रविवार, 6 नवंबर 2011

सटुट्टगार्ट में दीपावली कार्यक्रम 2010

6 नवंबर को सटुट्टगार्ट की वैदिक संस्था ने Turnhalle में एक सफल दीपावली कार्यक्रम किया जिसमें तरह तरह के गायन और नृत्य प्रस्तुत किये गये। लगभग तीन सौ से अधिक लोगों ने इसमें भाग लिया। कार्यक्रम में अधिकतर आंगतुक भारतीय थे और माहौल बिल्कुल घरेलू और अनौपचारिक था। वैदिक संस्था पिछले 5 सालो से यहां दिवाली तथा अन्य त्योहारों का आयोजन करती आ रही है! श्रीमती शशी पूनिया ने पूरी तरह हिन्दी में मंच संचालन करके लोगों को चौंका दिया। म्युनिक कोंसलावास से कोंसल श्री यश पाल मोतवानी ने भी अपने सन्देश में कहा कि उन्हें यह देखकर हैरानी हो रही है कि यह कार्यक्रम पूरी तरह हिन्दी में हो रहा है। उन्होंने भी हिन्दी में अलग अलग समुदायों में दीपावली के महत्व के बारे में बताया। फिर कार्यक्रम के शुरू होने पर वैदिक संस्था के बच्चों ने प्रार्थना गाई। स्थानीय कलाकार फरीद ने माहौल बनाने के लिए तबले और हारमोनियम पर कुछ हिन्दी गज़लें पेश कीं। Bollywood Arts नामक समूहों ने कई Bollywood गानों पर नृत्य पेश किये (जैसे घाघरा)। तीन बच्चियों ने भी फाल्गुनी पाठक के गाने 'मैंने पायल जो छनकाई' पर नृत्य पेश किया। निकिता ने 'क्या बोलती तू' गाने को mix करके break dance की दिखने वाला Bungloo नृत्य पेश किया। पैरिस से 'Desi Crew' नामक भांगड़ा समूह ने पंजाबी DJ music पर जानदार भांगड़ा पेश किया। इसी बीच रात्रि भोज भी हुआ, जिसके लिये पूरे हॉल में लंबी सी पंक्ति लग गई। हालांकि कार्यक्रम का प्रवेश शुल्क पन्द्रह यूरो था पर रात्रि भोज का शुल्क केवल दो यूरो के साथ बहुत निम्न रखा गया था। कार्यक्रम को सफल बनाने में वैदिक संस्था के पूनिया परिवार, शर्मा परिवार एवं संस्था के सदस्यों तथा उनके ढेर सारे साथियों का बच्चों समेत पूर्ण समर्पण अत्यन्त महत्वपूर्ण था।

शनिवार, 5 नवंबर 2011

म्युनिक का दीपावली कार्यक्रम 2010

5 नवंबर को म्युनिक के Milbertshofen Kulturhaus में दीपावली कार्यक्रम हुआ जिसमें तीन सौ से अधिक लोग शरीक हुए। 23 वर्षीया सनेहा कुमार ने अंग्रेज़ी में और एक जर्मन साथी ने जर्मन भाषा में मंच संचालन किया। कार्यक्रम में म्युनिक से भारतीय महाकोंसल श्री अनूप कुमार मुद्गल ने अंग्रेज़ी में दीपावली के इतिहास और महत्व के बारे में बताया। अजय बहुरूपिया ने संस्कृत में श्लोक पढ़े। स्नेहा भारद्वाज ने शास्त्रीय नृत्य की शैली में गणेष पूजा प्रस्तुत की। बच्चों के एक समूह ने 'तारे ज़मीन पर' फिल्म के गाने 'बम बम बोले' पर एक Choreography पेश की। चन्द्रा देवी के नृत्य समूह ने ढेर सारे Bollywood गीतों पर नृत्य प्रस्तुत किया, सैकत भट्टाचार्य ने भारत की बढ़ती आर्थिक व्यवस्था के बारे में कुछ बातें कहीं और कैरियोकि पर दो बंगाली गाने और एक हिन्दी फिल्मी गीत 'कल हो न हो' प्रस्तुत किया। सटुट्टगार्ट से 'पंजाबी गभरूज़' भांगड़ा समूह ने भांगड़ा पेश किया। भांगड़े की ताल पर तो हॉल में बैठे लोग भी झूमने लगे और मंच पर आकर नाचने लगे। भोजन का इन्तज़ाम बारह यूरो शुल्क के साथ स्वागत रेस्त्रां द्वारा किया गया था। इसी बीच बाहर खुली हवा में पटाखे छोड़ने का इन्तज़ाम भी किया गया। कार्यक्रम की समाप्ति पर हॉल की कुर्सियां हटाकर हॉल को डिस्को में बदल दिया गया। कार्यक्रम का प्रवेश शुल्क दस यूरो था और लगभग सारी टिकटें पहले ही इंटरनेट द्वारा बेच दी गईं थीं। इसलिये कई पंजाबियों को इंटरनेट के आदि न होने के कारण कार्यक्रम के बारे में पता ही नहीं चला। कई लोग दूर दूर से आए पर उन्हें टिकट न मिलने पर वापस जाना पड़ा। भारत घूम चुके कई जर्मन आंगतुकों को यहां प्रस्तुत किए गए भारत और असली भारत में बहुत अन्तर लगा। और अंग्रेज़ी और जर्मन में लंबी लंबी व्याख्याएं उन्हें खलीं।