राइविंग सीखने या लाइसेंस प्राप्त करने के बारे में सोच रही हैं.

UK में Land Rover की बिक्री में 25 फीसदी का इजाफा

2012 में Land Rover की बिक्री में रिकार्ड इजाफा हुआ है. बीते वर्ष Land Rover की बिक्री में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है. उस साल Jaguar XF की बिक्री में 22 फीसदी और Mercedes E-Class के साथ Audi A6 में भी रिकार्ड बढोतरी दर्ज की गयी. इस साल British SUV brand ने 54480 कारें बेचीं, Jaguar की 65586 गाड़ियां बिकीं. Jaguar XF और Jaguar Land Rover की रिकार्ड बिक्री के कारण Land Rover UK को `best ever' retail sales year का अवार्ड मिला.

2012 में रॉल्स रॉयल ने 3575 कारें बेचीं

UK की लक्जरी कार कंपनी रॉल्स रॉयल ने साल 2012 में दुनिया भर में अपनी 3575 कारें बेचने में सफलता पायी है. इस साल कंपनी ने लैटिन अमेरिका समेत 40 नये देशों में अपनी कारों के लिए बाजार तैयार किया है. रॉल्स रॉयल के CEO Torsten Müller-Ötvös ने बताया कि इस सला हमने Middle East में 26 फीसदी बढोतरी दर्ज की है, जबकि Europe में यह 21 फीसदी रही है. कंपनी ने सबसे अधिक बढोतरी साउदी अरबिया में दर्ज की है, वहां बढोतरी की दर 61 फीसदी रही है, जबकि Asia Pacific में 18 फीसदी और जर्मनी में 15 फीसदी रही है. अगर मॉडल की बात की जाये तो सबसे अधिक बढोतरी Phantom family model में 95 फीसदी और Ghost में 73 फीसदी दर्ज की गयी.

ओपल जर्मनी में ADAM का Production शुरू करेगी

US के जनरल मोटर्स की सहायक कंपनी ओपल 19 जनवरी, 2013 से अपनी छोटी कार ADAM का निर्माम जर्मनी के Eisenach प्लांट में करने जा रही है. कंपनी ने इस प्लांट में $248m का निवेश किया है. इस प्लांट में Corsa कार के निर्माण की योजना है. ओपल प्रबंधन बोर्ड के Deputy chairman Dr. Thomas Sedron ने कहा है कि जर्मनी के Eisenach प्लांट में ADAM कार का निर्माण पहले से तय था. साथ ही कंपनी Cascada convertible को भी लांच करने की योजना बना रही है. कंपनी की योजना 2016 तक 23 नई कारों और 13 नये इंजन को लांच करने की है.

Ssang Yong में $900m निवेश करेगा महिंद्रा & महिंद्रा

भारत की अग्रणी ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा आगामी 4-5 सालों में दक्षिण कोरियाई कंपनी SsangYong में तकरीबन $900m के निवेश की योजना बना रही है. महिंद्रा एंड महिंद्रा के Automotive & Farm Equipment sectors के President पवन गोयनका ने बताया कि दक्षिण कोरिया में तीन नई गाड़ियां और 6 इंजन विकसित करना चाहती है. यह फंड आंतरिक संचय, नई Equity और कर्ज के माध्यम से जुटाया जायेगा. SsangYong मोटर्स कोरिया की चौथी सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी है. महिंद्रा एंड महिंद्रा ने 2011 में इस कंपनी के 70 फीसदी शेयर $463.6m में खरीदा था.

800 नौकरियों की छटनी करेगा Honda UK

जापान की बड़ी कार बनाने वाली कंपनी Honda UK अपने Swindon प्लांट से लगभग 800 कर्मचारियों की छटनी करने की योजना बना रही है. इसकी वजह European region में होंडा कारों की मांग में कमी को बताया जा रहा है. Honda motors के executive vice president Kent ker ने बताया कि यूरोपीय कार बाजार में लगातार घटती मांग के कारण हम अपने व्यापारिक ढांचे में फिर से बदलाव करने की जरूरत महसूस कर रहे हैं. कंपनी की ओर से यह सूचना plant के कर्मियों को भी दे दी गयी है. इसे UK में Honda की सबसे बड़ी छटनी बताया जा रहा है. कंपनी के इस फैसले से न सिर्फ Union leaders बल्कि सरकारी अधिकारियों में भी निराशा का माहौल है. कंपनी के swindon plant में Jazz, Civic और CR-V मॉडल की गाड़ियों का निर्माण होता है.

Manjul Publishing Catalog


  1. ...और इंतज़ार थक गया, मृदुला बाजपेई, 125

  2. 21वीं सदी का लोक व्यवहार, Hindi translation of "you can! - people skills for life" by allan & barbara pease, 95

  3. 24 घंटे में ज़िन्दगी बदलें, hindi translation of the international bestseller "the 24-hour turn-around", 150

  4. 8वीं आदत, hindi translation of the international bestseller "the 8th habit" - by stephen r. covey, 295

  5. abridged hindi translation of "men are from mars, women are from venus" by john gray, 125

  6. Babylon का सबसे अमीर आदमी, Hindi translation of "the richest man in Babylon" by george s. clason, 125

  7. famous five smugglers के बीच, Hindi translation of "five go to smuggler's top" by enid blyton, 85

  8. famous five एक साथ भागते हैं, Hindi translation of "five run away together" by enid blyton, 85

  9. famous five और कारवां का सफर, Hindi translation of "five go off in a caravan" by enid blyton, 85

  10. famous five और खुफिया रास्ता, Hindi translation of "five go adventuring again" by enid blyton, 85

  11. famous five खज़ाने के टापू पर, Hindi translation of "five on a treasure island" by enid blyton, 85

  12. harry potter और अज़्काबान का कैदी, Hindi translation of the international bestseller "harry potter and the prisoner of azkaban" by j.k. Rowling, 295

  13. harry potter और आग का प्याला, Hindi translation of the international bestseller "harry potter and the goblet of fire" by j. k. Rowling, 395

  14. harry potter और पारस पत्थर, Hindi translation of "harry potter and the philosopher's stone" by j. k. Rowling, 165

  15. harry potter और माया पक्षी का समूह, hindi translation of "harry potter and the order of the phoenix" by j.k. rowling, 375

  16. harry potter और मौत के तोहफ़े, hindi translation of the international bestseller "harry potter and the deathly hallows" by j. k. rowling, 450

  17. harry potter और रहस्य मई तहखाना, hindi translation of "harry potter and the chamber of secrets" by j.k. rowling, 195

  18. hindi translation of "body language" by allan pease, 165

  19. hindi translation of "business school" by robert kiyosaki, 150

  20. hindi translation of "cashflow quadrant" by robert t. kiyosaki, 225

  21. hindi translation of "developing the leader around you" by john c. maxwell, 175

  22. hindi translation of "harry potter and the half-blood prince" by j.k. rowling, 350

  23. hindi translation of "personality plus" by florance littauer, 175

  24. hindi translation of "secrets of the millionaire mind" - by t. harv eker, 175

  25. hindi translation of "the alchemist" by paulo coelho, 125

  26. hindi translation of "the business school" by robert t. kiyosaki, 195

  27. hindi translation of "the ice cream maker" by सुबीर चौधरी, 95

  28. hindi translation of "the one minute manager" by kenneth blanchard & spencer johnson, 95

  29. hindi translation of "the sales success handbook" by linda richardson, 80

  30. hindi translation of "the secret seven" by enid blyton, 50

  31. hindi translation of “copycat marketing 101” by burke hedges, 95

  32. hindi translation of “eleven minutes” by paulo coelho, 175

  33. hindi translation of “selling 101” by zig ziglar, 95

  34. hindi translation of 'rich dad poor dad' by robert kiyosaki, 195

  35. hindi translation of the international bestseller "retire young retire rich" - by robert t. kiyosaki, 250

  36. management के नियम, richard templar, 195

  37. management के सबक, सम्रेंद्र नाथ राय, 95

  38. management के सरल नुस्खे, सम्रेंद्र नाथ राय, 95

  39. network marketing - सफलता की राज पर, hindi translation of "network marketing - the way of life" by janusz szajna, 150

  40. network marketing में धन कमाने के 201 आसान तरीके, hindi translation of "201 simple ideas to make more $$$ in network marketing" by richard tan & k.c. see, 175

  41. nutan pandit, 150

  42. rich devos की तरह कैसे बनें, hindi translation of "how to be like rich devos" by pat williams with jim denney, 295

  43. secret seven आगे बढ़ो, hindi translation of "go ahead secret seven", 50

  44. secret seven का रोमांचक कारनामा, hindi translation of "the secret seven adventure", 50

  45. secret seven पीछा करो, hindi translation of "the secret seven", 50

  46. team खिलाड़ी के 17 अनिवार्य गुण, hindi translation of “the 17 essential qualities of a team player” by john c. maxwell, 150

  47. the secret "रहस्य", hindi translation of the international bestseller "the secret" by rhonda byrne", 295

  48. time management by डॉ॰ सुधीर दीक्षित, 40

  49. weight loss cookbook, hindi translation of "weight loss cookbook" by डॉ॰ shikha sharma & niru gupta, 295

  50. अति प्रभावकारी लोगों की 7 आदतें, hindi translation of "7 habits of highely effective people" by stephen r. covey, 225

  51. अधिकतम सफलता, hindi translation of “maximum achievement” by brian tracy, 195

  52. अपना आत्म-गौरव कैसे बढ़ाएं, hindi translation of the international bestseller "how to raise your self-esteem", 150

  53. अपनी क्षमताओं को पहचानें, Hindi translation of "say yes to your potential" by skip ross & carol c. Carlson, 175

  54. अपनी टीम के leaders को विकसित कैसे करें,

  55. अपने दिन को सर्वोत्तम बनाएं, Hindi translation of "optimize your day" by rhoberta shaler, 125

  56. अपने बच्चे को बनाएं विजेता, Hindi translation of "make your child a winner" by डॉ॰ pradeep kapoor

  57. अपने भीतर छुपे leader को कैसे जगाएं, hindi translation of "developing the leader within you" by john c maxwell, 175

  58. अमीर बनने का नया विज्ञान, hindi translation of "the new science of getting rich" by wallace d. wattles, 95

  59. अमीरी की चाबी आपके हाथ में, hindi translation of "the master-key to riches" by napoleon hill, 150

  60. अमीरों के 5 नियम, डॉ॰ सुधीर दीक्षित, 175

  61. असफलता सफलता की सीढ़ी है, hindi translation of "you can fail - coping with faliure and getting ahead…," by shrinivas r. kandula, 195

  62. आज़ादी की ओर बढ़ते कदम, nelson mandela, 395

  63. आत्मविश्वास, hindi translation of the international bestseller "confidence" - by alan loy mcginnis, 125

  64. आत्मा के लिए अमृत का दूसरा प्याला, hindi translation of "a 2nd helping of chicken soup for the soul" by jack canfield and mark victor hansen, 195

  65. आत्मा के लिए अमृत, hindi translation of "chicken soup for the soul" by jack canfield and mark victor hansen, 195

  66. आदर्श स्वास्थ्य क्रांति, hindi translation of the international bestseller "the optimal health revolution" by duke johnson, 250

  67. आप भी leader बन सकते हैं, hindi translation of “the leader in you” by dale carnegie, 150

  68. आप भी बन सकते हैं अपने सपनों का इंसान, hindi translation of "become the person you dream of being" by wes beavis, 150

  69. आपका शरीर और प्रदूषण, hindi translation of "fighting body pollution" by paul kramer, 225

  70. आपकी ज़िन्दगी सिर्फ एक minute में बदल सकती है, hindi translation of "it only takes a minute to change your life!" by willey jolley, 165

  71. आपके अवचेतन मन की शक्ति, hindi translation of the international bestseller "the power of your subconscious mind", by डॉ॰ joseph murphy, 175

  72. आशा का संदेश, hindi translation of "hope from my heart" by rich devos, 325

  73. ऐसी वाणी बोलिए, hindi translation of "the art of talking so that people will listen" by paul w. swets, 165

  74. कार्य के नियम, hindi translation of “the rules of work” by richard templar, 195

  75. कैलाश मान सरोवर, hindi translation of "kailash mansarovar - diary of a pilgrim" निलेश नथवानी, 125

  76. क्या आपका डॉक्टर पोषक तत्वों के बारे में जानता है? hindi translation of "what your doctor doesn't know about nutritional medicine may be killing you" by ray d. strand, 195

  77. खाना खज़ाना भारतीय व्यंजनों का उत्सव, hindi translation of "khana khazana - celebration of indian recipes" by संजीव कपूर, 250

  78. गर्भावस्था, hindi translation of "pregnency" by नूतन पंडित

  79. गहरा रहस्य, hindi translation of "the deeper secret" by annemarie postma", 195

  80. चिंता छोड़ो सुख से जियो, hindi translation of "how to stop worrying and start living" by dale carnegie, 150

  81. चौथा पड़ाव, विजय दत्त श्रीधर, 175

  82. छुआ आसमान, hindi translation of the "wings of fire" - by abul phaqir jain-ul-abideen abdul kalam, 95

  83. जाने कितने रंग पलाश के, मृदुला बाजपेई, 95

  84. जीतने का साहस, hindi translation of the international bestseller "dare to win", 175

  85. जीना सिखा दिया, स्वयं प्रकाश, 250

  86. जीवन एक खोज, त्रिलोक छाबड़ा, 75

  87. जीवन की नई राह, hindi translation of “the road less travelled” by m. scott peck, m.d., 195

  88. जीवन के नियम, hindi translation of “the rules of life” by richard templar, 195

  89. जीवन के बाद जीवन, hindi translation of "life after life" by raymond a. moody, 150

  90. जोश से ही सारा फर्क पड़ता है, hindi translation of “enthusiasm makes the difference” by norman vincent peal, 175

  91. दुनिया का सबसे महान salesman, hindi translation of "greatest salesman in the world" by og mandino, 75

  92. दुनिया का सबसे महान चमत्कार, hindi translation of "greatest miracle in the world" by og mandino, 75

  93. दुनिया की सबसे महान सफलता, hindi translation of "the greatest success in the world" by og mandino, 75

  94. दौलत और ख़ुशी की सात रण नीतियां, hindi translation of "seven strategies for wealth and happiness" by jim rohn, 150

  95. दौलत के नियम, hindi translation of "the rules of wealth" by richard templar, 175

  96. निवास - 40 home plans, बेला गोधा, 195

  97. परवरिश के नियम, hindi translation of “rules of parenting” by richard templar, 195

  98. परिश्रमी जीवन - एक आत्मकथा, hindi translation of "an enterprising life" by jay van andel, 295

  99. प्रगति की राह पर आगे बढ़ें, hindi translation of "let go of whatever makes you stop" by john l. mason, 125

  100. प्रभावशाली व्यक्ति कैसे बनें? hindi translation of "becoming a person of influence" by john maxwell and jim dornan, 175

  101. प्रेम की पांच भाषाएं by gary chapman, 195

  102. प्रेम के नियम, hindi translation of “rules of love” by richard templar, 195

  103. बच्चे की उत्तम देखभाल, hindi translation of "baby and child care" by डॉ॰ r. k. सुनेजा, 175

  104. बड़ी सोच का बड़ा जादू, hindi translation of "the magic of thinking big" by david j schwartz, 175

  105. बड़े सपने देखें, hindi translation of the international bestseller "dreaming big" by bobb biehl & paul w. swets, 175

  106. बुलंद इरादे निश्चित कामयाबी, hindi translation of "you can if you think you can" by norman vincent peale, 175

  107. भारतीय शाकाहारी व्यंजनों का खज़ाना, hindi translation of "khazana of indian vegetarian recipes" by संजीव कपूर, 250

  108. मधुमेह: एक नया जीवन साथी, hindi translation of "diabetes: a partner for life" by डॉ॰ सुनील m. जैन, 175

  109. महिलाओं की आत्मा के लिए अमृत, hindi translation of the international bestseller "chicken soup for the woman's soul" by jack canfield, mark victor hansen, jennifer read hawthorne and marci shimoff, 175

  110. मां की आत्मा के लिए अमृत, hindi translation of the international bestseller "chicken soup for the mother's soul" by jack canfield, mark victor hansen, jennifer read hawthorne and marci shimoff, 195

  111. मित्रता का महत्व, hindi translation of 'the friendship factor' by alan loy mcginnis, 150

  112. मुश्किलें हमेशा हारती हैं संघर्ष करने वाले हमेशा जीतते हैं। hindi translation of "tough times never last but tough people do!" by robert h. schuller, 165

  113. मेरा cheese किस ने हटाया? hindi translation of "who moved my cheese" by spencer johnson, 125

  114. मैं selling में असफलता से सफलता तक कैसे पहुँचा? hindi translation of "how i raised myself from failure to success in selling?" by frank bettger, 175

  115. योग के सात आध्यात्मिक नियम, hindi translation of "seven spiritual laws of yoga" by deepak chopra & david simon, 150

  116. लक्ष्य, hindi translation of “goals!” by brian tracy, 175

  117. लोक व्यवहार, hindi translation of "how to win friends and influence people" by dale carnegie, 85

  118. लोकप्रिय बनने की कला, hindi translation of "how to start a conversation and make friends" by don gabor, 165

  119. लोगों को सर्वश्रेष्ठ कैसे बनाएं? hindi translation of "bringing out the best in people" by alan loy mcginnis, 175

  120. वस्तु आवास - 40 home plans, बेला गोधा, 295

  121. वादे जो निभाने हैं, hindi translation of "promises to keep" by charles paul conn, 75

  122. वेल्च नीति, hindi translation of "the welch way" by jeffery a. krames, 80

  123. शक्ति के 48 नियम, hindi translation of "the 48 laws of power" by robert greene, 195

  124. शक्ति, hindi translation of "the power" by rhonda byrne, 325

  125. शाबाश secret seven, hindi translation of "the secret seven", 50

  126. शिखर पर मिलेंगे by zig ziglar, 175

  127. शेयर बाज़ार में सफलता के सूत्र, डॉ॰ सुधीर दीक्षित, 60

  128. संकट सफलता की नींव है, hindi translation of "setback is a setup for a comeback" by willie jolley, 165

  129. संपूर्ण योग विद्या, राजीव जैन, 195

  130. संपूर्ण सफलता का लक्ष्य, sirshree, 150

  131. संपूर्ण स्वास्थ्य, hindi translation of "perfect health" by डॉ॰ दीपक चोपड़ा, 245

  132. संवाद का जादू, hindi translation of "am i making myself clear" by terry felber, 125

  133. सकारात्मक लोगों के लिए 10 शक्तिशाली वाक्य, hindi translation of "ten powerful phrases for positive people" - by rich devos, 150

  134. सकारात्मक सोच की अद्भुत शक्ति, hindi translation of "the amazing results of positive thinking" by norman vincent peale, 185

  135. सपना को सच हुआ, डॉ॰ सुधीर दीक्षित, 75

  136. सफल टीम कैसे बनाएं, hindi translation of "making trams work" by michael maginn, 80

  137. सफल सोच का सफल जादू, hindi translation of "the magic of thinking success" by david j. schwartz, 175

  138. सफलता 101 डॉ॰ सुधीर दीक्षित, 95

  139. सबसे मुश्किल काम सबसे पहले, hindi translation of international bestseller "eat that frog!" by brian tracy, 150

  140. समय आपकी मुट्ठी में, डॉ॰ विजय अग्रवाल

  141. समय का प्रबंधन, hindi translation of “managing the time of your life” by machen macdonald, 125

  142. समुद्र तट पर piano, hindi translation of "piano on the beach" by jim dornan, 175

  143. सर्वश्रेष्ठ समृद्धि के 7 नियम, hindi translation of "7 laws of highest prosperity" by cecil o. kemp jr., 150

  144. सवाल ही जवाब हैं, hindi translation of "questions are the answers" by allan pease, 75

  145. सादा सफल हनुमान, डॉ॰ विजय अग्रवाल, 150

  146. सोचिए और अमीर बनिए, hindi translation of "think and grow rich" by napoleon hill, 150

  147. सोचो बदलो ज़िंदगी बदलो, by brian tracy, 175

  148. सोनिया - एक जीवनी, hindi translation of "sonia - a biography" by rasheed kidwai, 225

  149. स्वास्थ्य क्रांति, hindi translation of the international bestseller "the wellness revolution" by paul zane pilzer, 195

  150. हम आपको अमीर क्यों बनाना चाहते हैं? hindi translation of the international bestseller "why we want you to be rich" by donald j. trump & robert t. kiyosaki, 225

  151. हर मंगल morrie के संग, hindi translation of "tuesdays with morrie" by mitch albom, 125

  152. हीरों की खान, Hindi translation of "acres of diamonds" by russell h. conwell, 50

कढ़ाई करना सीखें

मृदुला पंडित
अनुक्रम
कढ़ाई की कला 5
सुन्दर कढ़ाई और विभिन्न टाँके 9
नमूना छापने के लिए विभिन्न संयोजना 21
रूमाल, मेजपोश और ट्रे कवर के लिए बूटे 22
मेजपोश और तकिए के लिए कोने 23
टीकोजी के लिए नमूना 24
बेलों के नमूने 25
गले, दामन और आस्तीन के लिए बूटे 25
बच्चों के कपड़ों के लिए नमूने 26
कट वर्क के लिए नमूने 27

कढ़ाई की कला

कढ़ाई एक कला है। कपड़े को सुन्दर बनाने में इसका बहुत महत्त्व है। हम इस पुस्तक में तकिए के गिलाफ, मेजपोश, टीकोजी, ट्रे-कवर, रूमाल, ब्लाउज, साड़ी के बॉर्डर और बच्चों के कपड़ों आदि के लिए नमूने दे रहे हैं। लेकिन यह सभी नमूने तभी सुन्दर कढ़ेंगे जब इन आवश्यक बातों पर ध्यान रखा जाए:
(क) कहाँ छापें कपड़े पर नमूना
वैसे तो यह आपकी अपनी पसंद पर निर्भर होता है। विभिन्न प्रकार की संयोजना पृष्ठ 21 और 27 पर दी जा रही है। इनके अलावा भी आप अपनी पसंद की संयोजना बना सकते हैं।
(ख) कपड़े पर नमूने को छापना
कभी भी नमूने को सीधे किताब से कपड़े पर न उतारें। इससे किताब फट सकती है। नमूना छापने का सही ढंग इस प्रकार है:

  1. आप butter’ papar (tracing papar) को किताब पर रख लीजिए। उसके बाद पेंसिल से papar पर नमूना उतार दीजिए।(butter papar (ट्रेसिंग papar) और carbon किताबों की दुकान पर मिलते हैं।)

  2. नमूना छापने से पहले कपड़े पर उन जगहों पर निशान लगाएँ जहाँ नमूना छापना है।

  3. आप कपड़ा किसी स्लेट, दफ्ती या तख्ते पर अच्छी तरह से बिछाकर सेट करें।

  4. उसके बाद कपड़े पर carbon papar रख लें। carbon papar इस प्रकार रखें कि उसका गहरा रंग कपड़े की ओर रहे।

  5. जिस पर नमूना उतारा था इसके ऊपर वह butter papar रखें। कपड़े के चारों कोनों पर चार आलपिनें लगा दें ताकि नमूना उतारते समय कागज़ खिसके नहीं।

  6. तब किसी बारीक नोक की पेंसिल या रिफिल पेन को हल्के हाथ से हर लाइन पर फेरें। हाथ अगर दबाकर चलाएँगे तो butter papar फट सकता है। उसके बाद नमूना कपड़े पर उतर जाएगा।


(ग) धागा कैसा हो

  1. जब हम धागा खरीदें तो ध्यान रखें कि धागा मजबूत हो और उसका रंग कच्चा न हो।

  2. धागों को कपड़ों का रंग और डिजाइन ध्यान में रखते हुए चुनें।

  3. सूई में धागा बहुत लम्बा नहीं रखना चाहिए। लम्बा धागा काढ़ते समय उलझ सकता है।

  4. धागे में गाँठ बहुत हलकी लगाएँ।

  5. सुई का नम्बर कढ़ाई की सुन्दरता के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। कढ़ाई की सुन्दरता में सुई का ठीक नम्बर का होना जरूरी है।


कपड़ा सूई का नम्बर
लट्ठा, केसमेंट 6
पापलीन, रुबिया, नायलोन, टेरीकॉट 7,8
जॉर्जेट, मलमल, आरगन्डी, वायल 9,10
पतले बढ़िया सूती कपड़े नेट, जारजेट 11
पोत (बारीक मोती) का काम करने के लिए 12
धागों की मोटाई पर भी सूई का नम्बर निर्भर करता है। एक या दो धागों के लिए पतली और अधिक धागों के लिए मोटी सूई का प्रयोग कर सकते हैं।
(ङ) सदैव लम्बे नाके की सूई का प्रयोग करें। सूई खोंसने के लिए कुशन बना सकते हैं। इससे सूई में मुर्चा नहीं लगता।
(च) अगर आपको कढ़ाई का ज़्यादा अभ्यास नहीं है तो, कढ़ाई करते समय फ्रेम का प्रयोग कर सकते हैं।
(छ) यह चुनाव आप पहले ही कर लें कि कहाँ पर कौन-सा टाँका काढ़ना है।
(ज) सफाई का, सुन्दर कढ़ाई में काफ़ी योगदान होता है। कढ़ाई करने से पहले हाथों को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए ताकि कपड़े और धागे गंदे न हों। जब आप कढ़ाई कर लें तो कपड़े और धागों को संभाल कर साफ जगह पर रखें।
(झ) जब आप कढ़ाई कर लें तो उस पर उलटी तरफ़ अच्छी तरह इस्त्री करें जिससे कपड़े की सिकुड़न खत्म हो जाए।
(×ा) अगर कपड़े में सिलवटें हों तो काढ़ने से पहले उस पर इस्त्री अवश्य कर लें।
(ट) कट वर्क काटने के लिए बारीक तेज कैंची या blade का प्रयोग करें। लेकिन सावधान रहें कि कपड़ा और कढ़ाई न कटने पाए।
सुन्दर कढ़ाई और विभिन्न टाँके

स्टेम stitch
सबसे पहले लाइन के ऊपर बाईं ओर से दाईं ओर थोड़े तिरछे टाँके मारें। टाँके बराबर लम्बाई के होने चाहिए। धागा हमेशा पिछले टाँके की बाईं ओर से ऊपर निकलता है। यह stitch तने और आउट लाइन बनाने के लिए प्रयोग की जाती है। भरवाँ कढ़ाई के लिए स्टेम stitch की बहुत-सी लाइनें पास-पास बनाकर आकार को भर देना चाहिए।

running stitch (कच्चे टाँके)
हम सभी जानते हैं कि कच्चे टाँकों का प्रयोग सिलाई करते समय होता है। लेकिन कढ़ाई के लिए भी इनका प्रयोग किया जा सकता है। टाँके बराबर की लम्बाई के लें। नीचे के टाँकों की लम्बाई भी बराबर रखें। परन्तु नीचे के टाँकों की लम्बाई ऊपर के टाँकों की आधी या उससे कम होनी जरूरी होती है।

बैक stitch (उलटी बखिया)
डिजाइन की लाइन पर से धागा ऊपर लाएँ। फिर एक टाँका पीछे की ओर लेकर सूई को पहले टाँके से थोड़ा आगे की ओर निकालें। अब पीछे की ओर एक और टाँका इस प्रकार लें कि सूई वहीं से नीचे डाली जाए जहाँ से उसे पहले आपने निकाला था।

straight stitch (सीधे टाँके)
इसे हम कच्चा टाँका कहते हैं या कहिए कि यह एक कच्चे टाँके जैसा होता है। इसके टाँके बराबर की दूरी पर लिए जाते हैं। हर टाँके की लम्बाई एक-सी या छोटी-बड़ी हो सकती है। टाँके पास-पास या दूर-दूर लिए जा सकते हैं। इसमें जरूरी यह होता है कि टाँके बहुत ढीले या बहुत लम्बे नहीं होने चाहिए।

साटन stitch
प्रस्तुत चित्र में बताई गई विधि से straight stitch से शुरूआत करें। अगर चाहते हों कि कढ़ाई उभरी दिखे तो पहले चेन stitch या running stitch उसे भर दीजिए। ये टाँके गद्दी का काम करेंगे और कढ़ाई उभरी हुई प्रतीत होगी। बस ध्यान रखें कि टाँके सीमा रेखा से बाहर न आ पावें।

long and short stitch (असम टाँके)
एक छोटा और एक बड़ा टाँका सीध में जब डाला जाता है तो वह अ-सम टाँका कहलाया जाता है। सबसे पहली पंक्ति में बारी-बारी से एक लम्बा और एक छोटा टाँका लें। यह टाँके ख़ूब पास-पास लें। ध्यान रखें कि टाँके सीमा रेखा से बाहर न जाने पाएँ। दूसरी पंक्ति में टाँकों की लम्बाई बराबर रखें ताकि कढ़ाई इकसार हो जाए।  यदि आपको shade-दार कढ़ाई करनी है तो इस कढ़ाई के लिए अलग-अलग पंक्ति में हल्के और गहरे रंग के धागों का इस्तेमाल करें तो अच्छा है।

चेन stitch (जंजीरा)
नीचे से धागा ऊपर लाएं और उसे बाएँ अंगूठे से दबाए रखें। फिर सूई को दुबारा वहीं से नीचे डालें जहाँ से पहले ऊपर निकाली गई थी। सूई को कुछ आगे से बाहर निकालें। अब धागे को सूई की नोक के नीचे रखते हुए बाहर खींचें। हम इसका प्रयोग भरवा कढ़ाई के लिए भी किया करते हैं।

open chain stitch
धागे को ‘क’ स्थान से ऊपर लाएं। धागे को बाएँ अंगूठे से दबाकर रखें। अब सूई को ‘ख’ से नीचे डालकर ‘ग’ पर बाहर निकाल लीजिए। इस तरह बने फंदे को थोड़ा ढीला रखें। सूई को ‘घ’ से नीचे डालें और धागे को सूई की नोक के नीचे रखते हुए इस प्रकार ऊपर लाएं कि दूसरा टाँका लगाया जा सके। अंतिम फंदे के दोनों ओर दो छोटे टाँके लगाने चाहिए।

lady daisy stitch
यह टाँका चेन stitch के ही समान है। लेकिन इसमें हर फंदे को एक छोटे से टाँके से बन्द किया जाता है। यह टाँका फूल की पंखुड़ियाँ और पत्ती बनाने के लिए इस्तेमाल होता है।

Feather stitch
इसमें सबसे पहले धागे को ऊपर लाएँ। उसे बाएँ अंगूठे से नीचे दबाए रखें। थोड़ी दाहिनी ओर पहले टाँके की बराबर ऊँचाई पर से सूई नीचे डालें। अब सूई इस प्रकार बाहर लाएँ कि धागा सूई की नोक के नीचे ही रहे। अगली बार सूई को बाईं ओर टाँके की बराबर ऊँचाई पर से नीचे डाल दीजिए। अब फंदे के बीच में धागा सूई की नोक के नीचे रखते हुए टाँका लगा लें। इस तरह से बारी-बारी दाहिनी और बाईं ओर टाँके लगाइए।

फ्लाई stitch
इससे पहले एक ढीला-सा टाँका लीजिए। धागे को दाहिने अंगूठे से नीचे की ओर दबाए रखें। इस टाँके के बीच में थोड़ा नीचे एक छोटा-सा टाँका लगाएँ (जैसे प्रस्तुत चित्र में दर्शाया गया है) इन टाँकों को लम्बाई में या खड़ी पंक्तियों में काढ़ा जाता है।

स्पाइडर वेब फिलिंग stitch (मकड़ी जाला stitch)
सबसे पहले गोले में चित्र के अनुसार एक टाँका फ्लाई stitch का काढ़ें। उसके बाद दो सीधे टाँके लें। ऐसे गोला पाँच बराबर भागों में बँट जाएगा। ये पाँच टाँके जाले की नींव हैं। अब इन टाँकों के ऊपर और नीचे से धागा भरें। धागा तब तक भरें जब तक गोला पूरा न भर जाए।

rose stitch (फ्रेंच नॉट)
जिस जगह french knot बनाना है वहाँ से धागा ऊपर लाएं। धागे को बाएँ अंगूठे से दबाते हुए सूई पर दो बार लपेटें। धागे को कस कर दबाते हुए सूई को मोड़ कर उसी जगह लाएं जहाँ से पहले ऊपर लाए थे। अब सूई को उसी जगह के पास से नीचे घुसेड़ें। धागा खींच कर पीछे निकाल लीजिए। चित्र के अनुसार सूई को वहाँ निकालें जहाँ दूसरा टाँका लेना है। यदि rose stitch से फूल बनाना हो तो सूई पर धागा बहुत बार लपेटें। इससे फूल सुन्दर बनेगा।

स्क्रोल stitch
स्क्रोल stitch बाईं ओर से दाईं ओर काढ़ी जाती है। धागे को दाहिनी ओर से बाईं ओर इस प्रकार ले जाएँ कि एक फंदा-सा बन जाए। इस फंदे के बीच में चित्र के अनुसार एक छोटा-सा तिरछा टाँका लीजिए। यह टाँका लाइन से थोड़ा नीचे धागे को सूई की नोक से दबाते हुए लें। ये टाँके बराबर दूरी पर लगाएँ तभी सुन्दर लगेंगे।

फिश बोन stitch (मछली काँटा)
धागे का ‘क’ पर बाहर निकालें और एक छोटा-सा टाँका बीच की लाइन पर लीजिए। धागा ‘ख’ पर निकाल लें फिर बीच की लाइन पार करके पहले टाँके के नीचे सूई डालें। धागे को ‘ग’ पर निकालें। इसी प्रकार दूसरा टाँका पिछले टाँके के ऊपर चढ़ा कर लें। इसी प्रकार बारी-बारी दोनों ओर से टाँके लेकर पूरा आकार भर दें।

couching
इसमें लाइन के आरम्भ में एक धागा पिरोएँ। इस धागे को लाइन के साथ-साथ ही रखें। दूसरा धागा सूई में पिरोएँ। लाइन के साथ वाले धागे को सूई के धागे से कपड़े के साथ टाँकें। ध्यान रहे कि टाँके छोटे और बराबर दूरी पर लगने चाहिए।
seeding stitch
इस प्रकार के टाँके आकार को भरने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। बराबर की लम्बाई के छोटे टाँके लगाए जाते हैं। ये टाँके बिखेर कर काढ़े जाते हैं।

काज stitch (button hole stitch) और blanket stitch
इस तरह की stitches एक ही ढंग से बनाए जाते हैं। काज stitch में टाँके पास-पास और किनारे पर कसते हुए लगाए जाते हैं। जब टाँके ढीले डाले जाते हैं तो उन्हें blanket stitch कहते हैं। readymade कम्बलों के किनारे इसी stitch से सजाए जाते हैं इसलिए इसे blanket stitch कहते हैं। काज stitch cut work बनाने के लिए प्रयोग की जाती है।

cross stitch
आप चित्र की मदद से पहले एक दिशा में फिर दूसरी दिशा में टाँके लगाएँ।
herring bone stitch (जाली टाँके)
पहले दो टाँके क्रास stitch के लें। अब सूई को ‘क’ से निकालें और ‘ख’ से अन्दर डालें। ‘ग’ से सूई ऊपर लाकर ‘घ’ पर अन्दर डालें। इस प्रकार विभिन्न तरह की कढ़ाई के लिए अनेकों प्रकार की विधि बताई गई है। सुन्दर कढ़ाई के लिए टाँकों एवं धागों तथा कपड़े का सही चुनाव बहुत जरूरी होता है।
नमूना छापने के लिए विभिन्न संयोजना

Penguin books catalog

13 December (Hindi), Roy, Arundhati
365 Dalai Lama (Hindi), Mehrotra, Rajiv (Ed.)
Amrita-Imroz (Hindi), Trilok, Uma
Areba Pareba (Hindi), Prakash, Uday
Black Friday: (Hindi), Zaidi, S. Hussain & Narayan, Kuldip
Book of Devi (Hindi), Sharma, Bulbul
Code Name God (Hindi), Bhaumick, Mani
Diabetic Cook Book (Hindi), Billimoria, Frenny & Wadhawan, Surinder
दोहरी ज़िंदगी, Detha, Vijaidan
एक भूत और दो स्वपनों की राह, Pandeya, S. D.
एक धर्मनिर्पेक्ष रूढ़िवादी की, Aiyar, Mani Shankar
घर-बेघर, Kumar, Kamal
Ghunda Dhur Ki Taalash Mein, Sundar, Nandini
Hamara Hissa, Prakash, Arun
Hum Hindustani - Hindi, Kakar Sudhir & Kakar Katharina
Hum Yun Ashana Na The, Sarna, Navtej
Imam Bukhari ka Napkin, Zauqui, M. A.
Is Taaj Ke Heerey Chubhte Hain, Trivedi, Ira
Jallad Ki Diary, Warrier, Shashi
Jannat Aur Anya Kahaniyan, Singh, Khushwant
Jill Aur Yadav, Lowe, Jill
Joote ka Jorhh Gobhi ka Torh, Garg, Mridula
Kahani Ek Parivar Ki, Das, Gurcharan
Karva Geeton Ka - Hindi, Neeraj, Gopal Das
Katha Oorja.com, Jain, Rajesh
Khali Lifafa : Shreshtha Kahaniya, Seth, Rajee
Kuch Atke, Kuch Bhatke, Garg, Mridula
Ladies Coupe (Hindi), Nair, Anita
Life of Pi (Hindi), Martel, Yann
Mango Sil (Hindi), Prakash, Uday
Maslaram, Chakradhar, Ashok
Nahin Rahaman Babu, Pal, Joginder
Nav Samrajya Ke Naye Kisse, Roy, Arundhati
Oona : Pahadon Ki Beti, Mansingh, Jasjit
Paisa, Parkhiji Tejguru Sarshree
Parvaaz, Bond, Ruskin
Patangwala Aur Annya Kahaniya, Bond, Ruskin
Pavitra Papi, Suri, Kulwant Singh & Singh, Nanak
Penguin Guide- Bharat ke Rajya,
Pita Ke Patra Putri Ke Naam, Vadra, Priyanka Gandhi
Pushp Parijat Ke, Neeraj, Gopal Das
Saaf Mathe ka Samaaj - Hindi, Mishra, Anupam
Saatvan Button, Vajpeyi, Udayan
Sadak Chaap, Pestonji, Meher
Samay, Sapna aur Tum, Mohta, Madhup
Sannate, Manasi, Pamela (Ed)
Sau Saal Swastha Kaise Rahin, Tiwari, Salila
Saundarya Ki Nadi Narmada, Vegad, Amrit Lal
Schizophrenia (Hindi), Chaudhury, Diwakar
Shakuntala, Gokhale, Namita
Sham Ka Saye, Halan, Mridula
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Shree Ganesh Katha, Grewal, Royina
Shree Vishnu Katha, Krishna, Nanditha
Shri Krishnavatar, Varma, Pawan K.
Sphatik : 2 (Hindi), Malviya, Laxmidhar
Sphatik Vol.1 (Hindi), Malviya, L
Spouse ( Hindi), De, Shobhaa
Superstar India (Hindi), De, Shobhaa
Sur ki Baradri,
Swapna Ghar - Hindi, Prakash, Arun
Tainti Bai, Chandrakanta
Theatre road ke Kauve, Kalia, Mamata
Urf Hitler (Hindi), Kant, Meera
Yadein Je Uthi, Dey, Manna
Yaspal ki 21 Kahaniyan, Yaspal
Yun Hi, Chakradhar, Ashok
Zarri Bano : Ishq Ki Dastan, Qaisra Shahraz
Zindagi Zinda Dili Ka Nam, Zaheer, Zakia & Zaheer, Rima
अंगारों पे नंगे पांव, Kaushik, Mahdhav
अंधेरी गुफाएं, Halan, Mridula
अंबेदकर, Omvedt, Gail
अगला यथार्थ, Joshi, Himanshu
अभिशप्त देव, Savi, Anjana
अयोध्या-दिसंबर 1992, Narshima Rao
अर्ध-कथानक, Chowdhury, Rohini
आकाश ही आकाश, Kannan, Lakshmi
आखिरी अध्याय (उर्दू), Zakir, Kashmiri Lal
आधी सदी का सफ़रनामा, Prakash, Swayam
आरोहन, Sanjeev
एक और पंचवटी, Ansal, Kusum
एक मयान दो तलवार, Suri, Kulwant Singh & Singh, Nanak
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कुन्दन, Dutt, Sarad
गदर के 150 साल, ICCR
चतुर चतुर नाना, Chowhan, Manhar
चूड़ियांवाला और अन्य कहानियां, Kumar, Amrendra
चेतना, Bharat-Ram, Vinay
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दालचीनी के जंगल, Kamleshwar
दासतां हज़ार दिन, Sehgal, Charanjit Sigh
दीदी, Pande, Ira
देवी देवताओं की कहानी,
दौरान-ए-तफ़तीश, Pandey, S. D.
धूप के रंग, Arya, Viky
नए दौर की उर्दू कहानियां, Dr. Sadique
नरक यात्रा का सुख, Sharma, Jaswinder
नौशादः ज़र्रा जो आफ़ताब बना, Imam, Chaudhary Zia
बाज़ार ने पहनाया बार्बी को बुर्का, Sharma, Kshama
बिगड़े बच्चे सबसे अच्छे, Yogi, Bedbati Rabindra & Ved, P G
भारत का भविष्य, Jalan, Bimal
भारत की राजनीति, Jalan, Bimal
भारत की लोक कथाएं,
भारतीय अर्थ-व्यवस्था पर एक नज़र, Chidambaram, P
भीम अकेला, Nautiyal, Vidyasagar
महानगर: Bombay की तलाश, Mehta, Suketu
मुसलमां कैसे कैसे, Mamdani, Mahmood
मुसाफ़िरख़ाना, Vivek, Gyanprakash
मेघदूत, Ram, Vinay Bharat
मेरे नालों की गुमशुदा आवाज़, Aleem, Mohammed

रविवार, 28 अप्रैल 2013

City libraries in Munich

भारतीय कार्यक्रम करवाना नहीं इतना आसान

कुछ वर्षों से जर्मनी जैसे पश्चिमी देशों में भारतीय संस्कृति को विशिष्ट पहचान मिलने लगी है जो यहां बढ़ते हुए प्रवासी भारतीय समुदाय को अपनी जड़ों से जुड़े रहने के लिए एक मौका प्रदान करती है। इसलिए हर बड़े छोटे शहर में कई तरह की भारतीय संस्थाएं उभरने लगी हैं। पर फिलहाल यह क्षेत्र इतना परिपक्व नहीं हुआ है कि समूचे भारत की विविध संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करने वाली कोई बड़ी संस्था खड़ी हो सके। खासकर अभाव है स्थानीय प्रतिभा का। विदेश में रहने वाले अधिकतर प्रवासी भारतीय काम काजी लोग हैं। अगर किसी में कोई प्रतिभा है भी तो वह केवल शौकिया तौर पर कर पाता है। ऐसे में भारतीय संस्थाओं के लिए अच्छे कार्यक्रम करवा पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। हालांकि जर्मनी में भारत का शास्त्रीय नृत्य और शास्त्रीय संगीत ही भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता आ रहा है, पर यह खुद भारतीयों के लिए उतना आकर्षक नहीं। कुछ सालों से हिन्दी फिल्मों की लोकप्रियता बढ़ने से bollywood dance की लोकप्रियता बढ़ी है। इसलिए हर बड़े शहर में पर्याप्त जर्मन नृत्य कलाकार उभर कर आए हैं, जो bollywood नृत्य में माहिर हैं। पर ये कलाकार व्यावसायिक होते हैं, खूब पैसा लेते हैं और अधिकतर बड़े या सरकारी कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। ऐसे में छोटी मोटी भारतीय संस्थाएं फिर से अकेले पड़ जाती हैं। इसलिए अभाव है प्रवासी भारतीय प्रतिभा का। Frankfurt के भारत संघ से अनिल कुमार कहते हैं 'प्रतिभा की इतनी कमी है कि आधे घण्टे का कार्यक्रम आयोजित करवाना भी मुश्किल हो जाता है। अगर थोड़ी बहुत भारतीय प्रतिभा है भी, वह भी बिना पैसे के बात नहीं करती। भारत संघ जैसी संस्थाएं प्रवासी भारतीय परिवारों में संस्कृति को बचाए के लिए होती हैं और मूलतः दान आदि पर चलती हैं। हमारा उद्देश्य है यहां रह रही भारतीय प्रतिभा को आगे बढ़ने का मौका देना, उन्हें लोकप्रियता के लिए एक मंच देना। पर प्रवासी भारतीय कलाकारों को भी हमारी मजबूरी समझनी चाहिए।'

शुरू शुरू में विभिन्न भारतीय समुदायों की संस्थाएं बनीं। तमिलों की, पंजाबियों की, बंगालियों की, गुजरातियों की, तेलुगू लोगों की या मल्लूओं की। पर ये अलग अलग बड़े स्तर पर कार्यक्रम नहीं कर पाती हैं। इसलिए अब चलन आ रहा है मिलकर थोड़े बड़े स्तर पर कार्यक्रम करने का। विश्व हिन्दू परिषद, Frankfurt से सरबजीत सिंह सिद्धू- 'हमने कई बार केरला समाजम या बंगाली समूहों से कार्यक्रमों को उधार लेकर उन्हें अपने कार्यक्रमों में जगह दी है। इससे भारत का सच्चा प्रतिनिधित्व होता है, कार्यक्रम मनोरंजक और विविधतापूर्ण बनता है। हर तरह के कार्यक्रम का अपना महत्व और अपने दर्शक होते हैं। पंजाब का भांगड़ा, दक्षिण भारत के शास्त्रीय नृत्य के तो अब पर्याप्त कलाकार मिलने लगे हैं, पर अभी राजस्थान, उत्तरप्रदेश आदि कई प्रदेशों की नृत्य शैलियों की कमी है। अगर हम अपने देश के ही तमाम नृत्य और गायन शैलियों में प्रतिभा उभार सकें तो हमें केवल कार्यक्रम लम्बा करने के लिए अन्य देशों के कार्यक्रम नहीं डालने पड़ेंगे।'

Interesting Indians in Germany

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फ्रैंकफर्ट के पास Friedberg के निवासी विनोद कुमार पेशे से software engineer रहे हैं। पर सेवा-निवृत्त होने के बाद उन्होंने अपना जीवन हिन्दी को समर्पित कर दिया है। वे Vochshochschule में हिन्दी पढ़ाते हैं, निजी पाठ्यक्रम भी चलाते हैं। इसके अलावा उन्होंने स्व-प्रकाशन द्वारा हिन्दी सीखने के लिए कई अनोखी पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं जो उनके वेबसाइट द्वारा मंगाई जा सकती हैं। उनके वेबसाइट से आप जर्मन-हिन्दी शब्दावली, मुहावरे, शरीर के अंगों के नाम, रंगों के नाम, भजन आदि बहुत सी सामग्री डाउनलोड कर सकते हैं।
www.hindiheute.de
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बर्लिन निवासी मेकैनिकल इञ्जीनियर नबीनानन्दा घोष 1962 से जर्मनी में हैं। काम के साथ साथ अपनी भाषा बंगाली की सेवा भी खूब कर रहे हैं। उन्होंने भी स्व-प्रकाशन द्वारा लगभग चालीस हज़ार शब्दों वाले जर्मन-बंगाली और बंगाली-जर्मन शब्दकोष प्रकाशित किए हैं। इनके अलावा उन्होंने एक जर्मन-बंगाली-जर्मन भाषा गाइड प्रकाशित किया है जिनमें दोनों भाषाओं के आम जीवन में काम आने वाले वाक्य दोनों लिपियों में उच्चारण के साथ दिए हुए हैं। ये पश्चिम बंगाल या बंग्लादेश का भ्रमण करने वाले जर्मन लोगों के लिए भी उपयोगी है और जर्मनी का भ्रमण करने वाले बंगाली लोगों के लिए भी। इसके अलावा उन्होंने लोकप्रिय जर्मन परी कथा लेखक Brüder Grimm की लगभग पन्द्रह परी कथाओं को बंगाली भाषा में अनुवाद करके भी एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया है।
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परिवार से खाली समय पाकर फ्रैंकफर्ट निवासी दीप्ति अग्रवाल गैर भारतीयों को भारतीय संस्कृति से अवगत करवाने के लिए महीने में दो बार 'Indian culture eveníng' का आयोजन करती हैं। इसमें वे लोगों के छोटे से समूह को भारतीय आभूषणों, भोजन, मसाले और वीडियो द्वारा पर्यटन स्थलों के बारे में बताती हैं। software engineer जतिन अग्रवाल के साथ विवाहित केवल तीन साल से जर्मनी में रह रही दीप्ति अग्रवाल ने जब देखा कि यहां लोगों को भारतीय भोजन और संस्कृति के बारे में जानने का बहुत शौक है पर भारतीय रेस्त्रां में भोजन इतालियन या मैक्सिकन भोजन की अपेक्षा बहुत मंहगा है तो उन्हें ऐसा कुछ आज़माने का विचार आया। सौभाग्य से उन्हें विभिन्न इण्टरनेट समूहों के द्वारा अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।
www.cookcurry.de

शनिवार, 27 अप्रैल 2013

गरीबों के लिए कुन्दन - नारायण सेवा संस्थान (ट्रस्ट)



भारत में गरीबी अभी भी व्याप्त है। गम्भीर बीमारियों का इलाज करवा पाना गरीब लोगों के लिए अक्सर सम्भव नहीं हो पाता। यहां तक कि कई बार तो रोगों को असाध्य और प्रमात्मा का प्रकोप मान लिया जाता है। ऐसे में उदयपुर का नारायण सेवा संस्थान गरीब लोगों के लिए कुन्दन साबित हो रहा है जो हर वर्ष पोलियो और cerebral palsy जैसे गम्भीर रोगों से ग्रस्त हज़ारों गरीब लोगों का केवल मुफ्त इलाज ही नहीं करवाता बल्कि उन्हें रोजगार सिखा कर, कई बार तो शादी तक करवाकर पूर्ण रूप से उनका पुनर्वास सुनिश्चित करवाता है। नारायण सेवा संस्थान के संस्थापक महामण्डलेश्वर डाक्टर कैलाश मानव को भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल द्वारा पदमश्री सम्मान भी मिला।नारायण सेवा संस्थान से प्रेम प्रकाश माथुर का कहना है कि पोलियो का रोग आज तक पूरी तरह खत्म नहीं हो पाया है। भारत में अभी भी कोई दो करोड़ लोग पोलियो के ग्रस्त हैं। किसी समय तक यह रोग असाध्य माना जाता था। जन्म के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण शिशु का कोई अंग काम करना बन्द कर देता है और वह पोलियो ग्रस्त हो जाता है। 1985 से चल रहे इस संस्थान के polio surgical hospital में भारत, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका से आने वाले लगभग 100000 गरीब बच्चों का शल्यक्रिया द्वारा पोलियो का इलाज किया जा चुका है। यहां प्रतिदिन 60-70 operations होते हैं। मरीज़ों की तादाद इतनी है कि 2013 तक waiting list चल रही है। पोलियो के अलावा यहां cerebral palsy (मस्तिष्क पक्षाघात) का भी इलाज होता है। इस रोग में बच्चे का दिमाग ठीक से काम नहीं करता, लार गिरती रहती है। अस्पताल में मरीज़ों का इलाज, रहना, खाना पीना, सब मुफ्त है। सम्पूर्ण भारत में इस संस्था की लगभग चार सौ शाखाएं हैं जहां समय समय पर पोलियो शिविर लगते हैं। शिविर के दौरान वहां डाक्टरों और attendents की टीम जाती है। जिन लोगों का इलाज शल्यक्रिया के द्वारा होना होता है उन्हें उदयपुर भेज कर इलाज किया जाता है। अन्य को वैसाखियां, त्रैपहिया आदि मुफ्त दी जाती हैं।

अस्पताल के अलावा यह संस्थान आवासीय विद्यालय और बाल गृह नामक दो अन्य योजनाएं भी चलाती है। निराश्रित बाल गृह में लगभग सौ अनाथ बच्चों के आवास और स्कूली पढाई का पूर्ण रूप से मुफ्त प्रबन्ध है। पुस्तकें, स्कूल का शुल्क, वर्दी आदि सब कुछ मुफ्त है। ये बच्चे अट्ठारह वर्ष की आयु तक यहां रहते हैं।  आवासीय विद्यालय में भी लगभग एक सौ गूंगे, बहरे और अन्धे बच्चों का रहने, खाने पीने और प्रशिक्षण का मुफ्त प्रबन्ध है।

नारायण सेवा संस्थान गरीब लड़के लड़कियों की शादी यानि wedlock भी करवाता हैं। अब तक 264 शादियां की जा चुकी हैं। एक परिचय सम्मेलन के द्वारा लड़के और लड़की को एक दूसरे से मिलने और पसन्द करने का मौका दिया जाता है।

इसके अलावा नारायण सेवा संस्थान का मुफ्त TV / VCR education center भी है जहां बच्चों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा बढ़ईगीरी आदि कई काम सिखा कर पोलियो ग्रस्त युवाओं को रोजगार के लायक बनाया जाता है। जहां तक हो सके, बाद में उन्हें वहीं काम पर रख लिया जाता है। इसके अलावा गरीब लोगों में मुफ्त अनाज, ऊनी कपड़े और कम्बल आदि बाण्टे जाते हैं।

यानि यह संस्थान लोगों की भौतिक, सामाजिक और आर्थिक पुनर्वास के लिए समर्पित है। और यह सम्भव है देश विदेश से लोगों के दान के कारण। एक मरीज़ की शल्यक्रिया और पुनर्वास पर लगभग पांच हज़ार रुपए का खर्च आता है। आप भी दान देकर इस पुण्य कार्य में भाग ले सकते हैं। एक बच्चे के इलाज और पुनर्वास के लिए पांच हज़ार रुपयों से लेकर एक हज़ार एक बच्चों के लिए इकत्तीस लाख रुपए तक दान दे सकते हैं। अगर यह दान भारत के भीतर से किया गया है तो यह राशि कर-मुक्त है। नारायण सेवा संस्थान सरकारी तौर पर पञ्जीकृत है और इसे FCRA प्रमाण पत्र के साथ विदेशों से दान स्वीकार करने की अनुमति प्राप्त है। संस्थान के बारे में तमाम जानकारी आप इस वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं- http://narayanseva.org/. आप दान इन बैंक खातों में दे सकते हैं- ICICI 00450100829, SBBJ 51004703443, PNB 2973000100029801, Union Bank 310102050000148.

फ्रैंकफर्ट निवासी श्री बृज मोहन अरोड़ा को उदयपुर के नारायण सेवा संस्थान की ओर से जर्मनी शाखाध्यक्ष के पद पर मनोनीत किया गया है। उन्होंने सितम्बर 2010 में संस्थान का दौरा किया। अगर आप नारायण सेवा संस्थान को दान भेजना चाहते हैं विस्तृत जानकारी श्री बृज मोहन अरोड़ा जी से भी ले सकते हैं। उनका सम्पर्क पताः

Brij Mohan Aurora
Sossenheimerweg 51
65843 Sulzbach (Taunus)
Germany
Email: bm.vhp81@gmail.com
Phone: +4969252691
Fax: +4969239547

चित्रों में फ्रैंकफर्ट निवासी श्री बृज मोहन अरोड़ा उदयपुर में नारायण सेवा संस्थान के पोलियो अस्पताल में पोलियोग्रस्त बच्चों को मिलते हुए।

 

सम्मान के लिए हत्या

म्युनिक आपराधिक पुलिस के हत्या आयोग के उप निदेशक, श्री Richard Thiess फिर से बसेरा के लिए एक सच्ची कहानी लेकर आए हैं।एक सुबह साढे तीन बजे मेरा कार्यालय वाला मोबाइल बज उठा और एक कर्मचारी ने बताया कि दक्षिण म्युनिक के किनारे एक रिहायशी इमारत के आगे एक तुर्की व्यक्ति को गोलियां मार कर बुरी तरह जख़्मी कर दिया गया है। उसकी जान खतरे में है और उसे एक अस्पताल में आपातकालीन शल्य चिकित्सा के लिए दाखिल किया गया है। अपराधी लापता है (या हैं)। अपराध स्थल की घेराबन्दी कर दी गई है और अपराधी की खोज जारी है। अभी इस अपराध का कोई गवाह नहीं है। मेरे वहां पहुंचने पर वहां पहले से ही कई पुलिस गाड़ियां खड़ी थीं। एक पुलिस अधिकारी ने मुझे स्थिति से अवगत कराया। अब तक की जानकारी के अनुसार घायल व्यक्ति अपनी पत्नी और बच्चे के साथ उस इमारत में रहता था। यह इमारत एक बड़े से वृद्ध आश्रम का हिस्सा थी जिसमें अधिकतर वृद्ध आश्रम के कर्मचारी ही रहते थे। प्रवेश द्वार के सामने ही एक छोटा सा जंगल था जहां से गोलियां दागी गई थीं। घायल व्यक्ति सुबह सब्ज़ीमण्डी में काम पर जाने के लिए निकला था। उसकी पत्नी ने अपने फ्लैट से गोलियों की आवाज़ें सुनी और अपने पति को दरवाज़े पर घायल पड़े हुए पाया। होश खोने से पहले उसने पत्नी को बताया था कि उसने किसी को नहीं देखा।

उस खुले से और बड़े से क्षेत्र की ठीक तरह से छानबीन करने, और कोई हथियार या सुराग ढूंढने के लिए मैंने करीब साठ सत्तर पुलिस-कर्मियों के दस्ते को बुलाया। कुछ कर्मचारी इमारत में रह रहे लोगों से और वृद्ध आश्रम के लोगों से पूछताछ कर रहे थे। कुछ गवाहों ने गोलियां चलने की आवाज़ के बाद वहां पास ही एक बजरी वाली सड़क पर किसी के चलने की आवाज़ भी सुनी थी। एक गवाह ने तो इसके बाद दूर किसी गाड़ी के चालू होने और तेज़ी से टायरों के घूमने और घिसटने की आवाज़ें भी सुनी थीं। वृद्ध आश्रम के अधिकारियों ने हमारा पूरा साथ दिया, बल्कि कड़कती ठण्ड वाली सुबह में हम करीब सत्तर लोगों को नाश्ते के लिए कॉफी और ब्रेड भी दी। अपराध स्थल पर हमें कुछ कारतूसों के कवर मिले। आपराधिक विभाग के खास अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि अपराधी ने अपने शिकार से कुछ कदमों की दूरी पर खड़े होकर ही गोलियां चलाई होंगी।  इतने में अस्पताल से सूचना आई कि सभी गोलियां शरीर के निचले हिस्से में लगी हैं। शिकार हुए व्यक्ति की हालत गम्भीर थी पर डॉक्टरों को उम्मीद थी कि वह बच जाएगा। इससे हमें लगा कि अपराधी का उद्देश्य शिकार की मर्दानगी को छीनना रहा होगा। इससे हमें छानबीन के लिए दिशा मिली कि हमें उसके जानकारों में ही पता लगाना होगा। हो सकता है किसी औरत का उसके साथ सम्बन्ध हो या फिर कोई औरत किसी बात का बदला लेना चाहती हो। अगले दिनों की छानबीन से यह विश्वास होने लगा कि यह मामला बदला लेने का ही है, हालांकि शिकार व्यक्ति का परिवार इस सम्बन्धी प्रश्नों के उत्तर देने में बहुत हिचकिचा रहा था।

पर एक बार शाम को छुट्टी के बाद हम चार लोग कार्यालय में केस पर चर्चा कर रहे थे कि टेलीफ़ोन की घण्टी बज उठी। दूसरी ओर से एक व्यक्ति ऐसे बोल रहा था जैसे वह कोई महत्वपूर्ण सूचना देने जा रहा हो। उसने बताया कि वह उस सुबह गाड़ी में बैठकर शहर की ओर जा रहा था। करीब सुबह तीन बजे वह वृद्ध आश्रम के आगे से गुज़रा। कि अचानक दीवार के पीछे से कोई निकला और गाड़ी के तेज़ प्रकाश के आगे से होकर तेज़ी से सड़क पार कर गया। उसने आती हुई गाड़ी की ओर ध्यान भी नहीं दिया, न ही उसने टकराने की कोई परवाह की। बड़ी मुश्किल से उसने गाड़ी को घुमा कर टक्कर होने से बचाया। वह कोई अट्ठारह बीस साल का और कोई पौने दो मीटर लम्बा, काले बालों वाला लड़का था। बिना गाड़ी की ओर ध्यान दिए वह लड़का वहां पड़े कचरे के डिब्बों की ओर भाग गया। गवाह इससे बहुत चौंका, इसलिए उसने शीशे में से पीछे देखने के लिए गाड़ी धीमी कर दी। तभी उसने देखा कि पीछे से तेज़ प्रकाश के साथ एक गाड़ी चालू हुई और तेज़ी से उसे पीछे छोड़ती हुई शहर की ओर चली गई। हालांकि अन्धेरे के चलते वह देख नहीं सका कि गाड़ी में कितने लोग थे, पर गाड़ी का मॉडल और नम्बर वह नोट कर पाया। यह एक पुरानी नीली मर्सिडीस थी। उसका बयान हमारी अब तक की जानकारी के साथ पूरी तरह मिल रहा था। इस जानकारी से हमारा काम बहुत आसान हो गया। हमने गवाह को कार्यालय में बुलाकर उसका बयान नोट कर लिया।

हमने पता लगाया कि यह गाड़ी शिकार हुए व्यक्ति के अंकल 'ओरहान' की है जिसके दो पुत्र थे। दोनों युवा थे। एक पढ़ाई खत्म करने वाला था। उसका हूलिया हमारे बयानों में बताए गए व्यक्ति से एकदम मिल रहा था। अब क्योंकि उस गाड़ी के गुम होने की रिपोर्ट नहीं लिखवाई गई थी, इसलिए हमने ओरहान के विरुद्ध हत्या में साथ देने के सन्देह का वारण्ट जारी करवा कर उसे उसके घर जाकर गिरफ्तार कर लिया। उसने बताया कि उसके दोनों बेटे घर पर नहीं हैं। वे अपने मर्ज़ी से घर आते जाते हैं, कई बार तो किन्हीं लड़कियों के पास ही अपने दिन गुज़ारते हैं। उसके घर की तलाशी से भी कुछ खास हाथ नहीं लगा। ओरहान पूछताछ में काफी आनाकानी कर रहा था। पर उसे उस रात जेल में ही रहना पड़ा। अगली सुबह ही उसके बड़े बेटे 'ओरकान' ने फोन करके अपने चचेरे भाई पर हमला करने का अपराध स्वीकार कर लिया और कहने लगा कि उसके पिता को छोड़ दिया जाए। उनका इस अपराध से कोई लेना देना नहीं हैं। उनकी गाड़ी भी उसने बिना बताए उपयोग की और अपराध के बाद वापस रख दी। उसके बाद वह अपनी गर्लफ़्रेण्ड के घर जाकर छुप गया और तुर्की चला गया। पर ऑस्ट्रिया में से गुज़रते हुए उसे अपने पिता की गिरफ्तारी का पता चला, और अब वह वापस म्युनिक आ रहा है और वापस आते ही खुद को पुलिस के हवाले कर देगा। बिना किसी प्रश्न की प्रतीक्षा किए उसने फोन रख दिया। हमें आश्चर्य हुआ कि क्या वह सचमुच अकेला था या अपने पिता का अपराध छुपाने के लिए सारा दोष अपने सर पर ले रहा है?

हमें ज़्यादा इन्तज़ार नहीं करना पड़ा। अगली सुबह वह हमारे सामने था। उसने बताया कि शिकार हुआ उसका चचेरा भाई उनकी रिश्तेदारी में एक लड़की के साथ अवैध सम्बन्ध बढ़ा रहा था। वह लड़की मानसिक रूप से थोड़ी कमज़ोर थी और थोड़ी देर बाद उसकी शादी तुर्की में उसके एक दूर के चचेरे भाई के साथ कर दी गई थी। इसके साथ मामला खत्म हो गया था। पर एक दिन लड़की के पति को उसके अतीत के बारे में पता चला और इसके बारे में पूछना शुरू कर दिया। लड़की ने स्वीकार कर लिया कि उसके एक चचेरे भाई के साथ सम्बन्ध थे। लड़की के पति को लगा कि उसके साथ धोखा हुआ है। उसने लड़की के माता पिता को इसके बारे में बताया। परिवार वालों ने लड़की के बयान की सच्चाई जानने का फैसला किया। लड़की के माता पिता की अनुमति के बाद लड़की के भाई और एक अंकल एक बहाना बनाकर उसे म्युनिक शहर के बाहर एक जंगल में ले गए और उससे पूछताछ शुरू कर दी। उसपर कई घण्टे तक अत्याचार किए गए और दुर्व्यवहार किया गया। उससे सच उगलवाने के लिए उसे मारने की धमकी भी दी गई। लहूलुहान करके उस लड़की को वापस उसके माता पिता के हवाले किया गया, जिन्होंने उसे अस्पताल में दाखिल करवाया। लड़की के पिता तो लड़की का सम्मान वापस दिलाने में मदद करने के लिए उनके आभारी थे। कई दिनों तक लड़की का उपचार जारी रहा।

पर अत्याचार के बावजूद लड़की अपने शब्दों पर दृढ़ रही। इसलिए परिवार वालों ने उसके आशिक की मर्दानगी छीनकर परिवार का सम्मान वापस लेने का निर्णय लिया। उसकी सम्भवत मृत्यु की किसी को परवाह नहीं थी। इस काम के लिए परिवार के बड़े बेटे को चुना गया, जो हालांकि यहां जर्मनी में पला बड़ा हुआ पर इस काम को मना करने की हिम्मत नहीं कर सका। उसके दादा ने तुर्की ने पिस्तौल मंगवाई। यह तो पता चल गया था कि अपराध के समय 'ओरकान' अकेला था, पर अपराध के लिए उसके पिता, दादा और अन्य परिवार वालों को उसे उकसाने और मदद करने के लिए किस हद तक दोषी ठहराया जा सकता था, काफी छानबीन से भी इसका निर्णय नहीं हो सका। अपराध के बाद उसने पिस्तौल वापस दादा को दे दी थी। वह पिस्तौल भी आखिर हमें उनके घर के पास की इमारत के कचरे में मिल गई। ओरकान को हत्या के प्रयास के मामले में आठ साल की सज़ा हुई। उसके पिता ने अपने बेटे को 'एक अच्छा बेटा' कहते हुए बड़े गर्व के साथ उसकी सज़ा को स्वीकार किया। उनके लिए परिवार का सम्मान लड़के की पढ़ाई और उसके भविष्य से अधिक महत्वपूर्ण था। यह एक ऐसी घटना थी जिसमें एक जर्मनी में पला बड़ा, बुद्धिमान, पढ़ाई में अग्रणी और सबका प्यारा लड़का अपने परिवार के मध्ययुगीन सिद्धान्तों से बाहर नहीं निकल सका।

जर्मन लोगों द्वारा लिखी गई पुस्तकें

मार्च 1998 में ऑस्ट्रिया में दस वर्षीय Natascha Kampusch का स्कूल जाते हुए एक व्यक्ति अपहरण कर लिया था। उसने उसे आठ वर्ष तक अपने घर में बन्दी बना कर रखा। 2006 में अट्ठारह वर्ष की आयु होने के बाद वह भागने में सफल हुई। अब उसने अपने बन्दी जीवन पर पुस्तक लिखी है '3096 दिन'।




Robert Enke, एक राष्ट्रीय फुटबाल खिलाड़ी ने 10 नवम्बर 2009 को रेल के नीचे आकर जान दे दी थी। वह फुटबॉल में दबाव के कारण बहुत depression में था। उनकी पत्नी के साथ मिलकर एक जाने माने खेल पत्रकार ने उनकी जीवनी लिखी है।
http://www.piper-verlag.de/sachbuch/buch.php?id=16670




तुर्कियों के विरोध में पुस्तक लिखने की भारी कीमत

Deutsche Bundesbank के कार्यकारी बोर्ड के सदस्य Thilo Sarrazin ने जर्मन समाज में आत्मसात न होना चाहने वाले प्रवासी लोगों और उनपर की जाने वाली राजनीति पर चोट करते हुए एक पुस्तक लिखी है 'Deutschland schafft sich ab'. इस पुस्तक में उन्होंने खासकर तुर्की मुस्लिम लोगों को निशाना बनाया है। इसके कारण एक ओर उन्हें बहुत से जर्मन लोगों का गुपचुप समर्थन मिला है, दूसरी ओर बैंक और राजनेताओं द्वारा घोर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। यहां तक कि उन्हें बैंक में अपना पद से इस्तीफा भी देना पड़ा। यही नहीं, उन्हें SPD पार्टी से निकाले जाने पर भी विचार हो रहा है। बहुत से लोग तो उनके द्वारा दिए गए तथ्यों को गलत और बेवकूफी भरा मानते हैं। पर उनकी पुस्तक की खूब बिक्री हुई है, थोड़े ही समय में कई संस्करण निकल चुके हैं और वे करोड़पति हो गए हैं।




Speed skating खिलाड़ी Claudia Pechstein ओलम्पिक खेलों में पांच बार स्वर्ण पदक, दो बार रजत पदक और दो बार कांस्य पदक जीत चुकी हैं। पर 2009 में उनके विरुद्ध doping का मामला सामने आने के बाद उनका career चौपट हो गया। इसके बाद उन्होंने आत्महत्या करने की भी सोची। अब उन्होंने सारी कहानी को एक पुस्तक का रूप दिया है 'Von Gold und Blut'
http://www.claudia-pechstein.de/




केन्द्रीय रक्षा मन्त्री की पत्नी Stephanie zu Guttenberg यौन शोषण के शिकार बच्चों के लिए प्रतिबद्धता से काम कर रही हैं। माता पिता के लिए बहुत सारी बातें लिए उन्होंने यह पुस्तक लिखी है 'Schaut nicht weg!', यानि आंख न चुराएं।

Stuttgart 21 - एक विवादास्पद परियोजना

Stuttgart में Deutsche Bahn द्वारा बनाए जा रहे नए भूमि-गत रेलवे स्टेशन को लेकर नागरिकों, कई संस्थाओं और राजनैतिक पार्टियों बहुत रोष है और रोज़ रेलवे स्टेशन के अन्दर बहुत विरोध हो रहा है। रोष के कई कारण बताए जा रहे हैं, जैसे अनुमान से कहीं अधिक खर्च, जो अधिक उपयोगी योजनाओं पर खर्च किया जा सकता है, रेलवे स्टेशन पर पड़ी 100 एकड़ ज़मीन जिसके ऊपर रेलवे स्टेशन को भूमि-गत बनाए जाने के बाद फ्लैट और shopping center आदि बनाए जाएंगे, जिनसे Stuttgart जैसे ऐतिहासिक और और सुन्दर शहर का पारम्परिक बाज़ार डूब जाएगा, इसके अलावा बहुत से पेड़ काटे जाएंगे और आस पास की प्रकृतिक सुन्दरता खराब हो जाएगी। फिलहाल बातचीत के का परिणाम निकलने तक निर्माण कार्य रोक दिया गया है। इक्कसवी शताब्दी को मद्देनज़र रखते हुए इस परियोजना का नाम Stuttgart 21 रखा गया है। फिलहाल शहर का मुख्य रेलवे एक ओर से बन्द है। यानि सारी रेलें वहां आकर खत्म हो जाती हैं और उसी ओर से वापस चली जाती हैं। इसलिए उन्हें आगे जाने के लिए एक लम्बा चक्कर लगाना पड़ता है। जैसे पेरिस से वियना जाने वाली रेलों को केवल इस शहर में से होकर जाने के लिए ही लम्बा रास्ता तय करना पड़ता है। इसलिए इसे भूमि-गत बनाने का प्रयत्न चल रहा है जिसमें रेलें एक ओर से जाकर सीधे दूसरी ओर से निकल जाएंगी। पर केवल इतनी सी बात के लिए खरबों का खर्च लोगों के गले नहीं उतर रहा है। दूसरी ओर अभी का स्टेशन यात्रियों के लिए सुविधाजनक है क्योंकि उन्हें एक प्लैटफार्म से दूसरे प्लैटफार्म पर जाने के लिए बार बार सीढ़ियां चढनी उतरनी नहीं पड़ती। और भी बहुत से बड़े शहरों के मुख्य रेलवे स्टेशन इसी तरह से बने हुए हैं, जैसे म्युनिक, फ्रैंकफर्ट, Wiesbaden आदि।

Feedback

  • बसेरा एक घरेलू पत्रिका है। इसमें इस तरह के लेख न डालें जैसे 'एक रात का साथी कैसे ढूंढें?'। सरबजीत सिंह सिद्धु, फ्रैंकफर्ट
  • यह वाला अंक (17) पहले वालें अंकों की अपेक्षा बहुत सुन्दर बना है। पृष्ठों के ऊपर शीर्षक काफी सुविधाजनक है। छोटी छोटी खबरें रोचक और पठनीय हैं। कवर सुन्दर बना है। अंक में पहले की तरह छोटी छोटी गल्तियां हैं, जैसे अंक का नंबर फिर से 16 लिखा हुआ है, अगले अंक की तिथि फिर से जुलाई 2010 लिखी हुई। एक पाठक, म्युनिक
  • पिछली पत्रिकाओं को भी पढ़ने लायक format में online रखें। भले ही login के साथ सही। प्रदीप सोनी, फ्रैंकफर्ट
  • नये आने वाले लोगों के लिए कुछ ऐसी महत्वपूर्ण सूचनायें होनी चाहिये जिससे लोग पैसा भी बचा सकें। जैसे मुझे पांच साल बाद पता चला कि कुवांरे लोगों को निजी मेडिकल बीमा सस्ता पड़ता है जिससे लगभग दो सौ यूरो हर महीने बचाये जा सकते हैं। एक पाठक, म्युनिक
  • थोड़ा धार्मिक matter भी डालें, लोग पसन्द करेंगे। यहां उन्हें इस चीज़ की ज़रूरत होती है। अविनाश लुगानी, बर्लिन
  • कुछ धार्मिक सामग्री और महान व्यक्तियों की वाणियां भी डाला करें। पुस्तक 'Vision of India' ('India council for cultural relations) में से कुछ सन्दर्भ लिए जा सकते हैं। जैसे गांधी जी ने कहा था कि मेरे लिए आज़ादी वो है जहां लड़कियां रात को भी बिना डर के बाहर गलियों में निकल सकें। नेहरू को आधा मुस्लमान माना जाता है लेकिन उन्होंने हिन्दू धर्म के लिए बहुत कुछ किया। उन्होंने कहा था कि भारत तब तक जीवित रहेगा जब तक महाभारत, रामायण जैसी कहानियां जीवित हैं। एक और पुस्तक उल्लेखनीय है 'The seven spiritual laws of success', दीपक चोपड़ा द्वारा। विजय शंकर लुगानी, म्युनिक
  • आयुर्वेद आदि पर लेख देने का कोई खास फायदा नहीं, क्योंकि भारतीय लोग तो इसे जानते ही हैं। पाक विधियों में कुछ जर्मन पाक विधियां भी होनी चाहिए। Christine Liedl, Munich
  • पत्रिका लगातार बेहतर हो रही है, लोग पढ़ने के लिए मांग कर भी ले जाते हैं। पत्रिका दिखने में भी बहुत अच्छी है और दाम भी उचित है। इस बार का कवर पेज बहुत अच्छा था। नॉन वेज जोक्स बच्चों के लिए अच्छे नहीं। कई लोगों का कहना है कि वे अन्तिम पृष्ठ फाड़ कर ही बच्चों को देंगे। इस बार का पाक विधि वाला पृष्ठ बहुत आकर्षक था। अपाहिज व्यक्तियों के लिए कानून वाला लेख पसन्द आया। लिज़्ज़त पापड़ वाला लेख भी बहुत अच्छा लगा। हमें तो पता ही नहीं था कि इन औरतों ने इतने छोटे से शुरूआत की थी। स्कूल के बारे में निर्णय वाला लेख बहुत उपयोगी था, हमारा बेटा भी अब स्कूल जायेगा।  उपयोगी सूचना वाले लेख तो हमेशा अच्छे ही लगते हैं। जर्मन और हिन्दी शब्दावली वाले पृष्ठ भी अच्छे हुआ करते थे। शर्मीला, म्युनिक
  • इस बार की तो सारी पत्रिका ही अच्छी थी। चुटकुले अच्छे नहीं लगे, low standard के लगे। एक दो जोक्स तो नहीं होने चाहिये थे। बाकी पत्रिका बहुत उपयोगी थी। मसालों की अजब कहानी, नेत्रहीन क्रिकेट, टैक्स बचाने की टिप्स बहुत अच्छी लगीं। स्कूल वाला लेख तो सबसे अच्छा था, मां बाप को इस बातों के बारे में बिल्कुल नहीं पता होता। कवर पेज अच्छा था। सत्य अपराध कथा अच्छी लगी। इस तरह की कहानियां और डाली जा सकती हैं। पहले जर्मन और हिन्दी अनुवाद डाला करते थे, वह उपयोगी था। सरबजीत कौर, म्युनिक
  • पिछले अंक (16) का हल्के रंगों वाला कवर अच्छा था। matter की quality अच्छी हो रही है, overall improvement है। कुछ और उपयोगी लेख डालें, जैसे अगर पत्नी जर्मनी आये तो उसके लिये नौकरी कैसे ढूंढें, driving license के लिये क्या करना पड़ता है, आदि। नए कानूनों के बारे में जानकारी अधिक होनी चाहिए। शेख इस्माइल, म्युनिक
  • सभी लेखों की अंग्रेज़ी में भूमिका बहुत उपयोगी है, interesting लगे तो पढ़ लो, नहीं तो छोड़ दो। इस बार का कवर पेज बहुत अच्छा लगा, बिल्कुल Indian, देखते ही Indian culture का पता चलता है। पाक विधियां अच्छी थीं। रेहाना, म्युनिक
  • 'एक रात का साथी' वाला लेख भारतीय संस्कृति के अनुकूल नहीं। पर मैं मानता हूं कि अपनी संस्कृति अब कई संस्कृतियों का घालमेल हो गई है। पुराने ज़माने में लड़के लड़कियों को बहुत छूट हुआ करती थी। अजन्ता एलोरा की गुफायें इसका प्रमाण हैं। पर हिन्दी के बीच बीच में अंग्रेज़ी शब्दों का उपयोग मुझे अच्छा नहीं लगता। कई जर्मन इसपर हैरान होते हैं कि हमारी भाषा मं इसके लिए शब्द नहीं हैं। अनिल कुमार, फ्रैंकफर्ट।
  • बसेरा का concept अच्छा है। हमें सारा कुछ केवल अंग्रेज़ी में ही नहीं करना चाहिये, हिन्दी और अधिक काम होना चाहिये। अजीत कुमार, महाकोंसल, भारतीय कोंसलावास, फ्रैंकफर्ट
  • पत्रिका बहुत impressive है, बहुत अच्छा idea है। 45 साल पहले सिर्फ महाराजा, शेर या जानवरों की बातें होतीं थीं। अभी हिन्दुस्तानी का पता चलता है। मैं wish करता हूं कि यह चलता रहे, ऐसी चीज़ों की ज़रूरत है यहां पर। सत्यपाल चौधरी, Erlangen
  • अपाहिज लोगों के लिये कानून वाला लेख बहुत अच्छा लगा। इतनी विस्तृत जानकारी और कहां मिलती है? आम लोगों को तो इसके बारे में पता ही नहीं होता। ऐसी उपयोगी सूचनायें और होनी चाहिये। कुसुम चौधरी, Erlangen
  • बहुत अच्छी पत्रिका है। जर्मनी में बैठे बैठे यहां की और भारत की महत्वपूर्ण सूचनायें मिल जाती हैं, वे भी हिन्दी में, तो और क्या चाहिये? हम सचमुच प्रशंसा करते हैं। सतीश सेठी, म्युनिक
  • पत्रिका अच्छी है, पता चलता रहता है कि जर्मनी में क्या हो रहा है। रितेश अग्रवाल, Idar-Oberstein
  • सारे magazine में करीना कपूर की फोटो सबसे best है, वो भी कमर से नीचे नीचे। बाकी तो आप काट ही दो। अली, म्युनिक
  • आप बहुत अच्छी quality maintain कर रहे हैं। अब तो यह ऐसे ही लगती है जैसे भारत में India Today आदि पत्रिकाएं होती हैं। सुहास पटेल, फ्रैंकफर्ट
  • हमें तो अब पता चला है पत्रिका के बारे में। तीन साल से किसी ने बताया कि यह पत्रिका निकल रही है। पत्रिका की quality, छपाई आदि बहुत अच्छी है। हमने कई लेख पढ़े। राजेश वर्मा, Stuttgart
  • हमें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि जर्मनी में हिन्दी पत्रिका बसेरा प्रकाशित की जा रही है। यहां रहने वाले भारतीय नागरिकों को यह अपनी संस्कृति और सुन्दर देवनागरी से संपर्क कराती रहेगी और इसके अलावा जो जर्मन नागरिक जो इण्डोलोजी पढ़ रहे हैं, उनके लिए भी उपयोगी हो सकती है। मोहिनी Heitel, फ्रैंकफर्ट
  • पत्रिका में भक्त सिंह जैसे लोकप्रिय देश भक्तों और गणतन्त्र दिवस जैसे महत्वपूर्ण दिनों के बारे में भी लिखा जाना चाहिए। यहां रहने वाले बहुत से भारतीयों को इन चीज़ों का पता ही नहीं। उन्हें यह भी नहीं पता होता कि भारत के पहले राषट्रपति कौन थे। प्रकाश झा, सूर्य रेस्त्रां, म्युनिक।
  • 'बसेरा' हिंदी भाषा में छपने वाली जर्मनी की शायद पहली पत्रिका है। इस महान प्रयास की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। इसकी छपाई और तस्वीरों का चुनाव उच्च श्रेणी का है। हिंदी भाषा की महारत भी स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। मुझे अब तक इसकी तीन प्रतियां उपलब्ध हुई हैं। भाषा और लेखों के स्तर में सुधार साफ़ दृष्टिगत होता है। जर्मन निवासी हिंदी भाषी होने के नाते इसकी दीर्घायु की मंगल कामना। Sushila Sharma-Haque, sushila1940@yahoo.de
  • 03.08.08, ॐ, मान्यवर श्री रजनीश जी, नमस्कार, आप की भेजी हुयी बसेरा की दोनों प्रतियां मिली, धन्यावद। जर्मनी की पहली हिन्दी पत्रिका के प्रकाशन पर मेरी शुभकामनाऐं। हिन्दी भाषा की सेवा के लिए आप बधाई के पात्र हैं। पत्रिका सुंदर बन पड़ी है। साज सज्जा तथा मुद्रण उत्तम है। भाषा मंझी हुई तथा सरल है। लेख विविधतापूर्ण, रोचक तथा मनोरंजक हैं। जर्मनी में रहने वालों के लिये यहां के नियमों की जानकारी जो अतिआवश्यक है, इसमें सुलभ है। प्रभु आपको सफ़लता दे, इसी प्रार्थना के साथ आपका शुभचिंतक, डा॰ अवनीश कुमार लुगानी, President, श्री गणेष हिन्दू मंदिर, बर्लिन, Heerstraße 7, 14052। Berlin, Tel: 030-3017353
  • 100608, प्रिय मंगला जी, मुझे बसेरा साईट देखने का मौका मिला, बड़ा अच्छा काम कर रहे हैं आप| मेरे बारे में आप इस लिंक पर काफी जानकारी प् सकते हैं. फ़िर भी कोई जानकारी आप चाहें तो मुझे मेल कर सकते हैं. आप ने जो वसूली पत्र का नमूना दिया है क्या ऐसे पत्र Germany के bankो द्वारा जरी किए जाते हैं? या आप ने इन्हें भारत में उपयोग की दृष्टि से दिया है? मैंने भी bank पत्राचार पर लिखा है. मैं एक जर्नlist हूं. आय की दृष्टि से क्या मेरे लिए लिखने का कोई काम है, आप की संस्था के पास. यदि हो तो मुझे सम्पर्क करें. उत्तर की आशा में. हरीश चन्द्र सन्सी, +919250309642, vividha.vidha@yahoo.com

Das Buch, das sich keiner von mir leihen wollte!



Karen Duve: Anständig essen - Das Buch, das sich keiner von mir leihen wollte!Bisher habe ich die Bücher, wenn sie gut waren und ich sie gelesen habe, weiter verliehen im Freundes- und Kollegenkreis. Normalerweise bin ich sie sofort "losgeworden", besonders, wenn es sich um aktuelle Bestseller handelt!

Von diesem Buch war ich begeistert, es ist interessant, informativ und trotzdem leicht zu lesen.  Karen Duve beschreibt ihren Selbstversuch als Vegetarierin, Veganerin und Frutarierin. Außerdem wird man mit Informationen zur Viehhaltung und Landwirtschaft in Deutschland versorgt. Und es ist teilweise witzig und nett geschrieben. Frau Duve wurde mir sehr symphatisch!

Am Ende des Buches wird klar, dass man sich nicht einfach ohne nachzudenken vom Supermarkt weiterernähren kann. Karen Duve schließt daher für sich einen Kompromiß, wie sie sich künftig ernähren will. Das Buch regt dazu an, sich auch zu entscheiden, was man in Zukunft essen will und was nicht.

Für mich war diese Entscheidung klar, ich bin bereits Vegetarierin. So wie auch Karen Duve, ist auch mir bewußt, dass man sich eigentlich vegan ernähren sollte. Aber mir ist es auch zu umständlich. Mittags esse ich in der Kantine und das wäre bei veganer Ernährung fast unmöglich. Also bleibe ich Vegetarier.

Da das Buch auffordert, seine Ernährung zu überdenken, verstehe ich, dass es keiner meiner Bekannten lesen wollte. Wenn man nichts weiß, muss man auch kein schlechtes Gewissen haben!

-Christine Liedl, München