Germany की एक-मात्र हिन्दी पत्रिका का पहला अंक आपको प्रस्तुत करते हुए हमें बहुत प्रसन्नता हो रही है. तकनीकी उन्नति के कारण आज भारतीय भाषाओं को विकसित भाषाओं के साथ कदम मिला कर चलने के अवसर मिल गए हैं. हमारी कोशिश है कि इस पत्रिका के द्वारा हम Germany में रह रहे अनेक प्रतिभाशाली और सम्पन्न भारतीयों की कहानियां और यहां होने वाले भारतीय कार्यक्रमों का वर्णन आपके सामने ला पाएं. अगर आप भी Germany में रह रहे एक भारतीय हैं और आपके जीवन में कुछ अच्छा घटा है, तो हमें बताएं. किसी भी तरह के राजनीतिक या धार्मिक प्रचार-प्रचार अथवा भड़काऊ सामग्री की इस पत्रिका में कोई जगह नहीं है. आशा है कि आपको यह छोटा सा अंक पसन्द आएगा जिस से हम यह पत्रिका नियमित रूप से प्रकाशित कर पाएं और इस के पृष्ठ बढ़ा पाएं.
Munich में रह रहे संगीतकार निषाद फाटक, जो पेशे से engineer और designer हैं, Germany में रह रहे भारतीयों के बच्चों में पूरब और पश्चिम के बीच सांस्कृतिक अन्तर को पाटने की दृष्टि के साथ संगीत के माध्यम से पिछले 3 वर्षों से नियमित रूप से काम कर रहे हैं. Germany में पल रहे भारतीयों के बच्चे प्राय भारतीय संगीत से कटे होते हैं हालांकि Germany के schools में संगीत के भी पाठ्यमक्रम होते हैं जहां बच्चे notation के साथ विभिन्न सगीत वाद्य बजाना सीखते हैं. निषाद नियमित band सत्रों की मदद से बच्चों को उनके स्कूल में अर्जित किए गए संगीत कौशल को भारतीय सन्दर्भ में ढालने और भारतीय गीतों को समझने में मार्ग-दर्शन करते हैं और बच्चों को notation पर निर्भर रहने की बजाए केवल सुन कर बजाने का प्रशिक्षण देते हैं. निषाद ने अनेक बच्चों के साथ Munich में विभिन्न स्थानों / अवसरों पर अनेक बार सफ़लतापूर्वक प्रदर्शन किया है, जिस में भारतीय वाणिज्य दूतावास (CGI Munich) और कई अन्य भारतीय त्योहार भी समारोह शामिल हैं.
27 मई को Walldorf में एक तुर्की संस्था द्वारा आयोजित किए गए अन्तर-राष्ट्रीय Kinderfest में DIFK के बच्चों ने Bollywood dance प्रदर्शित किया. DIFK भाषा की कक्षाएं, भरतनाट्यम, कर्नाटक संगीत, Bollywood, योग, cricket आदि कई गतिविधियां आयोजित करती है.
निकेत शाह Tübingen university में चिकित्सा उपकरण (Medizintechnik) क्षेत्र में स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने 2020 में Abitur किया जो बारहवीं कक्षा की सब से मुश्किल पढ़ाई है. दसवीं कक्षा में उन्होंने pacemaker पर GFS दिया था जिस के बाद चिकित्सा उपकरण के क्षेत्र में उनकी रुचि बढ़ गई. इस क्षेत्र में दाखिला पाने के लिए 1.6NC चाहिए था जो आम-तौर पर मुश्किल होता है. Germany का चिकित्सा उपकरण क्षेत्र Europe में सब से बड़ा और दुनिया में तीसरा सब से बड़ा है. इसका एक कारण यह भी है कि Germany में लगभग सारे निवासियों के पास स्वास्थ्य बीमा है और Germany के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 11.3% स्वास्थ्य देख-भाल पर खर्च होता है. इस लिए जब कोई निर्माता Germany में एक उपकरण विकसित करता है और उसे German नागरिकों के लिए बाज़ार में लाता है, तो उसे रोगियों तक पहुंचने और उनके जीवन में बदलाव लाने में सक्षम बनाने के लिए रास्ते मौजूद होते हैं.
Munich के बारह वर्षीय 'नमन कुण्डी' (मुख्य पृष्ठ) ने Friedrichshafen में 27 से 29 मई तक हुई 55वीं Badminton युवा प्रतियोगिता में U13 श्रेणी में doubles में स्वर्ण पदक और singles में कांस्य पदक जीता है. इस युवा प्रतियोगिता में दस देशों के बच्चों ने भाग लिया था. नमन के पिता गुरदीप सिंह कुण्डी खुद भी Badminton खिलाड़ी और coach रह चुके हैं. नमन छठी कक्षा के छात्र हैं.
Nürnberg से प्रिया मेनन एक भरतनाट्यम और मोहिनीअट्टम नृत्यांगना हैं. वे UNESCO की International Dance Council की सदस्य हैं. चार साल पहले उन्होंने Nürnberg में एक dance school खोला. आज उनके पास छोटे बड़ों और भारतीयों और Germans को मिला कर करीब चालीस शिष्य हैं. वे 19 जून को Fürth में अपने दम पर 'रंग-मंच' के शीर्षक से नृत्य का एक बहुत बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने जा रही हैं जिस में करीब साठ लोगों द्वारा आठ तरह के नृत्य पेश किए जाएंगे, भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम, कथक, भांगड़ा, गरबा, मणिपुरी, लावणी और गोंधर.
28 मई को Erlangen की संस्था Durgaville ने कोबी गुरु रवींद्र-नाथ टैगोर की 161वीं जयन्ती को बड़े जोश और समर्पण से मनाया. म्unique के महावाणिज्य दूतावास से श्री हरविन्दर सिंह जी ने कार्यक्रम का आह्वान किया. अनेक प्रतिभागियों ने रवींद्र-नाथ टैगोर जी अनेक रचनाओं, जैसे नाटक, कविता, संगीत पर कला मंच पर प्रस्तुति दी. कार्यक्रम में लगभग 120 समर्थक और शुभ-चिन्तक शामिल हुए. स्थानीय भारतीय restaurant 'संगम' ने स्वादिष्ट रात्रि-भोज उपलब्ध करवाया.
Munich के गौरव क्वात्रा Allianz में purchase में काम करते हैं और शौक़िया तौर पर sound system किराए पर देते हैं. लोग छोटी मोटी parties से ले कर बड़े events के लिए उनसे सामान किराए पर लेते हैं. उनके पास हर श्रेणी के लिए है जिस में साधारण Bluetooth speaker से ले कर high end sound system with lights, bubble machines और smoke machines हैं. सामान्यत लोग उनके घर से सामान ले जाते हैं और अगले दिन वापस कर जाते हैं. उनकी offers Reachaus app पर भी उपलब्ध हैं.
समय समय पर Germany में या Europe में रह रहे भारतीयों के नस्लीय भेद-भाद के समाचार आते रहते हैं. Köln और Düsseldorf भारतीयों का night club में ना घुसने देना, Italy में night club में ना घुसने देने के बाद उनकी गाड़ियों पर पत्थरों के साथ पथराव करना, Germany में एक भारतीय अभिनेता के casting के दौरान बुरा बर्ताव करना, ऐसी घटनाओं का दर्द वही समझ सकता है जिस पर बीती है. पर अलग दिखना अपने आप एक समस्या है. हल्की त्वचा वालों को भी भारत में लगातार घूरे जाने से समस्या होती है. लेकिन हल्की त्वचा वालों को हमेशा अधिक स्वीकृति: मिलती है. अब पता नहीं कि यह एक कुसरत का कानून है बचपन से हममें डाले गए संस्कार हैं. पर फिर भी यह कहना गलत नहीं होगा कि Germany एक बड़ा देश है जहां अनेक तरह के लोग रहते हैं. आम-तौर पर German लोग भारत और भारतीयों के प्रति सकारात्मक दृष्टि-कोण रखते हैं. वे भारत को आकर्षक और दिलचस्प पाते हैं. और जिन्हें भारत दिलचस्प नहीं लगता, उनका रवैया तटस्थ रहता है. ऐसे बहुत कम German लोग होंगे जो स्पष्ट रूप से भारतीयों के खिलाफ़ व्यक्तिगत या राजनीतिक कारणों से कुछ भी करेंगे. लेकिन अगर आप ढूंढने पर तुले ही हैं तो साढे आठ करोड़ Germans में कुछ तो भारत विरोधी मिल ही जाएंगे. सामान्यत bouncers (Türsteher) को मालिक की हिदायत होती है कि किसे club के अन्दर आने दिया जाए, किस को नहीं. कई बार वे Türsteher को कहते हैं कि काले बालों वालों को या गहरी त्वचा वालों को (सामान्यत तुर्कियों और अरबियों को) नहीं आने दिया जाए. कई बार ऐसा भी होता है कि Türsteher खुद तुर्की होता है पर वह किसी तुर्की को अन्दर आने नहीं दे सकता. कई बार ऐसा भी होता है कि गहरी त्वचा वालों के बच्चे यहीं Germany में पैदा हुए और बड़े हुए होते हैं, यानि वे अकल से पक्के German होते हैं, उन्हें भी अन्दर जाने नहीं दिया जाता. कई club वालों का यह भी अनुभव होता है कि विदेशी लोग club के अन्दर alcohol का सेवन नहीं करते, या बहुत कम करते हैं. alcohol बेचने से ही उन्हें अधिक कमाई होती है. तो उन लोगों में उन्हें कुछ खास फ़ायदा नहीं दिखता. कई restaurant वालों का अनुभव होता है कि भारतीय लोग मुफ़्त का नल का पानी मांगते हैं, खाना बांट कर खाते हैं, इस लिए वे भारतीय मेहमानों को नज़र-अन्दाज़ करते हैं. कई swinger clubs वालों को लगता है कि विदेशी लोग बहुत ऊंची आवाज़ में बात करते हैं जिस से वहां का शांत वातावरण भंग होता है और European लोगों का आना कम हो जाता है. पर किसी भी स्थिति का सामान्यीकरण नहीं किया जा सकता. जहां तक night clubs की बात करें तो अधिकतर clubs में ऐसा नहीं होता है और वैसे भी आज की स्थिति बीस साल पहले की स्थिति से बेहतर है. अधिकतर ऐसी स्थितियां डर के कारण पैदा होती हैं. और डर उन्हें ही लगता है जिन का खुद का जीवन अस्त-व्यस्त होता है. ऐसे लोग गिने चुने होते हैं. उन्हें लगता है कि ये विदेशी लोग उनकी नौकरियां और औरतें ले जाएंगे. कई बार तो बसों trains में गोरे लोग गहरी त्वचा वालों को बुरा भला कह देते हैं. पर ऐसे लोग अधिकतर खुद के जीवन से परेशान होते हैं.
कई German लोगों को यह बात पसन्द नहीं कि Germany में शिक्षण को प्रशासनिक सेवा का दर्जा दिया जाता है. प्रशासनिक अधिकारियों को नौकरी से निकाला नहीं जा सकता, इस लिए उन पर शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने का दबाव नहीं होता. इस के उलट England में शिक्षण को प्रशासनिक सेवा का दर्जा नहीं दिया जाता. इस लिए England में शिक्षक नौकरी बचाए रखने के लिए अधिक मेहनत करते हैं. प्रशासनिक अधिकारियों से देश के प्रति निष्ठा की उम्मीद की जाती है और हड़ताल करने की अनुमति नहीं होती. police और प्रशासन में इसका बहुत महत्व है. पर शिक्षकों से ऐसी निष्ठा की उम्मीद रखना कोई ज़रूरी नहीं. प्रशासनिक अधिकारियों को pension बीमा और स्वास्थ्य बीमा भी नहीं देना पड़ता.