सोमवार, 18 नवंबर 2024

Articles from 2022

Germany की एक-मात्र हिन्दी पत्रिका का पहला अंक आपको प्रस्तुत करते हुए हमें बहुत प्रसन्नता हो रही है. तकनीकी उन्नति के कारण आज भारतीय भाषाओं को विकसित भाषाओं के साथ कदम मिला कर चलने के अवसर मिल गए हैं. हमारी कोशिश है कि इस पत्रिका के द्वारा हम Germany में रह रहे अनेक प्रतिभाशाली और सम्पन्न भारतीयों की कहानियां और यहां होने वाले भारतीय कार्यक्रमों का वर्णन आपके सामने ला पाएं. अगर आप भी Germany में रह रहे एक भारतीय हैं और आपके जीवन में कुछ अच्छा घटा है, तो हमें बताएं. किसी भी तरह के राजनीतिक या धार्मिक प्रचार-प्रचार अथवा भड़काऊ सामग्री की इस पत्रिका में कोई जगह नहीं है. आशा है कि आपको यह छोटा सा अंक पसन्द आएगा जिस से हम यह पत्रिका नियमित रूप से प्रकाशित कर पाएं और इस के पृष्ठ बढ़ा पाएं.












Munich में रह रहे संगीतकार निषाद फाटक, जो पेशे से engineer और designer हैं, Germany में रह रहे भारतीयों के बच्चों में पूरब और पश्चिम के बीच सांस्कृतिक अन्तर को पाटने की दृष्टि के साथ संगीत के माध्यम से पिछले 3 वर्षों से नियमित रूप से काम कर रहे हैं. Germany में पल रहे भारतीयों के बच्चे प्राय भारतीय संगीत से कटे होते हैं हालांकि Germany के schools में संगीत के भी पाठ्यमक्रम होते हैं जहां बच्चे notation के साथ विभिन्न सगीत वाद्य बजाना सीखते हैं. निषाद नियमित band सत्रों की मदद से बच्चों को उनके स्कूल में अर्जित किए गए संगीत कौशल को भारतीय सन्दर्भ में ढालने और भारतीय गीतों को समझने में मार्ग-दर्शन करते हैं और बच्चों को notation पर निर्भर रहने की बजाए केवल सुन कर बजाने का प्रशिक्षण देते हैं. निषाद ने अनेक बच्चों के साथ Munich में विभिन्न स्थानों / अवसरों पर अनेक बार सफ़लतापूर्वक प्रदर्शन किया है, जिस में भारतीय वाणिज्य दूतावास (CGI Munich) और कई अन्य भारतीय त्योहार भी समारोह शामिल हैं.












27 मई को Walldorf में एक तुर्की संस्था द्वारा आयोजित किए गए अन्तर-राष्ट्रीय Kinderfest में DIFK के बच्चों ने Bollywood dance प्रदर्शित किया. DIFK भाषा की कक्षाएं, भरतनाट्यम, कर्नाटक संगीत, Bollywood, योग, cricket आदि कई गतिविधियां आयोजित करती है.








निकेत शाह Tübingen university में चिकित्सा उपकरण (Medizintechnik) क्षेत्र में स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने 2020 में Abitur किया जो बारहवीं कक्षा की सब से मुश्किल पढ़ाई है. दसवीं कक्षा में उन्होंने pacemaker पर GFS दिया था जिस के बाद चिकित्सा उपकरण के क्षेत्र में उनकी रुचि बढ़ गई. इस क्षेत्र में दाखिला पाने के लिए 1.6NC चाहिए था जो आम-तौर पर मुश्किल होता है. Germany का चिकित्सा उपकरण क्षेत्र Europe में सब से बड़ा और दुनिया में तीसरा सब से बड़ा है. इसका एक कारण यह भी है कि Germany में लगभग सारे निवासियों के पास स्वास्थ्य बीमा है और Germany के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 11.3% स्वास्थ्य देख-भाल पर खर्च होता है. इस लिए जब कोई निर्माता Germany में एक उपकरण विकसित करता है और उसे German नागरिकों के लिए बाज़ार में लाता है, तो उसे रोगियों तक पहुंचने और उनके जीवन में बदलाव लाने में सक्षम बनाने के लिए रास्ते मौजूद होते हैं.








Munich के बारह वर्षीय 'नमन कुण्डी' (मुख्य पृष्ठ) ने Friedrichshafen में 27 से 29 मई तक हुई 55वीं Badminton युवा प्रतियोगिता में U13 श्रेणी में doubles में स्वर्ण पदक और singles में कांस्य पदक जीता है. इस युवा प्रतियोगिता में दस देशों के बच्चों ने भाग लिया था. नमन के पिता गुरदीप सिंह कुण्डी खुद भी Badminton खिलाड़ी और coach रह चुके हैं. नमन छठी कक्षा के छात्र हैं.






Nürnberg से प्रिया मेनन एक भरतनाट्यम और मोहिनीअट्टम नृत्यांगना हैं. वे UNESCO की International Dance Council की सदस्य हैं. चार साल पहले उन्होंने Nürnberg में एक dance school खोला. आज उनके पास छोटे बड़ों और भारतीयों और Germans को मिला कर करीब चालीस शिष्य हैं. वे 19 जून को Fürth में अपने दम पर 'रंग-मंच' के शीर्षक से नृत्य का एक बहुत बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने जा रही हैं जिस में करीब साठ लोगों द्वारा आठ तरह के नृत्य पेश किए जाएंगे, भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम, कथक, भांगड़ा, गरबा, मणिपुरी, लावणी और गोंधर.




28 मई को Erlangen की संस्था Durgaville ने कोबी गुरु रवींद्र-नाथ टैगोर की 161वीं जयन्ती को बड़े जोश और समर्पण से मनाया. म्unique के महावाणिज्य दूतावास से श्री हरविन्दर सिंह जी ने कार्यक्रम का आह्वान किया. अनेक प्रतिभागियों ने रवींद्र-नाथ टैगोर जी अनेक रचनाओं, जैसे नाटक, कविता, संगीत पर कला मंच पर प्रस्तुति दी. कार्यक्रम में लगभग 120 समर्थक और शुभ-चिन्तक शामिल हुए. स्थानीय भारतीय restaurant 'संगम' ने स्वादिष्ट रात्रि-भोज उपलब्ध करवाया.




Munich के गौरव क्वात्रा Allianz में purchase में काम करते हैं और शौक़िया तौर पर sound system किराए पर देते हैं. लोग छोटी मोटी parties से ले कर बड़े events के लिए उनसे सामान किराए पर लेते हैं. उनके पास हर श्रेणी के लिए है जिस में साधारण Bluetooth speaker से ले कर high end sound system with lights, bubble machines और smoke machines हैं. सामान्यत लोग उनके घर से सामान ले जाते हैं और अगले दिन वापस कर जाते हैं. उनकी offers Reachaus app पर भी उपलब्ध हैं.




समय समय पर Germany में या Europe में रह रहे भारतीयों के नस्लीय भेद-भाद के समाचार आते रहते हैं. Köln और Düsseldorf भारतीयों का night club में ना घुसने देना, Italy में night club में ना घुसने देने के बाद उनकी गाड़ियों पर पत्थरों के साथ पथराव करना, Germany में एक भारतीय अभिनेता के casting के दौरान बुरा बर्ताव करना, ऐसी घटनाओं का दर्द वही समझ सकता है जिस पर बीती है. पर अलग दिखना अपने आप एक समस्या है. हल्की त्वचा वालों को भी भारत में लगातार घूरे जाने से समस्या होती है. लेकिन हल्की त्वचा वालों को हमेशा अधिक स्वीकृति: मिलती है. अब पता नहीं कि यह एक कुसरत का कानून है बचपन से हममें डाले गए संस्कार हैं. पर फिर भी यह कहना गलत नहीं होगा कि Germany एक बड़ा देश है जहां अनेक तरह के लोग रहते हैं. आम-तौर पर German लोग भारत और भारतीयों के प्रति सकारात्मक दृष्टि-कोण रखते हैं. वे भारत को आकर्षक और दिलचस्प पाते हैं. और जिन्हें भारत दिलचस्प नहीं लगता, उनका रवैया तटस्थ रहता है. ऐसे बहुत कम German लोग होंगे जो स्पष्ट रूप से भारतीयों के खिलाफ़ व्यक्तिगत या राजनीतिक कारणों से कुछ भी करेंगे. लेकिन अगर आप ढूंढने पर तुले ही हैं तो साढे आठ करोड़ Germans में कुछ तो भारत विरोधी मिल ही जाएंगे. सामान्यत bouncers (Türsteher) को मालिक की हिदायत होती है कि किसे club के अन्दर आने दिया जाए, किस को नहीं. कई बार वे Türsteher को कहते हैं कि काले बालों वालों को या गहरी त्वचा वालों को (सामान्यत तुर्कियों और अरबियों को) नहीं आने दिया जाए. कई बार ऐसा भी होता है कि Türsteher खुद तुर्की होता है पर वह किसी तुर्की को अन्दर आने नहीं दे सकता. कई बार ऐसा भी होता है कि गहरी त्वचा वालों के बच्चे यहीं Germany में पैदा हुए और बड़े हुए होते हैं, यानि वे अकल से पक्के German होते हैं, उन्हें भी अन्दर जाने नहीं दिया जाता. कई club वालों का यह भी अनुभव होता है कि विदेशी लोग club के अन्दर alcohol का सेवन नहीं करते, या बहुत कम करते हैं. alcohol बेचने से ही उन्हें अधिक कमाई होती है. तो उन लोगों में उन्हें कुछ खास फ़ायदा नहीं दिखता. कई restaurant वालों का अनुभव होता है कि भारतीय लोग मुफ़्त का नल का पानी मांगते हैं, खाना बांट कर खाते हैं, इस लिए वे भारतीय मेहमानों को नज़र-अन्दाज़ करते हैं. कई swinger clubs वालों को लगता है कि विदेशी लोग बहुत ऊंची आवाज़ में बात करते हैं जिस से वहां का शांत वातावरण भंग होता है और European लोगों का आना कम हो जाता है. पर किसी भी स्थिति का सामान्यीकरण नहीं किया जा सकता. जहां तक night clubs की बात करें तो अधिकतर clubs में ऐसा नहीं होता है और वैसे भी आज की स्थिति बीस साल पहले की स्थिति से बेहतर है. अधिकतर ऐसी स्थितियां डर के कारण पैदा होती हैं. और डर उन्हें ही लगता है जिन का खुद का जीवन अस्त-व्यस्त होता है. ऐसे लोग गिने चुने होते हैं. उन्हें लगता है कि ये विदेशी लोग उनकी नौकरियां और औरतें ले जाएंगे. कई बार तो बसों trains में गोरे लोग गहरी त्वचा वालों को बुरा भला कह देते हैं. पर ऐसे लोग अधिकतर खुद के जीवन से परेशान होते हैं.








कई German लोगों को यह बात पसन्द नहीं कि Germany में शिक्षण को प्रशासनिक सेवा का दर्जा दिया जाता है. प्रशासनिक अधिकारियों को नौकरी से निकाला नहीं जा सकता, इस लिए उन पर शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने का दबाव नहीं होता. इस के उलट England में शिक्षण को प्रशासनिक सेवा का दर्जा नहीं दिया जाता. इस लिए England में शिक्षक नौकरी बचाए रखने के लिए अधिक मेहनत करते हैं. प्रशासनिक अधिकारियों से देश के प्रति निष्ठा की उम्मीद की जाती है और हड़ताल करने की अनुमति नहीं होती. police और प्रशासन में इसका बहुत महत्व है. पर शिक्षकों से ऐसी निष्ठा की उम्मीद रखना कोई ज़रूरी नहीं. प्रशासनिक अधिकारियों को pension बीमा और स्वास्थ्य बीमा भी नहीं देना पड़ता.

जैन समाज ने मनाया जीनार्धना महोत्सव

दिनांक 2 जुलाई को जर्मनी के Walldorf शहर में अजीत बेनाडी जी के सानिध्य में और श्रेयांश बाबागोंड के नेतृत्व में एवं बाकी कार्यकर्ताओं के सहयोग से जर्मनी में रहने वाले जैन समाज ने जैन मिलन समारोह का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में जर्मनी के विभिन्न शहरों से तकरीबन 90 लोग सम्मिलित हुए। इस कार्यक्रम में जैन तीर्थकरों की पूजा, अहिंसा का संदेश, बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवम् सामूहिक भोजन था। जर्मनी में रहने वाले भारतीय मूल के जैनों के अलावा जैन दर्शन को मानने वाले जर्मन भी सम्मिलित हुए। अजीत बेनाडी, जिन्होंने Jain Association International (Germany) e.V. की स्थापना सन् 1989 में की थी, वो विभिन्न जैन लिपियों को जर्मन भाषा में अनुवाद कर चुके हैं। अर्पित जैन

German सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा: परिचय

जब हमारे जीवन में घर, स्वास्थ्य और सेवा-निवृत्ति जैसी महत्वपूर्ण चीज़ों को अधिक सुरक्षित करने की बात आती है, तो बीमा एक भ्रमित करने वाला विषय हो सकता है. German Association of Insurance Companies के अनुसार, केवल Germany में अभी लगभग 45 करोड़ सार्वजनिक बीमा policies सक्रिय हैं! India Initiative की ओर से हम आपको सार्वजनिक बीमा सम्बन्धी छह सब से बड़ी भ्रांतियों के बारे में बता रहे हैं जिन के बारे में आपको अपनी बीमा policy में ठीक से परखना चाहिए.


1. हम अत्यधिक बीमाकृत हैं

किसी भी अन्य देश की तरह, Germany में जायज़ और अत्यधिक बीमाकृत, दोनों तरह के लोग हैं. कई बीमा policies में, कुछ अनुबन्ध बीमाकृत व्यक्तियों के प्रति अपने दायित्वों को हमेशा पूरा नहीं करते हैं. विकलांगता और किसी के प्रति दायित्व जैसे कई आवश्यक बिन्दुओं को छोड़ दिया जाता है.


2. विदेश यात्रा coverage की ज़रूरत नहीं

Germany में अपने घर से दूर यात्रा करते समय, यात्रा स्वास्थ्य बीमा ख़रीदना एक उत्कृष्ट विचार है. नियोक्ता (employer) या सार्वजनिक बीमा विदेश यात्रा को cover नहीं करता है. इस लिए किसी को अनुबन्ध पर हस्ताक्षर करने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि सब कुछ cover किया गया है.


3. disability insurance बेमतलब है

यदि आप उन भाग्यशाली लोगों में से एक हैं जिन के पास काम पर घायल होने या बीमार होने की 1% से भी कम सम्भावना है, तो विकलांगता बीमा (disability insurance) शायद पैसे की बरबादी है. 99% लोग, जो जीवन में कभी ना कभी, किसी ना किसी बीमारी के कारण और 25% लोग, जो किसी ना किसी दुर्घटना के कारण स्थायी या अस्थायी रूप से अक्षम होते हैं, उन्हें आर्थिक रूप से बचने के लिए disability insurance प्राप्त करनी चाहिए.  disability insurance लगभग रोज़गार अनुबन्ध जितनी ही विश्वसनीय है.

 

4. जीवन बीमा over-hyped है

गलत. मानक जीवन बीमा policies के अतिरिक्त, unit-linked policies भी उपलब्ध हैं. इन के साथ लोग अपनी सेवा-निवृत्ति को अधिक आरामदायक बनाने के लिए जीवन बीमा की बचत का share बाज़ार में निवेश कर के, उस के उतार-चढ़ाव से लाभान्वित हो सकते हैं.

 

5. Supplementary Hospital Add-on की आवश्यकता नहीं है:

लाभों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करने के अलावा, supplementary inpatient insurance आपको वह clinic और विशेषज्ञ चुनने की अनुमति देता है जो आपके बिलकुल अनुकूल हो. additional inpatient insurance के साथ आप अस्पताल में आरामदायक double या single rooms भी प्राप्त कर सकते हैं.

 

6. सार्वजनिक जीवन बीमा योजनाएं पर्याप्त हैं

सार्वजनिक जीवन बीमा की लाभप्रदता में गिरावट आई है. इस स्थिति के कारण, बीमाकृत व्यक्तियों को ऐसे पेशेवरों की तलाश करनी चाहिए जो उन्हें पैसे बचाने में मदद कर सकें, उन्हें सेवा-निवृत्ति के बाद उनके प्रियजनों को वित्तीय रूप से स्थिर रखने के लिए वित्तीय सलाह प्रदान कर सकें.

 

निष्कर्ष:

हम आशा करते हैं कि इन छह सब से बड़ी सार्वजनिक बीमा सम्बन्धी भ्रांतियों और उनकी सच्चाइयों को जानने के बाद, आप समझ चुके होंगे कि German सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा कैसे काम करता है और आपको कौन से कदम उठाने की आवश्यकता है.

indiainitiative.de

HSS Munich ने मनाया रक्षाबन्धन उत्सव

20 August को हिन्दू स्वयंसेवक संघ (HSS) Munich ने लगभग 60 प्रतिभागियों सहित FC Phönix Turnhalle में रक्षाबन्धन उत्सव मनाया. उत्सव में मातृ मन्दिर, गुजराती समाज और महाराष्ट्र मण्डल के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे. कार्यक्रम में गुरु भगव-ध्वज को राखी बांधी गई, तरुण कार्यकर्ताओं द्वारा सुभाषित प्रस्तुत की गई:

येनबद्धो बलीराजा दानवेन्द्रो महासुर:।

तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

America की 'आनन्द मार्ग' संस्था से विशेष रूप से उपस्थित मानद अतिथि 'आचार्य श्री विमलानन्द अवधूथ' ने सनातन धर्म की 'वसुधैव कुटुम्बकम' की अवधारणा और इसकी वर्तमान में प्रासंगिकता के बारे में व्याख्यान दिया.

रश्मी नागराज, राकेश मेहरा

NRWEventss ने करवाया पीयूष मिश्रा का show

Frankfurt निवासी सौरभ शर्मा और सुश्री निथ्या बाबू ने 21 August को Willy-Brandt-Halle में एक बहुत बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जिस में लोकप्रिय भारतीय कलाकार पीयूष मिश्रा और उनके band बल्लीमारान का show, अनेक भारतीय स्वतंत्र कलाकारों द्वारा मनमोहक नृत्य और गायन प्रस्तुतियां, प्रवेश-कक्ष में अतिथियों का मनोरञ्जन करता ढोली और मुंह में पानी भरने वाले भारतीय व्यंजनों से भरपूर भोज-मेला शामिल था. असीमित प्रतिभा वाले पीयूष मिश्रा, जो गायक होने के साथ साथ लेखक, कवि, संगीतकार और अभिनेता भी हैं, ने अपने लोकप्रिय गीत 'हुस्ना', 'आरम्भ है प्रचण्ड' और उर्दू शायर मिर्जा गालिब को संगीतमय श्रद्धांजलि देते हुए कई गीत गाए. अतिथियों को उनका अनोखा, एक संवाद के रूप में संगीत प्रस्तुत करने का अन्दाज़ बहुत पसन्द आया. सौरभ शर्मा एक उद्यमी और व्यवसायी हैं जो पिछले 11 वर्षों से Germany में रह रहे हैं. वे पिछले कुछ समय में अपनी events company NRW Eventss की ओर से अभिषेक उपमन्यु, गौरव कपूर, राहुल सुब्रमण्यम और आकाश गुप्ता जैसे कई भारतीय लोकप्रिय stand-up comedians के show आयोजित कर चुके हैं. वे 9 सितंबर को Frankfurt में और 16 सितंबर को Köln में comedy के बादशाह अनुभव सिंह बस्सी की मेज़ुबानी भी कर रहे हैं. Germany में बड़े स्तर के भारतीय show आयोजित करना उनका सपना है. stand-up comedy के बाद संगीत में यह उनकी पहली कोशिश थी जो बहुत सफ़ल रही. उन्हें हमेशा इस बात पर ताज्जुब होता था कि सर्व-श्रेष्ठ भारतीय stand-up comedians, अभिनेता, अभिनेत्रियां, गायक और गायिकाएं केवल New York, London, Amsterdam आदि में ही क्यों प्रदर्शन करते हैं. क्या Germany में पर्याप्त भारतीय नहीं हैं या वे सर्व-श्रेष्ठ भारतीय कलाकारों को Germany में देखना नहीं चाहते? इस प्रश्न का उत्तर उन्हें अब मिल गया है और इस क्षेत्र में अब वे और भी जी जान से कोशिश करेंगे. Germany में उनके आने वाले कार्यक्रमों के बारे जानने के लिए आप NRWEventss Instagram या Facebook page का अनुसरण कर सकते हैं या उनकी website www.nrweventss.com पर जा सकते हैं.

हरि ओम मन्दिर Frankfurt में जन्माष्टमी

18 August को Frankfurt के हरि ओम मन्दिर में धूम-धाम के साथ कृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई. ढेर सारे श्रद्धालुओं के साथ छप्पन भोग, कीर्तन, जन्म पालकी, आरती और भण्डारे का आयोजन हुआ. इस के अलावा 21 August को कृष्ण जन्म उत्सव मनाया गया जिस में बच्चों और महिलाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया. बच्चों की मटकी-फोड (दही हाण्डी), कीर्तन, आरती और भण्डारे के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ. मन्दिर committee (Hindu Cultural Central e.V.) के प्रधान रमेश कुमार शर्मा ने सभी श्रद्धालुओं का स्वागत किया और committee के अन्य सदस्यों रवि भटनागर, राज कुमार, नवीन रायज़ादा और अश्विनी तिवारी का उनके विशेष योगदान के लिए धन्यवाद किया।

German लोकोक्तियां

nichts wird so heiß gegessen, wie es gekocht wird. इस का शाब्दिक अर्थ है, चीज़ें उतनी गरम खाई नहीं जातीं जितनी गरम पकाई जाती हैं. यानि कुछ गलत होने पर इतना परेशान होने की ज़रूरत नहीं होती, क्योंकि अक्सर नुकसान उतना ज़्यादा नहीं होता जितना अचानक दिखने लगता है.

Da beißt sich die Katze in den Schwanz. यानि बिल्ली अपनी ही पूंछ को काट रही है. यानि जब हम किसी के साथ विवाद में पड़ कर किसी मुद्दे को आगे ले जाने में असक्षम होते हैं, तो उस सन्दर्भ में इस मुहावरे का इस्तेमाल किया जाता है.